आगम प्रश्नोत्तरी1
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🦜*टॉपिक *----*आगम को पहचानिए? **🦜
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1️⃣ मैं स्वयम कौन?मतलब आत्मा की जानकारी देने वाले आगम का नाम बताइए❓
🅰️ प्रश्न व्याकरण सूत्र जी
2️⃣भगवान महावीरस्वामी जी की जीवन गाथा व्यक्त करने वाला आगम कौनसा❓
🅰️ ज्ञाताधर्म कथा जी
3️⃣जैन जीवन नियमावली बताने वाला आगम कौनसा❓
🅰️ सुख विपाक जी
4️⃣ महावीरस्वामी जी के अंतिम उपदेशों का संग्रह ❓
🅰️ उत्तराध्ययन जी
5️⃣प्रतिक्रमण का वर्णन किस आगम में❓
🅰️ आवश्यक सूत्र जी मे
6️⃣ मुनियों के आचरण की जानकारी किस आगम में❓
🅰️ आचारांग जी में
7️⃣ जैन अंकशास्त्र ❓
🅰️समवयांग जी
8️⃣सबसे बड़ा प्रश्नोत्तर संग्रह कौनसे आगम में❓
🅰️ भगवतिसूत्र जी
9️⃣ अन्य धर्मों की जानकारी। किस आगम में❓
🅰️ सुयडाँग जी मे
1️⃣0️⃣ जैन जगत का आध्यात्मिक भूगोल ❓
🅰️ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति जी
1802 सामायिक संयत के कितने भेद हैं?
दो भेद हैं ।
दो भेद हैं ।
1803सामायिक संयत के दो भेद कौन से हैं?
1. इत्वरकथित 2. यावत्कथिक ।
1. इत्वरकथित 2. यावत्कथिक ।
1804 दुसरे प्रकार के संयत कौन से हैं?
छेदोपस्थापनीय संयत ।
छेदोपस्थापनीय संयत ।
1805 छेदोपस्थापनीय संयत के कितने भेद हैं?
दो भेद हैं ।
दो भेद हैं ।
1806 छेदोपस्थापनीय के दो भेद कौन कौन से हैं?
1.सातिचार 2. निरतिचार
1.सातिचार 2. निरतिचार
1807 तीसरे प्रकार के संयत कौन से हैं?
परिहार विशुद्धिक संयत ।
परिहार विशुद्धिक संयत ।
1808 परिहार विशुद्धिक संयत के कितने भेद हैं?
दो भेद हैं ।
दो भेद हैं ।
1809 परिहार विशुद्धिक संयत के दो भेद कौन कौन से है?
1. निर्विशमानक 2. निर्विष्ट कायिक ।
1. निर्विशमानक 2. निर्विष्ट कायिक ।
1810 चौथे प्रकार के संयत कौन से है?
सुक्ष्म संपराय संयत ।
सुक्ष्म संपराय संयत ।
1811 सुक्ष्म संपराय संयत के कितने भेद हैं?
दो भेद हैं ।
दो भेद हैं ।
1812 सुक्ष्म संपराय के दो भेद कौन कौन से हैं?
1. संक्लिश्यमानक 2. विशुद्धयमानक ।
1. संक्लिश्यमानक 2. विशुद्धयमानक ।
1813 पांचवे प्रकार के संयत कौन कौन से हैं?
यथाख्यात संयत ।
यथाख्यात संयत ।
1814 यथाख्यात के कौन कौन से भेद हैं?
दो भेद - 1. छद्मस्थ 2. केवली
दो भेद - 1. छद्मस्थ 2. केवली
1815 अवंदनीय साधु कितने हैं?
पांच प्रकार के हैं।
पांच प्रकार के हैं।
1816 पांच प्रकार के अवंदनीय साधु कौन कौन से है?
1. पासत्था 2. अवसन्ना 3. कुसीलिया 4. संसत्ता 5. अपछंदा ।
1. पासत्था 2. अवसन्ना 3. कुसीलिया 4. संसत्ता 5. अपछंदा ।
1817 पासत्था के कितने प्रकार और कौन कौन से है?
दे प्रकार - 1. सर्वव्रत पासत्था 2. देश व्रत पासत्था ।
दे प्रकार - 1. सर्वव्रत पासत्था 2. देश व्रत पासत्था ।
1818 अवसन्ना के कितने प्रकार और कौन कौन से है?
दो प्रकार - 1. सर्व अवसन्ना 2. देश अवसन्ना ।
दो प्रकार - 1. सर्व अवसन्ना 2. देश अवसन्ना ।
1819 कुशील के कितने कितने और कौन कौन से भेद हैं?
तीन भेद - 1. ज्ञान कुशील 2. दर्शन कुशील 3. चारित्र कुशील ।
तीन भेद - 1. ज्ञान कुशील 2. दर्शन कुशील 3. चारित्र कुशील ।
1820 कुशील साधु कौन से सात कर्म करता हैं?
1. कौतुक कर्म 2. भूतकर्म 3. प्रश्न कर्म 4. निमित कर्म 5. आजीविका कर्म 6. कल्क कुरुक कर्म 7. लक्षण कर्म ।
1. कौतुक कर्म 2. भूतकर्म 3. प्रश्न कर्म 4. निमित कर्म 5. आजीविका कर्म 6. कल्क कुरुक कर्म 7. लक्षण कर्म ।
1821 संसत्ता साधु कितने प्रकार के और कौन कौन से हैं?
दो प्रकार - 1 . संक्लिष्ट 2. असंक्लिष्ट ।
दो प्रकार - 1 . संक्लिष्ट 2. असंक्लिष्ट ।
1822 अपछंदा किसे कहते हैं?
गुरु की, तीर्थकर की और शास्त्र की आज्ञा का उल्लंघन करके अपनी मर्जी के अनुसार प्रवृत्ति करने वाला अपछंदा कहलाता हैं।
गुरु की, तीर्थकर की और शास्त्र की आज्ञा का उल्लंघन करके अपनी मर्जी के अनुसार प्रवृत्ति करने वाला अपछंदा कहलाता हैं।
1823 उत्तराध्ययन सुत्र में बहुश्रुत जी को कितनी उपमाओं से उपमित किया हैं?
सोलह ।
सोलह ।
1824 उत्तराध्ययन सूत्र मे कौन से अध्ययन में उपाध्याय के लिए सोलह उपमाएं दी गई हैं?
11 वें बहुश्रुतपूजा नामक अध्ययन में ।
11 वें बहुश्रुतपूजा नामक अध्ययन में ।
1825 बहुश्रुत जी को पहली उपमा किसकी दी गई हैं?
शंख मे भरे हुए दूध की ।
शंख मे भरे हुए दूध की ।
1826 दुसरी उपमा कौन से देश के घोड़े की गई हैं?
कंबोज देश मे उत्पन्न घोड़े की ।
कंबोज देश मे उत्पन्न घोड़े की ।
1827 उपाध्यायजी को तीसरी उपमा किसकी दी हैं?
शुरवीर की उपमा ।
शुरवीर की उपमा ।
1828 उपाध्यायजी की चौथी उपमा किसकी दी गई हैं?
हाथी की ( 60 वर्ष वाले बलवान हाथी की ) ।
हाथी की ( 60 वर्ष वाले बलवान हाथी की ) ।
1829 तीक्ष्ण सिंग और पुष्ट स्कंध वाले किसकी उपमा उपाध्यायजी को दी ?
वृषभ (सांड) की ।
वृषभ (सांड) की ।
1830 छठी उपमा कौन सी है जिससे उपाध्यायजी को उपमित किया गया हैं?
तीक्ष्ण दाढ़ो वाला सिंह की ।
तीक्ष्ण दाढ़ो वाला सिंह की ।
1831 शंख , चक्र , गदा , धारण करनेवाले कौन होते है, जिनसे उपाध्याय को उपमित किया हैं?
वासुदेव ।
वासुदेव ।
1832 उपाध्यायजी को आठवीं उपमा किसकी दी गई हैं?
चक्रवर्ती की ।
चक्रवर्ती की ।
1833 वज्रपाणी कौन है ,जिसकी उपमा से उपाध्यायजी को उपमित किया हैं?
इन्द्र (शक्रेन्द्र )की
इन्द्र (शक्रेन्द्र )की
1834 उपाध्याय जी को दसवीं उपमा किसकी दी गई हैं?
सूर्य की ।
सूर्य की ।
1835 किसके समान उपाध्याय जी शीतलता से शोभित होते हैं?
चन्द्र के समान ।
चन्द्र के समान ।
1836 उपाध्यायजी को कोष्ठागार की कौन सी उपमा दी गई हैं?
बारहवीं ।
बारहवीं ।
1837 कौन से वृक्ष के समान बहुश्रुत जी देवों के भी पूज्य होते हैं?
जम्बु वृक्ष के समान ।
जम्बु वृक्ष के समान ।
1838 नदियों में कौन सी नदी श्रेष्ठ है जिसकी उपमा बहुश्रुतजी को दी गई हैं?
सीता नदी ।
सीता नदी ।
1839 उपाध्यायजी को कौन से समुद्र की उपमा से उपमित किया हैं?
स्वयंभू रमण समुद्र ।
स्वयंभू रमण समुद्र ।
1840 उपाध्यायजी को कौन से पर्वत की उपमा दी गई हैं?
मंदर पर्वत /सुमेरु पर्वत / मेरु पर्वत ।
मंदर पर्वत /सुमेरु पर्वत / मेरु पर्वत ।
1841 बहुश्रुतता का अंतिम फल क्या हैं?
मोक्ष की प्राप्ति ।
मोक्ष की प्राप्ति ।
1841 बहुश्रुतता का अंतिम फल क्या हैं?
मोक्ष की प्राप्ति ।
मोक्ष की प्राप्ति ।
1842 उपाध्यायजी का ज्ञान स्व और पर के लिये क्या फल देता हैं?
मोक्ष की प्राप्ति कराने वाला होता है।
मोक्ष की प्राप्ति कराने वाला होता है।
1843 कितने वर्ष की दीक्षा पर्याय वाला साधक उपाध्याय पद प्राप्त कर सकता हैं?
तीन वर्ष की ( कम से कम ) दीक्षा पर्याय ।
तीन वर्ष की ( कम से कम ) दीक्षा पर्याय ।
1844 उपाध्याय पद प्राप्त करनेवाले साधक में कम से कम कितना ज्ञान होना आवश्यक हैं?
आचार प्रकल्प का ज्ञान अर्थात आचारांग और निशीथ सूत्र आदि का ज्ञान होना आवश्यक हैं ।
आचार प्रकल्प का ज्ञान अर्थात आचारांग और निशीथ सूत्र आदि का ज्ञान होना आवश्यक हैं ।
1845 उपाध्याय पद प्राप्त करनेवाले को किस किस काम मे कुशल होना चाहिए ?
1.आचार कुशल 2. संयम कुशल 3. प्रवचन कुशल 4. प्रज्ञप्ति कुशल 5. संग्रह कुशल 6. उपग्रह कुशल होना परमावश्यक हैं ।
1.आचार कुशल 2. संयम कुशल 3. प्रवचन कुशल 4. प्रज्ञप्ति कुशल 5. संग्रह कुशल 6. उपग्रह कुशल होना परमावश्यक हैं ।
1846 उपाध्याय पद ग्रहण करने वाले का चारित्र कैसा होना चाहिए ?
अक्षत चारित्रवान , अभिन्न चारित्रवान ,अशबल चारित्रवान और असंकिलष्ट आचार वाला होना चाहिये ।
अक्षत चारित्रवान , अभिन्न चारित्रवान ,अशबल चारित्रवान और असंकिलष्ट आचार वाला होना चाहिये ।
1847 उपाध्याय पद ग्रहण करनेवाला कैसा होना चाहिए ?
बहुश्रुत और बहुआगमज्ञ होना चाहिये ।
बहुश्रुत और बहुआगमज्ञ होना चाहिये ।
1848 क्या आज के ही दीक्षित साधु को उपाध्याय पद दिया जा सकता हैं?
हाँ दिया जा सकता हैं ।
हाँ दिया जा सकता हैं ।
1849 आज के दीक्षित साधु को उपाध्याय पद कैसे दिया जा सकता हैं?
प्रतिभा संपन्न , धर्मनिष्ठा एंव कुलीनता विश्वास की पराकाष्ठा से युक्त स्थविरों द्वारा अनुमत एवं बहुमत हो तो एेसे योग्यता प्राप्त नवदीक्षित को आचार्य या उपाध्याय का पद दिया जा सकता हैं ।
प्रतिभा संपन्न , धर्मनिष्ठा एंव कुलीनता विश्वास की पराकाष्ठा से युक्त स्थविरों द्वारा अनुमत एवं बहुमत हो तो एेसे योग्यता प्राप्त नवदीक्षित को आचार्य या उपाध्याय का पद दिया जा सकता हैं ।
1850 उपाध्याय जी के कितने अतिशय हैं?
पाँच अतिशय हैं (आचार्य के समान )
पाँच अतिशय हैं (आचार्य के समान )
1851 उपाध्यायजी के संग्रह स्थान कितने हैं?
सात संग्रह स्थान (आचार्यवत् )
सात संग्रह स्थान (आचार्यवत् )
1852 उपाध्यायजी के असंग्रह स्थल कितने हैं?
सात असंग्रह स्थान ।
सात असंग्रह स्थान ।
1853 उपाध्यायजी का नाम क्या हैं?(काया की अपेक्षा से)
जंगम काय ।
जंगम काय ।
1854 उपाध्यायजी का गोत्र क्या हैं?
त्रसकाय ।
त्रसकाय ।
1855 उपाध्यायजी की कुल कोड़ाकोड़ी कितनी हैं?
12 लाख ।
12 लाख ।
1856 उपाध्यायजी की काया कौन सी हैं?
त्रस काय ।
त्रस काय ।
1857 उपाध्यायजी का दण्डक कौन सा हैं?
21 वां दण्डक । (मनुष्य का )
21 वां दण्डक । (मनुष्य का )
1858 उपाध्यायजी मे कितनी कषाय पायी जाती हैं?
चारों कषाएं ।
चारों कषाएं ।
1859 उपाध्यायजी मे कितनी लेश्या पायी जा सकती हैं?
3 अथवा 6 (छठें गुणस्थान में 6 और सातवे गुण मे 3 लेश्याएं )
3 अथवा 6 (छठें गुणस्थान में 6 और सातवे गुण मे 3 लेश्याएं )
1860 उपाध्यायजी में कितनी इन्द्रिया पायी जा सकती हैं?
पाँच इन्द्रिय ।
पाँच इन्द्रिय ।
1861 उपाध्यायजी में कितनी पर्याप्तियां पायी जाती हैं?
6 पर्याप्तियां ।
6 पर्याप्तियां ।
1862 उपाध्यायजी मे कितनी क्रियाएं पायी जा सकती हैं?
दो क्रियाएं (आरंभिया , मायावतियां )
दो क्रियाएं (आरंभिया , मायावतियां )
1863 उपाध्यायजी मे कितने कर्मो की सत्ता रहती हैं?
आठ कर्मो की सत्ता ।
आठ कर्मो की सत्ता ।
1864 उपाध्यायजी मे कितने कर्मो का उदय रहता हैं?
8 कर्मो का उदय ।
8 कर्मो का उदय ।
1865 उपाध्यायजी मे कितने कर्मो का बंध होता हैं?
7 या 8 कर्मो का बंध हो सकता हैं।
7 या 8 कर्मो का बंध हो सकता हैं।
1866 उपाध्यायजी मे कितने कर्मो की उदीरणा होती हैं?
छठे गुणस्थान में 7 या 8 कर्मो की उदीरणा और सातवें गुणस्थान मे - 6कर्मों की उदीरणा होती है।
छठे गुणस्थान में 7 या 8 कर्मो की उदीरणा और सातवें गुणस्थान मे - 6कर्मों की उदीरणा होती है।
1867 उपाध्यायजी के कितने कर्मो की निर्जरा होती हैं?
आठों कर्मो की निर्जरा होती हैं।
आठों कर्मो की निर्जरा होती हैं।
1868 उपाध्यायजी के कितने परिषह होते हैं?
22 परिषह ।
22 परिषह ।
1869 उपाध्यायजी में द्रव्यात्मा आदि कितनी आत्माएं पायी जा सकती हैं?
आठों आत्माएं ।
आठों आत्माएं ।
1870 उपाध्यायजी के जीव के 14 भेद मे से कौनसा भेद पाया जाता हैं?
जीव का एक भेद - संज्ञी पंचन्द्रिय का पर्याप्ता ।
जीव का एक भेद - संज्ञी पंचन्द्रिय का पर्याप्ता ।
1871 उपाध्यायजी मे कौन सा गुणस्थान पाता हैं?
छठा और सातवां ।
छठा और सातवां ।
1872 उपाध्यायजी में कितने उपयोग पाते हैं?
7 उपयोग (4 ज्ञान ,3 दर्शन )
7 उपयोग (4 ज्ञान ,3 दर्शन )
1873 उपाध्यायजी में कितने योग पाये जाते हैं?
छठे गुणस्थान में 14 (कार्मण योग को छोड़कर )एंव सातवें गुणस्थान में 11 (तीनो मिश्र और कार्मण काय योग को छोड़कर )
छठे गुणस्थान में 14 (कार्मण योग को छोड़कर )एंव सातवें गुणस्थान में 11 (तीनो मिश्र और कार्मण काय योग को छोड़कर )
1874 उपाध्यायजी में कितने ध्यान पाये जाते हैं?
छठे गुणस्थान में 2 ( आर्तध्यान - धर्मध्यान ) सातवें गुणस्थान में एक (धर्मध्यान )
छठे गुणस्थान में 2 ( आर्तध्यान - धर्मध्यान ) सातवें गुणस्थान में एक (धर्मध्यान )
1875 उपाध्यायजी में वर्तमान में चारित्र कितने पाये जा सकते हैं?
2 चारित्र (छठे -सातवें गुणस्थान की अपेक्षा से )
2 चारित्र (छठे -सातवें गुणस्थान की अपेक्षा से )
1876 उपाध्यायजी की आगत कितनी हैं?
275 स्थानों की ।
275 स्थानों की ।
1877 उपाध्यायजी की आगत के 275 स्थान कौन कौन से हैं?
101- सम्मूच्छिम मनुष्य के अपर्याप्त ,
30 - पन्द्रह कर्म भूमि के पर्याप्त और अपर्याप्त
40- तिर्यच (तेउ , वायु के 8 बोल छोड़कर ) 99 जाति के देवता नारकी के (पहली से पांचवी के पर्याप्ता )
101- सम्मूच्छिम मनुष्य के अपर्याप्त ,
30 - पन्द्रह कर्म भूमि के पर्याप्त और अपर्याप्त
40- तिर्यच (तेउ , वायु के 8 बोल छोड़कर ) 99 जाति के देवता नारकी के (पहली से पांचवी के पर्याप्ता )
1878 कितने प्रकार के मनुष्य मरकर पुनः मनुष्य बनकर उपाध्याय पद प्राप्त कर सकते हैं?
2 प्रकार के मनुष्य (1.सम्मुच्छिम मनुष्य 2. कर्मभूमिज मनुष्य अथवा 131 प्रकार के मनुष्य ।
2 प्रकार के मनुष्य (1.सम्मुच्छिम मनुष्य 2. कर्मभूमिज मनुष्य अथवा 131 प्रकार के मनुष्य ।
1879 कितने प्रकार के तिर्यच जीव मरकर मनुष्य बनकर उपाध्याय पद प्राप्त कर सकते हैं?
40 प्रकार के तिर्यच जीव ।
40 प्रकार के तिर्यच जीव ।
1880 कितने प्रकार के देवता मरकर मनुष्य बनकर उपाध्याय पद प्राप्त कर सकते हैं?
99 जाति के पर्याप्त देवता ।
99 जाति के पर्याप्त देवता ।
1881 कितनी नारकी से निकला हुआ जीव उपाध्याय पद प्राप्त कर सकते हैं?
पहली से पांचवी नारकी तक के नैरयिक जीव मनुष्य बनकर उपाध्याय पद प्राप्त कर सकते हैं।
पहली से पांचवी नारकी तक के नैरयिक जीव मनुष्य बनकर उपाध्याय पद प्राप्त कर सकते हैं।
1882 उपाध्यायजी आयुष्य पूर्ण कर कहाँ जाते हैं?
देवलोक में ।
देवलोक में ।
1883 उपाध्यायजी आयुष्य पुर्ण कर कहाँ जाते हैं?
देवलोक में ।
देवलोक में ।
1884उपाध्यायजी कौन से देवों में उत्पन्न हो सकते हैं?
वैमानिक देवों में ।
वैमानिक देवों में ।
1885 उपाध्यायजी वैमानिक देवों के कितने स्थानों में उत्पन्न हो सकते हैं?
70 स्थानों में
70 स्थानों में
1886 उपाध्यायजी के उत्पन्न होने के 70 स्थान कौन से हैं?
12 देवलोक ,9 लोकान्तिक ,9ग्रैवेयक , 5 अनुत्तर विमान (12+9+9+5 =35) इन 35 स्थानों में उपाध्याय की आत्मा जाकर उत्पन्न हो सकती हैं।
12 देवलोक ,9 लोकान्तिक ,9ग्रैवेयक , 5 अनुत्तर विमान (12+9+9+5 =35) इन 35 स्थानों में उपाध्याय की आत्मा जाकर उत्पन्न हो सकती हैं।
1887 क्या उपाध्याय पद का धारी मोक्ष में जा सकता हैं?
नहीं जा सकता हैं।
नहीं जा सकता हैं।
1888 क्या उपाध्याय पद पर रहते हुए 4 कर्म क्षय करके केवल ज्ञान पा सकता हैं?
हाँ।
हाँ।
1889 उपाध्यायजी के केवलज्ञान होने पर कौन सा पद आ जाता हैं?
अरिहंत पद ।
अरिहंत पद ।
1890 उपाध्यायजी केवलज्ञान प्राप्त कर 8 कर्मो के विहीन बनकर मोक्ष जा सकते हैं?
हाँ ,जा सकते हैं।
हाँ ,जा सकते हैं।
1891 तीनो काल की अपेक्षा से उपाध्याय जी मे कितने चारित्र पाये जा सकते हैं?
पाँचों चारित्र पाये जा सकते हैं।
पाँचों चारित्र पाये जा सकते हैं।
1892 सामायिक चारित्र किस अपेक्षा से पाया जाता हैं?
6-7-8-9 गुणस्थान की अपेक्षा से ।
6-7-8-9 गुणस्थान की अपेक्षा से ।
1893 छेदोपस्थापनीय चारित्र किस अपेक्षा से पाया जाता हैं?
6-7-8-9 गुणस्थान की अपेक्षा से।
6-7-8-9 गुणस्थान की अपेक्षा से।
1894 परिहार विशुद्धि चारित्र किस अपेक्षा से पाया जाता हैं?
6-7 वें गुणस्थान की अपेक्षा से ।
6-7 वें गुणस्थान की अपेक्षा से ।
1895 सुक्ष्म संपराय चारित्र किस अपेक्षा से पाया जाता हैं?
10वें गुणस्थान की अपेक्षा से।
10वें गुणस्थान की अपेक्षा से।
1896 यथाख्यात चारित्र किस अपेक्षा से पाया जाता हैं?
11-12-13-14 गुणस्थान की अपेक्षा से ।
11-12-13-14 गुणस्थान की अपेक्षा से ।
1897 अग्लान भाव से सेवा करते हुए उपाध्याय कहाँ जा सकते हैं?
मोक्ष में जा सकते हैं।
मोक्ष में जा सकते हैं।
1898 अग्लान भाव से ज्ञान आदि देनेवाले उपाध्याय कमसेकम �कितने भव करके मोक्ष जाते हैं?
उसी भव में ।
उसी भव में ।
1899 अग्लान भाव से ज्ञान आदि देनेवाले उपाध्याय उत्कृष्ट कितने भव करके मोक्ष जाते हैं?
तीन भव में ।
तीन भव में ।
1900 कौन से उपाध्यायजी की पालखी के आगे चार झंडियां लगी रहती थी?
उपाध्याय यशोविजयजी म.सा.
उपाध्याय यशोविजयजी म.सा.
1901 तीनों काल की अपेक्षा से उपाध्यायजी में कितने ध्यान पाये जा सकते हैं?
तीन ध्यान ।
तीन ध्यान ।
1902 उपाध्यायजी में आर्तध्यान किस अपेक्षा से पाया जाता हैं?
छठे गुणस्थान की अपेक्षा से।
छठे गुणस्थान की अपेक्षा से।
1903 उपाध्यायजी किसके जानकार होते हैं?
स्वमत तथा परमत के ज्ञाता होते हैं।
स्वमत तथा परमत के ज्ञाता होते हैं।
1904 उपाध्यायजी कितने प्रमाण के ज्ञाता होते हैं?
चार प्रमाण ।
चार प्रमाण ।
1905 उपाध्यायजी में धर्मध्यान किस अपेक्षा से पाया जाता हैं?
6ठे,7वें गुणस्थान की अपेक्षा से ।
6ठे,7वें गुणस्थान की अपेक्षा से ।
1906 उपाध्यायजी में शुक्लध्यान किस अपेक्षा से पाया जाता हैं?
8से14 गुणस्थान की अपेक्षा से ।
8से14 गुणस्थान की अपेक्षा से ।
1907 तीनों काल की अपेक्षा से उपाध्यायजी में कितनी लेश्या पायी जाती हैं?
6 लेश्याएं ।
6 लेश्याएं ।
1908 उपाध्यायजी में कृष्ण लेश्या किस अपेक्षा से पायी जाती हैं?
छठे गुणस्थान की अपेक्षा से ।
छठे गुणस्थान की अपेक्षा से ।
1909 उपाध्यायजी में नील लेश्या किस अपेक्षा से पायी जाती हैं?
छठे गुणस्थान की अपेक्षा से ।
छठे गुणस्थान की अपेक्षा से ।
1910उपाध्यायजी में कापोत लेश्या किस अपेक्षा से पायी जाती हैं?
छठे गुणस्थान की अपेक्षा से ।
छठे गुणस्थान की अपेक्षा से ।
1911 उपाध्यायजी में तेजो लेश्या किस अपेक्षा से पायी जाती हैं?
6- 7 गुणस्थान की अपेक्षा से ।
6- 7 गुणस्थान की अपेक्षा से ।
1912 उपाध्यायजी में पद्म लेश्या किस अपेक्षा से पायी जाती हैं?
6-7 गुणस्थान की अपेक्षा से ।
6-7 गुणस्थान की अपेक्षा से ।
1913 उपाध्यायजी में शुक्ल लेश्या किस अपेक्षा से पायी जाती हैं?
6-13 गुणस्थान की अपेक्षा से ।
6-13 गुणस्थान की अपेक्षा से ।
1914 उपाध्यायजी को सामायिक चारित्र में कितने उपयोग पाये जा सकते हैं?
7उपयोग (4 ज्ञान , 3 दर्शन )।
7उपयोग (4 ज्ञान , 3 दर्शन )।
1915 उपाध्यायजी को छेदोपस्थापनीय चारित्र में कितने उपयोग पाये जा सकते हैं?
7उपयोग (4 ज्ञान , 3 दर्शन )।
7उपयोग (4 ज्ञान , 3 दर्शन )।
1916 उपाध्यायजी को परिहार विशुद्धि चारित्र में कितने उपयोग पाये जा सकते हैं?
7उपयोग (4 ज्ञान , 3 दर्शन )।
7उपयोग (4 ज्ञान , 3 दर्शन )।
1917उपाध्यायजी को सुक्ष्म संपराय चारित्र में कितने उपयोग पाये जा सकते हैं?
7उपयोग (4 ज्ञान , 3 दर्शन ) ।
7उपयोग (4 ज्ञान , 3 दर्शन ) ।
1918 उपाध्यायजी को यथाख्यात चारित्र में कितने उपयोग पाये जा सकते हैं?
9उपयोग (5ज्ञान , 4दर्शन ) ।
9उपयोग (5ज्ञान , 4दर्शन ) ।
1919 यथाख्यात चारित्र मे 9उपयोग कैसे पाये जा सकते हैं?
11-12 वें गुणस्थान में -4ज्ञान -3दर्शन 13 वें -14वें गुणस्थान मे -केवलज्ञान - केवलदर्शन ।
11-12 वें गुणस्थान में -4ज्ञान -3दर्शन 13 वें -14वें गुणस्थान मे -केवलज्ञान - केवलदर्शन ।
1920 उपाध्यायजी को सामायिक चारित्र मे कितने कर्मो की निर्जरा करते हैं?
8 कर्मो की निर्जरा करते है।
8 कर्मो की निर्जरा करते है।
1921 उपाध्यायजी छेदोपस्थापनीय चारित्र मे कितने कर्मो की निर्जरा करते हैं?
8 कर्मो की निर्जरा करते है।
8 कर्मो की निर्जरा करते है।
1922 उपाध्यायजी परिहार विशुद्धि चारित्र मे कितने कर्मो की निर्जरा करते हैं?
8 कर्मो की निर्जरा करते है।
8 कर्मो की निर्जरा करते है।
1923 उपाध्यायजी सुक्ष्म संपराय चारित्र मे कितने कर्मो की निर्जरा करते हैं?
8 कर्मो की निर्जरा करते है।
8 कर्मो की निर्जरा करते है।
1924 उपाध्यायजी थाख्यात चारित्र मे कितने कर्मो की निर्जरा करते हैं?
7 या 8 कर्मो की निर्जरा करते है।
7 या 8 कर्मो की निर्जरा करते है।
1925 उपाध्यायजी सात कर्मो की निर्जरा किस गुणस्थान मे करते हैं?
11-12 वें गुणस्थान में (मोहनीय को छोड़कर )।
11-12 वें गुणस्थान में (मोहनीय को छोड़कर )।
1926 उपाध्यायजी चार कर्मो की निर्जरा किस गुणस्थान मे कर सकते हैं?
13-14 वें गुणस्थान में -4आघाती कर्मो की ।
13-14 वें गुणस्थान में -4आघाती कर्मो की ।
1927 उपाध्यायजी तेरहवें गुणस्थान में आने पर कौन से पद में आ सकते है ?
पहले अरिहंत भगवान के पद मे आ सकते हैं।
पहले अरिहंत भगवान के पद मे आ सकते हैं।
1928 उपाध्यायजी को 22 परिषह कितने गुणस्थानों तक में उत्पन्न हो सकते हैं?
6-7-8-9 वें गुणस्थान में ।
6-7-8-9 वें गुणस्थान में ।
1929 उपाध्यायजी को 14 परिषह कितने गुणस्थानों तक में उत्पन्न हो सकते हैं?
10-11-12 वें गुणस्थान में ।
10-11-12 वें गुणस्थान में ।
1930 उपाध्यायजी को ग्यारह परिषह कितने गुणस्थानों तक में उत्पन्न हो सकते हैं?
13वें -14वें गुणस्थान में ( वेदनीय कर्म जन्य 11 परिषह )।
13वें -14वें गुणस्थान में ( वेदनीय कर्म जन्य 11 परिषह )।
17 प्रकार के संयम
1931 साधु कितने प्रकार के संयम का पालन करते हैं?
सतरह प्रकार का ।
सतरह प्रकार का ।
1932 संयम कितने प्रकार का हैं?
1.पृथ्वीकाय संयम 2. अपकाय संयम 3. तेउकाय संयम 4.वायुकाय संयम 5. वनस्पतिकाय संयम 6. बेइंद्रिय संयम 7. तेइंद्रिय संयम 8. चतुरिन्द्रिय संयम 9. पंचेन्द्रिय संयम 10 . अजीवकाय संयम 11. प्रेक्षा संयम 12. उपेक्षा संयम 13. अपहत्य संयम 14. प्रमार्जना संयम 15. मनः संयम 16. वचन संयम 17. काय संयम ।
1.पृथ्वीकाय संयम 2. अपकाय संयम 3. तेउकाय संयम 4.वायुकाय संयम 5. वनस्पतिकाय संयम 6. बेइंद्रिय संयम 7. तेइंद्रिय संयम 8. चतुरिन्द्रिय संयम 9. पंचेन्द्रिय संयम 10 . अजीवकाय संयम 11. प्रेक्षा संयम 12. उपेक्षा संयम 13. अपहत्य संयम 14. प्रमार्जना संयम 15. मनः संयम 16. वचन संयम 17. काय संयम ।
1933 संयम किसे कहते हैं?
समिति पुर्वक या सावधानी पूर्वक यम -नियमों के पालन को संयम कहते हैं।
समिति पुर्वक या सावधानी पूर्वक यम -नियमों के पालन को संयम कहते हैं।
1934 पृथ्वीकाय संयम किसे कहते हैं?
पृथ्वीकाय जीवों की रक्षा करना , पृथ्वीकायिक जीवों को किंचित भी बाधा नहीं पहुँचाना पृथ्वीकायिक विषय संयम हैं ।
पृथ्वीकाय जीवों की रक्षा करना , पृथ्वीकायिक जीवों को किंचित भी बाधा नहीं पहुँचाना पृथ्वीकायिक विषय संयम हैं ।
1935 अपकाय संयम किसे कहते हैं?
अपकाय जीवों को किंचित भी बाधा न पहुँचाते हुए रक्षा करना ।
अपकाय जीवों को किंचित भी बाधा न पहुँचाते हुए रक्षा करना ।
1936 तेउकाय संयम किसे कहते हैं?
तेउकाय जीवों को किंचित भी बाधा न पहुँचाते हुए रक्षा करना ।
तेउकाय जीवों को किंचित भी बाधा न पहुँचाते हुए रक्षा करना ।
1937 वायुकाय संयम किसे कहते हैं?
वायुकाय जीवों को किंचित भी बाधा न पहुँचाते हुए रक्षा करना ।
वायुकाय जीवों को किंचित भी बाधा न पहुँचाते हुए रक्षा करना ।
1938 वनस्पतिकाय संयम किसे कहते हैं?
वनस्पति कायिक जीवों को किंचित भी बाधा न पहुँचाते हुए रक्षा करना ।
वनस्पति कायिक जीवों को किंचित भी बाधा न पहुँचाते हुए रक्षा करना ।
1939 बेइन्द्रिय संयम किसे कहते हैं?
लट आदि बेइन्द्रिय जीवों को किंचित भी बाधा न पहुँचते हुए रक्षा करना ।
लट आदि बेइन्द्रिय जीवों को किंचित भी बाधा न पहुँचते हुए रक्षा करना ।
1940 तेइन्द्रिय संयम किसे कहते हैं?
जूं , लीख , कीड़ी आदि जीवों को किंचित भी बाधा न पहुँचाते हुए रक्षा करना ।
जूं , लीख , कीड़ी आदि जीवों को किंचित भी बाधा न पहुँचाते हुए रक्षा करना ।
1941 चतुरिन्द्रिय संयम किसे कहते हैं?
मक्खी ,मच्छर , आदि चतुरिन्द्रिय जीवों को किंचित भी बाधा न पहुँचाते
हुए रक्षा करना ।
मक्खी ,मच्छर , आदि चतुरिन्द्रिय जीवों को किंचित भी बाधा न पहुँचाते
हुए रक्षा करना ।
1942 पंचेन्द्रिय संयम किसे कहते हैं?
पशु, पक्षी, मानव आदि पंंचेन्द्रिय जीवों को किंचित भी बाधा न पहुँचाते हुए रक्षा करना ।
पशु, पक्षी, मानव आदि पंंचेन्द्रिय जीवों को किंचित भी बाधा न पहुँचाते हुए रक्षा करना ।
1943 अजीव काय संयम किसे कहते हैं?
वस्त्र , पात्र , पुस्तकादि प्रत्येक वस्तु को यतना से लेना और यतना से रखना ।
वस्त्र , पात्र , पुस्तकादि प्रत्येक वस्तु को यतना से लेना और यतना से रखना ।
1944 प्रेक्षा संयम किसे कहते हैं?
किसी भी वस्तु को विधिपुर्वक देख , परख करके उपयोग में लेना प्रेक्षा संयम हैं।
किसी भी वस्तु को विधिपुर्वक देख , परख करके उपयोग में लेना प्रेक्षा संयम हैं।
1945 उत्प्रेक्षा संयम कि�से कहते हैं?
शत्रु -मित्र और ईष्ट -अनिष्ट पर राग -द्वेष नहीं करना ,किंतु उनमें मध्यस्थ भाव रखना अथवा उपदेश द्वारा मिथ्यादृष्टि को सम्यगदृष्टि बनाना , मार्गानुसारी को श्रावक या साधु बनाना अथवा धर्म से या संयम से अस्थिर को स्थिर करना उत्पेक्षा संयम हैं।
1946 अपहत्य संयम किसे कहते हैं?
लघुनीति -बड़ीनीत आदि अनुपयोगी परठने योग्य वस्तु को निर्जीव भुमि विधिपूर्वक परठना
अपहत्य संयम कहलाता हैं।
शत्रु -मित्र और ईष्ट -अनिष्ट पर राग -द्वेष नहीं करना ,किंतु उनमें मध्यस्थ भाव रखना अथवा उपदेश द्वारा मिथ्यादृष्टि को सम्यगदृष्टि बनाना , मार्गानुसारी को श्रावक या साधु बनाना अथवा धर्म से या संयम से अस्थिर को स्थिर करना उत्पेक्षा संयम हैं।
1946 अपहत्य संयम किसे कहते हैं?
लघुनीति -बड़ीनीत आदि अनुपयोगी परठने योग्य वस्तु को निर्जीव भुमि विधिपूर्वक परठना
अपहत्य संयम कहलाता हैं।
1947 प्रर्माजन संयम किसे कहते हैं?
वस्त्र , पात्रादि का विधिपूर्वक प्रमार्जन करना तथा अंधकार युक्त स्थान में तथा रात्रि के समय रजोहरण
से भूमि को प्रमार्जित करके आवागमन करना प्रमार्जन संयम कहते हैं।
वस्त्र , पात्रादि का विधिपूर्वक प्रमार्जन करना तथा अंधकार युक्त स्थान में तथा रात्रि के समय रजोहरण
से भूमि को प्रमार्जित करके आवागमन करना प्रमार्जन संयम कहते हैं।
1948 मन संयम किसे कहते हैं?
मन के अप्रशस्त व्यापार को रोककर प्रशस्त में लगाने को वचन संयम कहते हैं।
मन के अप्रशस्त व्यापार को रोककर प्रशस्त में लगाने को वचन संयम कहते हैं।
1949 वचन संयम किसे कहते हैं?
वचन के अप्रशस्त व्यापार को रोककर प्रशस्त में लगाने को वचन संयम कहते हैं।
वचन के अप्रशस्त व्यापार को रोककर प्रशस्त में लगाने को वचन संयम कहते हैं।
1950 काय संयम किसे कहते हैं?
काय के अप्रशस्त व्यापार को रोककर प्रशस्त में लगाने को वचन संयम कहते हैं।
काय के अप्रशस्त व्यापार को रोककर प्रशस्त में लगाने को वचन संयम कहते हैं।
1951 अारंभजनक कार्यों की प्रेरणा �की प्रेरणा देनेवाला साधक संयम का आराधक होता हैं या विराधक ?
वह साधक संयम का आराधक नही किंतु विराधक होता हैं ।
वह साधक संयम का आराधक नही किंतु विराधक होता हैं ।
1952 संयम के दुसरी प्रकार से 17 भेद कौन से होते हैं?
5 आस्रवों का त्याग ,5 इन्द्रियों का दमन ,4 कषायों का निग्रह ,3 योगो का निग्रह (मन , वचन, काय योग को वश में करना )5+5+4+3=17
5 आस्रवों का त्याग ,5 इन्द्रियों का दमन ,4 कषायों का निग्रह ,3 योगो का निग्रह (मन , वचन, काय योग को वश में करना )5+5+4+3=17
1953 साधु के पास कितने रत्न होते हैं?
तीन रत्न ।
तीन रत्न ।
1954 साधु के पास तीन रत्न कौन कौन से होते हैं?
1. सम्यगदर्शन 2. सम्यगज्ञान 3. 3.सम्यगचारित्र ।
1. सम्यगदर्शन 2. सम्यगज्ञान 3. 3.सम्यगचारित्र ।
1955 सम्यगदर्शन किसे कहते हैं?
जीवादि तत्वों पर श्रद्धा करना सम्यगदर्शन कहलाता हैं।
जीवादि तत्वों पर श्रद्धा करना सम्यगदर्शन कहलाता हैं।
1956 सम्यग ज्ञान किसे कहते हैं?
जिससे वस्तु का यथार्थ स्वरुप को जाना जाय उसे सम्यग ज्ञान कहते हैं ।
जिससे वस्तु का यथार्थ स्वरुप को जाना जाय उसे सम्यग ज्ञान कहते हैं ।
1957 सम्यक चारित्र किसे कहते हैं?
संसार की कारणभूत क्रियाओ का परित्याग करके अपने आत्म स्वरूप में रमण करने को सम्यक चारित्र कहते हैं।
संसार की कारणभूत क्रियाओ का परित्याग करके अपने आत्म स्वरूप में रमण करने को सम्यक चारित्र कहते हैं।
1958 मोक्ष के मार्ग किसे कहते है
तीन ।
तीन ।
1959 मोक्ष के तीन मार्ग कौन कौन से हैं?
सम्यकदर्शन ,सम्यकज्ञान ,सम्यक चारित्र ये तीनो मोक्ष के मार्ग हैं।
(सम्यग दर्शन ज्ञान चारित्राणि मोक्षमार्गः )तत्वार्थ सुत्र अध्याय 1सूत्र
सम्यकदर्शन ,सम्यकज्ञान ,सम्यक चारित्र ये तीनो मोक्ष के मार्ग हैं।
(सम्यग दर्शन ज्ञान चारित्राणि मोक्षमार्गः )तत्वार्थ सुत्र अध्याय 1सूत्र
1960 चरण सत्तरी मे वैयावृत्य के कितने भेद हैं?
दस भेद हैं।
दस भेद हैं।
1961 वैयावृत्य किसे कहते हैं?
सेवा करना वैयावृत्य कहलाता हैं।
सेवा करना वैयावृत्य कहलाता हैं।
1962 वैयावृत्य के दस भेद कौन से हैं?
दस भेद हैं। 1.आचार्य 2. उपाध्याय 3. शैक्ष ( नवदिक्षित ) 4. ग्लान 5. तपस्वी 6. स्थविर 7. स्वधर्मी 8. कुल (गुरु भ्राता ) 9. गण (संप्रदाय के साधु) 10. संघ (तीर्थ ) इन सब को आहार वस्त्र ,पात्र औषधोपचार आदि आवश्यक वस्तु ला देना , पैरो को दबाना आदि यथायोग्य सेवा करना वैयावृत्य तप हैं ।
दस भेद हैं। 1.आचार्य 2. उपाध्याय 3. शैक्ष ( नवदिक्षित ) 4. ग्लान 5. तपस्वी 6. स्थविर 7. स्वधर्मी 8. कुल (गुरु भ्राता ) 9. गण (संप्रदाय के साधु) 10. संघ (तीर्थ ) इन सब को आहार वस्त्र ,पात्र औषधोपचार आदि आवश्यक वस्तु ला देना , पैरो को दबाना आदि यथायोग्य सेवा करना वैयावृत्य तप हैं ।
1963 चार कषाय निग्रह कौन कौन से हैं?
क्रोध विजय , मान विजय, माया विजय , लोभ विजय ।
क्रोध विजय , मान विजय, माया विजय , लोभ विजय ।
1964 प्रभावना के कितने भेद हैं?
आठ भेद हैं।
आठ भेद हैं।
1965 प्रभावना के आठ भेद कौन कौन से हैं?
1.प्रवचन प्रभावना 2. धर्मकथा प्रभावना 3. धर्मदीप्त प्रभावना 4. त्रिकालज्ञ प्रभावना 5. तप प्रभावना 6. व्रत प्रभावना 7. विद्या प्रभावना 8. कवि प्रभावना ।
1.प्रवचन प्रभावना 2. धर्मकथा प्रभावना 3. धर्मदीप्त प्रभावना 4. त्रिकालज्ञ प्रभावना 5. तप प्रभावना 6. व्रत प्रभावना 7. विद्या प्रभावना 8. कवि प्रभावना ।
1966 उपाध्यायजी कौन से तीन योगों का निग्रह करते हैं?
1. मन योग निग्रह ,2. वचन योग निग्रह 3. काय योग निग्रह ।
1. मन योग निग्रह ,2. वचन योग निग्रह 3. काय योग निग्रह ।
�दश -यति धर्म �
1967 श्रमण के द्वारा पालने योग्य धर्म कितने प्रकार का हैं?
दस प्रकार का।
दस प्रकार का।
1968 क्षमा धर्म किसको जीतने के लिए कहा गया हैं?
क्रोध कषाय रुपी शत्रु को जीतने के लिए ।
क्रोध कषाय रुपी शत्रु को जीतने के लिए ।
1969 क्षमा धर्म का दूसरा नाम क्या हैं?
क्षंति / खंति / क्षान्ति ।
क्षंति / खंति / क्षान्ति ।
1970 श्रमण (यति) का सबसे पहला धर्म कौन सा हैं?
क्षमा धर्म ।
क्षमा धर्म ।
1971 क्षमा धर्म का पूर्ण रुपेण पालन किसने किया?
गजसुकुमाल ,अर्जुनमाली , आदि ने ।
गजसुकुमाल ,अर्जुनमाली , आदि ने ।
1972 लोभ को किसके द्वारा जीता जा सकता हैं?
निर्लोभता से (संतोष से )।
निर्लोभता से (संतोष से )।
1973 मुनि का दुसरा धर्म कौन सा हैं?
मुत्ति +निर्लोभ ।
मुत्ति +निर्लोभ ।
1974 निर्लोभता से कौन से गुण की प्राप्ति होती हैं?
संतोष गुण की ।
संतोष गुण की ।
1975 छल कपट का त्याग करना कौन सा धर्म हैं?
आर्जव धर्म - सरलता ।
आर्जव धर्म - सरलता ।
1976 माया कषाय को किससे जीता जा सकता हैं?
आर्जवता से (सरलता से )।
आर्जवता से (सरलता से )।
1977 धर्म कौन से व्यक्ति के ह्रदय मे ठहरता हैं?
सरल व्यक्ति के शुद्ध ह्रदय में ।
सरल व्यक्ति के शुद्ध ह्रदय में ।
1978 अभिमान का निग्रह कौन सा धर्म करता हैं?
मार्दव धर्म ।
मार्दव धर्म ।
1979 श्रमण का चौथा धर्म कौन सा हैं?
मार्दव धर्म - मृदृता विनम्रता ।
मार्दव धर्म - मृदृता विनम्रता ।
1980 विनम्रता से कौन सा गुण आता हैं?
विनय गुण ।
विनय गुण ।
1981 मार्दवता से कितने प्रकार के अभिमान को जीता जाता हैं?
आठ प्रकार के मद को ।
आठ प्रकार के मद को ।
1982 आठ प्रकार के मद कौन से हैं?
जाति ,कुल,बल, रुप,तप, श्रुत ,लाभ, ऐश्वर्य , मद ।
जाति ,कुल,बल, रुप,तप, श्रुत ,लाभ, ऐश्वर्य , मद ।
1983 ममत्व को कौन से यति धर्म से जीता जाता हैं?
लाघव धर्म ।
लाघव धर्म ।
1984 श्रमण का पाँचवा धर्म कौन सा हैं?
लाघव - लघुता ।
लाघव - लघुता ।
1985 असत्य रुपी शत्रु को किस धर्म से जीता जा सकता हैं?
सत्य धर्म से ।
सत्य धर्म से ।
1986 मुनि का छठा धर्म कौन सा हैं?
सत्य धर्म ।
सत्य धर्म ।
1987 इंद्रियों को वश में करने से कौन सा धर्म होता हैं?
संयम धर्म ।
संयम धर्म ।
1988 साधु का सातवां धर्म कौन सा हैं?
संयम धर्म ।
संयम धर्म ।
1989 करोडो़ं भवो के संचित कर्म कौन से धर्म से नष्ट होते हैं?
तप धर्म ।
तप धर्म ।
1990 श्रमण का आठवां धर्म कौन सा हैं?
तप धर्म ।
तप धर्म ।
1901 श्रमण का नवमां धर्म कौन सा हैं?
त्याग धर्म ।
त्याग धर्म ।
🅿1⃣ मैं सवाल हूँ ❓
🅰1⃣ प्रश्न व्याकरण सूत्र।
🅿2⃣ मैं व्यक्तिगत आगम हूँ❓
🅰2⃣ रायप्पसेणी सूत्र।
🅿3⃣ मैं धन्ना आदि अनगार को अपने घर ले गया❓
🅰3⃣ अणुत्तरोववाइ सूत्र।
🅿4⃣ में जैन जगत का तिथि तोरण हूँ ❓
🅰4⃣ चन्द्र पण्णति।
🅿5⃣ गौतमस्वामीजी के सवाल वीरजी के जबाब❓
🅰5⃣ भगवती सूत्र।व्याख्या प्रज्ञप्ति सूत्र।
🅿6⃣ मेरे क्लास में चरम शरीरीजीव है❓
🅰6⃣ अन्तगडदशांग सूत्र।
🅿7⃣ कोर्ट के कानून मेरे पास है❓
🅰7⃣ व्यवहार सूत्र।
🅿8⃣ में भगवान महावीर के कुल से प्रख्यात हूँ❓
🅰8⃣ ज्ञाताधर्म कथा सूत्र।
🅿9⃣ में ईकत्तीस सूत्रों के दरवाजे खोलता हूँ।
🅰9⃣ अनुयोगद्वार सूत्र।
🅿🔟 में दिक्षार्थी का पासपोर्ट हूँ❓
🅰🔟 दशवैकालिक सूत्र।
🅿1⃣1⃣ में हूँ ऑंखों का खजाना,calculator भी लगे मेरे सामने बौना❓
🅰1⃣1⃣ समवयांग सूत्र।
🅿1⃣2⃣ में मूनी जीवन का आचार हूँ❓
🅰1⃣2⃣ आचारांग सूत्र।
🅿1⃣3⃣ में हूँ छोटा पर मेरा काम बडा❓
🅰1⃣3⃣ बृहत्कल्प सूत्र।
🅿1⃣4⃣ मुझ में पांचवें गुणस्थानवालों का वर्णन है❓
🅰1⃣4⃣ उपासकंदशांग सूत्र।
🅿1⃣5⃣ ऋतु परिवर्तन की जबाबदारी मेरी ❓
🅰1⃣5⃣ श्री सूर्य प्रज्ञप्ति सूत्र।
🅿1⃣6⃣ प्रभात के पूर्व संध्या के बाद मेरा स्थान❓
🅰1⃣6⃣ आवश्यक सूत्र।
🅿1⃣7⃣ हम दोनों फूलों के समान अड़िग है❓
🅰1⃣7⃣ पुप्फिया , पुप्फचूलिया।
🅿1⃣8⃣ में सभी धर्म का आनंद मेला हूँ❓
🅰1⃣8⃣ सूयगडांगजी (सूत्रकृतांग सूत्र )
🅿1⃣9⃣ मुझ में है साधु के अभिग्रह और लब्धि का खजाना❓
🅰1⃣9⃣ उववाई (औपपातिक) सूत्र।
🅿2⃣0⃣ में छः द्रव्यों का स्कंध नहीं हूं❓
🅰2⃣0⃣ दशाश्रुतस्कंध सूत्र।
🅿2⃣1⃣ में ज्ञान के साथ आनंद और बुद्धि प्रदान करता हूं❓
🅰2⃣1⃣ नन्दी सूत्र।
🅿2⃣2⃣ में सृष्टि का दश॔न करवाता हूं❓
🅰2⃣2⃣ जीवाभिगम सूत्र।
🅿2⃣3⃣ में सृष्टि का सज॔न करवाता हूॅ❓
🅰2⃣3⃣ श्री प्रज्ञापना (पन्नवना) सूत्र।
🅿2⃣4⃣ में हूँ भगवान महावीर स्वामी की अंतिम शिक्षा❓
🅰2⃣4⃣ उत्तराध्यन सूत्र।
🅿2⃣5⃣ संपूर्ण सूत्र मेरे नाम से भरा है❓
🅰2⃣5⃣ स्थानांग सूत्र।
🅿2⃣6⃣ बौद्धिकता के मुकुट रूप राजवंशों के देवलोक में उत्पन्न होने का वर्णन है❓
🅰2⃣6⃣ कप्पवडंसिया सूत्र।
🅿2⃣7⃣ हरिवंश( वृष्णि) कूल की दिक्षा कथा मुझ में है❓
🅰2⃣7⃣ वण्हिदसा सूत्र।
🅿2⃣8⃣ में जगत का अध्यात्मिक भूगोल हूँ❓
🅰2⃣8⃣ जम्बूद्विप प्रज्ञप्ति सूत्र।
🅿2⃣9⃣ एक परिवार का काला ईतिहास❓
🅰2⃣9⃣ निरयावलिका सूत्र।
🅿3⃣0⃣ लडके का नाम धारी,मेरा काम भारी❓
🅰3⃣0⃣ निशीथ सूत्र।
🅿3⃣1⃣ में मेरे नाम के अनुसार काम करता हूं❓
🅰3⃣1⃣ विपाक सूत्र।
जयश्री चोरडिया ,मालेगाव।
*1)* जैन जगत का आध्यात्मिक भूगोल हु।
*(@) जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति*
*2)* में स्वयं कौन हु।
*(@) प्रश्न-व्याकरण सूत्र*
*3)* 31 सूत्र का दरवाजा खोलता हु।
*(@) अनुयोगद्वार सूत्र*
*4)* में भगवान महावीर स्वामी के कुल से प्रख्यात हूँ।
*(@) ज्ञाता धर्म*
*5)* दीक्षार्थी का पासपोर्ट हु।
*(@) दशवैकालिक सूत्र*
*6)* में मेरे नाम अनुसार काम करता हूँ।
*(@) व्यवहार सूत्र*
*7)* ऋतु परिवर्तन के परिवर्तन की जवाबदारी मेरी हे।
*(@) सूर्य प्रज्ञप्ति*
*8)* में हु छोटा लेकिन मेरा काम हे बड़ा।
*(@) बृहत कल्प*
*9)* में जैन जगत का तिथि का तोरण हूँ।
*(@) चंद्र प्रज्ञप्ति*
*10)* में पाँचवे गुणस्थान वाले का सम्मेलन हु।
*(@) उपासक दशांग सूत्र*
*11)* में सृष्टि के दर्शन करवाता हूँ।
*(@) पण्णवणा सूत्र*
*12)* में मुनि जीवन की kg की बुक हूँ।
*(@) आचारांग सूत्र*
*13)* मेरे बाद प्रभात और संध्या के बाद में।
*(@) आवश्यक सूत्र*
*14)* में सभी धर्मो का आनंद मेला हूँ।
*(@) सुयडांग सूत्र*
*15)* में साधू जी के अभिग्रह एवम् लब्धियो का खजाना हूँ।
*(@) उववाई सूत्र*
*16)* छः द्रव्यों का स्कंद नहीं।
*(@) दशाश्रुत स्कंध*
*17)* में ज्ञान के साथ आनंद बुद्धि प्रदान करता हूँ।
*(@) नंदी सूत्र*
*18)* मेरे नाम से सम्पूर्ण शाश्त्र भरा पड़ा है।
*(@) रायप्पसेनी सूत्र*
*19)* में प्रभु वीर की अंतिम शिक्षा हु।
*(@) उत्तराध्यन सूत्र*
*20)* में धन्ना और शालीभद्र जि को अपने घर ले आया।
*(@) अनुत्तरोववाई सूत्र*
*21)* मेरे क्लास में चरम शरीरी जिव हे।
*(@) अंतगड़दशांग सूत्र*
*22)* में अंको का खजाना हु ।
*(@) समवायांग सूत्र*
*23)* जिनशाशन की कोर्ट के सारे कानून मेरे पास हे।
*(@) सुख विपाक सूत्र*
*24)* में गुरु गौतम के सवाल प्रभु वीर के जवाब हु।
*(@) भगवती सूत्र*
*25)* मेरा दीक्षा विधि के समय गुरु भगवन्त के मुख से 3 बार उच्चारण होता हे।
*(@) नंदी सूत्र*
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🔒1)में पाँच भागो में विभक्त हूँ जिसका एक भाग पूर्वगत है।आज मेरा लोप हो चुका है❓
🔑1) दृष्टिवाद
🔒2) मुझमें पाँच ज्ञानो का वर्णन है एवं मुझे मंगलकारी कहाँ जाता है❓
🔑2) नंदी सूत्र
🔒3) मैंएक ऐसा भाग्यशाली आगम हूँ,जिसमे वर्णित समस्त आत्माएँ मोक्ष की अधिकारी बनी❓
🔑3) अंतगडदशांग सूत्र
🔒4) वर्त्तमान में समस्त आगमो में सर्वाधिक परिमाण मेरा है❓
🔑4) भगवती सूत्र
🔒5) मेरा निर्माण पु.श्य्यमभव सूरी जी ने मुनी मनक के लिये किया है❓
🔑5) दशवैकालिक सूत्र
🔒6) मेरे प्रथम अध्ययन का नाम 'शस्त्र परिज्ञा'है जिसमे षट्कायीक जीवों में जीवत्व एवं उनके सुख-दुख की विवेचना है❓
🔑6) आचारांग सूत्र
🔒7) मेरे में वर्णित 33 जीव काल करके अनुत्तर विमान में उत्पन्न हुवे❓
🔑7) अनुत्तरोववाई सूत्र
🔒8) मेरे में केशी श्रमण एवं परदेशी राजा के संवाद है?
🔑8) रायप्पसेणी सूत्र
🔒9) मैं भगवती सूत्र का उपांग सूत्र हु❓
🔑9) जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति
🔒10) मेरे में चेटक राजा और कोणिक के युद्ध का वर्णन है❓
🔑10) निरयावलिया/निरयावलिका
🔒11) मै वही आगम हूँ जिसमे साधु व श्रावक,दोनो के लिये प्रतिदिन प्रतिक्रमण का निर्देश किया है❓
🔑11) आवश्यक सूत्र
🔒12) मेरे में साधु को प्रायश्चित देने की विधि का वर्णन है❓
🔑12) निशीथ सूत्र
🔒13) मेरे में वीर प्रभु की अंतिम वाणी रूप 36 अध्ययन है ❓
🔑13) उत्तराध्ययन सूत्र
🔒14) मेरे में साधु के वस्त्र पात्र मकान ग्रहण करने की योग्य-अयोग्य विधि का वर्णन है❓
🔑14) बृहद् कल्प सूत्र
🔒15) मेरे में वीर प्रभु के 10 श्रावको का वर्णन है❓
🔑15) उपासक दशांग सूत्र
🔒16) मेरे में साढ़े तीन करोड़ धर्म कथाएं समाहित थी❓
🔑16) ज्ञाताधर्म कथा
🔒17) ऋषभ का पर्यायवाची नाम वाला कौनसा सूत्र है?
🔑17) नंदी सूत्र
🔒18) मैं छः अक्षर वाला हु जिसके प्रथम दो अक्षर से एक उपसर्ग बनता है,मध्यवर्ती दो शब्द तीन भेद वाला है,अंतिम दो शब्द दरवाजे के पर्यायवाचि है❓
🔑18) अनुयोगद्वार सूत्र
🔒19) मुझमें बद्ध कर्मों के सुख दुख रुपी परिणामों की व्याख्या है❓
🔑19) विपाक सूत्र
🔒20) मुझमें जीव तत्व का विशेषतया वर्णन हूआ है,अत: मेरा नाम भी गुण निष्पन्न्न है ❓
🔑20) जीवाभिगम सूत्र
🔒21) मेरे में 5 आश्रव, 5 संवर के भेद-फल आदि का वर्णन है❓
🔑21) प्रश्न व्याकरण
🔒22) मेरे में एक से दस की संख्या में द्रव्य तत्त्व आदि का ब्यौरा है❓
🔑22) स्थानांग सूत्र
🔒23) मेरे में नरकगामी जीवो की कथाएँ है❓
🔑23) निरयावलिका सूत्र
🔒24) मेरे में द्वादशांगी, श्लाका पुरुष, कुलकर आदि का वर्णन है ❓
🔑24) समवायांग सूत्र
🔒25) मेरे में साधु के आचार-व्यवहार, पद की योग्यता, शिक्षा विचार का वर्णन है❓
🔑25) व्यवहार कल्प
🔒26) मेरे आठवें पर्युषणा कल्प से सामग्री लेकर कल्पसूत्र का निर्माण हुआ है❓
🔑26) दशाश्रुत स्कन्ध सूत्र
🔒27) मेरा विषय स्वमत मंडन एवं परमत खंडन है, मुझ पर शिलंकाचार्य ने टिका लिखी है
🔑27) सूत्र कृतांग सूत्र
🔒28) गुणस्थान का नाम जीवस्थान किस शास्त्र में कहा है ❓
🔑28) समवायांग सूत्र
🔒29) सात नय का वर्णन किन शास्त्रो में मिलता है❓
🔑29) अनुयोग द्वार , ठानांग सूत्र
🔒30) विनय नामक पहला अध्ययन कौन से आगम का है❓
🔑30) उत्तराध्ययन सूत्र
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