भगवान जन्म और शकेन्द्र
भगवान जन्म और शकेन्द्र
*
❓1⃣ शकेन्द्र को वज्रपाणि क्यों कहते है?
🅰1⃣ वज्र=वज्र, पाणि= हाथ। हाथ में वज्र धारण किये हुये होने से वज्रपाणि कहा जाता है।
❓2⃣ शकेन्द्र को पाक शासन क्यों कहा जाता है?
🅰2⃣ पाक नामक शत्रु का नाश करके उस पर शासन करने के के कारण पाक शासन पड़ा।
❓3⃣ हर्षातिरेक में इन्द्र क्या करते है?
🅰3⃣ आदर पूर्वक सिंहासन से उठते है।
❓4⃣ एक सुघोषा घंटा बजाए जाने पर कितनी घंटायें बजने लगी?
🅰4⃣ एक कम 32 लाख घंटायें झनझनाने लगी।
❓5⃣ पालक देव को शकेन्द्र ने क्या आज्ञा दी?
🅰5⃣ दिव्ययान विमान(यात्रा
विमान) की विकुर्वणा करो।
❓6⃣ यान विमान में कितनी दिशाओं में कितनी सीढ़ियां होती है?
🅰6⃣ तीन दिशा--उत्तर,दक्षिण,
पूर्व में 3-3 सीढ़ियां होती है।
❓7⃣ विमान के बीचों बीच क्या बनाया?
🅰7⃣ प्रेक्षा मण्डप।
❓8⃣ प्रेक्षा मण्डप के बीच में क्या बनाया?
🅰8⃣ मणिपीठिका (मणिरत्नों का चबूतरा) ।
❓9⃣ मणिपीठिका के ऊपर क्या है?
🅰9⃣ इन्द्र महाराज के बैठने का सिंहासन है।
❓🔟 सामानिक देवों के कितने आसान है?
🅰🔟 84,000(चौरासी हजार)
आसन है।
❓1⃣1⃣ तीन परिषद् देवों के कितने आसन है?
🅰1⃣1⃣ आभ्यांतर परिषद् के देवों के 12 हजार,मध्यम परिषद् के 14 हजार एवं बाह्म परिषद् के 16 हजार आसन है।
❓1⃣2⃣ पालक यान विमान में मुख्य कितने आसन व सिंहासन है?
🅰1⃣2⃣ 4,62,015 आसन एवं एक सिंहासन है।
❓1⃣3⃣ समानिक देवता किधर से आकर बैठते है?
🅰1⃣3⃣ उत्तरी त्रिसोपानक से आकर अपने-अपने आसनों पर बैठते है।
❓1⃣4⃣ यान विमान से आगे-आगे कौन चलते है?
🅰1⃣4⃣ शुभ शकुन रूप आठ मंगल।
❓1⃣5⃣ पुष्पक यान विमान का निर्माण किसने किया?
🅰1⃣5⃣ पुष्पक अभियोगिक देव ने।
❓1⃣6⃣ माहेन्द्र इन्द्र के यात्रा का विमान का नाम क्या है?
🅰1⃣6⃣ श्रीवत्स यान विमान।
❓1⃣7⃣ माहेन्द्र इन्द्र के यात्रा विमान का संकोचन कहाँ किया जाता है?
🅰1⃣7⃣ उत्तर पूर्ववर्ती(वायव्य
कोण) रतिकर पर्वत पर आकर ।
❓1⃣8⃣ आठवें देवलोक में यान -विमान कौन बनाता है?
🅰1⃣8⃣ मनोरम देव।
❓1⃣9⃣ यात्रा विमान में कितनी सीटें सामानिक देवों की है?
🅰1⃣9⃣ 30 हजार आसन।
❓2⃣0⃣ यात्रा विमान में कितने अंगरक्षक सवार होते है?
🅰2⃣0⃣ 1 लाख 20 हजार देव।
❓2⃣1⃣ तीर्थंकर के हाथ से दान लेने वाले के यहाँ क्या होता है?
🅰2⃣1⃣ 1-12 साल तक खजाना अटूट रहता है।
2- 12 साल घर में रोग नहीं होता।
3- 12 साल तक घर में क्लेश नहीं होता।
❓2⃣2⃣ बलीन्द्र के घण्टे का नाम क्या है?
🅰2⃣2⃣ महौघ स्वरा।
❓2⃣3⃣ चौथे देवलोक में घंटा वादक कौन है?
🅰2⃣3⃣ पदाति सेनापति लघु पराक्रम देव।
❓2⃣4⃣ शकेन्द्र अपने कितने रूपों की विकुर्वणा करते है?
🅰2⃣4⃣ पाँच रूपों की।
❓2⃣5⃣ यान के आगे पीछे कौन चलते है?
🅰2⃣5⃣ बहुत से अभियोगिक देव देवियां अपने-अपने साधनों में बैठकर चलते है।
❓2⃣6⃣ दिव्य यान विमान के विस्तार को कहाँ पर आकर समेटते है?
🅰2⃣6⃣ नंदीश्वर द्वीप के आग्नेय कोणवर्ती रतिकर पर्वत पर।
❓2⃣7⃣ भगवान की स्तुति करके शकेन्द्र क्या करते है?
🅰2⃣7⃣ पूर्व की और मुँह करके सिंहासन पर बैठते है।
❓2⃣8⃣ घंटा से कैसे आवाज निकलती है?
🅰2⃣8⃣ बादलों के गर्जन के तुल्य एवं गंभीर तथा मधुर शब्द निकलते है।
❓2⃣9⃣ प्रेक्षा मण्डप कितने खंभों पर टिका है?
🅰2⃣9⃣ सैकड़ो खंभों पर।
❓3⃣0⃣ सेनापति देवों के कितने आसन किस दिशा में है?
🅰3⃣0⃣ सात सेनापति देवों के आसन सिंहासन से पश्चिम दिशा में है।
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❓1⃣ शकेन्द्र को वज्रपाणि क्यों कहते है?
🅰1⃣ वज्र=वज्र, पाणि= हाथ। हाथ में वज्र धारण किये हुये होने से वज्रपाणि कहा जाता है।
❓2⃣ शकेन्द्र को पाक शासन क्यों कहा जाता है?
🅰2⃣ पाक नामक शत्रु का नाश करके उस पर शासन करने के के कारण पाक शासन पड़ा।
❓3⃣ हर्षातिरेक में इन्द्र क्या करते है?
🅰3⃣ आदर पूर्वक सिंहासन से उठते है।
❓4⃣ एक सुघोषा घंटा बजाए जाने पर कितनी घंटायें बजने लगी?
🅰4⃣ एक कम 32 लाख घंटायें झनझनाने लगी।
❓5⃣ पालक देव को शकेन्द्र ने क्या आज्ञा दी?
🅰5⃣ दिव्ययान विमान(यात्रा
विमान) की विकुर्वणा करो।
❓6⃣ यान विमान में कितनी दिशाओं में कितनी सीढ़ियां होती है?
🅰6⃣ तीन दिशा--उत्तर,दक्षिण,
पूर्व में 3-3 सीढ़ियां होती है।
❓7⃣ विमान के बीचों बीच क्या बनाया?
🅰7⃣ प्रेक्षा मण्डप।
❓8⃣ प्रेक्षा मण्डप के बीच में क्या बनाया?
🅰8⃣ मणिपीठिका (मणिरत्नों का चबूतरा) ।
❓9⃣ मणिपीठिका के ऊपर क्या है?
🅰9⃣ इन्द्र महाराज के बैठने का सिंहासन है।
❓🔟 सामानिक देवों के कितने आसान है?
🅰🔟 84,000(चौरासी हजार)
आसन है।
❓1⃣1⃣ तीन परिषद् देवों के कितने आसन है?
🅰1⃣1⃣ आभ्यांतर परिषद् के देवों के 12 हजार,मध्यम परिषद् के 14 हजार एवं बाह्म परिषद् के 16 हजार आसन है।
❓1⃣2⃣ पालक यान विमान में मुख्य कितने आसन व सिंहासन है?
🅰1⃣2⃣ 4,62,015 आसन एवं एक सिंहासन है।
❓1⃣3⃣ समानिक देवता किधर से आकर बैठते है?
🅰1⃣3⃣ उत्तरी त्रिसोपानक से आकर अपने-अपने आसनों पर बैठते है।
❓1⃣4⃣ यान विमान से आगे-आगे कौन चलते है?
🅰1⃣4⃣ शुभ शकुन रूप आठ मंगल।
❓1⃣5⃣ पुष्पक यान विमान का निर्माण किसने किया?
🅰1⃣5⃣ पुष्पक अभियोगिक देव ने।
❓1⃣6⃣ माहेन्द्र इन्द्र के यात्रा का विमान का नाम क्या है?
🅰1⃣6⃣ श्रीवत्स यान विमान।
❓1⃣7⃣ माहेन्द्र इन्द्र के यात्रा विमान का संकोचन कहाँ किया जाता है?
🅰1⃣7⃣ उत्तर पूर्ववर्ती(वायव्य
कोण) रतिकर पर्वत पर आकर ।
❓1⃣8⃣ आठवें देवलोक में यान -विमान कौन बनाता है?
🅰1⃣8⃣ मनोरम देव।
❓1⃣9⃣ यात्रा विमान में कितनी सीटें सामानिक देवों की है?
🅰1⃣9⃣ 30 हजार आसन।
❓2⃣0⃣ यात्रा विमान में कितने अंगरक्षक सवार होते है?
🅰2⃣0⃣ 1 लाख 20 हजार देव।
❓2⃣1⃣ तीर्थंकर के हाथ से दान लेने वाले के यहाँ क्या होता है?
🅰2⃣1⃣ 1-12 साल तक खजाना अटूट रहता है।
2- 12 साल घर में रोग नहीं होता।
3- 12 साल तक घर में क्लेश नहीं होता।
❓2⃣2⃣ बलीन्द्र के घण्टे का नाम क्या है?
🅰2⃣2⃣ महौघ स्वरा।
❓2⃣3⃣ चौथे देवलोक में घंटा वादक कौन है?
🅰2⃣3⃣ पदाति सेनापति लघु पराक्रम देव।
❓2⃣4⃣ शकेन्द्र अपने कितने रूपों की विकुर्वणा करते है?
🅰2⃣4⃣ पाँच रूपों की।
❓2⃣5⃣ यान के आगे पीछे कौन चलते है?
🅰2⃣5⃣ बहुत से अभियोगिक देव देवियां अपने-अपने साधनों में बैठकर चलते है।
❓2⃣6⃣ दिव्य यान विमान के विस्तार को कहाँ पर आकर समेटते है?
🅰2⃣6⃣ नंदीश्वर द्वीप के आग्नेय कोणवर्ती रतिकर पर्वत पर।
❓2⃣7⃣ भगवान की स्तुति करके शकेन्द्र क्या करते है?
🅰2⃣7⃣ पूर्व की और मुँह करके सिंहासन पर बैठते है।
❓2⃣8⃣ घंटा से कैसे आवाज निकलती है?
🅰2⃣8⃣ बादलों के गर्जन के तुल्य एवं गंभीर तथा मधुर शब्द निकलते है।
❓2⃣9⃣ प्रेक्षा मण्डप कितने खंभों पर टिका है?
🅰2⃣9⃣ सैकड़ो खंभों पर।
❓3⃣0⃣ सेनापति देवों के कितने आसन किस दिशा में है?
🅰3⃣0⃣ सात सेनापति देवों के आसन सिंहासन से पश्चिम दिशा में है।
306 फुलों की कितनी वर्षा होती है?
घुटने - घुटने प्रमाण ऊंचा ढेर हो जाता है।
घुटने - घुटने प्रमाण ऊंचा ढेर हो जाता है।
307 पुष्प वर्षा के बाद क्या करती है?
वातावरण को सुगंधमय देवेन्द्र देवराज इन्द्र के आने के योग्य बना देती है।
वातावरण को सुगंधमय देवेन्द्र देवराज इन्द्र के आने के योग्य बना देती है।
308 उर्ध्वलोक वासिनी देवियो के आनेके बाद कौन आती है?
पूर्व दिशावर्ती रुचककूट निवासिनी देवियां ।
पूर्व दिशावर्ती रुचककूट निवासिनी देवियां ।
309 पूर्वरुचक कूट पर रहनेवाली मुख्य देवियां कितनी है?
आठ
आठ
310 पूर्वरुचक कूट पर रहनेवाली मुख्य देंवियों के नाम क्या है?
1नंदोतरा 2नंदा 3आनंदा 4नंदिवर्धना 5विजया 6वैजयन्ती 7जंयती 8अपराजिता।
1नंदोतरा 2नंदा 3आनंदा 4नंदिवर्धना 5विजया 6वैजयन्ती 7जंयती 8अपराजिता।
311 पूर्वरुचक कूट पर रहने वाली मुख्य देवियां क्या कार्य करती है?
पूर्व दिशा में दर्पण लेकर खडी़ रहती है।
पूर्व दिशा में दर्पण लेकर खडी़ रहती है।
312 दक्षिण रुचक कुट पर मुख्य कितनी देवियां रहती है?
आठ देवियां मुख्य -मुख्य रहती है।
आठ देवियां मुख्य -मुख्य रहती है।
313 दक्षिण रुचक कुट पर मुख्य देवियों के क्या नाम है?
समाहारा, सुप्रदता, सूप्रबुद्धा, यशोधरा, लक्ष्मीवती, शेषवती, चित्रगुप्ता, वसुंधरा।
समाहारा, सुप्रदता, सूप्रबुद्धा, यशोधरा, लक्ष्मीवती, शेषवती, चित्रगुप्ता, वसुंधरा।
314 दक्षिण रुचक कुट पर मुख्य देवियां क्या कार्य करती है?
दक्षिण दिशा में जल सहित कलश हाथ में लेकर खड़ी रहती है।
दक्षिण दिशा में जल सहित कलश हाथ में लेकर खड़ी रहती है।
315 पश्चिम रुचक कूट पर मुख्य कितनी देवियां रहती है?
8 देविया रहती है।
8 देविया रहती है।
316 पश्चिम रुचक कूट पर मुख्य देवियां के नाम क्या है?
इलादेवी, सुरादेवी, पृथ्वी, पद्मावती, एकनासा, नवमिका, भद्रा, सीता
इलादेवी, सुरादेवी, पृथ्वी, पद्मावती, एकनासा, नवमिका, भद्रा, सीता
317 पश्चिम रुचक कूट पर मुख्य देवियां क्या कार्य करती है?
हाथ में पंखा लेकर आगान-परिगान (गीत गाती )करती है।
हाथ में पंखा लेकर आगान-परिगान (गीत गाती )करती है।
319 उतर रुचक कूट पर रहनेवाली मुख्य देवियों के क्या कार्य है?
उतर दिशा में हाथ में चंवर लेकर गीत गाती है ।
उतर दिशा में हाथ में चंवर लेकर गीत गाती है ।
320 उतर रुचक कूट पर रहनेवाली देवियो के क्या नाम है?
अलबुंसा , मिश्रकेशी, पुण्डरीका, वारूणी, हासा, सर्वप्रभा , ह्रीदेवी, श्रीं देवी
अलबुंसा , मिश्रकेशी, पुण्डरीका, वारूणी, हासा, सर्वप्रभा , ह्रीदेवी, श्रीं देवी
321 रुचक कूट के शिखर पर चार विदिशा में कौन रहती है?
चार महतरिका देवियां ।
चार महतरिका देवियां ।
322 रुचक कूट के शिखर पर रहनेवाली चार महतरिका देंवियों के नाम क्या है?
चित्रा,चित्रकनका,शतेरा,सौदामिनी।
चित्रा,चित्रकनका,शतेरा,सौदामिनी।
323 रुचक कूट शिखर वासिनी ये चारों देंविया का कार्य करती है?
तीर्थकर भगवान तथा उनकी माता के चारों दिशाओं में दीपक लेकर खड़ी रहती हैं ।
तीर्थकर भगवान तथा उनकी माता के चारों दिशाओं में दीपक लेकर खड़ी रहती हैं ।
324 मध्य रुचक कूट पर मुख्य कितनी देविया रहती है?
चार ।
चार ।
325 मध्य रुचक कूट पर रहनेवाली मुख्य देवियों के नाम क्या हैं ?
रुपा,रूपासिका ,सुरुपा ,रुपकावती।
रुपा,रूपासिका ,सुरुपा ,रुपकावती।
326 मध्य रुचक कूट पर रहनेवाली मुख्य देंवियो के काम क्या है?
तीर्थकर के नाभिनाल को 4अंगुल छोड़कर काटती है।
तीर्थकर के नाभिनाल को 4अंगुल छोड़कर काटती है।
327 नाभिनाल को लेकर क्या करती है?
जमीन में खड्डा करके गाड़ देती है।
जमीन में खड्डा करके गाड़ देती है।
328 खड्डे को किससे भरती है?
रत्नो व हीरों से भरकर ऊपर मिट्टी जमा देती है।
रत्नो व हीरों से भरकर ऊपर मिट्टी जमा देती है।
329 मिट्टी जमाकर क्या करती है?
ऊपर हरी -हरी दूब उगा देती हैं ।
ऊपर हरी -हरी दूब उगा देती हैं ।
330 अशुचि कर्म निवारण करके फिर क्या करती है?
तीन दिशाओं में कदलीगृह की विकुर्वणा करती है।
तीन दिशाओं में कदलीगृह की विकुर्वणा करती है।
331 कौनसी तीन दिशाओं में कदलीगृह का निर्माण करती है?
1दक्षिण दिशा में 2.पूर्व दिशा में 3.उतर दिशा में।
1दक्षिण दिशा में 2.पूर्व दिशा में 3.उतर दिशा में।
332 कदलीगृह किसे कहते है?
केले के वृक्षो से बना हुआ घर।
केले के वृक्षो से बना हुआ घर।
333 कदली गृहों के बीच में क्या बनाती है?
चतुःशाला का निर्माण करती है।
चतुःशाला का निर्माण करती है।
334 चतुःशाला किसे कहते है?
जिनमें चारो और मकान हो ,ऐसा भवन चतुःशाला कहला�ता है।
जिनमें चारो और मकान हो ,ऐसा भवन चतुःशाला कहला�ता है।
335 भवन के मध्य क्या बनाती है?
सिंहासन
सिंहासन
336 दक्षिण दिशावर्ती कदली गृह का सिंहासन किस काम आता है?
तीर्थकर व उनकी माताओं को बिठाकर शतपाक सहस्रपाक तेल से मालिश व पीठी की जाती हैं।
तीर्थकर व उनकी माताओं को बिठाकर शतपाक सहस्रपाक तेल से मालिश व पीठी की जाती हैं।
337उतरदिशावर्ती कदली गृह में दोनों माता -पुत्रको कहां बिठाती है?
सिंहासन पर।
सिंहासन पर।
338 मालीश व पीठी उबटन कौन करते है?
मध्य रुचक कूट पर रहनेवाली देंविया ।
मध्य रुचक कूट पर रहनेवाली देंविया ।
339 उबटन आदि के बाद क्या करते है?
पूर्व दिशावर्ती कदलीगृह के सिंहासन की तरफ लाती है।
पूर्व दिशावर्ती कदलीगृह के सिंहासन की तरफ लाती है।
340 पूर्व दिशावर्ती कदलीगृह में क्या कार्य होता है?
गंधोपदक,पुष्पोदक,व शुध्दोदक आदि द्वारा भगवान व माता को स्नान कराती है।
गंधोपदक,पुष्पोदक,व शुध्दोदक आदि द्वारा भगवान व माता को स्नान कराती है।
341 स्नान कराने के बाद क्या करती है?
वस्त्राभूषणों से सुसज्जित करके उतरदिशावर्ती कदलीगृह में लाती है।
वस्त्राभूषणों से सुसज्जित करके उतरदिशावर्ती कदलीगृह में लाती है।
342 तीर्थकरों के कानों में क्या बजाती है?
विविध प्रकार के मणिरत्नों से बने हुये दो पाषाण गोलक कों बजाती है।
विविध प्रकार के मणिरत्नों से बने हुये दो पाषाण गोलक कों बजाती है।
343 तीर्थकर को क्या आशीर्वाद देती है?
भगवन् आप पर्वत कें सदृश दीघार्यु हों ।
भगवन् आप पर्वत कें सदृश दीघार्यु हों ।
344 आशीर्वाद देने के बाद वे देंविया क्या करती है?
भगवान व उनकी माता को पुनः जन्म भवन में लाकर शय्या पर सुला देती है।
भगवान व उनकी माता को पुनः जन्म भवन में लाकर शय्या पर सुला देती है।
345 सुलाने के पश्चात् क्या करती है?
मंगल गीत गाती है।
मंगल गीत गाती है।
346 अशुचि कर्म निवारण होने के पश्चात क्या होता है?
शकेन्द्र का आसन कम्पित होता है।
शकेन्द्र का आसन कम्पित होता है।
347 शकेन्द्र कौन है?
पहले देवलोक का इन्द्र ।
पहले देवलोक का इन्द्र ।
348 शकेन्द्र के अन्य कितने नाम है?
वज्रपाणि, पुरन्दर, शतक्रतु, सहस्राक्ष, मघवा, पाकशासन, दक्षिणार्ध लोकाधिपति आदि।
वज्रपाणि, पुरन्दर, शतक्रतु, सहस्राक्ष, मघवा, पाकशासन, दक्षिणार्ध लोकाधिपति आदि।
349 शकेन्द्र को वज्रपाणि क्यो कहते है?
वज्र=वज्र,पाणि=हाथ।हाथ में वज्र धारण किये हुये होने से वज्रपाणि कहा जाता है।
वज्र=वज्र,पाणि=हाथ।हाथ में वज्र धारण किये हुये होने से वज्रपाणि कहा जाता है।
350 पुरन्दर नाम क्यों पडा ?
पुर=असुरों के नगर विशेष के विध्वंसक होने से पुरन्दर नाम पड़ा।
पुर=असुरों के नगर विशेष के विध्वंसक होने से पुरन्दर नाम पड़ा।
351 शकेन्द्र का नाम शतक्रतु क्यो पड़ा?
पूर्वभव अर्थात कार्तिक सेठ के भव में 100 बार श्रावक की पाँचवीं प्रतिमा की प्रतिपालना करने से।
पूर्वभव अर्थात कार्तिक सेठ के भव में 100 बार श्रावक की पाँचवीं प्रतिमा की प्रतिपालना करने से।
352 शकेन्द्र का सहस्राक्ष नाम से क्या अभिप्राय हैं ?
1000आँख वाले अर्थात अपने 500मंत्रियों की अपेक्षा हजार आँखों वाले ।
1000आँख वाले अर्थात अपने 500मंत्रियों की अपेक्षा हजार आँखों वाले ।
353 शकेन्द्र का मघवा नाम क्यों पड़ा ?
मेघों के अर्थात बादलों के नियन्ता होने से मघवा नाम पड़ा ।
मेघों के अर्थात बादलों के नियन्ता होने से मघवा नाम पड़ा ।
354 शकेन्द्र को पाक शासन क्यों कहा गया है?
पाक नामक शत्रु का नाश करके उस पर शासन करने के कारण पाक शासन नाम पड़ा।
पाक नामक शत्रु का नाश करके उस पर शासन करने के कारण पाक शासन नाम पड़ा।
355 शकेन्द्र कौन से हाथी पर सवारी करते हैं ?
ऐरावत हाथी पर।
ऐरावत हाथी पर।
356 ऐरावत हाथी पूर्व में कौन था?
वह सन्यासी ,जिसने कार्तिक सेठ के पीठ पर ग�र्मागर्म खीर रखवा कर खाई थी।
वह सन्यासी ,जिसने कार्तिक सेठ के पीठ पर ग�र्मागर्म खीर रखवा कर खाई थी।
357 देंवताओ के कौन से आसन होते है?
स्थिर आसन।
स्थिर आसन।
358 स्थिर आसन कब चलित होते है?
तीर्थकर भगवान के जन्म आदि कल्याण्कों के अवसर पर एंव अन्य विशेष प्रसंग होते हैं तब चलित होते है।
तीर्थकर भगवान के जन्म आदि कल्याण्कों के अवसर पर एंव अन्य विशेष प्रसंग होते हैं तब चलित होते है।
359 आसन चलित होने पर क्या करते है?
अवधिज्ञान का उपयोग लगाकर देखते हैं।
अवधिज्ञान का उपयोग लगाकर देखते हैं।
360 अवधिज्ञान द्वारा किसको देखते है?
भगवान तीर्थकर को देखते है।
भगवान तीर्थकर को देखते है।
361 भगवान को देखने पर क्या होता है?
अपने मन मे परम आनंद एंव प्रसन्नता का अनुभव करते है।
अपने मन मे परम आनंद एंव प्रसन्नता का अनुभव करते है।
362 हर्षातिरेक में इन्द्र क्या करते है?
आदरपूर्वक सिंहासन से उठते है।
आदरपूर्वक सिंहासन से उठते है।
363 सिंहासन से उतरकर क्या करते है?
मणिरत्नों से निर्मित पादुकाएं पैरों से उतारते है।
मणिरत्नों से निर्मित पादुकाएं पैरों से उतारते है।
364 फिर क्या करते है?
अखण्ड वस्त्र का उतरासंग करते है।
अखण्ड वस्त्र का उतरासंग करते है।
365 उतरासंग का उपयोग किसमें करते है ?
भगवान तीर्थकर की स्तुति करने के लिए ।
भगवान तीर्थकर की स्तुति करने के लिए ।
366 स्तुति कहाँ करते है?
प्रवचन सभा (समवसरण) में ही,जिधर जिस दिशा में तीर्थकर हो उस दिशा मे 7-8 कदम सामने जा�कर स्तुति करते है।
प्रवचन सभा (समवसरण) में ही,जिधर जिस दिशा में तीर्थकर हो उस दिशा मे 7-8 कदम सामने जा�कर स्तुति करते है।
367 स्तुति किस आसन से करते है?
बायें घुटने को सिकोड़कर दाहिने घुटने को भूमि पर टिकाकर नमोत्थुणं मुद्रा में ।
बायें घुटने को सिकोड़कर दाहिने घुटने को भूमि पर टिकाकर नमोत्थुणं मुद्रा में ।
368 मस्तक को भूमि पर कितनी बार लगाते है?
तीन बार ।
तीन बार ।
369 किस पाठ से स्तुति करते है?
नमोत्थुणं या णमोत्थुणं के पाठ से।
नमोत्थुणं या णमोत्थुणं के पाठ से।
370 णमाेत्थुणं का दूसरा नाम क्या है?
शक्रस्तव ।
शक्रस्तव ।
371 इसको शक्रस्तव क्यों कहते है?
क्योंकि इस पाठ द्वारा ही शक्रेन्द्र सर्वप्रथम भगवान की स्तुति करते हैं ।
क्योंकि इस पाठ द्वारा ही शक्रेन्द्र सर्वप्रथम भगवान की स्तुति करते हैं ।
372 स्तुति करने के बाद शक्रेन्द्र क्या कहते है?
मैं यहाँ स्थित भगवान को वंदन करता हूँ ,वहाँ स्थित भगवान मुझे देखें ।
मैं यहाँ स्थित भगवान को वंदन करता हूँ ,वहाँ स्थित भगवान मुझे देखें ।
373 गर्भ में ही तीर्थकर को कितने ज्ञान होते है?
तीन ज्ञान -मतिज्ञान,श्रुतज्ञान,अवधिज्ञान ।
तीन ज्ञान -मतिज्ञान,श्रुतज्ञान,अवधिज्ञान ।
374 भगवान की स्तुति करके शक्रेन्द्र क्या करते है?
पूर्व की आेर मुँह करके सिंहासन पर बैठते है ।
पूर्व की आेर मुँह करके सिंहासन पर बैठते है ।
375 सिंहासन पर बैठकर क्या सोचते है?
त्रैलोकिक शक्रेन्द्रों का परंपरागत आचार हैं कि वे तीर्थकरों का जन्मोत्सव मनायें ।
त्रैलोकिक शक्रेन्द्रों का परंपरागत आचार हैं कि वे तीर्थकरों का जन्मोत्सव मनायें ।
376 शक्रेन्द्र क्या संकल्प करते है?
मैं भी जाऊँ भगवान तीर्थंकर का जन्मोत्सव मनाऊँ ।
मैं भी जाऊँ भगवान तीर्थंकर का जन्मोत्सव मनाऊँ ।
377 शक्रेन्द्र निश्चय करके किसको बुलाते है?
हरिनगमैषी देव को।
हरिनगमैषी देव को।
378 हरिनगमैषी देव कौन है?
शक्रेन्द्र की पैदल सेना का अधिपति =सेनापतिदेव ।
शक्रेन्द्र की पैदल सेना का अधिपति =सेनापतिदेव ।
379 हरिनगमैषी देव को क्या आज्ञा देते है?
सुघोषा नामक घण्टा तीन बार बजाओ।
सुघोषा नामक घण्टा तीन बार बजाओ।
380 सुघोषा घण्टा कितना बड़ा व कैसा है?
एक योजन का वर्तुलाकार है।
एक योजन का वर्तुलाकार है।
381 शक्रेन्द्र के सुघोषा घंटा की आवाज कहाँ तक पहुँची ?
एक कम 32 लाख विमानों में ।
एक कम 32 लाख विमानों में ।
382 देवलोकों में SMS क्या है?
सुघोषा घण्ट
सुघोषा घण्ट
383 सुघोषा घण्ट से कैसी आवाज निकलती है?
बादलो के गर्जन के तुल्य एंव गंभीर तथा मधुर शब्द निकलते है।
बादलो के गर्जन के तुल्य एंव गंभीर तथा मधुर शब्द निकलते है।
384 सौधर्मेन्द्र ने क्या उद्घोषणा करवाई?
जंबुद्वीप में भगवान तीर्थकर का जन्मोत्सव मनाने जाने की तैयारी कर के शक्रेन्द्र के समक्ष उपस्थित होओ।
जंबुद्वीप में भगवान तीर्थकर का जन्मोत्सव मनाने जाने की तैयारी कर के शक्रेन्द्र के समक्ष उपस्थित होओ।
385 सौधर्मकल्पवासी देव किस भावना से उपस्थित हुए ?
कोई कोई भगवान को वंदन ,सत्कार , सम्मान ,दर्शन,भक्ति,अनुरागवश,परंपरागत,आचार मानकर उपस्थित हुये।
कोई कोई भगवान को वंदन ,सत्कार , सम्मान ,दर्शन,भक्ति,अनुरागवश,परंपरागत,आचार मानकर उपस्थित हुये।
386 देव देवियो को अपने समक्ष आया देखकर शक्रेन्द्र ने क्या किया ?
पालक नामक अभियोगिक (सेवक)देव को बुलाया ।
पालक नामक अभियोगिक (सेवक)देव को बुलाया ।
387 पालक देव को शक्रेन्द्र ने क्या आज्ञा दी?
दिव्ययान विमान (यात्रा विमान )की विकुर्वणा करो ।
दिव्ययान विमान (यात्रा विमान )की विकुर्वणा करो ।
388 यान विमान कितना लम्बा व चौड़ा बनाया?
1लाख योजन लंबा एंव 500 योजन ऊँचा ।
1लाख योजन लंबा एंव 500 योजन ऊँचा ।
389 यान विमान के कितनी दिशाओं में कितनी सीढियां होती है?
तीन दिशा - उत्तर ,दक्षिण,पूर्व में 3-3सीढि़या होती हैं।
तीन दिशा - उत्तर ,दक्षिण,पूर्व में 3-3सीढि़या होती हैं।
390 विमान के बीचो बीच क्या बनाया?
प्रेक्षा मण्डप ।
प्रेक्षा मण्डप ।
391 प्रेक्षा मण्डप कितने खंभों पर टिका होता है?
सैंकडो़ं खंभों पर।
सैंकडो़ं खंभों पर।
392 प्रेक्षा मण्डप के बीच में क्या बना होता है?
मणिपीठिका (मणिरत्नो का चबुतरा)।
मणिपीठिका (मणिरत्नो का चबुतरा)।
393 मणिपीठिका (चबुतरा)कितनी लम्बी चौड़ी है?
8योजनलम्बी, 8योजनचौड़ी, 4योजन मोटी है।
8योजनलम्बी, 8योजनचौड़ी, 4योजन मोटी है।
394 मणिपीठिका किसकी बनी हुई है?
मणियों से ।
मणियों से ।
395 मणिपीठिका के ऊपर क्या है?
इन्द्र महाराज के बैठने का सिंहासन है।
इन्द्र महाराज के बैठने का सिंहासन है।
396 सिंहासन के चारों तरफ दिशा विदिशाओं में क्या है?
अन्य देवी-देवताओं के आसन है।
अन्य देवी-देवताओं के आसन है।
397 सामानिक देवोके कितने आसन है?
84,000(चौरासी हजार) आसन।
84,000(चौरासी हजार) आसन।
398 तीन परिषद देंवो के कितने आसन है?
आभ्यतर परिषद कें देवों के 12 हजार, मध्यम परिषद के 14 हजार एवं बाह्य परिषद के 16 हजार आसन है।(12+14+16=42हजार आसन है।)
आभ्यतर परिषद कें देवों के 12 हजार, मध्यम परिषद के 14 हजार एवं बाह्य परिषद के 16 हजार आसन है।(12+14+16=42हजार आसन है।)
399 प्रधानदेंवियों(अग्रमहिषियों)के कितने आसन है?
8 अग्रमहिषियों के आठ आसन ।
8 अग्रमहिषियों के आठ आसन ।
285 किस तीर्थंकर ने किस अवस्था में कल्पवृक्ष प्रदत्त आहार किया ?
भगवान ऋषभदेव नें ,गृहस्थावस्था में, तीर्थकर बनने से पूर्व ।
भगवान ऋषभदेव नें ,गृहस्थावस्था में, तीर्थकर बनने से पूर्व ।
286 अपने- अ�पने भवनों से दिशाकुमारियां भगवान को किससे देखती है?
अवधिज्ञान सें।
अवधिज्ञान सें।
287 भगवान तीर्थकर का जन्मोत्सव मनाने सर्वप्रथम कौन आते हैं ?
भोगंकरा ,भोगवती,सुभोगा ,भोगमालिनी,तोयधारा ,विचित्रा,पुष्प-माला ,अनिंदिता-ये 8 अधोलोक वासिनी दिशा कुमारियां आती हैं ।
भोगंकरा ,भोगवती,सुभोगा ,भोगमालिनी,तोयधारा ,विचित्रा,पुष्प-माला ,अनिंदिता-ये 8 अधोलोक वासिनी दिशा कुमारियां आती हैं ।
288 दिशा कुमारियां किसमें बैठकर आती है?
वैक्रिय लब्धि से विकुर्वित यान विमान (यात्रा विमान)में ।
वैक्रिय लब्धि से विकुर्वित यान विमान (यात्रा विमान)में ।
289 यान विमान में कितने खंभे होते हैं ?
सैंकड़ों खंभे ।
सैंकड़ों खंभे ।
290 दिशाकुमारिया क्यों आती है?
परम्परागत आचार होने से /जीताचार व्यवहार होने से आती हैं ।
परम्परागत आचार होने से /जीताचार व्यवहार होने से आती हैं ।
291 विमान को कहाँ ठहराती है?
तीर्थकर भगवान के जन्म भवन से ईशान कोण में।
तीर्थकर भगवान के जन्म भवन से ईशान कोण में।
292 विमान को धरती से कितने अंगुल ऊंचा ठहराती हैं ?
चार अंगुल ऊंचा ।
चार अंगुल ऊंचा ।
293 विमान ठहराने के बाद क्या करती है?
विमानों से नीचे उतरकर भगवान की माता के पास आती है।
विमानों से नीचे उतरकर भगवान की माता के पास आती है।
294 जन्म भवन में आकर क्या करती है?
भगवान तीर्थंकर व उनकी माता को तीन बार प्रदक्षिणा करती है।
भगवान तीर्थंकर व उनकी माता को तीन बार प्रदक्षिणा करती है।
295 दिशा कुमारियां भगवान की माता को क्या संबोधन करती है?
दो संबोधन - 1रत्नकुक्षिधारिके 2.जगतप्रदीपप्रदायिके।
दो संबोधन - 1रत्नकुक्षिधारिके 2.जगतप्रदीपप्रदायिके।
296 रत्नकुक्षिधारिणी का क्या अर्थ है?
तीर्थकर रूप रत्न को अपनी कोख में धारण करनेवाली ।
तीर्थकर रूप रत्न को अपनी कोख में धारण करनेवाली ।
297 जगत प्रदीप प्रदायिके का क्या मतलब है?
जगतवर्ती जनों के सर्वभाव प्रकाशक तीर्थकर रूप दीपक प्रदान करनेवाली ।
जगतवर्ती जनों के सर्वभाव प्रकाशक तीर्थकर रूप दीपक प्रदान करनेवाली ।
298 संबोधन करते हुए क्या करती हैं ?
भगवान की माता को भी नमस्कार करती है।
भगवान की माता को भी नमस्कार करती है।
299 अधोलोक वर्ती देवियां कौन सी वायु से भूमितल को निर्मल करती हैं ?
संवर्तक वायु से।
संवर्तक वायु से।
300 कितने भुमि तल (क्षेत्र)को निर्मल करती है?
एक योजन परिमंडल क्षेत्र (भूमि)।
एक योजन परिमंडल क्षेत्र (भूमि)।
301उर्ध्वलोक वासिनी दिशा कुमारियां कितनी है?
आठ
आठ
302उर्ध्वलोक वासिनी दिशा कुमारियों के नाम क्या है?
1मेघकंरा 2 मेघवती 3सुमेघा 4मेघमालिनी 5सुवत्सा 6वत्समित्रा 7वारिषेणा 8बलाहका ।
1मेघकंरा 2 मेघवती 3सुमेघा 4मेघमालिनी 5सुवत्सा 6वत्समित्रा 7वारिषेणा 8बलाहका ।
303उर्धवलोक वासिनी दिशा कुमारियां क्या कार्य करती है?
आकाश में बादलों की विकुर्णा करके अचित जल की वर्षा करती है।
आकाश में बादलों की विकुर्णा करके अचित जल की वर्षा करती है।
304 वर्षा करने से क्या होता है?
रज-धुल जम जाती है।
रज-धुल जम जाती है।
305 धुल को जमाने के बाद क्या करती है?
अचित पुष्पों के बाद बादलों की वर्षा करती है।
अचित पुष्पों के बाद बादलों की वर्षा करती है।
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