विपरित

हम दोनो  द्रव्य से सुखी परंतु एक सदगुणी
दुसरा दुर्गुणी.
Aसद्गुणी - शालीभद्रजी
दुर्गुणी -मम्मन सेठ

प्रेरणा देनेवाले हो गये बरबाद और प्रेरणा लेनेवाले बन गये परमात्मा.
खंदक ऋषिजी के 500 शिष्य ?

जंगल में एकने मंगल किया दुजे ने अमंगल किया.
Aमंगल - नयसार जी
अमंगल - सुकुमालिका जी

हम तीनों को भगवान के साथ रहने का सौभाग्य मिला फिर भी भगवान  से दूर दूर हो गये.
Aमरीचि
जमाली
गोशालक ।

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