उपाध्य्याय
आएंगे सारे जवाब
1 उपध्य्याय को क्या कहते है
A 1 बहुश्रुत
2 बहुश्रुत की उपमा कौनसे सूत्र में है
A 2 उत्तराध्ययन
3 उपध्य्याय किसके जैसे होते है
A 3 जिन सरीखे
4 गुरुपद में बीच मे कौनसे गुरु होते है
A 4 उपाध्य्याय जी
5 उपाध्य्याय जी की पदवी किसके जैसी
A 5 युवराज
6 शाशन के शिक्षक मंत्री कौन
A 6 उपाध्याय जी
7 *11* अंग सूत्र के ज्ञाता को क्या कहते है
A 7 गीतार्थ
8 उम्र में छोटे पर ज्ञान में बड़े
A 8 वज्रस्वामी जी
9 उपाध्याय किसे तैयार करते है
A 9 बहुश्रुतो को
10 *८* प्रभावको को तैयार कौन करता है
A 10 उपाध्याय जी
11 उपाध्याय का एक ही काम
A 11 अध्यापन का
12 उपाध्याय कितने प्रभावना युक्त होते है
A 12 आठ
13 उपाध्याय जी ज्ञान को कैसे टिका रखते है
A 13 स्वाध्याय से
14 उपाध्याय जी का समावेश कौनसे देव में
A 14 धर्मदेव
15 उपाध्याय के गुण गाता क्या बनते है
A 15 सुलभबोधि
16 उपाध्याय के दुर्गुणो बोलने वाले
A 16 दुर्लभबोधि
17 उपाध्याय का दूसरा नाम
A 17 वाचना दाता
18 उपाध्याय के गुणग्राम कौनसे सूत्र में है
A 18 उत्तराध्ययन
19 आचार्य के मंत्री जैसा कौन
A 19 उपाध्याय
20 उपाध्याय कौनसे ज्ञाता होते है
A 20 स्व समय , पर समय
21 शिष्य को ज्ञान और संयम में स्थिर कौन रखते है
A 21 उपाध्याय जी
22 उपाध्याय जी का श्रेष्ठ दान कौनसा
A 22 श्रुतज्ञान दान
23 धर्मदेव में कौन कौन आते है
A 23 आचार्य जी और उपाध्याय जी
24 *12* अंगसूत्र का सार क्या
A 24 अष्ट प्रवचन माता
25 स्थूलिभद्र जी स्वामी के वाचना दाता
A 25 भद्रबाहु जी
1 उपध्य्याय को क्या कहते है
A 1 बहुश्रुत
2 बहुश्रुत की उपमा कौनसे सूत्र में है
A 2 उत्तराध्ययन
3 उपध्य्याय किसके जैसे होते है
A 3 जिन सरीखे
4 गुरुपद में बीच मे कौनसे गुरु होते है
A 4 उपाध्य्याय जी
5 उपाध्य्याय जी की पदवी किसके जैसी
A 5 युवराज
6 शाशन के शिक्षक मंत्री कौन
A 6 उपाध्याय जी
7 *11* अंग सूत्र के ज्ञाता को क्या कहते है
A 7 गीतार्थ
8 उम्र में छोटे पर ज्ञान में बड़े
A 8 वज्रस्वामी जी
9 उपाध्याय किसे तैयार करते है
A 9 बहुश्रुतो को
10 *८* प्रभावको को तैयार कौन करता है
A 10 उपाध्याय जी
11 उपाध्याय का एक ही काम
A 11 अध्यापन का
12 उपाध्याय कितने प्रभावना युक्त होते है
A 12 आठ
13 उपाध्याय जी ज्ञान को कैसे टिका रखते है
A 13 स्वाध्याय से
14 उपाध्याय जी का समावेश कौनसे देव में
A 14 धर्मदेव
15 उपाध्याय के गुण गाता क्या बनते है
A 15 सुलभबोधि
16 उपाध्याय के दुर्गुणो बोलने वाले
A 16 दुर्लभबोधि
17 उपाध्याय का दूसरा नाम
A 17 वाचना दाता
18 उपाध्याय के गुणग्राम कौनसे सूत्र में है
A 18 उत्तराध्ययन
19 आचार्य के मंत्री जैसा कौन
A 19 उपाध्याय
20 उपाध्याय कौनसे ज्ञाता होते है
A 20 स्व समय , पर समय
21 शिष्य को ज्ञान और संयम में स्थिर कौन रखते है
A 21 उपाध्याय जी
22 उपाध्याय जी का श्रेष्ठ दान कौनसा
A 22 श्रुतज्ञान दान
23 धर्मदेव में कौन कौन आते है
A 23 आचार्य जी और उपाध्याय जी
24 *12* अंगसूत्र का सार क्या
A 24 अष्ट प्रवचन माता
25 स्थूलिभद्र जी स्वामी के वाचना दाता
A 25 भद्रबाहु जी
नमो उव्वज्झायाणं -भाव वंदना
चौथे पद उपाध्याय जी महाराज कैसे हैं?
उपाध्याय जी महाराज पचीस गुणों के धारक हैं – ग्यारह अंग, १२ उपांग, चरण सत्तरी (उत्तम चरित्र,) करण सत्तरी( उत्तम क्रिया ) पढ़ें पढावें
ग्यारह अंग
१. आचारांग
२. सुयगडांग
३. ठाणांग
४. समवायांग
५. भगवती
६. ज्ञाताधर्मकथा
७. उपासकदशांग
८. अन्तगडदसा
९. अणुत्तरोववाई
१०. प्रश्नव्याकरण
११. विपाकश्रुत
बारह उपांग
१. उववाई
२. रायप्पसेणी
३. जीवाजीवाभिगम
४. पन्नवणा
५. जम्बूद्वीपण्णत्ति
६. चंदपण्णत्ति
७. सूरपण्णत्ति
८. निरयावलिया
९. कप्पविडंसिया
१०. पुप्फिया
११. पुप्फचूलिया
१२. वण्हिदसा
चार मूल सूत्र
उत्तराध्ययन , दशवैकालिक, नंदी तथा अनुयोगद्वार जी
चार छेद
दशाश्रुत स्कंध . बृहत् कल्प , व्यवहार सूत्र तथा निशीथ सूत्र जी
और बत्तीसवां आवश्यक सूत्र तथा अनेकानेक ग्रंथों के जानने वाले , सात नय , निश्चय, व्यवहार, चार प्रमाण , स्व मत तथा पर मत के जानकार , मनुष्य या देवता कोई भी जिनको विवाद में छलने में समर्थ नहीं , जिन नहीं पर जिन सरीखे हैं, केवली नहीं पर केवली सरीखे हैं l
२. सित्तरी :
१) चरण सित्तरी २) करण सित्तरी
इस तरह से और दूसरी तरह से भी पच्चीस गुण होते हैं। जिनमें ग्यारह अंग और चौदह पूर्व के नाम आते हैं।
पढ़त इग्यारे अंग करमां सु करे जंग
पाखंडी का मान भंग करण हुशियारी है l
चवदे पूर्व धार जानत आगम सार
भवियण के सुखकार भये अविकारी हैं l
पढावे भाविक जन थिर कर देत मन
तप करी तावे तन ममता निवारी है l
कहत तिलोक रिख ज्ञान भानु परतिख
ऐसे उपाध्याय जी को वंदना हमारी है l
हे उपाध्याय जी महाराज , आपकी दिवस संबंधी
अविनय अशातना की हो तो हाथ जोड़ मान मोड़ पैर पड़ के क्षमा मांगता हूँ , आप क्षमा करें , आप क्षमा करने
योग्य हैं , तिखुत्तो के पाठ से १००८ बार वंदना नमस्कार करता हूँ l
तिखुत्तो अयाहिणं पयाहिणं करेमि वंदामि नमंसामि सक्कारेमि सम्माणेमि कलाणं मंगलं देवियं चेइयं पज्जुवासामि मत्थएण वंदामि l
हे प्रभु, आप मांगलिक हो आप उत्तम हो, हे स्वामी हे नाथ, आपका इस भव, पर भव, भव भव में सदा काल
शरणा प्राप्त हो 🙏🙏
☘🙏☘🙏☘🙏☘
*☘ नमो उवज्झायाणं☘*
🔓1) चौथे पद में किनको नमस्कार किया जाता है?
🔑1) उपाध्यायजी को
🔓2) उपाध्यायजी कितने गुणों के धारक है ?
🔑2) पच्चीस
🔓3) उपाध्यायजी के अन्य नाम बताइये ?
🔑3) शिक्षक, पाठक, बहुश्रुत, वाचक आदि
🔓4) कौन से आगम में उपाध्यायजी को 16 उपमाओ से उपमित किया है?
🔑4) उत्तराध्ययन सूत्र
🔓5) वज्रपाणि कौन है, जिसकी उपमा से उपाध्यायजी को उपमित किया है?
🔑5) इंद्र (शकेंद्र)
🔓6) उपाध्यायजी कितने है?
🔑6) संख्यात है
🔓7) उपाध्यायजी का गोत्र क्या है?
🔑7) त्रस्काय
🔓8) कम से कम कितने बर्ष की दीक्षा पर्याय वाले को उपाध्याय पद दिया जाता है?
🔑8) तीन वर्ष
🔓9) जैम से कम कितने शास्त्र का ज्ञान वाले उपाध्याय पद के धारक बन सकते है?
🔑9) आचार कल्प धर (आचारांग, निशीथ आदि सूत्रो का)
🔓10) उपाध्यायजी की तीन उपमाएं कौन से है?
🔑10) सारए, वारए, धारए
🔓11) उपाध्यायजी के दो विशिष्ट गुण ?
🔑11) विनय, ज्ञानदान
🔓12) श्रीपाल रास की रचना(शुरू) किसने की?
🔑12) श्री विनयविजयजी
🔓13) श्रीपाल रास की पूर्णाहुति किसने की?
🔑13) उपाध्याय श्री यशोविजयजी
🔓14) गौतम रास के रचयिता कौन ?
🔑14)श्री विनयप्रभ उपाध्यायजी
🔓15) उपाध्यायजी पद तीन तत्त्व में कौन सा तत्त्व है?
🔑15) गुरु तत्त्व
🔓16) तीनो काल की अपेक्षा से उपाध्यायजी में कितने ध्यान पाये जा सकते है?
🔑16) 3 (आर्त्त, धर्म, शुक्ल)
🔓17) उपाध्यायजी में द्रव्यात्मा आदि कितनी आत्माए पायी जाती है?
🔑17) आठ
🔓18) भरत क्षेत्र में वर्तमान के उपाध्यायजी में कितने चारित्र पाये जाते है?
🔑18) दो- सामायिक और छेदोपस्थापनिय
🔓19) तीनो काल की अपेक्षा से उपाध्यायजी में कितनी लेश्याए पायी जाती है?
🔑19) छह
🔓20) न्याय विशरद का बिरुद किसे मिला ?
🔑20) उपाध्याय श्री यशोविजयजी
🔓21) शत्रुंजय रास के रचयिता कौन?
🔑21) उपाध्यायजी श्री समयसुन्दरजी
🔓22) किसके समान शीतलता से उपाध्यायजी शोभित होते है?
🔑22) चंद्र के समान
🔓23) उपाध्याय जी का वर्ण कौन सा?
🔑23) हरा
🔓24) भरत क्षेत्र में वर्तमान के उपाध्यायजी में कितने शरीर पाये जाते है?
🔑24) तीन- औदारिक, तेजस, कार्मण
🔓25) उपाध्यायजी किसे कहते है?
🔑25) जो ज्ञान का अभ्यास करते और कराते है वे उपाध्यायजी कहलाते है।
उपाध्याय
1 उपाध्याय के शरीर कितने होते है ❓
🅰️ 6 ठ्ठे गुंस्थानक तक 5 शरीर
7 से ऊपर 3 शरीर
2 उपाध्याय के गुणस्थान कौन से है ❓
🅰️ 6 से 12 तक
3 उपाध्याय का चैतन्य केंद्र कौनसा हैं ❓
🅰️ विशुद्धि केंद्र (हृदय के पास)
4 उपाध्याय कौनसी गति से आते है ❓(आगति)
🅰️ चारो गति से
5 उपाध्याय कौनसी गति में जाते हैं❓
🅰️ देव (वैमानिक)
6 उपाध्याय के योग कितने होते है ❓
🅰️ 9 योग 6 th गुणस्थानक तक/
7 योग 7 थ से 12 गुणस्थानक
7 उपाध्याय के उपयोग कितने होते है❓
🅰️ 7( 4 ज्ञान 3 दर्शन )
8 उपाध्याय कौनसी गति में है ❓
🅰️ मनुष्य
9 उपाध्याय के कर्म कितने❓
🅰️ 8
10 उपाध्याय की आत्मा कितनी ❓
🅰️ 8
श्री नवपद ओली का चतुर्थ दिवस, उपाध्याय भगवन् की आराधना... . श्री नवपद शाश्वत ओली आराधना... चतुर्थ दिवस : उपाध्याय भ° की आराधना... उपाध्याय भगवंत की आराधना को प्राणवंती बनाने के लिए उनका संक्षिप्त परिचय... उपाध्याय भगवंत 25 गुण के धारक : ग्यारह अंग चौदह पूर्व के, बारह उपांग, चरणसित्तरी, करणसित्तरी । जिनशासन में आचार्य भगवंत अर्थदेशक है और उपाध्याय सूत्र के दाता है, शिष्य परिवार को सूत्र का दान देने के अधिकारी उपाध्याय है। शास्त्र में कहा है..सुख पामे चेला देखंता जस नेण अर्थात उपाध्याय जब वाचना देने आते है तब उनके मुखकमल की निर्मलता को देखकर शिष्य परिवार आनंदित होता है, वे मुर्ख शिष्य को भी पंडित कर देते है। वे अध्ययन अध्यापन में निमग्न रहते है। जिनवाणीसार : राग-द्वेष रहित होकर वीतराग भाव से जो आराधना की जाती है, वह अवश्य ही पुनः जिनशासन, स्वर्ग, मोक्ष प्रदान करते हुए आत्मा को परमात्मा भी बना देती है।
उपाध्याय पद की आराधना
खमासमणा नो दुहो
तप सजझाये रत सदा,
द्वादश अंगना ध्याता रे ।
उपाध्याय ते आतमा,
जग बंधव जग भ्राता रे ।।
वीर जिनेश्र्वर उपदिशे,
तमे सांभळजो चित लाई रे, ।
आतम ध्याने आतमा,
ऋध्धि मले सवी आई रे ।।
वणॅ : लीलो
जाप : ऊॅ ह्री नमो उवज्झायाणं
आ पदनी वीश नवकार
वाली गीने.
प्रदक्षिणा : २५
साथीया : २५
खमासमणा : २५
काउस्सग्ग : २५
ओली श्रृंखला 3 रा पद " उपाध्याय "
प्रश्न. 1. : नमस्कार मंत्र का चौथा कौनसा है ?
उ. 1. : णमो उवज्झायाणं
प्रश्न. 2. : उपाध्याय किसे कहते है ?
उ. 2. : जो ज्ञान का अभ्यास करते और कराते है, वे उपाध्याय कहलाते है
प्रश्न. 3. : ज्ञान प्राप्ति में अयोग्य क्या कहलाता है ?
उ. 3. : अविनीत
प्रश्न. 4. : उपाध्याय कौनसे आरे में होते है ?
उ. 4. : 3 - 4 - 5 वे आरे में ( अवसर्पिणी काल के भरत क्षेत्र की अपेक्षा )
प्रश्न. 5. : अविनीत शिष्य के कितने लक्षण और विनीत के कितने ?
उ. 5. : 14 ( चौदह ) - अविनीत
15 ( पंद्रह ) - विनीत के
प्रश्न. 6. : उपश्याय जी को कौन से पूर्व का ज्ञान हो सकता है ?
उ. 6. : 14 पूर्वों का
प्रश्न. 7. : कम से कम कितने वर्ष की दीक्षा पर्याय वाले को उपाध्याय पद दिया जा सकता है ?
उ. 7. : 3 वर्ष
प्रश्न. 8. : कम से कम कितने शास्त्रों का ज्ञान वाला उपाध्याय पद का धारक बन सकता है ?
उ. 8. : आचार प्रकल्प धर ( आचारांग निशीथ आदि सूत्रों का )
प्रश्न. 9. उपाध्याय का कार्य क्या है ?
उ. 9. : सुयोग्य को अध्ययन कराना
प्रश्न. 10. : उपाध्याय की 3 उपमाएं कौनसी है ?
उ. 10. : सारए, वारए, धारए
प्रश्न. 11. : सारए का अर्थ क्या है ?
उ. 11. ज्ञान का स्मरण करना / गच्छवर्ति साधुओं को करवाना
प्रश्न. 12. : वारए से क्या तात्पर्य है ?
उ. 12. :अशुद्धि का निवारण कराना
प्रश्न. 13. : धारए का मतलब क्या है ?
उ. 13. : अनेक शास्त्र व उनके अर्थ की धारण करना व करवाना
प्रश्न. 14. : उपाध्याय कैसे होते है ?
उ. 14. : जिन नहीं पण जिन सरीखे
प्रश्न. 15. : उपाध्याय कौनसा उद्योत करते है ?
उ. 15. : सम्यक्त्व का ( समकित रूप उद्योत के कारणहार )
प्रश्न. 16. : उपाध्याय का एक कर्त्तव्य कौनसा है ?
उ. 16. : धर्म से डिगते हुए को स्थिर करना
प्रश्न. 17. : उपाध्याय जी में ज्यादा से ज्यादा कितना श्रुतज्ञान होता है ?
उ. 17. : 12 अंगों का
प्रश्न. 18. : उपाध्यायजी कितने लोक में विचरणशील है ?
उ. 18. : 2 लोक में, तिर्च्छालोक, अधोलोक में
प्रश्न. 19. : अधोलोक में उपाध्यायजी कैसे पाये जा सकते है ?
उ. 19. :जम्बूद्वीप के महाविदेह की 24वी सलीलावती एवं 25वी वप्रविजय अधोलोक में होने के कारण पाये जा सकते है
प्रश्न. 20. : वर्त्तमान मेंहमरे समक्ष में जो 11 अंग सूत्र है, वो किसकी वाचना है ?
उ. 20. : गणधर सुधर्मा स्वामीजी की
प्रश्न. 21. : हमारे समक्ष जो श्रुत ज्ञान है वो किसकी देन है ?
उ. 21. : सुधर्मा स्वामीजी की
प्रश्न. 22. : सूत्र और अर्थ का कथन किसने किया ?
उ. 22. : अर्थ का कथन अरिहंत तीर्थंकर करते है और सूत्र के रूप से गणधर गूंथते है
प्रश्न. 23. : उपाध्याय पद ग्रहण करने वाले को किस-किस में कुशल होना आवश्यक है ?
उ. 23. : 1) आचार कुशल, 2) संयम कुशल, 3) प्रवचन कुशल, 4) प्रज्ञप्ति कुशल, 5) संग्रह कुशल, 6) उपग्रह कुशल होना परमावश्यक है
प्रश्न. 24. : उपाध्याय पद ग्रहण करने वाले का चारित्र कैसा होना चाहिए ?
उ. 24. : अक्षत चारित्रवान, अभिन्न चारित्रवान, अशबल चारित्रवान, और असंक्लिष्ट आचार वाला होना चाहिए
प्रश्न. 25. : आज के दीक्षित साधू को उपाध्याय पद कैसे दिया जा सकता हैं ?
उ. 25. : प्रतिभा संपन्न, धर्मनिष्ठ एवं कुलीनता विश्वास की पराकाष्ठा से युक्त स्थविरों द्वारा अनुमत एवं बहुमत हो तो ऐसे योग्यता प्राप्त नवदीक्षित को आचार्य या उपाध्याय पद दिया जा सकता हैं
प्रश्न. 26. : उपाध्यायजी को कितने कर्मों की उदिरणा होती है ?
उ. 26. : 6ठे गुणस्थान में - 7 या 8 कर्मों की उदिरणा और 7वे गुणस्थान में - 6 कर्मों की उदिरणा होती है
प्रश्न. 27. :उपाध्यायजी में जीव के चौदह भेद में से कौनसा भेद पाया जाता है ?
उ. 27. : जीव का एक भेद - संज्ञी पंचेन्द्रिय का पर्याप्ता
प्रश्न. 28. : उपाध्याय जी कितने उपयोग करते है ?
उ. 28. : 7 उपयोग ( 4 ज्ञान , 3 दर्शन )
प्रश्न. 29. : उपाध्यायजी में कितने योग पाये जाते है ?
उ. 29. : छठे गुणस्थान में 14 ( कार्मणकाय योग को छोड़ कर ) एवं सातवें गुणस्थान में 11 ( तीनों मिश्र और कार्मणकाय योग को छोड़कर )
प्रश्न. 30. : उप्पध्यायजी में कितने ध्यान पाये जाते है ?
उ. 30. : छठे गुणस्थान में 2 ( आर्तध्यान - धर्मध्यान ) सातवें गुणस्थान में 1 ( धर्मध्यान )
प्रश्न. 31. : उपाध्यायजी में वर्त्तमान में कितने चारित्र पाये जाते है ?
उ. 31. : 2 चारित्र ( छठे - सातवें गुणस्थान की अपेक्षा से )
प्रश्न. 32. : कितनी नारकी से निकाला हुआ जीव उपाध्याय पद प्राप्त कर सकता है ?
उ. 32. : पहली से पांचवी तक के नारकी जीव मनुष्य बन उपाध्याय पद प्राप्त कर सकते है
प्र्शन. 33. : उप्पध्यायजी कौनसे देवों में उत्पन्न हो सकते है व कितने स्थानों में ?
उ. 33. : वैमानिक देवोँ में 70 स्थानों में
प्रश्न. 34. : क्या उपाध्याय पद पर रहते हुए 4 कर्मों का क्षय कर केवलज्ञान पा सकते है ?
उ. 34. : केवलज्ञान पा बन सकते है
प्रश्न. 35. : उपध्याय परमेष्ठी का क्या स्वरूप है?
उ. 35. : जो मुनि ग्यारह अंग चैदह पूर्वों के ज्ञानी होते हैं। अथवा तत्काल के सभी शास्त्रों के ज्ञानी होते हैं तथा जो संघ में साधुओं को पढ़ाते हैं वेा उपाध्याय परमेष्ठी हैं। मुख्य रूप से ग्यारह अंग तथा चैदह पूर्वों को पढ़ना-पढ़ाना ही इनके 24 मूलगुण हैं।
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