भगवान जन्म और शकेन्द्र

भगवान जन्म और शकेन्द्र

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❓1⃣ शकेन्द्र को वज्रपाणि क्यों कहते है?
🅰1⃣ वज्र=वज्र, पाणि= हाथ। हाथ में वज्र धारण किये हुये होने से वज्रपाणि कहा जाता है।
❓2⃣ शकेन्द्र को पाक शासन क्यों कहा जाता है?
🅰2⃣ पाक नामक शत्रु का नाश करके उस पर शासन करने के के कारण पाक शासन पड़ा।
❓3⃣ हर्षातिरेक में इन्द्र क्या करते है?
🅰3⃣ आदर पूर्वक सिंहासन से उठते है।
❓4⃣ एक सुघोषा घंटा बजाए जाने पर कितनी घंटायें बजने लगी?
🅰4⃣ एक कम 32 लाख घंटायें झनझनाने लगी।
❓5⃣ पालक देव को शकेन्द्र ने क्या आज्ञा दी?
🅰5⃣ दिव्ययान विमान(यात्रा
विमान) की विकुर्वणा करो।
❓6⃣ यान विमान में कितनी दिशाओं में कितनी सीढ़ियां होती है?
🅰6⃣ तीन दिशा--उत्तर,दक्षिण,
पूर्व में 3-3 सीढ़ियां होती है।
❓7⃣ विमान के बीचों बीच क्या बनाया?
🅰7⃣ प्रेक्षा मण्डप।
❓8⃣ प्रेक्षा मण्डप के बीच में क्या बनाया?
🅰8⃣ मणिपीठिका (मणिरत्नों का चबूतरा) ।
❓9⃣ मणिपीठिका के ऊपर क्या है?
🅰9⃣ इन्द्र महाराज के बैठने का सिंहासन है।
❓🔟 सामानिक देवों के कितने आसान है?
🅰🔟 84,000(चौरासी हजार)
आसन है।
❓1⃣1⃣ तीन परिषद् देवों के कितने आसन है?
🅰1⃣1⃣ आभ्यांतर परिषद् के देवों के 12 हजार,मध्यम परिषद् के 14 हजार एवं बाह्म परिषद् के 16 हजार आसन है।
❓1⃣2⃣ पालक यान विमान में मुख्य कितने आसन व सिंहासन है?
🅰1⃣2⃣ 4,62,015 आसन एवं एक सिंहासन है।
❓1⃣3⃣ समानिक देवता किधर से आकर बैठते है?
🅰1⃣3⃣ उत्तरी त्रिसोपानक से आकर अपने-अपने आसनों पर बैठते है।
❓1⃣4⃣ यान विमान से आगे-आगे कौन चलते है?
🅰1⃣4⃣ शुभ शकुन रूप आठ मंगल।
❓1⃣5⃣ पुष्पक यान विमान का निर्माण किसने किया?
🅰1⃣5⃣ पुष्पक अभियोगिक देव ने।
❓1⃣6⃣ माहेन्द्र इन्द्र के यात्रा का विमान का नाम क्या है?
🅰1⃣6⃣ श्रीवत्स यान विमान।
❓1⃣7⃣ माहेन्द्र इन्द्र के यात्रा विमान का संकोचन कहाँ किया जाता है?
🅰1⃣7⃣ उत्तर पूर्ववर्ती(वायव्य
कोण) रतिकर पर्वत पर आकर ।
❓1⃣8⃣ आठवें देवलोक में यान -विमान कौन बनाता है?
🅰1⃣8⃣ मनोरम देव।
❓1⃣9⃣ यात्रा विमान में कितनी सीटें सामानिक देवों की है?
🅰1⃣9⃣ 30 हजार आसन।
❓2⃣0⃣ यात्रा विमान में कितने अंगरक्षक सवार होते है?
🅰2⃣0⃣ 1 लाख 20 हजार देव।
 ❓2⃣1⃣ तीर्थंकर के हाथ से दान लेने वाले के यहाँ क्या होता है?
🅰2⃣1⃣ 1-12 साल तक खजाना अटूट रहता है।
2- 12 साल घर में रोग नहीं होता।
3- 12 साल तक घर में क्लेश नहीं होता।
❓2⃣2⃣ बलीन्द्र के घण्टे का नाम क्या है?
🅰2⃣2⃣ महौघ स्वरा।
❓2⃣3⃣ चौथे देवलोक में घंटा वादक कौन है?
🅰2⃣3⃣ पदाति सेनापति लघु पराक्रम देव।
❓2⃣4⃣ शकेन्द्र अपने कितने रूपों की विकुर्वणा करते है?
🅰2⃣4⃣ पाँच रूपों की।
❓2⃣5⃣ यान के आगे पीछे कौन चलते है?
🅰2⃣5⃣ बहुत से अभियोगिक देव देवियां अपने-अपने साधनों में बैठकर चलते है।
❓2⃣6⃣ दिव्य यान विमान के विस्तार को कहाँ पर आकर समेटते है?
🅰2⃣6⃣ नंदीश्वर द्वीप के आग्नेय कोणवर्ती रतिकर पर्वत पर।
❓2⃣7⃣ भगवान की स्तुति करके शकेन्द्र क्या करते है?
🅰2⃣7⃣ पूर्व की और मुँह करके सिंहासन पर बैठते है।
❓2⃣8⃣ घंटा से कैसे आवाज निकलती है?
🅰2⃣8⃣ बादलों के गर्जन के तुल्य एवं गंभीर तथा मधुर शब्द निकलते है।
❓2⃣9⃣ प्रेक्षा मण्डप कितने खंभों पर टिका है?
🅰2⃣9⃣ सैकड़ो खंभों पर।
❓3⃣0⃣ सेनापति देवों के कितने आसन किस दिशा में है?
🅰3⃣0⃣ सात सेनापति देवों के आसन सिंहासन से पश्चिम दिशा में है।
306 फुलों की कितनी वर्षा होती है?
घुटने - घुटने प्रमाण ऊंचा ढेर हो जाता है।
307 पुष्प वर्षा के बाद क्या करती है?
वातावरण को सुगंधमय देवेन्द्र देवराज इन्द्र के आने के योग्य बना देती है।
308 उर्ध्वलोक वासिनी देवियो के आनेके बाद कौन आती है?
पूर्व दिशावर्ती रुचककूट निवासिनी देवियां ।
309 पूर्वरुचक कूट पर रहनेवाली मुख्य देवियां कितनी है?
आठ
310 पूर्वरुचक कूट पर रहनेवाली मुख्य देंवियों के नाम क्या है?
1नंदोतरा 2नंदा 3आनंदा 4नंदिवर्धना 5विजया 6वैजयन्ती 7जंयती 8अपराजिता।
311 पूर्वरुचक कूट पर रहने वाली मुख्य देवियां क्या कार्य करती है?
पूर्व दिशा में दर्पण लेकर खडी़ रहती है।
312 दक्षिण रुचक कुट पर मुख्य कितनी देवियां रहती है?
आठ देवियां मुख्य -मुख्य रहती है।
313 दक्षिण रुचक कुट पर मुख्य देवियों के क्या नाम है?
समाहारा, सुप्रदता, सूप्रबुद्धा, यशोधरा, लक्ष्मीवती, शेषवती, चित्रगुप्ता, वसुंधरा।
314 दक्षिण रुचक कुट पर मुख्य देवियां क्या कार्य करती है?
दक्षिण दिशा में जल सहित  कलश हाथ में लेकर खड़ी रहती है।
315 पश्चिम रुचक कूट पर मुख्य कितनी देवियां रहती  है?
8 देविया रहती है।
316 पश्चिम रुचक कूट पर मुख्य देवियां के नाम क्या है?
इलादेवी, सुरादेवी, पृथ्वी, पद्मावती, एकनासा, नवमिका, भद्रा, सीता
317 पश्चिम रुचक कूट पर मुख्य देवियां  क्या कार्य करती है?
हाथ में पंखा लेकर आगान-परिगान (गीत गाती )करती है।
319 उतर रुचक कूट पर रहनेवाली मुख्य देवियों के क्या कार्य  है?
उतर दिशा में हाथ में चंवर लेकर गीत गाती है ।
320  उतर रुचक कूट पर रहनेवाली देवियो के क्या नाम है?
 अलबुंसा , मिश्रकेशी, पुण्डरीका, वारूणी, हासा, सर्वप्रभा , ह्रीदेवी,  श्रीं देवी
321 रुचक कूट के शिखर पर चार विदिशा में कौन रहती है?
चार महतरिका देवियां ।
322 रुचक कूट के शिखर पर रहनेवाली चार महतरिका देंवियों के नाम क्या है?
चित्रा,चित्रकनका,शतेरा,सौदामिनी।
323 रुचक कूट शिखर वासिनी ये चारों देंविया का कार्य करती है?
तीर्थकर भगवान तथा उनकी माता के चारों दिशाओं में दीपक लेकर खड़ी रहती हैं ।
324 मध्य रुचक कूट पर मुख्य कितनी देविया रहती है?
चार ।
325 मध्य रुचक कूट पर रहनेवाली मुख्य देवियों के नाम क्या हैं ?
रुपा,रूपासिका ,सुरुपा ,रुपकावती।
326 मध्य रुचक कूट पर रहनेवाली मुख्य देंवियो के काम  क्या है?
तीर्थकर के नाभिनाल को 4अंगुल छोड़कर काटती है।
327 नाभिनाल को लेकर क्या करती है?
जमीन में खड्डा करके गाड़ देती है।
328 खड्डे को किससे भरती है?
रत्नो व हीरों से भरकर ऊपर मिट्टी जमा देती है।
329 मिट्टी जमाकर क्या करती है?
ऊपर हरी -हरी दूब उगा देती हैं ।
330 अशुचि कर्म निवारण करके फिर क्या करती है?
तीन दिशाओं में कदलीगृह की विकुर्वणा  करती है।
331 कौनसी तीन दिशाओं में कदलीगृह का निर्माण करती है?
1दक्षिण दिशा में 2.पूर्व दिशा में 3.उतर दिशा में।
332 कदलीगृह किसे कहते है?
केले के वृक्षो से बना हुआ घर।
333 कदली गृहों के बीच में क्या बनाती है?
चतुःशाला का निर्माण करती है।
334 चतुःशाला किसे कहते है?
जिनमें चारो और मकान हो ,ऐसा भवन चतुःशाला कहला�ता है।
335 भवन के मध्य क्या बनाती है?
सिंहासन
336 दक्षिण दिशावर्ती कदली गृह का सिंहासन किस काम आता है?
तीर्थकर व उनकी माताओं को बिठाकर शतपाक सहस्रपाक तेल से मालिश व पीठी की जाती हैं।
337उतरदिशावर्ती कदली गृह में दोनों माता -पुत्रको कहां बिठाती है?
सिंहासन पर।
338 मालीश व पीठी उबटन कौन करते है?
मध्य रुचक कूट पर रहनेवाली देंविया ।
339 उबटन आदि के बाद क्या करते है?
पूर्व दिशावर्ती कदलीगृह के  सिंहासन की तरफ लाती है।
340 पूर्व दिशावर्ती कदलीगृह में क्या कार्य होता है?
गंधोपदक,पुष्पोदक,व शुध्दोदक आदि द्वारा भगवान व माता को स्नान कराती है।
341 स्नान कराने के बाद क्या करती है?
वस्त्राभूषणों से सुसज्जित करके उतरदिशावर्ती कदलीगृह में लाती है।
342 तीर्थकरों के कानों में क्या बजाती है?
विविध प्रकार के मणिरत्नों से बने हुये दो पाषाण गोलक कों बजाती है।
343 तीर्थकर को क्या आशीर्वाद देती है?
भगवन् आप पर्वत कें सदृश दीघार्यु हों ।
344 आशीर्वाद देने के बाद वे देंविया क्या करती है?
भगवान व उनकी माता को पुनः जन्म भवन में लाकर शय्या पर सुला देती है।
345 सुलाने के पश्चात् क्या करती है?
मंगल गीत गाती है।
346 अशुचि कर्म निवारण होने के पश्चात क्या होता है?
शकेन्द्र का आसन कम्पित होता है।
347 शकेन्द्र कौन है?
पहले देवलोक का इन्द्र ।
348 शकेन्द्र के अन्य कितने नाम है?
वज्रपाणि, पुरन्दर, शतक्रतु, सहस्राक्ष, मघवा, पाकशासन, दक्षिणार्ध लोकाधिपति आदि।
349 शकेन्द्र को वज्रपाणि क्यो कहते है?
वज्र=वज्र,पाणि=हाथ।हाथ में वज्र धारण किये हुये होने से वज्रपाणि कहा जाता है।
350 पुरन्दर नाम क्यों पडा ?
पुर=असुरों के नगर विशेष के विध्वंसक होने से पुरन्दर नाम पड़ा।
351 शकेन्द्र का नाम शतक्रतु क्यो पड़ा?
पूर्वभव अर्थात कार्तिक सेठ के भव में 100 बार श्रावक की पाँचवीं प्रतिमा की प्रतिपालना करने से।
352 शकेन्द्र का सहस्राक्ष नाम से क्या अभिप्राय हैं ?
1000आँख वाले अर्थात अपने 500मंत्रियों की अपेक्षा हजार आँखों वाले ।
353 शकेन्द्र का मघवा नाम क्यों पड़ा ?
मेघों के अर्थात बादलों के नियन्ता होने से मघवा नाम पड़ा ।
354 शकेन्द्र को पाक शासन क्यों कहा गया है?
पाक नामक शत्रु का नाश करके उस पर शासन करने के कारण पाक शासन नाम  पड़ा।
355 शकेन्द्र कौन से हाथी पर सवारी करते हैं ?
 ऐरावत हाथी पर।
356 ऐरावत हाथी पूर्व में कौन था?
वह सन्यासी ,जिसने कार्तिक सेठ के पीठ पर ग�र्मागर्म खीर रखवा कर खाई थी।
357 देंवताओ के कौन से आसन होते है?
स्थिर आसन।
358 स्थिर आसन कब चलित होते है?
तीर्थकर भगवान के जन्म आदि कल्याण्कों के अवसर पर एंव अन्य विशेष प्रसंग होते हैं तब चलित होते है।
359 आसन चलित होने पर क्या करते है?
अवधिज्ञान का उपयोग लगाकर देखते हैं।
360 अवधिज्ञान द्वारा किसको देखते है?
भगवान तीर्थकर को देखते है।
361 भगवान को देखने पर क्या होता है?
अपने मन मे परम आनंद एंव प्रसन्नता का अनुभव करते है।
362 हर्षातिरेक में इन्द्र क्या करते है?
आदरपूर्वक सिंहासन से उठते है।
363 सिंहासन से उतरकर क्या करते है?
 मणिरत्नों से निर्मित पादुकाएं पैरों से उतारते है।
364 फिर क्या करते है?
अखण्ड वस्त्र का उतरासंग करते है।
365 उतरासंग का उपयोग किसमें करते है ?
भगवान तीर्थकर की स्तुति करने के लिए ।
366 स्तुति कहाँ करते है?
प्रवचन सभा (समवसरण) में ही,जिधर जिस दिशा में तीर्थकर हो उस दिशा मे 7-8 कदम सामने जा�कर स्तुति करते है।
367 स्तुति किस आसन से करते है?
बायें घुटने को सिकोड़कर दाहिने घुटने को भूमि पर टिकाकर नमोत्थुणं मुद्रा में ।
368 मस्तक को भूमि पर कितनी बार लगाते है?
 तीन बार ।
369 किस पाठ से स्तुति करते है?
नमोत्थुणं या णमोत्थुणं के पाठ से।
370 णमाेत्थुणं का दूसरा नाम क्या है?
शक्रस्तव ।
371 इसको शक्रस्तव क्यों कहते है?
क्योंकि इस पाठ द्वारा ही शक्रेन्द्र सर्वप्रथम भगवान की स्तुति करते हैं ।
372 स्तुति करने के बाद शक्रेन्द्र क्या कहते है?
मैं यहाँ स्थित भगवान को वंदन करता हूँ ,वहाँ स्थित भगवान मुझे देखें ।
373 गर्भ में ही तीर्थकर को कितने ज्ञान होते है?
तीन ज्ञान -मतिज्ञान,श्रुतज्ञान,अवधिज्ञान ।
374 भगवान की स्तुति करके शक्रेन्द्र क्या करते है?
पूर्व की आेर मुँह करके सिंहासन पर बैठते है ।
375 सिंहासन पर बैठकर क्या सोचते है?
 त्रैलोकिक शक्रेन्द्रों का परंपरागत आचार हैं कि वे तीर्थकरों का जन्मोत्सव मनायें ।
376 शक्रेन्द्र क्या संकल्प करते है?
मैं भी जाऊँ भगवान तीर्थंकर का जन्मोत्सव मनाऊँ ।
377 शक्रेन्द्र निश्चय करके किसको बुलाते है?
हरिनगमैषी देव को।
378 हरिनगमैषी देव कौन है?
शक्रेन्द्र की पैदल सेना का अधिपति =सेनापतिदेव ।
379 हरिनगमैषी देव को क्या आज्ञा देते है?
सुघोषा नामक घण्टा तीन बार बजाओ।
380 सुघोषा घण्टा कितना बड़ा व कैसा है?
एक योजन का वर्तुलाकार है।
381 शक्रेन्द्र के सुघोषा घंटा की आवाज कहाँ तक पहुँची ?
एक कम 32 लाख विमानों में ।
382 देवलोकों में SMS क्या है?
 सुघोषा घण्ट
383 सुघोषा घण्ट से कैसी आवाज निकलती है?
बादलो के गर्जन के तुल्य एंव गंभीर तथा मधुर शब्द निकलते है।
384 सौधर्मेन्द्र ने क्या उद्घोषणा  करवाई?
जंबुद्वीप में भगवान तीर्थकर का जन्मोत्सव मनाने जाने की तैयारी कर के शक्रेन्द्र के समक्ष उपस्थित होओ।
385 सौधर्मकल्पवासी देव किस भावना से उपस्थित हुए ?
कोई कोई भगवान को वंदन ,सत्कार , सम्मान ,दर्शन,भक्ति,अनुरागवश,परंपरागत,आचार मानकर उपस्थित हुये।
386 देव देवियो को अपने समक्ष आया देखकर शक्रेन्द्र ने क्या किया ?
पालक नामक अभियोगिक (सेवक)देव को बुलाया ।
387 पालक देव को शक्रेन्द्र ने क्या आज्ञा दी?
दिव्ययान विमान (यात्रा विमान )की विकुर्वणा करो ।
388 यान विमान कितना लम्बा व चौड़ा बनाया?
1लाख योजन लंबा एंव 500 योजन ऊँचा ।
389 यान विमान के कितनी दिशाओं में कितनी सीढियां होती है?
तीन दिशा - उत्तर ,दक्षिण,पूर्व में 3-3सीढि़या होती हैं।
390 विमान के बीचो बीच क्या बनाया?
प्रेक्षा मण्डप ।
391 प्रेक्षा मण्डप कितने खंभों पर टिका होता है?
सैंकडो़ं खंभों पर।
392 प्रेक्षा मण्डप के बीच में क्या बना होता है?
मणिपीठिका (मणिरत्नो का चबुतरा)।
393 मणिपीठिका (चबुतरा)कितनी लम्बी चौड़ी है?
8योजनलम्बी, 8योजनचौड़ी, 4योजन मोटी है।
394 मणिपीठिका किसकी बनी हुई है?
मणियों से ।
395 मणिपीठिका के ऊपर क्या है?
इन्द्र महाराज के बैठने का सिंहासन है।
396 सिंहासन के चारों तरफ दिशा विदिशाओं में क्या है?
अन्य देवी-देवताओं के आसन है।
397 सामानिक देवोके कितने आसन है?
84,000(चौरासी हजार) आसन।
398 तीन परिषद देंवो के कितने आसन है?
आभ्यतर परिषद कें देवों के 12 हजार, मध्यम परिषद के 14 हजार एवं बाह्य परिषद के 16 हजार आसन है।(12+14+16=42हजार आसन है।)
399 प्रधानदेंवियों(अग्रमहिषियों)के कितने आसन है?
8 अग्रमहिषियों के आठ आसन ।


285 किस तीर्थंकर ने किस अवस्था में कल्पवृक्ष प्रदत्त आहार किया ?
भगवान ऋषभदेव नें ,गृहस्थावस्था में, तीर्थकर बनने से पूर्व ।
286 अपने- अ�पने भवनों से दिशाकुमारियां भगवान को किससे देखती है?
अवधिज्ञान सें।
287 भगवान तीर्थकर का जन्मोत्सव मनाने सर्वप्रथम कौन आते हैं ?
भोगंकरा ,भोगवती,सुभोगा ,भोगमालिनी,तोयधारा ,विचित्रा,पुष्प-माला ,अनिंदिता-ये 8 अधोलोक वासिनी दिशा कुमारियां आती हैं ।
288 दिशा कुमारियां किसमें बैठकर आती है?
वैक्रिय लब्धि से विकुर्वित यान विमान (यात्रा विमान)में ।
289 यान विमान में कितने खंभे होते हैं ?
सैंकड़ों खंभे ।
290 दिशाकुमारिया क्यों आती है?
परम्परागत आचार होने से /जीताचार व्यवहार होने से आती हैं ।
291 विमान को कहाँ ठहराती है?
तीर्थकर भगवान के जन्म भवन से ईशान कोण में।
292 विमान को धरती से कितने अंगुल ऊंचा ठहराती हैं ?
चार अंगुल ऊंचा ।
293 विमान ठहराने के बाद क्या करती है?
विमानों से नीचे उतरकर भगवान की माता के पास आती है।
294 जन्म भवन में आकर क्या करती है?
भगवान तीर्थंकर व उनकी माता को तीन बार प्रदक्षिणा करती है।
295 दिशा कुमारियां भगवान की माता को क्या संबोधन करती है?
दो संबोधन - 1रत्नकुक्षिधारिके 2.जगतप्रदीपप्रदायिके।
296 रत्नकुक्षिधारिणी का क्या अर्थ है?
तीर्थकर रूप रत्न को अपनी कोख में धारण करनेवाली ।
297 जगत प्रदीप प्रदायिके का क्या मतलब है?
जगतवर्ती जनों के सर्वभाव प्रकाशक तीर्थकर रूप दीपक प्रदान करनेवाली ।
298 संबोधन करते हुए क्या करती हैं ?
भगवान की माता को भी नमस्कार करती है।
299 अधोलोक वर्ती देवियां कौन सी वायु से भूमितल को  निर्मल करती हैं ?
संवर्तक वायु से।
300 कितने भुमि तल (क्षेत्र)को निर्मल करती है?
एक योजन परिमंडल क्षेत्र (भूमि)।
301उर्ध्वलोक वासिनी दिशा कुमारियां कितनी है?
आठ
302उर्ध्वलोक वासिनी दिशा कुमारियों के नाम क्या है?
1मेघकंरा 2 मेघवती 3सुमेघा 4मेघमालिनी 5सुवत्सा 6वत्समित्रा 7वारिषेणा 8बलाहका ।
303उर्धवलोक वासिनी दिशा कुमारियां क्या कार्य करती है?
आकाश में बादलों की विकुर्णा करके अचित जल की वर्षा करती है।
304 वर्षा करने से क्या होता है?
रज-धुल जम जाती है।
305 धुल को जमाने के बाद क्या करती है?
अचित पुष्पों के बाद बादलों की वर्षा करती है।



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