महावीर कथा

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      *महावीर के उपदेश ग्रुप से*
 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕

🔴 *गौशालक की वाचालता* 🔴 2⃣0⃣4⃣
आवर्त से विहार🚶🏽 कर भगवान चोराक ग्राम🏚 पधारे और किसी एकांत स्थान में प्रतिमा 😷धारण कर के रहे ।गौशालक भिक्षा🍪🍱 के लिए गया ।उसने देखा की कुछ मित्र मिल कर भोजन बना रहे ।अभी भोजन  बनने में कुछ समय लगेगा ।वह चुप रहकर देखने लगा ।उस गांव में चोरो का उपद्रव हो रहा था । भोजन बनाने वाले मित्रो में से किसी ने गौशालक को छुपकर झांकते हुए द्वख लिया और चोर समझ के खूब पिटाई 😨की ।वहाँ से विहार कर भगवान कलम्बुक ग्राम की ओर पधारे ।वहाँके स्वामी मेघ और कालहस्ती नाम के दो बन्धु थे ।
 🍁 कालहस्ती सेना👨‍👨‍👧 लेकर चोरो को पकड़ने जा रहा था ।मार्ग में गौशालक और भगवान की ओर देखकर पूछा तुम कौन हो ❓ भगवान तो मौन😷 रहते थे ,परन्तु गौशालक मौन न रखते हुए भी चुप
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🔴   *कर्मो की निर्बिड श्रृंखला* 🔴 2⃣0⃣5⃣

उन्हें उनपर संदेह🤔 हुआ और सैनिकों द्वारा दोनों को बंदी बनाया लिया ।
इसके बाद अपने भाई मेघ👨 को दंड देने केलिए कहाँ ।मेघ पहले सिद्धार्थ राजा की सेवा में रह चुका था ।उसने भगवान की पहचान लिया क्षमायाचना करते हुए छोड़ दिया ।
  🍁भगवान ने सोचा आर्यदेश में रह कर कर्मो की विशेष निर्जरा करना असम्भव हैं ।जहाँ परिचित लोग👲🏽👱🏽 बचाव करके बाधक बन जाते हैं ।इसलिए मेरे लिए अनार्य देश में जा कर कर्मो की  ,विशेष निर्जरा करना श्रेयस्कर है । इस प्रकार सोचकर भगवान लाट देश की वज्र भूमि 🏢पधारे ।भगवान प् आर्यभूमि में रहे हुए अनार्य लोगो द्वारा जों उपसर्ग😯 उतपन्न हुए ,उन यातनाओं को सहन करने से जो निर्जरा हो रही थी ,वह भगवन को अपर्याप्त लगी ।


✍ संकलन
      बेहेन सोनालीजी कटारिया
      निरगुड़सर,पूना
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🔴 *लाट प्रदेश की ओर....* 🔴2⃣0⃣6⃣

उन्होंने अपने ज्ञान से जाना की मेरे कर्म अति निविड़ 😌हैं । इसकी निर्जरा इस प्रदेश⛵ में रहते नही हो सकती ।
  🍁इसके लिए लाट देश की वज्रभूमि और शुभ्र भूमि का क्षेत्र अनुकूल है...अनार्य क्षेत्र  के लोग अत्यंत क्रोधी😡 ,क्षुद्र 😑क्रूर एवम अधम मनोवृत्ति के है ।उनके खेल🎲 और मनोरंजन के साधन भी हिंसक और घोर पापपूर्ण है ।
 🍁भगवान उधर ही पधारे ।लोग उन्हें देख कर क्रोध में भभक😡 उठते ,मारते पीटते और शिकारी कुत्तों 🐕🐕को छोड़कर कटवाते वे भयंकर कुत्ते भगवान के पाँवो में दांत गढ़ा देते, मांस तोड़ लेते और असहय पीड़ा😭😥 उत्पन्न करते ।
  🍁उस भूमि में विचरने वाले शक्यादी साधु भी क्रूर कुत्तों से बचाव करने  के लिए लाठिये रखते थे ,फिर भी कुत्ते 🐕उनका पीछा करते और काट  भी खाते ।

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🔴  *लक्ष्य एक ही...कर्मो की निर्जरा*🔴2⃣0⃣7⃣

  🍁ऐसी भयावनी स्थिति में भी भगवान अपने शरीर से निरपेक्ष 😦रह कर विचरते रहते।उनके पास लाठी आदि बचाव का कोई साधन था ही नही।
  🍁वे हाथ🙌🏿 से डराकर या मुँह🗣 से दुत्कार कर अथवा शीघ्र चलकर या कहि छुपकर भी अपना बचाव नही करते थे ।
 जिस प्रकार अनुकूल प्रदेश में स्वाभाविक चाल और शांतचित्त😌 रह कर विचरते ,उसी प्रकार इस प्रतिकूल प्रदेश में हो रहे असहय कष्टों में भी उसे दृढ़ता शांति एवं धीर गम्भीरतापूर्वक😌 विचरते रहे          🍁ऐसे प्रदेश में उन्हें भिक्षा🍪 मिलना भी अत्यंत कठिन था । लम्बी एवम घोर तपस्या के पारणे में कभी कुछ मिल जाता ,तो वह भी रुक्ष ,रुचिकारक एवम तुच्छ होता ।भयंकर उपसर्गो की उपेक्षा करते हुए अपनी साधना में आगे बढ़ते रहते । इसलिये तो प्रभु इस प्रदेश में पधारे थे


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🔴 *घोर उपसर्ग..* 🔴2⃣0⃣8⃣
🍁अनार्य देश में घोर उपसर्ग सहने पड़े😌 । परन्तु भगवान घोरयुद्ध में विशाल शत्रु सेना के समुख अडिंग😐😷 रहकर ,धैर्यपूर्वक संग्राम करते हुए योद्धा के समान अडिंग रहते ।
  🍁भगवान को इससे सन्तोष ही होता ।वे चाह कर उपसर्गो के सम्मुख पधारे थे । गौशालक भी साथ था ।उसे भी बन्धन और ताड़ना की वेदनाएं😩 बिना इच्छा के सहनी ही पड़ी ।
 🍁 अनार्य देशों में ,विपत्तियों में ,संकटो के बादल ☁मंडराते रहे फिर भी प्रभु के साथ चल गौशालक👲🏽👲🏽....कदम कदम 👣पर प्रभु केसाथ ,कभी भूखा कभी प्यासा ।
 🍁एक अटूट रिश्ता बना लिया था, गजब की निष्ठा पैदा हो गयी थी गौशालक कि मन में प्रभु श्रमण वर्धमान के प्रति...गौशालक सोचता है कि ये कैसे श्रमण है ? ये चन्डकैशिक को अमृतकौशीक बना देते हैं,फिर ये कुत्तों🐈 को क्यों नही बदल पाते ।कहाँ गई इनकी🤔 करुणा ❓  फिर भी प्रभु के साथ चलता हे🚶🏽🚶🏽 गौशालक.....

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🔴 *उपसर्गो की कड़ियाँ* 🔴2⃣0⃣9⃣
भ महावीर को नग्न देखकर वहाँ के लोग उन्हें पीटते😑..गीली बेतो से उन पर  प्रहार 😭😓करते जिसके निशान उनकी चमड़ी पर उभर आते शिकारी कुत्ते🐕🐕 उनपर छोड़ देते ,जो उनकी पिंडलियों का मांस नोच लेते ।
 🍁लोग देखते रहते और कुत्तों 🐕को भगाने के बजाय तालियां दे दे कर नाचते ,कितनी ही बार लोग उनको कड़ियों ,मुठ्ठियों👊🏾 ,भाले की नोकों ,पत्थर तथा हड्डियों के खप्परो से पिट पिट कर शरीर में घाव कर देते ,रक्त की धारा बहा देते प्रभु ध्यान😷 में खड़े रहते तब उनपर धूल बरसाते,शस्त्र से प्रहार करते ,धकेल देते और उठाकर गेंद🏀 की तरह दूर फेंक देते। फिर भी प्रभु को निश्चल😷 कछड़े देख लोगोंको आश्चर्य😳 होता की यह इतनी पीड़ाएँ सहकर भी जीवित है...जैसे प्रभु ध्यान में खड़े होते वे उन्हें उठाकर गिरा देते ।प्रभु फिरसे ध्यान में खड़े होकर लग जाते ।

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🔴 *धन्य हो प्रभु....* 🔴2⃣1⃣0⃣
   🍁कभी खुली आँखों👁 से पलक हिलाए बिना किसी लक्ष्य पर ध्यान कर रहे हैं तो उनकी आंखोमें वे मिटटी डाल देते....उनके सामने खूब उछल👻 कूद करते ।
  🍁जिससे धूल आँखों में जाती तो असहय पीड़ा 😑😌होती।उसे समभाव से सहन करते पर मन में न कोई हीनता भाव ,न कोई शिकायत।उन्होंने अपने आप को पूर्ण रूप से छोड़ दिया था ,तुम्हे जो करना है करो,तुम्हारे अज्ञान और हिंसक व्यवहार पर भी मुझे प्रेम ही आता है।
 🍁प्रभु एक बार किसी छोटी पल्ली से जा रहे थे..उन्हें देख बच्चे👶🏼👶🏼 शोर मचाकर बड़े बड़े पत्थर फेकते।बांस की खापचियो से उन्हें मारते ।श्वान पीछे पीछे भौंकते रहते ।लोग कर्कश आवाज में पूछते बोलते क्यों नही ,तुम कौन हो ? क्यों आये हो यहाँ ।? चले जाओ यहाँ से ।

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🔴 *प्रबल आत्मशक्ति* 🔴2⃣1⃣1⃣
🍁उन बांस की खापचियो से महावीर के शरीर से खून निकल आता..उससे भी ज्यादा कष्ट उन श्वानों🐈 से होता जो शरीर को लक्ष्य कर छोड़ दिए जाते।वे उनके शरीर से मांस नोच लेते।
इतनी हिंसा झेलने के पश्चात शरीर में पीड़ा की लहरें उठ रहीथी..लेकिन वे लहरे उनकी शांति 😷को छू नही सकी।...
  🍁गौशालक ने देखा की प्रभु के शरीर पर कई जगह घाव😔 हो गए ,खून बह रहा हैं ,उसकी आँखों में 😭😭आंसू आ जाते हैं..."गुरुदेव अब मेरा धैर्य खत्म हो रहा हैं।अब और कष्ट नही सहे जाते।आप जैसी क्षमा ,सहने की क्षमता ,आत्मशक्ति मुझ में जरासी भी नही हैं।"
 "मेंर मन यहाँके कष्टों संकटोसे से  कमजोर 😔हो गया है।खाने पीने ☕🍪का यहाँ दुष्काल है ।आपके घाव से खून बह रहा है ।यह देखकर मुझे अधिक दुःख 😌हो रहा है ।ऊपर से आप कोई उपचार भी नही करवाते ?"
🍁 *भगवान महावीर में आत्मशक्ति इतनी प्रबल थी की वे अपने घावों का उपचार नही करते* ।


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🔴  *साधना की राह पर* 🔴2⃣1⃣2⃣
🍁भगवान महावीर में आत्मशक्ति इतनी प्रबल 😷थी की वे अपने घावों का उपचार नही करते ।
🍁उनके शरीर की रचना वज्र की तरह थी ,मनःशक्ति तथा साधना का असर ऐसा की छोटे छोटे घाव 😓तो क्या बड़े बाद घाव भी जल्दी भर देती ।शरीर के साथ वज्रमन दृढ़ इच्छाशक्ति हो ,प्रेम का अमृत भरा हो तो कमजोर शरीर में भी प्रतिकार शक्ति 🙏🏼का खजाना भर जाता हैं ।
  🍁गौशालक कि मनको कमजोर बना हुआ देख प्रभु समजाते है " ,वत्स !शरीर अपना काम करता है ।ये घाव आज नही कल भर जायेंगे ।"
 "किन्तु जन्मों से कर्मो का घाव है उन्हें ठीक करने के लिए ही तो साधना कर रहा हूँ ।मुझे न कोई कष्ट है ,न इनके प्रति शिकायत ।"

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🔴 *अनार्य से आर्यदेश की ओर...* 🔴2⃣1⃣3⃣
 🍁उस प्रदेश में घोर परिषह एवम उपसर्ग सहन कर और कर्मो की महान निर्जरा😷 कर के भगवान पुनः आर्यदेश की ओर मुड़े ।क्रमानुसार चलते🚶🏽🚶🏽 हुए *पूर्णकलश नामक गांव* के निकट उन्हें दो चोर💂🏼‍♀💂🏼‍♀ मिले ।वे लाटदेश में प्रवेश कर रहे थे ।चोरो ने भगवान का मिलना अपशकुन माना और क्रुद्ध 😡होकर मारने को तत्पर हुए ।
 🍁उस समय प्रथम स्वर्ग के स्वामी शकेंद्र ने सोचा 🤔
इस समय भगवान कहा है ।उसने ज्ञानोपयोग से चोरो को भगवान पर झपटते हुए देखा और तत्काल उपस्थित होकर उनका निवारण किया।
 🍁अनार्य भूमि से आर्य में आये उस समय प्रभु साधना के उच्च शिखर पर थे । उनके आभामंडल मुख मण्डल दिव्य तेज ✨से चमक रहा था ।गौशालक भी विश्वास के साथ गुरु के साथ चल पड़ा।आर्यभूमि में आते ही उसके सपने फिर से जग गये ।उसकी दबी हुई तृष्णा फिर करवट लेने लगी आर्य भूमि में आकर गोशालक परम् प्रसन्न हो गया ,हर्षित☺☺ हो गया
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🔴  *पांचवा वर्षावास* 🔴2⃣1⃣4⃣
आर्य भूमि में आकर गोशालक परम् प्रसन्न हो गया ,हर्षित हो गया .☺
*पांचवा वर्षावास* मलय देश की प्रमुख नगरी *भद्दीलनगर* में हुआ ।चार महीने का चौमासी तप करके पांचवा चातुर्मास करके वही व्यक्तित किया।चातुर्मास पूर्ण होने पर विहार🚶🏽 करके भगवान कदली समागम ग्राम पधारे ।वहाँके लोग याचको को अन्नदान🍪☕ करते थे ।भोजन मिलता देख गौशालक ने कहाँ" गुरु! यहाँ भोजन कर लेना चाहिए! "
 🍁भगवान तो अधिकतर तप में ही रहते थे ।अतएव गौशालक भोजन 🍱करने गया ।वह खाता ही गया ।दानदाताओं ने उसे भरपूर भोजन दिया ।गौशालक ने वहा ठूस ठूस करके आहार किया ,पानी पीना भी उसके लिए कठिन हो गया ।बड़ी कठिनाई से वह वहाँ से चलकर प्रभु 😷के निकट आया। वहाँ से विहार करके भगवान जम्बुखण्ड ग्राम पधारे ।वहाँ भी गौशालक ने सदाव्रत का भोजन किया ।वहाँ से भगवान तुम्बक ग्राम पधारे ।और कायोसर्ग प्रतिमा😷 धारण कर के रहे ।


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🔴 *उपसर्गो की कड़ियाँ...* 🔴2⃣1⃣5⃣
 🍁वहाँ से विहार करके भगवान कूपिक ग्राम के निकट पधारे ।वहाँ के आरकक्षो ने गुप्तचर समझके भगवान और गौशालक को बंदी 👬बना लिया और परेशान करने लगे ।
 🍁उस गांव में प्रगल्भा और विजया नामक दो परीव्राजिका रहती थी ,जो सम्यग चरित्र का त्याग करके परिव्राजिका😷 बनी थी ।उन्होंने गुप्तचर की बात सुनी तो देखने☹ आई ।प्रभु को पहचान के परिचय दिया और उपसर्ग टला ।
 🍁आरक्षकों👨🏽‍✈ ने क्षमायाचना की ।कूपिक से प्रभु ने विशाला नगरी की ओर विहार किया ।गौशालक ने सोचा 🤔की मेरा भगवान के साथ रहना निरथर्क है ।वे अधिकतर तपस्या और ध्यान में रहते हैं ।न तो इनकी ओरसे भिक्षा प्राप्ति में अनुकूलता होती है और न रक्षा ही होती हैं ।लोग मुझे पीटते है तो ये मेरा बचाव भी नही करते ।इनके साथ रहने से विपत्तियोंकी परम्परा बढ़ती रहेगी ...ये ऐसे प्रदेश में जाते हैं कि जहाँ के लोग अनार्य क्रूर और शत्रु जैसे हो.....

 जीवन चरित्र* 📕


🔴 *गौशालक विभक्त हुवा* 🔴2⃣1⃣6⃣

  🍁ये ऐसे प्रदेश में जाते हैं कि जहाँ के लोग अनार्य क्रूर😡 और शत्रु जैसे हो ।इनके साथ रहने में कोई लाभ नही हैं ।इस प्रकार सोचता हुवा  वह चला जा रहाथा ।कि ऐसे स्थल पर पंहुचा जहा का मार्ग दी दिशाओं में विभक्त हो गया था ।
गौशालक का धैर्य टुटा  बोला," गुरुदेव ! मै हमेशा पीटा जाता हूँ ।आप मौन😷 रहते हो..मुझे बचाने भी नही आते हो ,अब मैं आपके साथ नही रहूँगा।मै अब दूसरे मार्ग 🚶🏽जाना चाहता हूँ ।
  आपके साथ रहने से मुझे दुःख भोगना पड़ता हैं और कभी  भूखा ही रहना☹ पड़ता हैं ।आपके साथ रहने में कुछ लाभ है ही नही !!
  "वत्स क्या कहूं तुमसे ? मेरा मार्ग भिन्न है तुम्हारा भिन्न है ।तू स्वयं को पहचानने😔 को तैयार नही ।यातना मुझे भी दी जाती है।मैं इन कष्टों को साधना का एक अंग मानता हूँ।तुम दुःख मानते हो ।हरबार स्वयं ही उलझते हो फिर दुखी होते हो "

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🔴  *गौशालक अकेला चल पड़ा...*🔴2⃣1⃣7⃣
"हरबार स्वयं ही उलझते हो फिर दुखी होते हो ।मनुष्य के दुःख का कारण स्वयं मनुष्य है।"
 "जिस दिन इस रहस्य का पता चल जायेगा उस दिन मनुष्य सुखी हो जायेगा।जैसी तेरी इच्छा ,हमारा चर्या तो ऐसा ही रहेगी।"
   🍁भगवान वहाँ से विशाला के मार्ग पर पधारे और गौशालक राजगृह की ओर चल🚶🏽🚶🏽 पड़ा ।भगवान से पृथक हो कर गोशालक आगे बढ़ा ।वह भयंकर वन🌲🎄 था ।वहाँ डाकुओं का विशाल समुदाय🕵🏽 रहता था ।डाकू सरदार बड़ा चौकन्ना 👨🏽‍✈और सावधान रहता थाउसके भेदिये ऊँचे वृक्ष🌲 पर चढ़कर पथिक और सैनिकोकि टोह लगये रहते थे ।
 🍁यदि कोई पथिक 🚶🏽दिखाई देता तो लूटने की सोचते और और सैनिक दिखाई देते तो बचने का मार्ग सोचते ।गौशालक को देखकर भेदिए ने कहाँकी इस नंगे भिकारी के पास क्या हैं लूटने जैसा ? इसे जाने देना चाहिए ।


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*विपत्ति में फंसा गौशालक* 🔴2⃣1⃣8⃣
  🍁परन्तु उसके साथी👨🏽‍✈ ने कहाँ की" यदि भिकारी के वेश में राज्य का भेदिया हुआ  तो विपत्ति में पड़ जायेंगे ।इसलिये  इसे छोड़ना तो नही चाहिए ।"
     निकट आने पर डाकुओं ने उसे पकड़ा और उस पर सवार होकर उसे दौड़ाया🏃🏼🏃🏼 ।जब गौशालक मूर्छित 😤होकर गिर पड़ा ,तब उसे मारपीट कर वही छोड़ आए ।वह निष्प्राण जैसे हो गया ।
  🍁जब गौशालक की मूर्छा टूटी और चेतना बढ़ी,तब उसे विचार हुवा🤔 गुरु से पृथक होते ही" मेरी इतनी दुर्दशा हो गयी ,बस मृत्यु से बच गया ।इतनी भिषण दशा तो गुरु के साथ रहते कभी नही हुई" ।
  🍁उनकी सहायता के लिए इंद्र भी आ जाते थे ।परंतु मेरी सहायता के लिए कोई भी नही आया ।मैने भूल 😔की जो गुरु का साथ छोड़ा ...अब भगवान को पुन प्राप्त कर उन्ही के साथ रहना हितकारक हैं ।



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🔴 *पुनः उपसर्ग...* 🔴2⃣1⃣9⃣
🍁भगवान विशाला नगरी( कही कही वैशाली भी है) पधारे और अनुमति लेकर किसी लुहार की शाला में एक और ध्यानस्थ 😷खडे हो गए ।लुहार की भट्टी में लोहा अग्नि🔥 की आंच में गल रहा था ...दूसरी ओर प्रभु तप ध्यान 😷की अग्नि में कर्मो को गला रहे हैं ।
    🍁उस घर का स्वामी पिछले छह महीने से बीमार था ।उसकी लोहार शाला बंद थी ।जब वह स्वस्थ होकर अपनी लोहार शाला में आया ,तो भगवान को देखते ही चौक 😳गया...यह कौन  पुरुष है जो बिना मेरी अनुमति के मेरी शाला में आकर खड़ा हैं ?आज बहुत दिनों के बाद स्वस्थ होकर आया तो ये अपशकुन ❓
  🍁बुखार की कमजोरी की वजहसे आया गुस्सा😡 विवेक खो बैठा ।क्रोध की भट्टी🔥 जल उठी ।वह घण लेकर भगवान को मारने तत्पर हुआ।उधर शकेंद्र का उपयोग इधर ही था ...यह क्या अनर्थ कर रहे हो

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🔴   *महातपस्वी महावीर* 🔴2⃣2⃣0⃣
 🍁तुम इन्हें पहचानो ये राजाओ के राजा 👑,सम्राटों के सम्राट देवताओं द्वारा पूजित🙏🏼 महातपस्वी महावीर हैं ।
  ऐसा अपराध मत करो ....लुहार के पैर ठिठक😣😒 गये ।हाथ से हतोड़ा गिर पड़ा...प्रभु को आँखे 👁भर के देखा काँप उठा...उसके मुख से शब्द निकल पड़े अरे में कितना घोर पाप करने जा रहा था ❓
  तुमने मुझे इस घोर पाप से बचा लिया ।महावीर के सामने गिड़गिड़ाकर क्षमा🙏🏼 मांगने लगा ।विशाला से चलकर प्रभु ग्रामक गांव के बाहर और विभेलक उदायन में यक्ष के मंदिर🏭 में कायोसर्ग कर ध्यानस्थ 😷हो गए ।यक्ष सम्यक्त्वी था ।उसने भगवान की वंदना👏🏽 की ।ग्रामक ग्राम से विहार कर के प्रभु शालिशीर्ष ग्राम पधारे ।

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🔴 *कतपुटना का उपसर्ग* 🔴2⃣2⃣1⃣
  🍁भगवान *शालिशीर्ष गांव* के उद्यान🏭 में ठहरते है कायोसर्ग करके ध्यान😷 में लीन हो गए ।
माघमास की रात्रि🌌 थी ।शीत का प्रकोप बढ़ा हुआ था ।उस उद्यान में *कतपुटना नाम के व्यन्तरि* का निवास 🏢था ।वह व्यंतरी भगवान के *त्रिपृष्ट वासुदेव के भव में विजयवती नमक रानी थी* ।
  🍁इसे वासुदेव की ओरसे समुचित आदर और अपनत्व नही मिला ।एक बार वासुदेव की किसी बात का अनादर करने की वजहसे वासुदेव ने उसपर शीत ऋतू में ठंडे पानी🍯 के घड़े उसपर बरसाए थे...उसी ठंड की वजह से उसकी मृत्यु हो गयी थी।इसलिए वह रुष्ट 😡थी और रोष में ही मृत्यु पाकर भव भ्रमण करती रही ।पिछले भव में मनुष्य होकर बलतप करती रही ।

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🔴 *पूर्वभव का वैर* 🔴2⃣2⃣2⃣
🍁 कतपुटना रोष😡 में ही मृत्यु पाकर भव भ्रमण करती रही ।पिछले भव में मनुष्य होकर बलतप करती रही ।
वहाँसे मृत्यु पाकर वह व्यन्तरी 👼🏽बनी ।पूर्वभव के वैर तथा भगवान का तेज ✨⚡सहन नही करने के कारण वह तपस्विनी रूप बना कर प्रकट हुई ।उसने वायु❄ की विकुर्णा की और हिम के सामान अत्यंत शीतल🌪 पवन चला कर भगवान को असहय कष्ट 😣देने लगी ।वह वायु शुल के समान पसलियों को भेदने लगा ।तापसी बनी हुई व्यंतरी ने अपनी लंबी जटाओं में पानी भरा💦 और अंतरिक्ष में रहकर जटाओं का पानी प्रभुके शरीर पर छिड़कने लगी ।
 शीतल पानी 💦की बौछार और शीतलतम वायु का प्रकोप...कितनी असहय पीड़ा😣 हुई होगी भगवान को ❓प्रभु के स्थान पर यदि कोई ओर अन्य पुरुष होता ,तो मर ही जाता ।यह भीषण उपद्रव रातभर🌌 चलता रहा....

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🔴   *भीषण उपद्रव...धन्य हो प्रभु* 🔴2⃣2⃣3⃣
यह भीषण उपद्रव रातभर🌌 होता रहा ....परन्तु भगवान को अपनी की लीनता से किंचित भी चलित 😷नही कर सका । वे पर्वत 🏔⛰के समान अड़ौल रहे।
  🍁धर्मध्यान की लीनता से अवधिज्ञाणावर्णीय कर्म की विशेष निर्जरा हुई,जिससे भगवान के अवधिज्ञान का विकास हुआ और वे सम्पूर्ण लोक 🌎को देखने लगे ।रातभर के उपद्रव के बाद व्यंतरी थक😔😨 गई ।उसने हार कर भगवान से क्षमायाचनाकी 🙏🏼और वहाँसे लौट गयी।शालिशीर्ष से विहार कर प्रभु भद्रिकापुर पधारे और *छटा चौमासा* वही कर दिया।विविध अभिग्रह से युक्त भगवान ने यहाँ चौमासी तप किया।
  🍁छह मास इधर उधर भटकने के बाद गौशालक👲🏽 पुनः भगवान के समीप आ कर साथ हो गया।वर्षाकाल बीतने पर भगवान ने विहार 🚶🏽किया और नगर के बाहर पारणा किया


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🔴 *पुनः लौटा गौशालक* 🔴2⃣2⃣4⃣
  🍁छह मास इधर उधर भटकने के बाद गौशालक पुनः भगवान के समीप आ कर साथ हो गया।वर्षाकाल बीतने पर भगवान ने विहार🚶🏽 किया और नगर के बाहर पारणा किया
  🍁 भगवान ग्रामनुग्राम विहार करने लगे ।गौशालक👲🏽 भी उनके साथ ही था आठ मास बिना उपद्रव के ही व्यतीत हो गए । *सातवां वर्षावास आलम्भीका नगरी*  में किया और चौमासी तप करके चातुर्मास पूर्ण किया ।वहाँ से गांव के बाहर आये ,आहार ग्रहण कर लोहागर्ल नगर में आये ।राज्य में युद्ध 🔫💣का तनाव था ।छोटे छोटे राज्य के राजा जरासि बात पर आपस में युद्ध करते ।शंकित आशंकित मन व्यक्ति को पहचान नही पाता ।महावीर और गौशालक को गुप्तचर जानकर पकड़ लिया गया।
  🍁उनसे पूछा गया आप कौन हो ? कहाँ रहते हो ? क्या करते हो ❓आप इस तरह क्यों घूमते हो ❓ प्रभु इन प्रश्नों का क्या जबाब देते ❓मैं कौन हूं यह जानने के लिए तो साधना चल रही थी ।


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      *महावीर के उपदेश ग्रुप से*
 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕

🔴  *उत्पाल ने पहचाना* 🔴2⃣2⃣5⃣
🍁 जो परिचय वो पीछे छोड़ आए थे वह परिचय जानना चाहते है ।गौशालक ने चुप 😷रहने में भलाई जानी ।दोनों को पकड़कर राजदरबार में उपस्थित किया गया।सभा में राजा के पास अस्थिक ग्राम का नैमित्तिक उत्पल भी बैठ हुआ था।
  🍁प्रभु को इस तरह लाते देख वह क्षणमात्र में खड़ा 🕴🏼हो गया।मंत्री ने राजा से कुछ कहना शुरू ही किया कि उत्पल तुरन्त बोलने लगा
  "अरे निर्बुदों !क्या तुमारी बुद्धि भ्रष्ट हो गयी है ?जानते हो तुन किसे पकड़ लाये हो ? तुम स्वयं का विनाश चाहते हो ? तुमने जो अपराध किया है वह अक्षम्य हैं ।"
 🍁फिर उसने प्रभु का परिचय दिया परिचय सुनते ही सभा में राजा सह सभी खडे🙄 हो गए ।आश्चर्य😳 से सभी आँखे प्रभु को देख 👀👁रही थी..तत्काल राजा राजज बढ़कर चरणोमे 👏🏽झुक गया ।हाथ जोड़कर क्षमा याचना🙏🏼 करने लगा ।प्रभु मुझसे बहोत बड़ी भूल हुई हैं ।उत्पल की आँखों में आंसू😭 आ गए ।

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      *महावीर के उपदेश ग्रुप से*
 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕


🔴  *निंदा हो स्तुति...दोनों में समभाव* 🔴2⃣2⃣6⃣
"ओहो !भगवान कितनी कष्ट भरी साधना 😷😔कर रहे हैं सचमुच इनके जैसा कोई नही ।ये साक्षत भगवान हैं ।"
 🍁महावीर तो तत्काल हवा ❄की तरह निकल गए ।गौशालक अपने गुरु का प्रभाव देखकर अचंभित😳 हो गया...सब कुछ उसे अदभुत लगा जिस बात के लिए वह तरस  रहा था ,गुरु उसे छोड़कर चले गए । भागा भागा🏃🏼🏃🏼 पंहुचा गुरु के पास,उलाहने के स्वर में बोला ,"गुरुदेव ! राजा और सारी सभा आपको सन्मान दे रही थी ,आपकी पूजा👏🏽 कर रही थी और आप हे की उसे छोड़ के चले आये"
" वत्स !श्रमण को पूजा 👏🏽से क्या लेना देना हैं ? ध्यान रख पूजा सन्मान भटकते हैं,निंदा से मनमे ग्लानि 😔हीनता ,राग द्वेष के भाव जागते हैं ।साधक को दोनों में समभाव रखना हैं ,दोनों स्थितियोको के पार जाना है ,तभी साधना के मार्ग पर चल सकता हैं ।"
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      *महावीर के उपदेश ग्रुप से*
 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕


🔴 *निरन्तर साधना* 🔴2⃣2⃣7⃣
साधक 😷को दोनों में समभाव रखना हैं ,दोनों स्थितियोको के पार जाना है ,तभी साधना के मार्ग पर चल🚶🏽 सकता हैं ।
  🍁प्रभु लोहागर्ल से चल कर पुरीमताल नगर पधारे और शकटमुख उद्यान में ठहरे।वहाँ *वग्गुर नाम के श्रेष्ठि* ने श्रद्धाभाव से उपासना की ।कालान्तर से उन्नाग गोभूमि होते हुए राजगृह 🏘पधारे ,वहाँ *आठवा वर्षावास* चारमासी तप ध्यान से सम्पन्न किया ।
  🍁नगर के बाहर आहार ग्रहण करके पारणा हुआ ।महावीर और परिषह एक दूसरे के पर्याय बन गए थे।

*जन्मों जन्मों की बेडियोसे मुक्त होने के लिए साधना पथ पर चलते हुए संकट परिषह उपसर्ग जो भी आते हैं वे उनसे घबराते नही ,उनसे वे दूर भागते नही...बचाव का उपाय भी नही करते थे*

 🍁भगवान गोभूमि पधारे वहासे राजगृह पधारे वहाँ आठवा वर्षाकाल किया...चातुर्मासिक तपस्या कर के वह वर्षाकाल पूरा किया और नगर के बाहर पारणा☕🍪 किया।


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      *महावीर के उपदेश ग्रुप से*
 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕

*पुनः अनार्य देश* 🔴2⃣2⃣8⃣
 🍁राजगृह पधारे वहाँ आठवा वर्षाकाल किया...चातुर्मासिक तपस्या कर के वह वर्षाकाल पूरा किया और नगर के बाहर पारणा किया।
  🍁प्रभु ने अपने कर्मो की प्रगाढ़ता का विचार कर पुनः वज्रभूमि सिंहभूमि एवम लाटदेश आदि अनार्य भूमि में जाने का निश्चय किया।गौशालक👲🏽 को पता चला की अनार्यभूमि  की ओर जा रहे हैं तो बहुत देर बड़बड़ाता🙄😲 रहा।
  "गुरुदेव एक बार हम इतना मारन्तिक कष्ट पा चुके हैं...उसके बाद भी आप उधर जाने का सोच रहे हैं।वापस वहासे जीवित लौटना कठिन हैं।"
 "वहाँ मनुष्य नही राक्षस😡 रहते हैं।वहाँ के म्लेच्छ लोग पर्माधार्मिक देव जैसे क्रूर एवम निर्दय हैं।"
गौशालक यह भी जानता था कि गुरुदेव ने जिस साधना पथ पर चलने का निश्चय किया है उस पर जाने से उन्हें की नही रोक सकता। फिर भी अपने मन को झूठी सांत्वना देकर मन को तैयार कर रहा था।

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      *महावीर के उपदेश ग्रुप से*
 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕

🔴 *दोबारा अनार्य देश* 🔴2⃣2⃣9⃣
दूसरी बार आर्यभूमि में गये तो वहाँ भीषण गर्मी 🌞🔥ने उनका स्वागत किया।धरती दूर दूर तक उजाड़ और बंजर पड़ी थी....आँखों की सीमा तक कोई पेड़🌴🌳 दिखाई नही दे रहा था जो शीतल छाया प्रदान कर सके।
उस उजाड़ भूमि पर निरन्तर गर्म हवाएं चलती जो चमड़ी को झुलस देती।अनार्य देश इतना निर्जन🐲 स्थान है कि मिलो तक चलने के बाद भी कोई मिलता था..वहाँ थोड़े बहुत जो कुछ लोग रहते वे बहुत ही दरिद्र थे ।सम्पन्न लोग बहुत कम थे।वे भात मछली🐠 का सेवन करते थे ।शुद्ध अन्न मिलना दुर्लभ था।महावीर उनकी निर्धनता को देखकर आहार के लिए नही जाते...उन्होंने अपने आप को इतना संयमित कर लियाकी भिक्षा के लिए जाने के बाद आहार नही मिला तो भी मन में समभाव😌 रखते थे।अपने स्थान पर आकर ध्यान में लीन हो जाते।

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      *महावीर के उपदेश ग्रुप से*
 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕


🔴 *साधना की कठिन राह* 🔴2⃣3⃣0⃣

उस अनार्यदेश में ,जो आज सिंध प्रांत और बंगाल का कुछ भाग उससे भी आगे ,दूर दूर तक प्रभु निर्भय😌 होकर अनजान लोगो के बीच विचरण करते हैं। वे लोग🐲 भगवान को विविध प्रकार के उपद्रव करने लगे।पूर्व की भांति इस और भी कुत्तों 🐕को झपटाकर कटवाया गया। परन्तु भगवान तो कर्म निर्जरार्थ ही इन उपद्रवों के निकट पधारे थे और ऐसे उपद्रवों को अपने कर्म रोग को नष्ट करने में शल्यचिकित्सा की भांति उपकारक मानते थे ।
 🍁भगवान इस तरह उपद्रव करनेवालों को अपना हितैषी समझते थे।भगवान अनंत बलि 💪🏾थे ।उ  उपद्रवकारियों को चींटी के समान मसलन की उनमें शक्ति थी ।उनके पदाघात से पर्वतराज⛰ भी ढह सकते थे।परंतु कर्मसत्ता के आगे किसी का क्या चल सकता हैं ❓


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      *महावीर के उपदेश ग्रुप से*
 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕

🔴  *अनार्य देश में चातुर्मास* 🔴2⃣3⃣1⃣
🍁ग्रीष्मऋतु 🌞🔥के घोर ताप और शीतकाल की असहय शीत को भगवान बिना आश्रयस्थान के वृक्षक नीचे या खण्डहरों में सहन करते रहे और धर्म जागरना करते छह मास तक उसी भूमि में विचरे और *नौवा चातुर्मास* उस प्रदेश में ही किया ।
  🍁इस वर्षावास में गुरु की दृढ़ता देख गौशालक👲🏽 स्वयं भी थोड़ा दृढ़ बन गया। गुरु के प्रतिविशेष श्रद्धा से उसका मन☺ भर गया।वह गुरु की ओर देखता🙄🙄 है, सोचता है 🤔क्या अदभुत बात हैं कि चार माह इस अनार्य देश की भीषण बारिश ,शरीर को जमा दे ऐसी सर्दी ,जंतुओं का भयानक उपद्रव ,खाना पीना कुछ नही ,इतना मृत्युदायी कष्ट फिर भी गुरुदेव के मुख से उफ़ 🗣तक नही। यह सब देखकर उसका सर चकरा😇 जाता हैं। वह गुरु को बार बार प्रणाम करता है....सही में गुरुदेव आप धन्य🙏🏼 हैं।
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 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕

🔴 *गुरुदृष्टि से निहाल गौशालक* 🔴 2⃣3⃣2⃣
🍁प्रभु महावीर ने देखा ...गौशालक प्रतीक्षारत हैं ।गुरु की दृष्टि पड़ते ही वह निहाल☺ हो गया।चार माह से वंचित रहा....सन्मुख आकर बार बार भूमिपर लेटकर प्रणाम 👏🏽🙏🏼करता है ,गुरु के गुणगान करता हैं।
🍁आर्यभूमि की ओर यात्रा 👣पुनः प्रारम्भ हो गई...अनार्यभूमि  का यह प्रवास लंबा रहा। अनार्यभूमि की दो बार यात्रा ने पूरी पूरी परीक्षा ली।कष्ट ,यातना देने में मनुष्य 😟पीछे नही रहे...प्रकृति के प्रकोप भी कम नही थे...मानवों ने तो बड़ी क्रूरता से भगवान के शरीर पर अपनी हिंसा का प्रयोग किया....इतने पर भी प्रभु ने कष्ट हिंसा के बीच भी अपने भीतर किसी के प्रति कोई कटुता नही ,प्रेम ही पाते....गौशालक ख़ुशी ☺☺से नाच रहा था क्योकि गुरुदेव फिर से आर्यभूमि लौट रहे थे।
🍁 गुरुदेव ये अनार्यभूमि कितनी भयंकर हैं यहाँ के निवासी उससे भी अधिक भयंकर......😱
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      *महावीर के उपदेश ग्रुप से*
 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕


🔴  *पुनः आर्य देश की ओर...* 🔴2⃣3⃣3⃣
"गुरुदेव ये अनार्यभूमि कितनी भयंकर हैं यहाँ के निवासी उससे भी अधिक भयंकर "😱😪
 "वत्स्य ! आत्मसाधना ,कर्मनिर्जरा ध्यान और आत्मबल साधने के लिए इससे अच्छी भूमि कोनसी होगी ❓ "
  🍁अनार्यदेश का चातुर्मास पूर्ण कर भगवान गौशालक सहित पुनः आर्यदेश की ओर विहार किया और सिद्धार्थ ग्राम पधारे ।वहाँसे कूर्म ग्राम की ओर पधार रहे थे ।मार्ग में गौशालक ने तिल का एक बड़ा पौधा देखा और भगवान से पूछा ,"भगवन तिल का यह पौधा फलेगा ? इसके सात फूल हैं ,इन फूलों के जिव मरकर कहाँ उत्पन्न होंगे ❓"
  🍁भवितव्यतावश गौशालक के प्रश्न के उत्तर में प्रभु ने स्वयं ही कहाँ....
"गौशालक तिल का यह पौधा फलेगा और सात फूलों के जीव मरकर इसकी एक फली में तिल के सात दाने होंगे"‼


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 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕


🔴 *उतावला गोशालक* 🔴 2⃣3⃣4⃣

  🍁भवितव्यतावश गौशालक के प्रश्न के उत्तर में प्रभु ने स्वयं ही कहाँ.....
"गौशालक तिल का यह पौधा फलेगा और सात फूलों के जीव मरकर इसकी एक फली में तिल के सात दाने होंगे"
गौशालक को भगवन के वचन पर श्रद्धा😏 नही हुई ।उसके मन में भगवन को असत्यवादी सिद्ध करने की भावना हुई।वह भगवन के पीछे चलता हुआ रुका और उस पौधे 🌴को मिट्टी सहित मूल से उखड कर एक और फेक दिया और भगवन के साथ हो गया ।उस समय वहाँ दिव्य दृष्टि⚡💥 हुई ।
 🍁एक गाय🐐 चरती हुई उधर निकली।उसके पाँव के खूर के नीचे आ कर उस उखाड़े हुए तिल के पौधे 🌴🌴का मूल गीली मिट्टी में दब गया।मिटटी और पाणी के योग से पौधे का पोषण और रक्षण हो गया और वह विकसित हो कर फल युक्त बना।
  उसकी एक फली में सातों पुष्पो 🌼🌸के जीव तिल के सात दाने के रूप में उत्पन्न हुए।

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🔴 *वेशिकायन का पन्ना* 🔴2⃣3⃣5⃣
  🍁भगवन साधना के लिए कुछ समय कूर्मग्राम ठहरे ।उसी गांव के बाहर एक आश्रम में वेशिकायन तपस्वी 👳🏽‍♀तप कर रहे थे ।उस समय वेशिकायन ग्राम के बाहर ,सूर्य🌞 के समुख दृष्टि रखकर ऊँचे हाथ किये आतपना ले रहा था ।उसकी जटायें खुली थी और स्कंध आदि पर फैली हुई थी ।
 🍁वह स्वभाव से विनीत ,दयालु एवम दक्षिण्यतासे😇😊 युक्त था ।बेले बेले की तपस्या निरन्तर करता रहता था और सूर्य🌞 की आतपना पूर्वक ध्यान भी करता था।उसके मस्तक की जटायें में रही हुई जुएँ असहय ताप से घबड़ा कर खिर कर भूमि पर गिरती।वे तप्त भूमि पर मर नही जाये ,इसलिए वह भूमि से उठाकर पुनः अपने मस्तक पर धर देता।
 🍁यह सारा दृश्य देखकर गौशालक हंसने😄😃 लगा।वह तो मूल में ही मंखली ,मशकरिया था वह अपनी उदण्डता पर उतर आया तपस्वी का मजाक उड़ाने लगा..उपहास 😏करने लगा....


📕


🔴  *गौशालक पे तेजोलेश्या....* 🔴2⃣3⃣6⃣
🍁वह तो मूल में ही मंखली ,मशकरिया😅 था वह अपनी उदण्डता पर उतर आया तपस्वी का मजाक उड़ाने लगा..उपहास😏 करने लगा....
  🍁गौशालक ने पूछा," तुम यह क्या कर रहे हो ? तुम तपस्वी हो ,तुम निचे गिर रही इन जुवों को उठाकर वापस बालों में क्यों डाल रहे हो ❓
 🍁तपस्वी ने गौशालक के प्रश्न का कोई उत्तर😟 नही दिया ।उसको नादान समजकर छोड़ दिया ।गौशालक फिर उसे चिढ़ाता है,उसका मजाक उडाता हैं बार बार एक ही बात पूछता है तुम तपस्वी हो या जुओं का घर ❓
 🍁इस बार उस बाल तपस्वी को क्रोध😡 आ जाता हैं।तपस्वी आतपना भूमि से पीछे हटता है ,सूरज 🌞की ओर देखता है और गौशालक सम्भले उससे पहले ही वह अपनी आँखों👁 से ,धधकती ज्वाला का एक पुंज🔥 उसके ऊपर छोड़ देता है गौशालक को लगा वह जल जायेगा,राखहो जायेगा।वह दौड़कर प्रभु के पास 🏃🏼🏃🏼पहुँचता हैं.....


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      *महावीर के उपदेश ग्रुप से*
 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕


🔴  *प्रभु की शीतलता..* 🔴2⃣3⃣7⃣

प्रभु तेजोलेश्या 🔥का प्रभाव देखते हुए शीतलेश्या का प्रयोग करते हैं। गौशालक को बचाने के लिए जैसे ही प्रभु की शीत लेश्या प्रस्फुटित हुई वह तेजोलेश्या निवृत्त🔥 हो गई ,निस्तेज हो गई ,प्रतिहत हो गई।
 🍁जैसे आग के जले पर शीतल लेप कर दिया हो,ऐसा महसूस किया गौशालक🙂 ने....प्रभु की अनुकम्पा से बच गया गौशालक...वो तपस्वी देखता🙄 हैं ..मेरी तेजोलेश्या के समक्ष शीत लेश्या का प्रयोग ? वह तपस्वी महावीर के प्रति श्रद्धा भक्ति से भर जाता हैं🙏🏼🙏🏼।
 🍁वह कहता है, "मुझे पता नही था ,ये आपका शिष्य हैं ? मैंने जान लिया हैं आपको ...प्रभु ! आपको जान लिया मैंने जान लिया है आपको ।वह बार बार प्रभु के चरणों में वंदन करता हैं🙏🏼🙏🏼🙏🏼

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      *महावीर के उपदेश ग्रुप से*
 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕

🔴 *तेजोलेश्या पे शीतलेश्या* 🔴2⃣3⃣8⃣
🍁वेशिकायन ने भगवान से क्षमायाचना🙏🏼 की ।वेशिकायन के शब्दों से गौशालक कुछ भी नही समज😟 सका। भगवान से पूछा
"भगवन! युकाओ के शय्यातर ने आपसे यह क्यों कहा कि," हे भगवन में जान गया हूं मैं जान गया हूं ?"
🍁भगवन ने कहाँ," गौशालक तूने बलतापस्वी वेशिकायन को देख कर मेरा साथ छोड़ा और पीछा वेशिकायन की ओर जा कर उससे कहाँ तू जुओं😡 का घर हैं, तू जुओं का घर हैं " ।
"  तेरे बार बार कहने पर वह बलतापस्वी क्रोधित😡 हुआ और आतापना भूमि से नीचे उतर कर तुझे मर डालने के लिए तेजस समुद्घात कर के तेजोलेश्या🔥 छोड़ी ।"
 🍁मैं उस तपस्वी का अभिप्राय जान गया।उसके तेजोलेश्या🔥 छोड़ते ही मैंने तेरा जीवन बचाने के लिए शीत लेश्या छोड़ कर उसकी तेजोलेश्या लौटादि ।
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🔴  *सदभाग्य गौशालक का..* 🔴2⃣3⃣9⃣
"मैं उस तपस्वी का अभिप्राय जान😇 गया।उसके तेजोलेश्या🔥 छोड़ते ही मैंने तेरा जीवन बचाने के लिए शीत लेश्या छोड़ कर उसकी तेजोलेश्या लौटादि ।"
   🍁"तेरी रक्षा हो गई ।अपनी अमोघ शक्ति को व्यर्थ जाते देख कर  वेशिकायन समझ गया कि मेरे द्वारा यह मोघ हुई हैं इसीसे उसने यह शब्द कहे ।"
  "वह अपने को सदभागी 🙏🏼मानने लगा की मैं ऐसे महान गुरु का शिष्य हूँ की जिसके कारण मेरी रक्षा☺ हो गई ।अन्यथा आज मैं भस्म😱 हो जाता।"
   🍃 *वास्तव में यह गोशालक का सदभाग्य ही था कि भगवन उसके रक्षक बने ।यदि पूर्व के समान ध्यानमग्न होते , तो उसकी रक्षा कैसे होती ?* 🍃
गौशालक का मन कुतूहल🤔🤔 से भर गया ।


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🔴 *नियतिवाद की पुष्टि* 🔴2⃣4⃣0⃣

🍁 वास्तव में यह गोशालक का सदभाग्य ही था कि भगवन उसके रक्षक बने ।यदि पूर्व के समान ध्यानमग्न होते , तो उसकी रक्षा कैसे होती ?
गौशालक का मन कुतूहल 😯से भर गया ।
  🍁वह सोचने लगा...🤔 अभी मै मरने वाला था ,यदि प्रभु शीत लेश्या का प्रयोग नही करते तो मेरी नियति तो मरने की थी ।
 प्रभु ने शीत लेश्या का प्रयोग किया इसलिये मैं जिन्दा😌 रह गया।मेरी जिन्दा रहने की नियति थी लेकिन वेशिकायन ने तेजोलेश्या का प्रयोग किया ,मैं तो जलकर राख हो जाता ?
फिर गोशालक उलझ 😥😰🤔गया .....! यह क्या है ? असर तो होता हैं ।नियति लागु होती हैं
  🍁मुझे शक्तिशाली बनना💪🏾 हैं ।मुझे समर्थ बनना हैं....इतना समर्थ जितना ये तपस्वी हैं ।
गौशालक प्रभु से पूछता है," प्रभु ! ये लब्धि ,ये शक्ति कैसे आती हैं ? इस तपस्वी के पास कहाँसे आई ? कैसे प्राप्त हुई होगी इसे ऐसी शक्ति ,प्रभु ?"


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🔴 *नियति बदलने का सूत्र*🔴2⃣4⃣1⃣
  🍁प्रभु ने कहाँ..," गौशालक ! नाखूनों सहित हाथों की मुठ्ठी 👊🏾बांध कर ,इसमें उड़द के बाकुले ,जितने भी आ जाये उतने बाकुले खाकर ,चुल्लू भर पाणी से पारणा करके ,निरन्तर बेले बेले तप की आराधना करते हुए तपस्या करे ,बैठना नही ,सोना नही ,हाथ ऊपर🙌🏿 ऊठाकर ,छः महीने निरन्तर सूर्य 🌞की ओर देखते हुए आतापना ले ,तो यह तेजोलेश्या की लब्धि प्राप्त हो सकती हैं ।"
  *शक्ति का पागलपन ,शक्ति प्राप्त करने के लिए व्यक्ति न जाने क्या क्या सहन कर लेता है ?*
  🍁गौशालक सोचता🤔 है चलो ...कुछ भी हुआ हो ,आखिर वर्धमान ने मुझे नियति बदलने का सूत्र दे ही ☺दिया ।अब मेरे हाथ🙌🏿 में हैं कि इस मंत्र को ,इस तंत्र को मैं सिद्ध करू ।


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🔴 *तिल का पौधा* 🔴2⃣4⃣2⃣
गौशालक सोचता🤔 है चलो ...कुछ भी हुआ हो ,आखिर वर्धमान ने मुझे नियति बदलने का सूत्र दे ही दिया☺ ।अब मेरे हाथ 🙌🏿में हैं कि इस मंत्र को ,इस तंत्र को मैं सिद्ध करू ।
  🍁गौशालक ने भगवन की बताई हुई विधि विनयपूर्वक स्वीकार🙏🏼 की ।
  🍁भगवन गोशालक के साथ 👬कूर्म ग्राम से सिद्धार्थ नगर पधार रहे थे ।वे उस स्थान पर पहुचे जहाँ गौशालक की स्मृति में वह पौधा🥀🌴 आया ।उसने तत्काल भगवन से कहाँ ,"भगवन आपने मुज़े कहाँ था कि यह तिल का पौधा🥀🌴 फलेगा और पुष्पके जीव ,तिल के सात दानों के रूप में उत्त्पन्न होंगे ।किन्तु आपका यह भविष्य कथन सर्वथा मिथ्या सिद्ध हुआ।"
  "मैं प्रत्यक्ष देख🙄 रहा हु की वह पौधा🌴 भी यहाँ नही हैं ।वह नष्ट हो चूका हैं।फिर पुष्प 🌸🌸के जीवों की तिलरूप में उत्पन्न होने की बात तो वैसे ही असत्य हो जाती हैं"

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🔴  *अकेला निकल पड़ा ...गौशालक* 🔴2⃣4⃣3⃣

  🍁भगवन ने कहा ..,"गौशालक ! तेरी इच्छा मुझे मिथ्यावादी ठहराने की हुई थी ।वो पौधा🌴 वही पर है ।देख ले उसमे फलित सैट फल ,सात जीव ।गौशालक देखता 😳है सात फली हैं ।वह उन फलियों को खोलकर देखता है....फली के अंदर  सात दाने थे  इस घटना पर उसने यह सिद्धान्त बनाया की सभी जीव मरकर उसी शरीर में उत्पन्न होते हैं ,जिसमके उनकी मृत्यु हुई  थी ।
 🍁ये तो वनस्पति🎄🌲 हैं ..इसमें अपना भाग्य बदलने का सामर्थ्य नही हैं लेकिन जो शक्तिशाली है वह तो बदल ही सकता है
यही गौशालक मत का " *परिवर्त परिहार "वाद* है ....मैं बदलूंगा अब नियति ? मैं कौन बनूंगा तीर्थंकर ,मैं ! और चलते चलते गौशालक सोचता🤔 है कि अब श्रमण वर्धमान के साथ रहने की क्या आवश्यकता हैं ? साथ रहने का कोई औचित्य अब दिखाई नही पड़ता....गौशालक को और वह श्रमण वर्धमान से अलग 🚶🏽🚶🏽चलने लगता ह


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 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕

🔴 *स्वार्थी गौशालक* 🔴2⃣4⃣4⃣
 🍁साधना काल के दूसरे वर्ष में प्रभु के साथ हुआ गौशालक👲🏽....आठ वर्ष प्रभु के साथ रहा।केवल छह महीने के लिए अलग हुआ ।
 🍁अनार्य प्रान्त में गये तब भी गोशालक साथ👬 था।गोशालक ने प्रभु से क्या पाया ❓ तेजोलेश्या ❓ नही ,वह तो अभी सिद्ध नही हुई ।तेजोलेश्या तो अब आगे पायेगा..
  🍁तो क्या पाया उसने प्रभु से ❓श्रमण वर्धमान से तीर्थंकर बनने का सपना🤗 पाया गौशालक ने.....
वह अपना मार्ग ढूंढने लगा।मौका देख रहा था गुरु से अलग हो जाऊ और शक्ति पाकर सिद्ध परम् शक्तिशाली💪🏾 बनू।जिससे लोग मेरी पूजा करे ..जय जयकार 🙌🏿करे ।
  🍁स्वार्थ अवसर की खोज में रहता हैं।एक दिन उसने प्रभु से कहा ," गुरुदेव !आप जैसी कठोर साधना मुझसे 😞नही होती ।आपका कोई ठिकाना नही हैं।आपके लिए कोई कष्ट ,कष्ट नही होता..फिर चाहे कैसे भी कष्ट आये।पर मैं तो घबरा😱😨 जाता हूँ ।"

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      *महावीर के उपदेश ग्रुप से*
 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕

🔴 *गौशालक पृथक हुआ..* 🔴2⃣4⃣5⃣
"आपने भूख से उठने वाली दर्द से मुक्ति पाईहै लेकिन मैं तो उस दर्द से घबरा 😞जाता हूँ ।"
 "गुरुदेव !मैं जाता हूं ।मुझ अग्यानी पर कृपा बनाये रखना" और साष्टांग नमन 🙏🏼की मुद्रा में भूमिपर लेट गया । महावीर करुणाभरी दृष्टि से प्रेम 🤗☺बरसाते रहे.....
 🍁गौशालक खाली नजरोसे😞 महावीर को जाते देखता रहा।आज प्रथम बार वह गुरु से झूठ बोला ।उसके मन में शक्ति पाने कि लालसा इतनी प्रबल हो गई की वह झूठ बोल गया।वह सोच🤔 रहा था कि मैं झूठ कैसे बोल गया ।
 🍁पिछले छह वर्षो से वह छाया 👤बनके गुरु के आगे पीछे डोलता रहा...कही छूट गए तो ढूंढ निकलता ।किसी ने गुरु के बारे में कुछ कह दिया तो लड़ता उलझ 😰जाता ,मार खाता...गौशालक चला गया।प्रभु ने उसे न साथ आने ल लिए कहा न जाने के लिए कहा।वह अपनी खुशी से आया था ।प्रभु से बहोत कुछ पाया और चला गया।गौशालक को तेजोलेश्या गौशालक को तेजोलेश्या प्राप्त करने की विधि प्राप्त हो गई थी । इसके बाद वह भगवान के साथ नही रह सका और पृथक हो गया।

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      *महावीर के उपदेश ग्रुप से*
 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕

🔴 *तेजोलेश्या के खोज में..* 🔴2⃣4⃣6⃣

🍁गौशालक 👲🏽 को तेजोलेश्या🔥 प्राप्त करने की विधि प्राप्त हो गई थी । इसके बाद वह भगवान के साथ नही रह सका और पृथक हो गया।
 🍁भगवान से पृथक होकर गौशालक श्रावस्ती नगरी में आया उसके मन में एक उद्दाम भावना😠 जागृत हो चुकी थी की जब तक मैं शक्ति सम्पन्न 💪🏾नही बन जाता तब तक मुझे सन्मान नही मिलेगा।तेजोलेश्या की लब्धि की साधना गौशालक को मिल चुकी थी और वो खोज में था ,ऐसे स्थान की ,ऐसे अनुकूलता की ,ऐसे आश्रय दाताकी जहाँ रहकर वो साधना कर सके ।
 🍁इसी भावना से चलता🚶🏽🚶🏽 हुआ गौशालक कुम्भकार की एक भांडशाला ⚱🏺में पहुँचता हैं।देखता हैं...🙄 गौशालक ,कुम्भकार की उस विशाल भांडशालाको जहाँ बहुत सारे कुम्भकार घाट बना रहे है और देखता हैं एक नवोढ़ा सी युवती👱🏻‍♀👩🏼 को....उसके अदभुत सौंदर्य को देखकर गौशालक चकित हो जाता हैं।एक दिगम्बर को ,एक तपस्वी को अपने आंगन में देख वह उसे प्रणाम🙏🏼 करती हैं ।वंदना👏🏽 करती हैं ।

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      *महावीर के उपदेश ग्रुप से*
 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕

🔴 *प्रभु का सानिध्य..अनेक लब्धिया* 🔴2⃣4⃣7⃣
 🍁देखता हैं एक नवोढ़ा सी युवती👩🏼 को....उसके अदभुत सौंदर्य को देखकर गौशालक चकित😳 हो जाता हैं।एक दिगम्बर को ,एक तपस्वी को अपने आंगन में देख वह उसे प्रणाम 👏🏽👏🏽करती हैं ।वंदना करती हैं ।
  🍁आहार🍱☕ ग्रहण करने का निमंत्रण देती हैं।गोशालक उसकी नजर से नजर👀 मिला कर अंतर्मन का एक संकल्प उस पर प्रक्षेपति करते हुए उसे संमोहित करता है ।छहसाल तक प्रभु के साथ रहकर अनेक सिध्दियां ,लब्धिया सहजता से उसने प्राप्त कर ली थी ।
 🍁न जाने किस किस प्रकार की लब्धियों का उसने स्व सृजन कर लिया ।।वह युवती जैसे ही आहार दान ☕🍱के लिए आगे बढ़ती हैं,गौशालक उसे कहता है," हे अनुपम 👩🏼सुंदरी !!तू हालाहल हैं ।तेरी आँखों👀 में जहर भी हैं ,अमृत भी हैं ।अदभुत हैं तेरा सौंदर्य !"
वह सुंदरी👩🏼 आहार दान कर प्रणाम👏🏽🙏🏼 करती हैं और कहती हैं," बताये देवर्य ! मैं आपके लिए क्या कर सकती हूं ?"


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      *महावीर के उपदेश ग्रुप से*
 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕


🔴   *तेजोलेश्या की प्राप्ति की ओर..* 🔴2⃣4⃣8⃣
🍁गौशालक 👲🏽कहता है," सुनो हालाहल ! यह गौशालक इस अवसर्पिणी कल का अंतिम तीर्थंकर तुम्हारी इस कुम्भकार शाला में जीवन की चरम साधना करना चाहता है ।"
 "तुम्हारी इस शाला में भांडो को पकाने के लिए जल रही ये आग🔥 कृत्रिम हैं ।मैं यहाँ तुम्हारी इस मिट्टी में नैसर्गिके आग💥🔥 प्रज्वलित करूँगा! छःमाहकेलिए मै तुम्हारे इस आँगन में साधना😷 करूँगा ।"
  🍁हालाहल इन शब्दों को सुनकर चकित 😳😟रह गई ....उसने पूछा "क्या श्रमण वर्धमान मेरे आँगन में हैं ?"
 " नही...मैं मंखलेश्वर गौशालक ।मैं चरम तीर्थंकर हूँ और चरम तीर्थंकर दिव्य साधना ,तेरी इस शाला में सम्पन्न होगी ।"
 "क्या इंतजाम करना होगा ❓हालाहल पूछती है । "
  🍁केवल एक पुरुषाकार शीला🗻 पर मेरा आसन ...निराबाध रूप से साधना करूँगा। साधना के दौरान बेले बेले पारणा करूँगा और पारणे में केवल एक मुट्ठी 👊🏾उड़द के बाकुले और चुल्लू भर पानी🥛 लूँगा ।


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      *महावीर के उपदेश ग्रुप से*
 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕

🔴 *साधना की ओर गौशालक* 🔴2⃣4⃣9⃣
 🍁"केवल एक पुरुषाकार शीला🗻 पर मेरा आसन ...निराबाध रूप से साधना😷 करूँगा। साधना के दौरान बेले बेले पारणा करूँगा और पारणे में केवल एक मुट्ठी👊🏾 उड़द के बाकुले और चुल्लू भर पानी लूँगा ।
 🍁छःमाह तक तेरी इस आतपना भूमि में ,मेरी यह साधना होगी ।वह सुंदरी चकित 😳😟रह गई । बेले बेले तप करोगे और पारणे में सिर्फ उड़द के बाकुले और चुल्लू भर पाणी लोगे ❓ गौशालक👲🏽 कहता है," सुंदरी ! यह आंगन तीर्थंकर के अवतरण की भूमि बनेगा..तू भाग्यशाली 🤗हैं ।"
 "अहोभाग्य हैं तेरा की तीर्थंकर की पहली धर्मसभा तेरे आंगन🏠 में होगी ।गौशालक उस आतपना भूमि में बेले बेले की अद्भुत साधना करता हैं और बहुत ही भक्तिभाव 👏🏽से हालाहल गौशालक की उपासना करती हैं ।उसकी अदभुत साधना को निहारती🙄 हैं ।


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      *महावीर के उपदेश ग्रुप से*
 📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕

🔴 *तेजोलेश्या की परीक्षा* 🔴2⃣5⃣0⃣
सूर्य 🌞की ओर त्राटक करता हुआ निरन्तर खड़ा🕴🏼🕴🏼 है ,गौशालक.....बाकुले और चुल्लू भर पानी छःमहीने की साधना पूर्ण होते होते गौशालक के अंदर तिक्त तेज ⚡✨💫उत्पन्न हो जाता हैं ।उसके अंदर की सारी वासनाएं ,अंदर के सारे संस्कार ,घनीभूत होकर अग्नि🔥 ज्वाला के रूप में शरीर के अंदर धधकने लगते हैं ।पूरा शरीर तेजोमय 💫💥बन जाता हैं...रोम रोम तेजस्वी बनता है।
 🍁छ मास पर्यंत साधना कर के तेजोलेश्या की शक्ति प्राप्त होती है।गौशालक को अपनी शक्ति की परीक्षा करनी थी।वह कुवें पर गया।तेजोलेश्या का उपयोग क्रोधावेश😡😡 में ही होता हैं।अपने में क्रोध😡 उत्पन्न करने के लिए गौशालक ने कुएं से जल भरकर जाती हुई एक पनिहारी👩🏼 के जलपात्र को पत्थर मार कर फोड़ दिया ।पनिहारी क्रुद्ध😠😡 हो गई...और गोशालक को गालियां देने लगी।गलिया सुनकर गोशालक क्रुद्ध हुआ और प्राप्त शक्ति का एक निरपराध स्त्री पर प्रहार कर के उसकी हत्या😑😓 कर दी।


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