सुरक्षा किसने दी , विजयी कौन
*❓1️⃣ अहिँसा महाव्रत की सुरक्षा किसने की*
*🅰️1️⃣अंगार मर्दनचार्य के 500 शिष्य ने*
*❓2️⃣सत्य महाव्रत की सुरक्षा किसने की*
*🅰️2️⃣ गणधर गौतम ने आनंद जी से क्षमा मांग कर*
*❓3️⃣ अचौर्य महाव्रत की सुरक्षा किसने की*
*🅰️3️⃣ व्रजस्वामी ने देव अदत्त अस्वीकार कर के*
*❓4️⃣ अपरिग्रह महाव्रत की सुरक्षा किसने की*
*🅰️4️⃣आचार्य रत्नाकर सूरी जी ने*
*❓5️⃣ब्रह्मचर्य महाव्रत की सुरक्षा किसने की*
*🅰️5️⃣आर्य स्थूलिभद्र ने कोशा की रंग शाला में रह कर भी स्थिर रहे*
*❓6️⃣श्रोतेन्द्रीय विजयी कोन बने*
*🅰️6️⃣ अर्जुनमुनि लोगो की गलियां और कटु वचन सुन कर भी मुक्ति पाई*
*❓7️⃣चक्षु इन्द्रिय विजयी कोन बने*
*🅰️7️⃣ जम्बू स्वामी 8 पत्नियों के रूप पर मोहित नही हुए*
*❓8️⃣घ्राणेन्द्रिय विजयी कोंन*
*🅰️8️⃣नंदिशेन मुनि ग्लानि के बिना गुरुकी वैय्यावच्च की*
*❓9️⃣रसनेन्द्रिय विजयी कोन बने*
*🅰️9️⃣काकंदी के धन्ना अणगार बेले के पारणे आयम्बिल उसमे भी उज्झित आहार*
*❓🔟 स्पर्शनेन्द्रीय विजयी कोन बने?*
*🅰️🔟 हरिकेशी मुनि*
*❓⏸️क्रोध विजयी कोन बने*
*🅰️⏸️खंदक मुनि के 500 शिष्य घाणी में पिलेगये पर समभाव रखा*
*❓1️⃣2️⃣मान विजयी कोन बने*
*🅰️1️⃣2️⃣ बाहुबली मुनि और दर्शाणभद्र राजा*
*❓1️⃣3️⃣माया विजयी कोंन*
*🅰️1️⃣3️⃣ सोमदेव ब्राह्मण हरिकेशी मुनि का पूर्व भव में माया की फिर माया को त्याग कर दीक्षा ली*
*❓1️⃣4️⃣लोभ विजयी कोन*
*🅰️1️⃣4️⃣ कपिल केवली*
*❓1️⃣5️⃣मन समाधरणीय कोन थे*
*🅰️1️⃣5️⃣प्रसन्न चंद्र राजर्षि*
*❓1️⃣6️⃣वचन समाधरणीय कोन बने*
*🅰️1️⃣6️⃣मेतार्य मुनि स्कंदक मुनि मरनंतिक उपसर्ग आने पर भी वचन संयत बने रहे*
*❓1️⃣7️⃣काय समाधरणीय कोंन बने*
*🅰️1️⃣7️⃣ धरमरुचि अणगार*
*❓1️⃣8️⃣भाव सच्चे कोन हुए*
*🅰️1️⃣8️⃣विष्णु कुमार मुनि मेघ मुनि*
*❓1️⃣9️⃣करण सच्चे कोन हुए*
*🅰️1️⃣9️⃣आचार्य धर्मदास जी म सा शिष्य के स्थान पर स्वयम संथारे पर बैठ गए*
*❓2️⃣0️⃣ योग सच्चे कोन हुए*
*🅰️2️⃣0️⃣ विजय शेठ विजय शैठानि बाद में दीक्षित हुए*
*❓2️⃣1️⃣क्षमा वंत कोन हुए*
*🅰️2️⃣1️⃣अर्जुन अणगार*
*❓2️⃣2️⃣वैराग्य वंत कौन हुए*
*🅰️2️⃣2️⃣ जम्बूस्वामी*
*❓2️⃣3️⃣ज्ञान सम्पन्न कोन थे*
*🅰️2️⃣3️⃣ वज्रस्वामी पालने में ही 11 अंगों का ज्ञान हो गया*
*❓2️⃣4️⃣ दर्शन सम्पन्न कौन थे*
*🅰️2️⃣4️⃣श्यामाचार्य और नमी राजर्षि दोनों की इंद्र ने परीक्षा ली थी*
*❓2️⃣5️⃣चरित्र सम्पन्नता से परिपूर्ण कोन थे*
🅰️2️⃣5️⃣जम्बू स्वामी जी
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