आगम प्रश्नोत्तर माला2

😷 आगम प्रश्नोत्तर माला ®🔝

🅿3286 बेइन्द्रिय जीव मरकर तिर्यच के कितने स्थानो मे उत्पन्न हो सकता हैं?
🅰 48तिर्यच में।

🅿3287 बेइन्द्रिय,तेइन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय जीवों को किसकी संज्ञा दी जाती हैं?
🅰विकलेन्द्रिय ।

🅿3288 पंचेन्द्रियो मे कितनी गतियों का समावेश हैं?
🅰चारो गतियों का ( नरक,तिर्यच,मनुष्य,देव )

🅿3289 एंकात पंचेन्द्रिय जीव कितनी गति वाले होते हैं?
🅰 तीन गति वाले जीव (नरक,मनुष्य,देव)

🅿3290 एकेन्द्रित्र से लेकर पंचेन्द्रिय तक का समावेश किस गति में होता हैं?
🅰 एक गति -तिर्यच गति में।

🅿3291 छह काया का समावेश एक मात्र कौन सी गति में है?
🅰 तिर्यच गति मे ।

🅿3292 पंचेन्द्रिय जीव कितने लोको मे पाये जाते हैं?
🅰तीनो लोको में ।

🅿3293 त्रसकाय में कितनी गति के जीव पाये जाते हैं?
🅰 चारों गति के जीव (नरक,तिर्यच, मनुष्य, देव)।

🅿3294 सर्व प्राणातिपात त्याग की प्रतिज्ञा करता हुआ साधक कौन कौन से जीवों की हिंसा नही करने की प्रतिज्ञा लेता हैं?
🅰 सुक्ष्म ,बादर , त्रस स्थावर सभी जीवों की।

🅿3295 प्रथम महाव्रत में साधु द्रव्य से क्या चिंतन करता हैं?
🅰 छःकाय के जीवों की विराधना की हो ।

🅿3296 प्रथम महाव्रत का क्षेत्र की अपेक्षा से कितना विषय हैं?
🅰 सम्पूर्ण लोक प्रमाणगत जीवों की रक्षा करना ।

🅿3297प्रथम महाव्रत कितने  समय के लिये अंगीकार किया जाता हैं?
🅰 जीवन पर्यन्त के लिये अंगीकार करते हैं ।

🅿3298 प्रथम महाव्रत का भाव से किस प्रकार का विषय हैं?
🅰 3करण 3योग से हिंसा नहीं करना,अहिंसा का पालन करना ।

🅿 3299 छःकाया के जीवों को किस चतुष्टयी में समाविष्ट किया गया हैं?
🅰 प्राण, भूत, जीव,सत्व ।

🅿3300 प्राण किसे कहते हैं?
🅰 चार प्राणों तक को धारण करनेवाले जीव प्राण कहलाते है,अथवा प्राणों से जिनकी पहचान हो वे जीव प्राण कहलाते हैं।

🅿 3301 कौन से जीव प्राण कहलाते हैं?
🅰बेइन्द्रित्र ,तेइन्द्रिय,चउरिन्द्रिय के जीव प्राण कहलाते है ।

🅿 3302 भूत किसे कहते हैं?
🅰 जो भूतकाल,वर्तमान काल,और भविष्यकालमें जीवत्व की अपेक्षा सदा एक से रहते हैं।अथवा एक स्थान पर रहनेवाले जीवों को भूत कहते हैं।

🅿3303 कौन से जीव भूत कहलाते हैं?
🅰वनस्पतिकाय के सभी जीव भूत कहलाते हैं।

🅿3304 जीव किसे कहते हैं?
🅰 पाँच इन्द्रियो के धारक/जो सदैव जीवित रहे ,वो जीव कहलाते हैं।

🅿3305 जीव कौन कौन से पंचेन्द्रिय कहलाते हैं?
🅰नारकी,देवता,मनुष्य,तिर्यच पंचेन्द्रिय ।

🅿3306सत्व किसे कहते है ?
🅰 जिन जीवों मे सत्व -सत्ता-असितत्व पाया जाये वे सत्व कहलाते हैं।

🅿3307 सत्व  कौन कौन कहलाते है ?
🅰चार स्थावर के जीव -1.पृथ्वी काय 2.अपकाय  3. तेउकाय 4.वायुकाय के जीव ।

🅿3308 अहिंसा महाव्रत की कितनी भावनाएं हैं?
🅰पांच भावनाएं ।

🅿 3309 अहिंसा महाव्रत की पांच भावनाएं कौन सी हैं?
🅰 1.ईयाभावना 2.मनभावना 3. वचनभावना 4. आदान भांडमात्र निक्षेपणा भावना 5. आलोकित पान भोजन भावना ।

🅿3310 ईयाभावना किसे कहते हैं?
🅰ईयासमिति पूर्वक 3.5 हाथ प्रमाण भूमि सामने देखकर गमनागमन करना।

🅿 3311मन भावना किसे कहते हैं?
 🅰विशुद्ध मन वाला अणगार अहिंसा व्रत का पालन कर सकता हैं। अत:मन समिति से समित होने को मन भावना कहते हैं।

🅿3312 वचन भावना किसे कहते हैं?
🅰नृशंस, क्रुर, दारुण, पीड़ाकारी वचन नहीं बोलकर वचन समिति का पालन करने को वचन भावना कहते हैं । वचन भावना से अहिंसा महाव्रत परिपुष्ट होता हैं।

🅿3313 आदान भांड मात्र निक्षेपणा समिति किसे कहते हैं?
🅰उभयकाल वस्त्र पात्र आदि भंडोपकरणों की यथाविधि प्रतिलेखना करने को आदान भांड मात्र निक्षेपणा भावना कहते हैं।

🅿3314 आलोकित पान भोजन भावना किसे कहते हैं?
🅰निर्दोष एंव प्रकाश युक्त स्थान में भोजन ग्रहण करने को आलोकित पान भोजन भावना कहते हैं।

🅿3315 उपरोक्त पांचों भावनाएं कौन से शास्त्र में वर्णित हैं?
🅰आचारंग सूत्र में श्रुतस्कंध 2,अध्ययन15 में ।

🅿 3316 अहिंसा महाव्रत के कितने भंग है?
🅰 एक अपेक्षा से 486 (चार सौ छियासी )दूसरी अपेक्षा से 216।

🅿3317  अहिंसा महाव्रत के भंग किस प्रकार बनते हैं?
🅰पृथ्वी,
अप,तेउ,वायु,वनस्पति,बेइन्द्रिय,तेइन्द्रिय,चउरिन्द्रिय,पंचेन्द्रिय इन 9को 3करण एंव 3योग इन 9कोटि से गुणा करने पर 9×9=81भेद होते हैं,इन 81भेंदो को दिन में, रात्रि में ,अकेले में ,परिषद में सुप्त अथवा जागृत अवस्था में इन6विकल्पों से गुणा करने पर 81×6=486भंग प्रथम महाव्रत के बन जाते हैं।

🅿3318 दुसरी अपेक्षा से अहिंसा महाव्रत के 216भंग कैसे बनते हैं?
🅰प्राण,भूत,जीव,सत्व,अथवा सूक्ष्म,बादर,त्रस,स्थावर इन चार की हिंसा 9कोटि(3करण+3योग) से गुणा नही करने से 4×9=36 भंग हुये,इन 36 भंगो की दिआ वा,राओ वा ,एगओ वा,परिसाग ओ वा,सुते वा,जागरमाणे वा -इन 6बोलो की अपेक्षा से हिंसा नहीं करने की अपेक्षा से 36×6=216 भंग बनते हैं ।

🅿3319 पहले महाव्रत के अंत में मिच्छामि दुक्कड़म किसका देते हैं?
🅰 अतिक्रम ,व्यतिक्रम,अतिचार रूप दोष का मिच्छामि दुक्कड़म देते हैं।

🅿3320 अतिक्रम किसे कहते हैं?
🅰गृहीत व्रत या प्रतिज्ञा भंग करने का विचार करने को अतिक्रम कहते हैं।

🅿3321व्यतिक्रम किसे कहते हैं?
🅰 व्रत भंग करने के लिए उद्घत होने को व्यतिक्रम कहते हैं।

🅿3322 अतिचार किसे कहते हैं?
🅰 आंशिक रुप से व्रत को खड़ित करने को अतिचार कहते हैं।

🅿3323 अनाचार किसे कहते हैं?
🅰व्रत को पुर्ण रुप से भंग करने को अनाचार कहते हैं।

🅿3324 छ:काया के जीवो को अभयदान किस महाव्रत मे दिया जाता हैं?
🅰पहले अहिंसा महाव्रत में।

🅿3325 प्रथम महाव्रत में साधु कितने समय के लिये कौनसी प्रतिज्ञा लेता हैं?
🅰जीवनपर्यन्त के लिये सर्व प्राणातिपात का त्याग करता हूँ ।

🅿3326 पहले महाव्रत मे  साधु किससे अपनी आत्मा को हटाते हैं?
🅰सर्व प्रकार के प्राणातिपात से।

🅿3327आलोचना किसकी करी जाती  हैं?
🅰व्रतो में लगे हुए दोषों की (अतिचारों की)।

🅿3328 दुसरे महाव्रत का नाम क्या हैं?
🅰सत्य महाव्रत ।


🅿3329 दुसरे महाव्रत में किसका त्याग किया जाता हैं?
🅰 सर्व प्रकार के मृषावाद का ।

🅿3330दुसरे महाव्रत में साधु क्या प्रतिज्ञाहैं?
🅰 'सव्वाओ मुसावायाओ वेरमणं ' मे सर्व प्रकार के मृषावाद का त्याग करता हूँ ।

🅿3331भाषा कितने प्रकार की हैं?
🅰 चार प्रकार की ।

🅿3332 चार प्रकार की भाषा कौन सी हैं?
🅰 1.सत्य भाषा। 2.असत्य भाषा  3.मिश्र भाषा 4.व्यवहार भाषा ।


🅿3333 साधु कितने प्रकार की भाषा का प्रयोग कर सकता हैं?
🅰 दो प्रकार की-1.सत्य भाषा 2.व्यवहार भाषा ।

🅿3334 सत्य को शास्त्रकारों ने किसकी उपमा दी हैं?
🅰 'सच्चं खु भगवं ' भगवान की उपमा दी हैं ।

🅿3335 सत्य के प्रश्नव्याकरण में  कितने नाम हैं?
🅰 तीस नाम हैं।

🅿3336 सत्य का विलोमार्थक शब्द कौन सा हैं?
🅰असत्य ।

🅿3337 असत्य किस कारणों के वशीभूत होकर बोला जाता हैं?
🅰क्रोध, मान,माया,लोभ,राग और द्वेष के वशीभूत होकर असत्य बोला जाता है ।

🅿3338 दशवैकालिक सूत्र में साधक कितने कारणों से असत्य न बोलने की प्रतिज्ञा लेता हैं?
🅰चार कारणों से (से कोहा वा,लोहा वा, भया वा, हासा वा )

🅿3339 मृषाभाषा बोलने वाले किसके पात्र बनते हैं?
🅰'अविस्सासो अ भूयाणं 'अविश्वास पात्र , अविश्वसनीय बनते हैं।

🅿3340 प्रज्ञापना सूत्रके कौन से पद में भाषा का वर्णन किया गया हैं?
🅰ग्यारहवें भाषा पद में ।

🅿3341 सत्य भाषा के कितने प्रकार हैं?
🅰दस प्रकार हैं ।

🅿3342 सत्य भाषा के10 प्रकार कौन-कौन से हैं?
🅰 1.जनपद सत्य
2.सम्मत सत्य3.स्थापना सत्य4. नाम सत्य 5.रूप सत्य6.प्रतीतिसत्य 7.व्यवहार सत्य 8.भाव सत्य9.योगसत्य 10.उपमा सत्य ।

🅿3343 सभी महाव्रत किस भाषा परटिके हुये हैं?
🅰सत्य भाषा पर टिके हुए हैं ।

🅿3344 जनपद सत्य किसे कहते हैं?
🅰देश विशेष की अपेक्षा से ईष्ट अर्थ का ज्ञान कराने वाली भाषा  जनपद सत्य है ।जैसे-कोकंण देश में पानी को पिच्च कहते हैं ।

🅿3345 सम्मत सत्य किसे कहते हैं?
🅰सभी लोगों को सम्मत होने से जो सत्य रुप प्रसिद्ध हो वह भाषा सम्मत सत्य है। जैसे पंकज शब्द का अर्थ कीचड़, कीचड़ में उत्पन्न होनेवाले कमल ही है अन्य
शेवाल,मेढ़क आदि नहीं ।

🅿3346 स्थापना सत्य किसे कहते हैं?
🅰सदृश-विसदृश आकार वाली वस्तु विशेष की स्थापना करके उसे उस नाम से कहना स्थापना सत्य कहलाता हैं।जैसे-शतरंज के मोहरो को हाथी,घोड़ा,ऊंट आदि कहना ।

🅿3347 नाम सत्य किसे कहते हैं?
🅰गुण की अपेक्षा नहीं करके किसी का नाम रख देना नाम सत्य  कहलाता है।जैसे कुल की वृद्धि नही करनेवाले व्यक्ति का नाम कुलवर्धन हैं।

🅿3348 रूप सत्य किसे कहते हैं?
🅰 रुप/वेश देखकर वेश के गुणोरहित पुरूष को भी उस रुप से कहना रूप सत्य कहलाता हैं।जैसे-कपट से साधु वेश पहनने वाले को साधु कहना ।

🅿3349 प्रतीति सत्य किसे कहते हैं ?
🅰दुसरी वस्तु की अपेक्षा से जो सत्य हैं ,वह प्रतीति सत्य हैं। जैसे - कनिष्ठा की अपेक्षा अनामिका बड़ी है, मध्यमांगुली की अपेक्षा अनामिका छोटी हैं।

🅿3350 व्यवहार सत्य किसे कहते  हैं?
🅰लोक व्यवहार की अपेक्षा से जो सत्य हैं उसे व्यवहार सत्य कहते हैं। जैसे- घड़ा झरता है पहाड़ जलता है। सच तो यह है कि पहाड़ नही जलता हैं किंतु पहाड़ पर रहे हुये तृण -काष्ठादि जलते हैं , घड़ा नही झरता कितु घड़े में रहा हुआ पानी झरता हैं ।

🅿3351भाव सत्य किसे कहते हैं?
🅰वर्णादि भावों की अपेक्षा से जो सत्य हो उसे उस वर्ण वाला कहना भाव सत्य कहलाता हैं।जैसे -कोयल काली है,तोता हरा है, बगुला सफेद है,यद्यपि उसमें पाँच ही वर्ण पाये जाते हैं ।

🅿3352 योग सत्य किसे कहते हैं?
🅰योग अर्थात संबंध की अपेक्षा से जो सत्य हो वह योग कहलाता हैं। जैसे- दण्ड के संबंध में दण्डी ,छत्र के संबंध में छत्री आदि ।
🅿3353 उपमा सत्य किसे कहते हैं?
🅰उपमा की अपेक्षा सत्य कथना करना उपमा सत्य कहलाता हैं ।

🅿3354 उपमा कितने प्रकार की व कौन-कौन सी  हैं?
🅰 उपमा चार प्रकार की हैं।1.सत् को सत् की उपमा 2. सत् को असत् की उपमा 3. असत् को सत् की उपमा 4.असत् को असत् की उपमा ।

🅿3355 सत् को सत् की उपमा कौन सी हैं?
🅰 जैसे -भ. पद्मनाथ (महापद्म) तीर्थकर भगवान महावीर के जैसे होंगे।

🅿3356सत् को असत् की उपमा कौनसी हैं?
🅰नारकी-देवता का आयुष्य पल्योपम -सागरोपम का सत् है किंतु पल्य सागर की उपमा असत् है।

🅿3357 असत् को सत् की उपमा कौन सी हैं?
🅰 पत्ते और वृक्ष की बातचीत में न पत्ते ने प्रश्न किया और न वृक्ष ने उत्तर ही दिया लेकिन तरूवर से पत्र अलग होते ही हैं।

🅿3358 असत् से असत् की उपमा कौन सी हैं?
🅰घोड़े के सिंग -गधे के सिंग जैसे हैं और गधे के सिंग घोडे़ के सींग जैसे हैं।

🅿3359 क्रोध के वशीभूत होकर झुठ कैसे बोला जाता हैं?
🅰'तू दास है' इस प्रकार कठोर वचन बोलना।

🅿3360 मान के वशीभूत होकर झुठ कैसे बोला जाता हैं?
🅰 बहुश्रुत न होकर भी अपने आप को बहुश्रुत, ज्ञानी,पड़ित बताना।

🅿3361 माया के वशीभूत होकर झुठ कैसे बोला जाता हैं?
🅰 गोचरीचर्या से जी चुराने के लिये बहाना बनाना ।

🅿3362लोभ के वशीभूत होकर झुठ कैसे बोला जाता हैं?
🅰सरस भोजन की प्राप्ति होते देखकर एषणीय नीरस आहार को अनेषणीय कहना।

🅿3363 हास्य  के वशीभूत होकर झुठ कैसे बोला जाता हैं?
🅰हंसी मजाक या कुतूहल वश झुठ बोलना ।

🅿3364 भय  के वशीभूत होकर झुठ कैसे बोला जाता हैं?
🅰दोष सेवन करने के पश्चात प्रायश्चित के भय से उसे स्वीकार नहीं करना ।

🅿3365 मृषावाद का त्याग किस महाव्रत में होता हैं?
🅰 दुसरे सत्य महाव्रत में ।

🅿3366 मृषावाद किसे कहते हैं?
🅰असत्य बोलने , सत्य से विपरीत कथन करने को मृषावाद कहते हैं।

🅿3367 मृषावाद कितने प्रकार का हैं?
🅰 चार प्रकार का ।

🅿3368 मृषावाद के चार प्रकार कौन-कौन से हैं?
🅰1.सद्भाव प्रतिषेध 2.असद्भाव उद्भावन 3.अर्थान्तर 4.गर्हा ।

🅿3369सद्भाव प्रतिषेत मृषावाद किसे कहते हैं?
🅰 जो वस्तु सत् रूप है उसका निषेध करना जैसे - जीव को अजीव कहना।

🅿3370 असद्भाव उद्भावन मृषावाद किसे कहते हैं?
🅰 जो नहीं हैं उसके विषय में कहना 'यह है' , आत्मा सर्व व्यापी नहीं हैं,उसे सर्व व्यापी कहना ।

🅿3371 अर्थान्तर मृषावाद किसे कहते हैं?
🅰 एक वस्तु को दुसरी कहना ,जैसे गाय को घोड़ा कहना ।
🅿3372 गर्हा मृषावाद किसे कहते हैं?
🅰 सत्य होते हुये भी जो पर पीड़ाकारी हो ऐसे वचन बोलना गर्हा असत्य हैं ।जैसे काने को काना कहना ।

🅿 3373 मृषावाद के चार कारण कौन से हैं?
🅰कोहा वा,लोहा वा,भया वा  हासा वा (क्रोध ,लोभ ,भय, हास्य के कारण से मृषावाद बोला जाता हैं।)

🅿3374 मृषा भाषा कितने प्रकार की हैं?
🅰 दस प्रकार की ।

🅿3375 दस प्रकार की मृषा भाषा कौन-कौन सी हैं?
🅰 क्रोध निसृत,मान निसृत, माया निसृत,लोभ निसृत,प्रेमनिसृत,द्वेष निसृत, हास्य निसृत, भय निसृत आख्यायिका निसृत , उपघात निसृत ।

🅿3376 क्या दस प्रकार की मृषाभाषा साधु बोल सकता हैं?
🅰नहीं बोल सकता हैं।

🅿 3378 क्या साधु व्यवहार भाषा बोल सकता हैं?
🅰 हाँ बोल सकता हैं।

🅿3379 व्यवहार भाषा कितने प्रकार की हैं?
🅰 बारह प्रकार की ।

🅿3380 व्यवहार भाषा के बारह भेद कौन कौन से हैं?
🅰 1.आमंत्रणी 2.आज्ञापनी 3.याचनी 4.पृच्छनी 5. प्रज्ञापनी 6.प्रत्याख्यानी 7.इच्छानुलोमा 8.अनभिगृहीता 9.अभिगृहिता 10.संशयकरणी 11.व्याकृता 12.अव्याकृता ।

🅿3381 आमंत्रणी व्यवहार भाषा किसे कहते हैं?
🅰 'हे देवदत्त ' इस प्रकार संबोधन रुप भाषा को आमंत्रणी भाषा कहते हैं ।

🅿3382 आज्ञापनी व्यवहार भाषा किसे कहते हैं?
🅰आज्ञा रुप भाषा ,जैसे यह करो ,उठो,बैठो इत्यादि ।

🅿3383याचनी व्यवहार भाषा किसे कहते हैं?
🅰अमुक वस्तु दो इस प्रकार याचना रूप भाषा ।


🅿3384 पृच्छनी व्यवहार भाषा किसे कहते हैं?
🅰अज्ञात अथवा संदिग्ध वस्तु का ज्ञान करने के लिये उस विषय के ज्ञाता से पूछना ।

🅿3385 प्रज्ञापनी व्यवहार भाषा किसे कहतेहैं?
🅰विनीत जन को उपदेश देना जिससे वे प्राणीबंध आदि से निवृत बने ।

 🅿3386 प्रत्याख्यानी व्यवहार भाषा किसे कहतेहैं?
🅰प्रत्याख्यान करना अथवा प्रत्याख्यान करवाने रूप भाषा ।

🅿3387इच्छालुनोमा व्यवहार भाषा किसे कहतेहैं?
🅰 कोई व्यक्ति किसी कार्य को शुरु करते हुए पुछे,तो उस पर यह कहना कि जैसी तुम्हारी इच्छा ।

🅿3388अनाभिगृहीता व्यवहार भाषा किसे कहतेहैं?
🅰 जिस भाषा से नियत का अर्थ निश्चय न हो , जैसे बहुत कार्य होने पर कोई किसी से पुछे  कि अब क्या करुं ?इस पर यह कहना जो देखो सो करो ।

🅿3389अभिगृहीता व्यवहार भाषा किसे कहतेहैं?
🅰जिस भाषा से नियत अर्थ का निश्चय हो । जैसे अभी यह कार्य करो यह मत करो ।

🅿3390संशयकरणी व्यवहार भाषा किसे कहतेहैं?
🅰जो भाषा अनेक अर्थ वाली होने से श्रोता के मन में संशय उत्पन्न करती हैं जैसे सैंघव शब्द नमक,वस्त्र, पुरुष,और घोड़े के अर्थ में भी प्रयुक्त होता हैं, इस कारण श्रोता के मन में सशंय उत्पन्न होता है कि इन 4 वस्तुओं मेंसे कौन सी वस्तु लाने को कहा ।
🅿3391व्याकृत व्यवहार भाषा किसे कहतेहैं?
🅰प्रकट और स्पष्ट अर्थ वाली भाषा ।

🅿3392अव्याकृत व्यवहार भाषा किसे कहतेहैं?
🅰जो भाषा गंभीर शब्द अर्थ वाली होने से स्पष्ट न हो ।

🅿3393क्या साधु मिश्र भाषा का प्रयोग कर सकता हैं?
🅰नहीं कर सकता हैं।

🅿3394कितने प्रकार की मिश्र भाषा साधु के लिए वर्जनीय हैं?
🅰दस प्रकार की ।

🅿3395 दस प्रकार की मिश्र भाषा कौन सी हैं?
🅰1.उत्पन्न मिश्रिता 2.विगत मिश्रिता 3.उत्पन्नविगत मिश्रिता 4.जीव मिश्रिता 5.अजीव मिश्रिता 6.जीवअजीवमिश्रिता 7.अनंत मिश्रिता 8.प्रत्येक मिश्रिता 9. अद्धा मिश्रिता 10.अद्धद्धा मिश्रिता ।

🅿3396 उत्पन्न मिश्रिता भाषा किसे कहते हैं?
🅰 किसी गाव में जन्म दर ज्ञात न होने पर भी कहना कि इस गांव में दस जन्मे ।

🅿3397विगत मिश्रिता भाषा किसे कहते हैं?
🅰किसी गांव मे मृत्यु दर ज्ञात न होने पर भी कहना कि इस गांव मे दस मरे ।

🅿3398उत्पन्न मिश्रिता भाषा किसे कहते हैं?
🅰जन्म और मृत्यु दर ज्ञात न होने पर भी कहना कि इस गांव मे दस मरे ।

🅿3399जीव मिश्रिता भाषा किसे कहते हैं?
🅰कोई व्यक्ति धान लाया उसमें धनेरिया भी है और कंकर भी है उसे कहना कि जीव ही जीव उठा लाया ।

🅿3400अजीव मिश्रिता भाषा किसे कहते हैं?
🅰कोई व्यक्ति धान लाया जिसमें कंकर भी हैं ,उसके लिए कहना कंकर ही ककंर उठा लाये है ककंर की अपेक्षा से सत्य हैं ,किंतु धान की अपेक्षा असत्य होने से मिश्रित भाषा हैं।

🅿3401जीव अजीव मिश्रिता भाषा किसे कहते हैं?
🅰कंकर मिश्रित धान्य के लिये कहना कि आधोआध उठा लाया यह जीवाजीव मिश्रिता है, क्योंकि धान और कंकर का परिणाम न्युनाधिक संभव हैं ।

🅿3402अनंत मिश्रिता भाषा किसे कहते हैं?
🅰पत्ते अथवा अन्य प्रत्येक वनस्पति काय से मिश्रित मूला आदि के लिए कहना यह अनंतकाय है, ऐसा कहना अनंतकाय है, ऐसा कहना अन्नत मिश्रिता भाषा है।

🅿3403प्रत्येक मिश्रिता भाषा किसे कहते हैं?
🅰प्रत्येक वनस्पति के समूह के साथ अनंतकाय को मिला हुआ देखकर कहना कि यह 'प्रत्येक वनस्पति' है, ऐसा कहना कि यह प्रत्येक मिश्रिता भाषा हैं।

🅿3404अद्धा मिश्रिता भाषा किसे कहते हैं?
🅰 दिन कहते हुये किसी को कहना -उठ रात हो गई अथवा रात्रि रहते हुये किसी को कहना कि 'दिन ऊग गया' चलो उठो यह अद्धा मिश्रिता भाषा हैं।

🅿3405अद्धद्धा मिश्रिता भाषा किसे कहते हैं?
🅰दिन या रात्रि का एक देश अद्धद्धा कहा जाता हैं। जैसे-पहली पोरसी के समय किसी को कहना -उठो,चलो दोपहर हो गया ,कहना अद्धद्धा मिश्रिता भाषा हैं।

🅿3406क्या साधु जीव मिश्रिता भाषा बोल सकता हैं?
🅰 नहीं बोल सकता हैं।

🅿3407 भाषा के पुदगल जीव कौन से योग से ग्रहण करता है और कौन से योग से निकालता हैं?
🅰काय योग से ग्रहण करता है वचन योग से निकालता हैं।

🅿3408भाषा की आदि किससे  हैं?
🅰जीव से है(भाषा का मूल करण जीव हैं )।

🅿3409भाषा की उत्पत्ति किससे हैं?
🅰 औदारिक ,वैक्रिय, आहारक,शरीर से भाषा की उत्पत्ति होती हैं।

🅿3410 भाषा का संस्थान कैसा हैं?
🅰वज्र के आकार का ।

🅿3411भाषा का संस्थान वज्र के आकार का ही कैसे हैं?
🅰लोक वज्र के संस्थान वाला है और भाषा के द्रव्य भी सारे लोक में व्याप्त होने से भाषा का संस्थान वज्र के आकार का है।

🅿3412 भाषा का अंत कहा होता हैं?
🅰लोकांत तक भाषा के पुदगल हैं उसके आगे भाषा के पुदगल नहीं जाते हैं।

🅿3413साधु दुसरे महाव्रत मे कौन सी भाषा बोलने का नियम लेता हैं?
🅰सत्य भाषा ।

🅿3414 दुसरे महाव्रत में द्रव्य से साधक क्या चिंतन करता हैं?
🅰क्रोध ,मान,माया,लोभ,राग,द्वेष आदि के वशीभूत होकर झूठ बोला हो ।

🅿3415 साधक सत्य का आचरण क्षेत्र की अपेक्षा कितने क्षेत्र में करता हैं?
🅰 सम्पूर्ण लोक में।

🅿3416 काल से कितने समय के लिये प्रतिज्ञा लेता हैं?
🅰 जीवन पर्यन्त के लिये ।

🅿3417 भाव से असत्य का  परित्याग कितने से करता हैं?
🅰3करण एंव 3योग से ।

🅿3418दुसरे महाव्रत को पुष्ट करनेवाली कितनी भावनाएं हैं?
🅰 अनुवीची भावना ।

🅿3419 अनुवीची भावना किसे कहते हैं?
🅰 विवेक एंव विचार पुर्वक बोलने को अनुवीची भावना कहते हैं।

🅿3420दुसरे महाव्रत की दूसरी भावना का नाम क्या हैं?
🅰क्रोध प्रत्याख्यान भावना ।

🅿3421क्रोध प्रत्याख्यान भावना किसे कहते हैं?
🅰क्रोध के वशीभूत होकर नहीं  बोले क्रोध आने पर आवेश आ

🅿3422क्रोध पर विजय किससे पायी जा सकती हैं?
🅰 क्षमा से क्रोध को जीता जा सकता हैं।

🅿3423दुसरे महाव्रत की तीसरी भावना का क्या नाम हैं ?
🅰लोभ प्रत्याख्यान भावना ।

🅿3424लोभ प्रत्याख्यान भावना किसे कहते हैं?
🅰 लोभ लालच के वशीभूत होकर झूठ नहीं बोलना ।

🅿3425लोभ कषाय को किससे जीता जा सकता हैं?
🅰लोभ आने पर उसे संतोष के द्वारा जीता जा सकता है।

🅿3426दूसरे महाव्रत की चौथी भावना का क्या नाम हैं?
🅰 भय प्रत्याख्यान भावना ।

🅿3427 भय को किसके द्वारा
 जीता जा सकता हैं
🅰धैर्य के द्वारा भय को जीता जा सकता है।
🅿3428 दुसरे महाव्रत की पांचवी भावना का नाम क्या हैं?
🅰 हास्य प्रत्याख्यान भावना ।

🅿3429 हंसी कितने कारणों से आती हैं?
🅰 1. पासेता -नट विदुषक चैष्टा को देखकर हंसी आती हैं ।
2.भासेता - किसी की हंसी की बात बोलते हुए या किसी के बोलने की नकल करने से हंसी आती हैं
3.सुषेता -हंसी की बात सुनकर हंसी आती हैं।
4.संभेरता-पूर्व में कोई हंसी की बात हुई हो,उसका स्मरण होने पर हंसी आती हैं।
🅿3430 लड़ाई का घर क्या हैं?
🅰 हंसी ।

🅿3431हास्य प्रत्याख्यान किसे कहते हैं?
🅰हास्य विनोद में प्रायः झूठ बोला जाता है अतः सत्य का आचरण करने वाले हंसी विनोद की बातों का त्याग प्रत्याख्यान करते हैं।

🅿3432हंसी को किसके द्वारा रोका जा सकता हैं?
🅰 मौन के द्वारा ।

🅿3433 हंसी-मजाक करने पर कौन सा कर्म बंधता हैं?
🅰हास्य मोहनीय कर्म ।

🅿3434 हंसी कौन से कर्म के उदय से होती हैं?
🅰हास्य मोहनीय कर्म के उदय से।

🅿3435 दुसरे महाव्रत की आराधना कितने करण कितने योगों से होती हैं?
🅰तीन करण तीन योगों द्वारा ।

🅿3436दुसरे महाव्रत मे कितने भंग हैं?
🅰216 भंग हैं।

🅿3437 दुसरे महाव्रत के216भंग किस प्रकार से होते है?
🅰 झुठ के कारण भूत -क्रोध, लोभ,भय,हास्य इन चार को तीन करण 3योग इन 9कोटि से गुणित करने पर 4×9=36 हुये या जागते हुये इन 36को दिन में रात में अकेले में, समुह में ,सोते हुये या जागते हुये इन 6विकल्पों से असत्याचरण नहीं करने से 36×6=216 भंग होते हैं।

🅿3438 तीसरे महाव्रत का नाम क्या है?
🅰अचौर्य महाव्रत।

🅿3439 तीसरे महाव्रत में किसका त्याग किया जाता हैं?
🅰 सभी प्रकार के अदत्तादान का ।

🅿3440 तीसरे महाव्रत में साधु किससे विरत रहता हैं?
🅰सर्व प्रकार के अदत्तादान से ।


🅿3441 तीसरे महाव्रत में साधु क्या प्रतिज्ञा करता हैं?
🅰 सव्वाओ आदिण्णादाणाओ वेरमणं ',मैं सर्व प्रकार के अदत्तादान का त्याग करता हूँ ।

🅿3442 कौन से सूत्र में अचौर्य संवर का अधिकार आया हैं?
🅰 प्रश्नव्याकरण सूत्र में ।

🅿3443 अचौर्य किसे कहते हैं?
🅰 स्वामी द्वारा प्रदत वस्तु को ग्रहण करना अचौर्य कहलाता हैं।

🅿3444 अदत्तादान किसे कहते हैं?
🅰 स्वामी द्वारा बिना दिये हुये वस्तु ग्रहण करना ।

🅿3445 तीर्थंकर भगवान द्वारा प्ररूपित आज्ञा के विरुद्ध संयम पालन करने पर कौनसा महाव्रत खंडित होता  हैं?
🅰तीसरा अचौर्य महाव्रत ।

🅿3446 दंत शोधन के तिनका बिना आज्ञा के लेने पर कौन सा महाव्रत खंडित है?
🅰तीसरा अचौर्य महाव्रत ।

🅿3447 गुणीजनों के गुणों को छिपाने से कौन सा महाव्रत खड़ित होता हैं?
🅰तीसरा अचौर्य महाव्रत ।

🅿3448 तपस्वी नहीं होने पर
 भी तपस्वी नाम धरावे तो कौन सा महाव्रत खड़ित होता हैं?
🅰तीसरा अचौर्य महाव्रत ।

🅿3449 जो प्राप्त आहारादि का संविभाग नहीं करता है उसके कौन सा महाव्रत खंडित होता हैं?
🅰तीसरा अचौर्य महाव्रत ।

🅿3450 जो वैर विरोध एंव विकथाएं करता है उसके कौन सा महाव्रत खड़ित होता हैं?
🅰तीसरा अचौर्य महाव्रत ।

🅿3451जो सोना चांदी की मालाएं आदि साधन रखता है उसके कौन सा महाव्रत खड़ित होता हैं?
🅰तीसरा अचौर्य महाव्रत ।

🅿3452 जो सामर्थ्य होते हुये भी वृद्ध , ग्लान ,रोगी , तपस्वी आदि की सेवा टहल नहीं करता उसके कौन सा महाव्रत मे दोष लगता हैं?
🅰तीसरे महाव्रत में।

🅿3453 तप का चोर किसे कहते हैं?
🅰 दूसरों की तपस्या को अपनी प्रतिष्ठा के लिये अपनी वाला चोर कहलाता हैं जैसे- किसी ने पुछा आप तपस्वी हैं, स्वयं अतपस्वी होते हुए कहना 'हाँ मैं तपस्वी हुं।

🅿3454 वचन का चोर किसे कहते हैं?
🅰 वाक्य के चोर को वचन का चोर कहते हैं। जैसे -किसी ने पूछा जो धर्म देशना देने में अत्यन्त निपुण सुने जाते हैं,वे क्या आप ही हैं।उत्तर में कहना कि साधु धर्म देशना देने में निपुण होते ही हैं।

🅿3455 रूप का चोर किसे कहा गया हैं?
🅰 पर के रुप का अपने मे आरोपण करनेवाला रुप का चोर कहलाता है।जैसे किसी ने पूछा -पूर्वज्ञात रुपवान क्या आप ही हैं।इसके उत्तर मे वचन से स्वीकार लेना या चुपी साध लेना वचन चोर हैं।

🅿3456 आचार का चोर किसे कहा गया हैं?
🅰 पर के ज्ञानादि 5आचारों में अपने मे आरोपित करनेवाला आचार चोर हैं ।

🅿3457 भाव का चोर किसे कहते हैं?
🅰 किन्हीं गीतार्थ मुनि से सूतार्थ का संदेश निवारण करके ऐसा कहे कि यह तो मुझे पहले ही मालूम था , आपके मुख से कुछ भी नवीनता नहीं सुनी जाती ,ऐसा कथन करने वाला भाव (जीवादि पदार्थ)का चोर हैं ।

🅿3458 तप,रुप,आचार, आदि का चोर मरकर कौन से स्थानों में जा सकता हैं?
🅰किल्विषी देवों में उत्पन्न हो सकता है ।

🅿3459 तप,रुप,आचार,वचन,भाव चोर का वर्णन कौन से शास्त्र में आयाहैं?
🅰दशवैकालिक सूत्र अध्ययन 5,उददेशक 2गाथा 46 में ।

🅿3460 स्थानांग सूत्र की टीका में कितने प्रकार के अद्त बताये हैं?
🅰चार प्रकार के अदत्त बताये हैं।

🅿3461 चार प्रकार के अदत्त कौन कौन से हैं?
🅰1. स्वामी अदत्त 2.जीव अदत्त 3.तीर्थंकर अदत्त 4. गुरु अदत्त ।

🅿3462 स्वामी अदत्त किसे कहते हैं? 
🅰जो वस्तु मालिक के द्वारा न दी जाये उसे ग्रहण करना स्वामी अदत्त है ।

🅿3463 जीव अदत्त किसे कहते हैं?  
🅰स्वामी के द्वारा दिये जाने पर भी यदि जीव द्वारा दत्त न हो तो वह जीव अदत्त कहलाती हैं। जैसे छह काया के जीवों ने हमें आज्ञा नहीं दी कि हमारा वध करो ,फिर भी वध करना ।

🅿3464 तीर्थंकर अदत्त किसे कहते हैं? 
🅰तीर्थकर भगवान द्वारा जिस आचरण की अनुमति न दी हो ,उसका आचरण करना या उसको ग्रहण करना तीर्थंकर अदत्त कहलाता हैं।

🅿3465 तीर्थंकर अदत्त के कोई उदाहरण बताईये ?
🅰जैसे राजपिंड लेना शय्यातर पिंड,नित्य पिंड आदि आहारादि को ग्रहण करना निषिद्ध है, उनकी आज्ञा के विरुद्ध आचरण करना तीर्थंकर अदत्त कहलाता हैं।

🅿3466 गुरु अदत्त किसे कहते हैं? 
🅰तीर्थंकर परमात्मा द्वारा अनुज्ञात होने पर भी यदि गुरु की आज्ञा न हो तो उसे ग्रहण करना गुरु अदत्त कहलाता हैं।

🅿3467तीसरे महाव्रत के पाठ में कितने प्रकार के अदत्त बताये गये हैं?
🅰 छह प्रकार के अदत्त बताये हैं।

🅿3468तीसरे महाव्रत के पाठ में छह  प्रकार के अदत्त कौन कौन से हैं?
🅰1.देव अदत्त 2. गुरु अदत्त 3.राजा अदत्त 4.गाथापति अदत्त 5.साधर्मी अदत्त 6.शय्यातर अदत्त ।

🅿3469 देव अदत्त क्या होता हैं?
🅰 देव के द्वारा अनुज्ञात नहीं होने पर ग्रहण करना देव अदत्त कहलाता हैं।

🅿3470 देव अदत्त कितने प्रकार का होता हैं?
🅰 1.तीर्थंकर देव द्वारा अनुज्ञात न होने पर ग्रहण करना देव अदत्त कहलाता है ।2. शक्रेन्द्र आदि देवगतिक देवों  द्वारा अनुज्ञात न होने पर ग्रहण करना देव अदत्त कहलाता हैं ।

🅿3471 शक्रेन्द्र द्वारा अदत्त कैसे कहलाता हैं?                                      
🅰परठते समय शक्रेन्द्र की आज्ञा नहीं ले तो शक्रेन्द्र द्वारा अदत्त कहलाता है।

🅿3472 मार्ग में वृक्ष के नीचे ठहरना हो तो किसकी आज्ञा लेनी चाहिए ?
🅰 यदि कोई पथिक वहां बैठा हो या जा रहा होतो उसकी आज्ञा लेकर बैठे ।

🅿3473 वृक्ष के नीचे ठहरने के लिये पथिक की अनुपस्थिति में किसकी आज्ञा लेकर बैठें?
🅰वृक्ष के नीचे ठहरने के लिये पथिक की अनुपस्थिति में  आज्ञा शक्रेन्द्र महाराज की आज्ञा लेकर बैठें ।
🅿3474वृक्ष के नीचे ठहरने शक्रेन्द्र महाराज की आज्ञा क्यों ली जाती हैं?
🅰क्योंकि शक्रेन्द्र का दक्षिण लोक पर अधिकार होने से ।

🅿3475  शक्रेन्द्र की आज्ञा लेने के पीछे कारण क्या हैं?
🅰 किन्हीं 2वृक्षादि के मूल में व्यंतरादि देवों का निवास होता हैं और ऐसे वृक्ष के नीचे कदाचित साधु -साध्वी थोड़ी देर विश्राम के लिये रुके हुये हों और वृक्ष के मूल निवास करनेवाला देव कदाचित मिथ्यादृष्टि हो तो वह साधु -साध्वी  को विभिन्न प्रकार के उपसर्ग द्वारा व्यथित कर सकता है यदि वृक्ष के नीचे विश्राम लेने से पूर्व शक्रेन्द्र द्वारा अनुज्ञा लेने पर वह व्यंतर देव कुछ नहीं कर सकता है क्योंकि जैसे मालिक की अनुज्ञा प्राप्त कर लेने से चाहते हुये भी नौकर उसका निषेध आदि कुछ कर नहीं सकता हैं।

🅿3476 पितृ कुल में रहने वाली विधवा पुत्री की आज्ञा ले सकते हैं?
🅰 हाँ ले सकते हैं ।उस घर में खाना न खाती हो तो ।

🅿3477 किसी देवकुल, व्यंतरायतन आदि स्थानों में किसकी अनुज्ञा लेनी चाहिए?
🅰गृह स्वामी हो तो गृहस्वामी की अनुपस्थिति में शक्रेन्द्र की अनुज्ञा के साथ-साथ उस व्यंतरायन के अधिष्ठायक देव की भी ले सकते हैं ।

🅿3478 साधु को राज्य मे विचरण करते समय किसकी आज्ञा लेना चाहिए ?
🅰राजा की आज्ञा ।

🅿3479 राजा की आज्ञा नहीं लेने पर कौन सा अदत्त लगता हैं?
🅰राजा अदत्त ।

🅿3480 साधु को राज्य में विचरण के समय राजा की आज्ञा क्यों लेनी पड़ती हैं?
🅰राज्य के कुछ उपद्रव जन्य स्थिति हो तो राजा अपने राज्य में विचरण शील साधु की रक्षा, सुरक्षा कर सकता हैं ।

🅿3481 राजा की अनुज्ञा होने पर यदि राजा का परिवर्तन हो जाये तो क्या करना चाहिए ?
🅰 नये राजा की अनुज्ञा लेनी चाहिए ।

🅿3482 साधु किसकी नेश्राय मे विचरण करे?
🅰 गुरु की (आचार्य आदि की )

🅿3483 गुरु अदत्त कब लगता हें?
🅰 गुरु की अनुज्ञा न होने पर तद् विपरीत आचरण करना गुरु अदत्त कहलाता हैं। 

🅿3484 गाथापति अदत्त किस प्रकार लगता हैं?
🅰 गृह स्वामी की बिना अनुमति से कोई भी वस्तु लेने से गाथापति अदत्त लगता हैं।

🅿3485 साधर्मी किसे कहते हैं?
🅰एक समान धर्म का आचरण करनेवाले तथा समान समाचारी का पालन करने वाले साधार्मिक कहलाते हैं।

🅿3486 साधर्मी अदत्त किसे कहते हैं?
🅰 अपने समान धर्मका आचरण करनेवाला साधर्मिक साधु से बिना अनुज्ञा प्राप्त किये उसकी नेश्राय की किसी वस्तु को लेना साधर्मी अदत्त कहलाता हैं। 

🅿3487 साथ वाले संत-सती की पुस्तकादि उसकी बिना अनुमति लिये ग्रहण करना कौन सा अदत्त हैं?
🅰 साधर्मी अदत्त ।

🅿3488 राजा की आज्ञा लेने से क्या फायदा हैं?
🅰 राजा दुष्टों का निग्रह और साधुओं का अनुग्रह करके धर्म के पालन मे आलम्बन होता हैं। 

🅿3489 गाथापति संयम मे किस प्रकार सहायक होता है?
🅰 गृहस्थ ठहरने का स्थान और भोजन पान देकर साधुजनों को सहायक बनता हैं। 

🅿3490 शय्यातर अदत्त किसे कहते हैं?
🅰 शय्यातर की वस्तु उसकी बिना आज्ञा के ग्रहण करना शय्यातर अदत्त कहलाता हैं।

🅿3491साधु क्षेत्र की अपेक्षा कितने  क्षेत्र के अदत्त ग्रहण का त्याग करता हैं?
🅰 सम्पूर्ण लोक आदि के अदत्त का त्याग करता है। 

🅿3492 तीसरा महाव्रत साधु कितने समय के लिये अंगीकार करता हैं?
🅰जीवन पर्यन्त के लिये ।

🅿3493कितने करण ओर योग से अदत्त का त्याग किया जाता हैं?
🅰 तीन करण एवं तीन योग से ।

🅿3494 तीसरे महाव्रत को पुष्ट करनेवाली कितनी भावनाएं हैं?
🅰पाँच भावनाएं है।

🅿3495 अचौर्य व्रत को परिपुष्ट करनेवाली पहली भावना कौनसी हैं?
🅰 18 प्रकार का निर्दोष
स्थान आज्ञा लेकर ग्रहण करना ।

🅿3496 18 प्रकार का निर्दोष स्थान में अनुज्ञा लेकर ठहरना क्या कहलाता हैं?
🅰 विविक्त वसतिवास।

🅿3497 तीसरे महाव्रत की दूसरी भावना कौन सी हैं?
🅰 तृण काष्ठ कंकर आदि बिना आज्ञा से नहीं लेना ।

🅿3498 तृण काष्ठ कंकर आदि बिना आज्ञा से नहीं लेना क्या कहलाता हैं?
🅰 अनुज्ञात संस्तारक ग्रहण ।

🅿3499 तीसरे महाव्रत की तीसरी भावना कौन सी हैं?
🅰 ऊंची-नीची ,खड्डे खोचरे वाली भूमिका को सुधरवा कर नहीं भोगना 'शय्या परिकर्म वर्जन ' है। 

🅿3500 तीसरे महाव्रत की चौथी भावना कौन सी हैं?
🅰स्वधर्मी का ,देव का ,इन्द्र का,राजा का ,गाथापति का, शय्यातर का अदत्त नहीं लेना 'अनुज्ञात भक्तादि भोजन ' हैं।

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