महावीर कथा 4
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*महावीर के उपदेश ग्रुप से*
📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕
🔴 *नगर में ढिंढोरा* 🔴2⃣9⃣6⃣
महारानी को शांत😔 करके महाराजा बाहर आये और मंत्री 👳🏽♀को बुला कर भगवान का अभिग्रह जानने और शीघ्र पारणा🍪🍶 करवाने का आदेश दिया।महाराज ने तथ्यकंदी नाम के उपाध्याय को बुलाया ।
🍁वह सभी धर्मो के आचार आदि शास्रो 📖📚का ज्ञाता था उससे भगवान के अभिग्रह के विषय मे पूछा उपाधयाय ने कहा,"
राजेन्द्र !! महर्षियों ने द्रव्य ,क्षेत्र ,काल और भाव के भेद से अनेक प्रकारके अभिग्रह बतलाए है ।परन्तु भगवान ने कौनसा अभिग्रह लिया है ,यह तो विशिष्ट ज्ञानी के अतिरिक्त कोई नही बता सकता।"
🍁राजा ने हताश😞 हो कर नगर में घोषणा करवाई की भ महावीर ने किसी प्रकार की अभिग्रह धारण किया हैं ।नगर में जिसके घर भगवान पधारे ,उसे विविध प्रकार की निर्दोष सामग्री भगवान के सामने उपस्थित कर के पारणा🍪🍶 हो जाये ऐसा प्रयत्न करना चाहिए🙏🏼🙏🏼
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*महावीर के उपदेश ग्रुप से*
📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕
🔴 *वसुमती का पन्ना* 🔴2⃣9⃣7⃣
🍁महावीर प्रभु को तप करते करते छह मास होने को आये थे ।आज कौशाम्बी के मार्ग पर चलते चलते प्रभु उस मार्ग🛣 पर पहुचे जहाँ धन्नावह सेठ का घर🏠 था ।
🍁धन्नासेठ के सुनसान घर के दरवाजे🏠 पर दासत्व की प्रतीक बेड़िया पहनी हुई *वसुमती* द्वार पर थी ....धन्नासेठ गुलामो के बाजार से मुक्त कर घर लाये थे ।पर यहाँपर भी दुर्भाग्य ने साथ नही छोड़ा ।हाथ पांव में बेड़ी⛓⛓ थी ।खाने के लिए सुप में उड़द के बाकले🥗 थे ,दीनता की प्रतिमूर्ति बनी हुई कभी वह अपने भाग्य को कोसने😞😔 लगी...
🍁 आखों के👀 सामने वे दिन याद आ गए जब मां बापकी दुलारी राजकुमारी👩🏼 थी ।कहाँ मैं राजकन्या ,उच्चकुलोप्तन्न ,भरपूर वैभव में पली हुई ,दास दासियो द्वारा सेवित।मेरे भोजनालय🍪🍪 में रोज सैकड़ो मनुष्य भोजन करते थे और दान पाते थे और कहा आज बन्दीगृह में भूखी पड़ी हुई मैं कृतदासी !!
🍁कर्म के खेल कितने और कैसे कैसे रूप सजाते है ? वैभव के शिखर⛰⛰ से दासत्व के भूमि पर गिरने में कितना समय लगता है ❓
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*महावीर के उपदेश ग्रुप से*
📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕
🔴 *चंदना की प्रतिक्षा..* 🔴2⃣9⃣8⃣
🍁आज तीन दिन की भूख प्यास सहन करने के बाद मुझे ये कुल्मास🥗 ही मिले है ।अपनी हीन 😞दशा के विचार से हृदय उमड़ा और आंसू😭😭 झरने लगे ।
उसने सोचा🤔 जठर की ज्वाला🔥 तो इनसे भी शान्त हो जाएगी ।परन्तु यदि कोई अतिथि आवे ,तो इनमे से कुछ उसे देकर मैं खाऊ !!
🍁वह खुले द्वार ⛩की ओर देखने लगी ।उसी समय दीर्घ तपस्वी अभिग्रह धारी भ महावीर भिक्षार्थ भ्रमण करते हुए वहाँ पधारे ।भगवान को देख चंदना (वसुमती) हर्षतित 🤗🤗हुई अहो !!कितना उत्तमोत्तम महापात्र !कितना शुभ संयोग ।"वह सूपड़ा लेकर द्वार के निकट आयी ।एक पाव देहली के बाहर रखते हुए खड़ी हुई।बेड़ी⛓ होने के कारण दूसरा पाँव देहली के बाहर नही निकाल पायी ।
🍁वह हर्ष ☺से भीगी हुई भगवान के सामने सुप को आगे करती है ।महावीर बिना कुछ लिए मुड़😑 जाते है ।किनारे पर आनेपर भी कोई डूबने लगे...मझन्धर में डूबते को अचानक कोई सम्बल हाथ मे आये ,कोई दीप दिखाई दे और वह छूट जाए ,ऐसी भय 😨😭में डूबी वसुमती हो गई..
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*महावीर के उपदेश ग्रुप से*
📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕
🔴 *भाग्यशाली चंदना* 🔴2⃣9⃣9⃣
🍁आखों में आंसू😭 आ गए।भगवान वापस मुड़े ,द्रव्यादि की शुद्धि और अभिग्रह की पूर्तिक विचार कर के हाथ लम्बा🙌🏿 किया।चन्दना मनमे हर्षित ☺होती हुई और अपने आपको धन्य मानती हुई सुपडे के बाकले प्रभु के हाथ मे डाले।
🍁भगवान का अभिग्रह पूर्ण होकर पारणा🍪🍶 हुआ।देवो ने प्रसन्नतापूर्वक रत्नादि पंचदिव्योकि की वर्षा ⚡🌟✨की और *अहोदान अहोदान* !! का घोष किया ।
🍁चंदना की बेड़िया ⛓⛓अपने आप झड़ गई और उनके स्थान पर नुपुर आदि स्वर्णमय आभूषण शोभायमान होने लगे ।उसके मुंडित मस्तक पर पूर्व के समान केश शोभयमन थे।देवोने चंदना का सारा शरीर वस्रालंकार से सुशोभित कर दिया देवगण गीतनृत्यादी 💃🏻💃🏻🕺🏽से हर्ष व्यक्त करने लगे ।दुदुंभी📢📣 नाद सुनकर राजा रानी ,मंत्री आदि तथा नगरजन शीघ्रता से वहाँ आये देवराज शक्र भी भगवान को वंदना करने वहाँ आये🙏🏼🙏🏼
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*महावीर के उपदेश ग्रुप से*
📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕
🔴 *दिव्यवृष्टि की वर्षा* 🔴3⃣0⃣0⃣
🍁सम्पूल नामक एक बंदी जो उस भीड़👨👩👦👦 में था मुक्त बनकर वहाँ आया था।चंदना 🙎🏼को देखते ही वह भीड़ में निकल कर उसके निकट आया और चंदना के पाँव में गिर पड़ा ।
🍁वह रोने लगा 😭।उसे देख चंदना भी रोने लगी ।राजा ने उससे पूछा तू क्यों रो रहा है ❓उसने कहा "महाराज !मेंरे स्वामी चंपा नरेश दधिवाहन🤴🏼 एवम महारानी धारिणी👰 की यह पुत्री है ।राजकुमारी ,मातापिता से बिछुड़ कर किस दुर्दशा में पड़ी और दासी बनी ।"
🍁यह सब सोच कर मेंर हृदय भर आया और इसी से मैं रो😭 पड़ा
"अरे !यह कुमारी धारिणी👰 की पुत्री वसुमती है ❓धारिनिदेवी तो मेरी बहन है ।यह तो मेरे लिए भी पुत्री के समान हुई ।अब यह मेरे पास ही🤗 रहेगी ।"
महारानी मृगावती ने कहा
🍁भगवान का पांच दिन कम छह माह के तप का पारणा ,धनावह सेठ के घर हुआ।पारणा🍱 कर के भगवान लौट आये।इसके बाद राजा ने दिव्यवृष्टि ⚡🌟✨में वर्षा हुआ सभी धन राज्य भंडार में ले जाने का सेवको को आदेष दिया
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📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕
🔴 *शकेंद्र की भविष्यवाणी* 🔴3⃣0⃣1⃣
🍁तब शकेंद्र ने कहाँ," राजेन्द्र इस द्रव्य💰💷 पर आपका अधिकार नही है इस कुमारी का है ।भगवान को पारणा🍱 इसने करवाया है आपने नही।यह जिसे दे वही ले सजता है ।"
🍁राजा ने चंदना से" पूछा शुभे👰 !!
तू ये रत्नादि🌟 किसे देना चाहती है ?"
"इस द्रव्य पर 💰💷स्वामित्व इन सेठ का है ।ये मेरे पालक पोषक पिता है ।चंदना के निर्णय के अनुसार समस्त द्रव्य धनावह सेठ 👱🏽ने ग्रहण किया ।शकेंद्र ने राजा शतानीक से कहाँ , *"यह कुमारी काम भोग से विमुख है और चरम शरीरी है ।भ महावीर को जब केवलज्ञान ✨✨प्राप्त होगा के बाद यह भगवान की प्रमुख शिष्या होगी* ।ईसलिये जबतक भगवान को केवलज्ञान नही हो जाये ,तब तक आप इसका पालन करे।"
शकेंद्र भगवान को वंदन 🙏🏼करके चला गया ।शतानीक चन्दनबालाजी👰 को ले गया और अपनी पुत्रियोके साथ कवारे अंतपुर में रखा
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*महावीर के उपदेश ग्रुप से*
📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕
🔴 *प्रभु का विहार* 🔴3⃣0⃣2⃣
🍁कौशबी से विहार 🚶🏽🚶🏽कर के भगवान सुमंगल गांव पधारे ।यहाँ तीसरे स्वर्ग के स्वामी सनतकुमार ने आ कर भगवान को वंदन👏🏽👏🏽 नमस्कार किया।
🍁वह से प्रभु पालक गांव पधारे।उस गांव से भायल नामक वणिक यात्रार्थ🏇🏽🏇🏽 जा रहा था।उसने भगवान को अपशकुन मान कर क्रोधित 😡😠हुआ।यात्रा का प्रारम्भ करने जा रहा था किसने मुंडित सिर दिगम्बर काया देखकर आक्रोश आया।
🍁रोष में आकर उसने तलवार🗡🗡 ली और दौड़ पड़ा ताकि वह अपशकुन को काट दे उसे समाप्त कर दे ...
🍃 *अरे !!वो प्रभु जिनकी आराधना करके सारे अपशकुन शगुन में बदल सकते थे,उन्ही प्रभु की ओर वह तलवार लेके दौड़ा....नादानी मूर्खता का कोई क्या करे??*🍃
🍁नादानी मंगल को भी अमंगल में बदल🤗 सकती है।प्रभु को किसी से कोई दुश्मनी नहीं...प्रभु किसी का अप शकुन नही करते ।जैसे ही वह तलवार 🗡लेके दौड़ता है ठोकर खाकर गिरता है और अपनी ही तलवार से उसकी गर्दन काट जाती हैं।
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*महावीर के उपदेश ग्रुप से*
📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕
🔴 *केवलज्ञान की राह पर....* 🔴3⃣0⃣3⃣
🍃 *जिसने प्रभु को अमंगल माना ,अमंगल का फल पाया*
*जिसने प्रभु को मंगल माना ,मंगल का फल पाया* 🍃
जिनभद्र क्षमाश्रमन कहते है *मंगल बुद्धि परिग्रह मंगलम*
मंगल बुद्धि से जिसका परिग्रह होता है वह मंगल कार्य करता है
अमंगल बुध्दि से जिसका परिग्रह होता है वह अमंगल का कार्य करता है
सिद्धर्थ नामक देव👱🏽 ने यह उपसर्ग निवारा।पालक गांव से भगवान चंपा नगरी पधारे।वहाँ भगवान ने *बारहवा चातुर्मास* किया और चार महीने का दीर्घ तपस्या कर ली ।वहाँसे भगवान ज्रम्भक गाँव🏯 पधारे ।वहाँ इंद्र आया और वंदना 🙏🏼👏🏽करके कहने लगा ,"भगवान अब आपको थोड़े ही दिनों में केवलज्ञान और केवलदर्शन ✨🌟प्रकट हो जाएगा।"
वहाँ से भगवान मेढ़क ग्राम पधारे वहाँ चरमरेंद्र ने आकर वंदना🙏🏼👏🏽 की
✍ संकलन
बेहेन सोनालीजी कटारिया
निरगुड़सर,पूना
*महावीर के उपदेश ग्रुप टीम*
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🔴 *आखरी उपसर्ग...* 🔴3⃣0⃣4⃣
मेढ़क ग्राम से विहार करके भगवान *षणमानी ग्राम* पधारे और ग्राम के बाहर उदायन में प्रतिमा 😷धारण कर के ध्यानस्थ हो गए ।यहाँ एक घोर असतावेदनीय कर्म भगवान के उदय 😔😞में आया।
🍁वसुदेब कि भव में भगवान ने जिस शय्यापालक के कानों में उबलता हुआ शीशा डलवाया था ,वह पापकर्म यहाँ उदय में आया ।उस शय्यापालक का जीव ,भव भ्रमण करता हुआ मनुष्य👲🏽 भव में आया।वह इसी गांव में गोपालक था ।गोपालक भगवान के निकट अपने चरते हुए बैल🐄🐂 छोड़कर गायों को दुहने के लिए गांव में चला गया ।
🍁दूध दुहने के बाद वह लौटा ,तो उसे अपने बैल 🐄🐂वहाँ नही मिले ।उसने भगवान से पूछा," मेरे बैल कहाँ है ? "
भगवान तो ध्यानस्थ 😷थे ।उन्होंने कोई उत्तर नही दिया ,तो ग्वाला क्रोधित हो गया ।
वह आक्रोश पुर्बक 😡😡बोला ,""अरे ओ पापी !!मेरे बैल कहाँ है ?बोलता क्यो नही ?ये तेरे कान है ,या खड्डे ?""
✍ संकलन
बेहेन सोनालीजी कटारिया
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🔴 *ग्वाले का क्रोध....* 🔴3⃣0⃣5⃣
वह आक्रोश पुर्बक😡😡 बोला ,"अरे ओ पापी !!मेरे बैल कहाँ है ?बोलता क्यो नही ?ये तेरे कान👂🏾👂🏾 है ,या खड्डे ?"
जब भगवान की ओरसे कोई उत्तर नही मिला तो उसका क्रोध😡 उग्रतम हो गया ।
🍁उसने काश की तीक्ष्ण सलाई ले कर भगवान के दोनों कानो में इस प्रकार ठोक दी ,जिससे दोनों सलाइयांकी नोक परस्पर जुड़ गई ।इसके बाद कर्णरंध्र👂🏾 के बाहर रहे हुए सिरों को काट कर कानो के बराबर कर दिए ,जिससे किसी को दिखाई नही दे ।इतना कर के वह चला गया ।
🍁इस घोर उपसर्ग से भगवान को महावेदना😔 हुई ,परन्तु प्रभु अपने ध्यान😷 में मेरु के समान अड़ौल ही रहे ।वहाँसे विहार करके प्रभु मध्य अपापा नगरी पधारे और पारणा लेने के लिए सिद्धार्थ नामक व्यापारी 👳🏾के घर मे प्रवेश किया ।उस समय सिद्धार्थ के यहाँ उसका मित्र खरक वैद्य👨🏼⚕ बैठा था।भगवान के पधारने पर सिद्धर्थ ने उन्हें वंदना👏🏽 की और भक्तिपूर्वक आहार 🍱दिया।
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🔴 *नगर में ढिंढोरा* 🔴2⃣9⃣6⃣
महारानी को शांत😔 करके महाराजा बाहर आये और मंत्री 👳🏽♀को बुला कर भगवान का अभिग्रह जानने और शीघ्र पारणा🍪🍶 करवाने का आदेश दिया।महाराज ने तथ्यकंदी नाम के उपाध्याय को बुलाया ।
🍁वह सभी धर्मो के आचार आदि शास्रो 📖📚का ज्ञाता था उससे भगवान के अभिग्रह के विषय मे पूछा उपाधयाय ने कहा,"
राजेन्द्र !! महर्षियों ने द्रव्य ,क्षेत्र ,काल और भाव के भेद से अनेक प्रकारके अभिग्रह बतलाए है ।परन्तु भगवान ने कौनसा अभिग्रह लिया है ,यह तो विशिष्ट ज्ञानी के अतिरिक्त कोई नही बता सकता।"
🍁राजा ने हताश😞 हो कर नगर में घोषणा करवाई की भ महावीर ने किसी प्रकार की अभिग्रह धारण किया हैं ।नगर में जिसके घर भगवान पधारे ,उसे विविध प्रकार की निर्दोष सामग्री भगवान के सामने उपस्थित कर के पारणा🍪🍶 हो जाये ऐसा प्रयत्न करना चाहिए🙏🏼🙏🏼
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*महावीर के उपदेश ग्रुप से*
📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕
🔴 *वसुमती का पन्ना* 🔴2⃣9⃣7⃣
🍁महावीर प्रभु को तप करते करते छह मास होने को आये थे ।आज कौशाम्बी के मार्ग पर चलते चलते प्रभु उस मार्ग🛣 पर पहुचे जहाँ धन्नावह सेठ का घर🏠 था ।
🍁धन्नासेठ के सुनसान घर के दरवाजे🏠 पर दासत्व की प्रतीक बेड़िया पहनी हुई *वसुमती* द्वार पर थी ....धन्नासेठ गुलामो के बाजार से मुक्त कर घर लाये थे ।पर यहाँपर भी दुर्भाग्य ने साथ नही छोड़ा ।हाथ पांव में बेड़ी⛓⛓ थी ।खाने के लिए सुप में उड़द के बाकले🥗 थे ,दीनता की प्रतिमूर्ति बनी हुई कभी वह अपने भाग्य को कोसने😞😔 लगी...
🍁 आखों के👀 सामने वे दिन याद आ गए जब मां बापकी दुलारी राजकुमारी👩🏼 थी ।कहाँ मैं राजकन्या ,उच्चकुलोप्तन्न ,भरपूर वैभव में पली हुई ,दास दासियो द्वारा सेवित।मेरे भोजनालय🍪🍪 में रोज सैकड़ो मनुष्य भोजन करते थे और दान पाते थे और कहा आज बन्दीगृह में भूखी पड़ी हुई मैं कृतदासी !!
🍁कर्म के खेल कितने और कैसे कैसे रूप सजाते है ? वैभव के शिखर⛰⛰ से दासत्व के भूमि पर गिरने में कितना समय लगता है ❓
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*महावीर के उपदेश ग्रुप से*
📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕
🔴 *चंदना की प्रतिक्षा..* 🔴2⃣9⃣8⃣
🍁आज तीन दिन की भूख प्यास सहन करने के बाद मुझे ये कुल्मास🥗 ही मिले है ।अपनी हीन 😞दशा के विचार से हृदय उमड़ा और आंसू😭😭 झरने लगे ।
उसने सोचा🤔 जठर की ज्वाला🔥 तो इनसे भी शान्त हो जाएगी ।परन्तु यदि कोई अतिथि आवे ,तो इनमे से कुछ उसे देकर मैं खाऊ !!
🍁वह खुले द्वार ⛩की ओर देखने लगी ।उसी समय दीर्घ तपस्वी अभिग्रह धारी भ महावीर भिक्षार्थ भ्रमण करते हुए वहाँ पधारे ।भगवान को देख चंदना (वसुमती) हर्षतित 🤗🤗हुई अहो !!कितना उत्तमोत्तम महापात्र !कितना शुभ संयोग ।"वह सूपड़ा लेकर द्वार के निकट आयी ।एक पाव देहली के बाहर रखते हुए खड़ी हुई।बेड़ी⛓ होने के कारण दूसरा पाँव देहली के बाहर नही निकाल पायी ।
🍁वह हर्ष ☺से भीगी हुई भगवान के सामने सुप को आगे करती है ।महावीर बिना कुछ लिए मुड़😑 जाते है ।किनारे पर आनेपर भी कोई डूबने लगे...मझन्धर में डूबते को अचानक कोई सम्बल हाथ मे आये ,कोई दीप दिखाई दे और वह छूट जाए ,ऐसी भय 😨😭में डूबी वसुमती हो गई..
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🔴 *भाग्यशाली चंदना* 🔴2⃣9⃣9⃣
🍁आखों में आंसू😭 आ गए।भगवान वापस मुड़े ,द्रव्यादि की शुद्धि और अभिग्रह की पूर्तिक विचार कर के हाथ लम्बा🙌🏿 किया।चन्दना मनमे हर्षित ☺होती हुई और अपने आपको धन्य मानती हुई सुपडे के बाकले प्रभु के हाथ मे डाले।
🍁भगवान का अभिग्रह पूर्ण होकर पारणा🍪🍶 हुआ।देवो ने प्रसन्नतापूर्वक रत्नादि पंचदिव्योकि की वर्षा ⚡🌟✨की और *अहोदान अहोदान* !! का घोष किया ।
🍁चंदना की बेड़िया ⛓⛓अपने आप झड़ गई और उनके स्थान पर नुपुर आदि स्वर्णमय आभूषण शोभायमान होने लगे ।उसके मुंडित मस्तक पर पूर्व के समान केश शोभयमन थे।देवोने चंदना का सारा शरीर वस्रालंकार से सुशोभित कर दिया देवगण गीतनृत्यादी 💃🏻💃🏻🕺🏽से हर्ष व्यक्त करने लगे ।दुदुंभी📢📣 नाद सुनकर राजा रानी ,मंत्री आदि तथा नगरजन शीघ्रता से वहाँ आये देवराज शक्र भी भगवान को वंदना करने वहाँ आये🙏🏼🙏🏼
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🔴 *दिव्यवृष्टि की वर्षा* 🔴3⃣0⃣0⃣
🍁सम्पूल नामक एक बंदी जो उस भीड़👨👩👦👦 में था मुक्त बनकर वहाँ आया था।चंदना 🙎🏼को देखते ही वह भीड़ में निकल कर उसके निकट आया और चंदना के पाँव में गिर पड़ा ।
🍁वह रोने लगा 😭।उसे देख चंदना भी रोने लगी ।राजा ने उससे पूछा तू क्यों रो रहा है ❓उसने कहा "महाराज !मेंरे स्वामी चंपा नरेश दधिवाहन🤴🏼 एवम महारानी धारिणी👰 की यह पुत्री है ।राजकुमारी ,मातापिता से बिछुड़ कर किस दुर्दशा में पड़ी और दासी बनी ।"
🍁यह सब सोच कर मेंर हृदय भर आया और इसी से मैं रो😭 पड़ा
"अरे !यह कुमारी धारिणी👰 की पुत्री वसुमती है ❓धारिनिदेवी तो मेरी बहन है ।यह तो मेरे लिए भी पुत्री के समान हुई ।अब यह मेरे पास ही🤗 रहेगी ।"
महारानी मृगावती ने कहा
🍁भगवान का पांच दिन कम छह माह के तप का पारणा ,धनावह सेठ के घर हुआ।पारणा🍱 कर के भगवान लौट आये।इसके बाद राजा ने दिव्यवृष्टि ⚡🌟✨में वर्षा हुआ सभी धन राज्य भंडार में ले जाने का सेवको को आदेष दिया
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🔴 *शकेंद्र की भविष्यवाणी* 🔴3⃣0⃣1⃣
🍁तब शकेंद्र ने कहाँ," राजेन्द्र इस द्रव्य💰💷 पर आपका अधिकार नही है इस कुमारी का है ।भगवान को पारणा🍱 इसने करवाया है आपने नही।यह जिसे दे वही ले सजता है ।"
🍁राजा ने चंदना से" पूछा शुभे👰 !!
तू ये रत्नादि🌟 किसे देना चाहती है ?"
"इस द्रव्य पर 💰💷स्वामित्व इन सेठ का है ।ये मेरे पालक पोषक पिता है ।चंदना के निर्णय के अनुसार समस्त द्रव्य धनावह सेठ 👱🏽ने ग्रहण किया ।शकेंद्र ने राजा शतानीक से कहाँ , *"यह कुमारी काम भोग से विमुख है और चरम शरीरी है ।भ महावीर को जब केवलज्ञान ✨✨प्राप्त होगा के बाद यह भगवान की प्रमुख शिष्या होगी* ।ईसलिये जबतक भगवान को केवलज्ञान नही हो जाये ,तब तक आप इसका पालन करे।"
शकेंद्र भगवान को वंदन 🙏🏼करके चला गया ।शतानीक चन्दनबालाजी👰 को ले गया और अपनी पुत्रियोके साथ कवारे अंतपुर में रखा
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🔴 *प्रभु का विहार* 🔴3⃣0⃣2⃣
🍁कौशबी से विहार 🚶🏽🚶🏽कर के भगवान सुमंगल गांव पधारे ।यहाँ तीसरे स्वर्ग के स्वामी सनतकुमार ने आ कर भगवान को वंदन👏🏽👏🏽 नमस्कार किया।
🍁वह से प्रभु पालक गांव पधारे।उस गांव से भायल नामक वणिक यात्रार्थ🏇🏽🏇🏽 जा रहा था।उसने भगवान को अपशकुन मान कर क्रोधित 😡😠हुआ।यात्रा का प्रारम्भ करने जा रहा था किसने मुंडित सिर दिगम्बर काया देखकर आक्रोश आया।
🍁रोष में आकर उसने तलवार🗡🗡 ली और दौड़ पड़ा ताकि वह अपशकुन को काट दे उसे समाप्त कर दे ...
🍃 *अरे !!वो प्रभु जिनकी आराधना करके सारे अपशकुन शगुन में बदल सकते थे,उन्ही प्रभु की ओर वह तलवार लेके दौड़ा....नादानी मूर्खता का कोई क्या करे??*🍃
🍁नादानी मंगल को भी अमंगल में बदल🤗 सकती है।प्रभु को किसी से कोई दुश्मनी नहीं...प्रभु किसी का अप शकुन नही करते ।जैसे ही वह तलवार 🗡लेके दौड़ता है ठोकर खाकर गिरता है और अपनी ही तलवार से उसकी गर्दन काट जाती हैं।
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🔴 *केवलज्ञान की राह पर....* 🔴3⃣0⃣3⃣
🍃 *जिसने प्रभु को अमंगल माना ,अमंगल का फल पाया*
*जिसने प्रभु को मंगल माना ,मंगल का फल पाया* 🍃
जिनभद्र क्षमाश्रमन कहते है *मंगल बुद्धि परिग्रह मंगलम*
मंगल बुद्धि से जिसका परिग्रह होता है वह मंगल कार्य करता है
अमंगल बुध्दि से जिसका परिग्रह होता है वह अमंगल का कार्य करता है
सिद्धर्थ नामक देव👱🏽 ने यह उपसर्ग निवारा।पालक गांव से भगवान चंपा नगरी पधारे।वहाँ भगवान ने *बारहवा चातुर्मास* किया और चार महीने का दीर्घ तपस्या कर ली ।वहाँसे भगवान ज्रम्भक गाँव🏯 पधारे ।वहाँ इंद्र आया और वंदना 🙏🏼👏🏽करके कहने लगा ,"भगवान अब आपको थोड़े ही दिनों में केवलज्ञान और केवलदर्शन ✨🌟प्रकट हो जाएगा।"
वहाँ से भगवान मेढ़क ग्राम पधारे वहाँ चरमरेंद्र ने आकर वंदना🙏🏼👏🏽 की
✍ संकलन
बेहेन सोनालीजी कटारिया
निरगुड़सर,पूना
*महावीर के उपदेश ग्रुप टीम*
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*महावीर के उपदेश ग्रुप से*
📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕
🔴 *आखरी उपसर्ग...* 🔴3⃣0⃣4⃣
मेढ़क ग्राम से विहार करके भगवान *षणमानी ग्राम* पधारे और ग्राम के बाहर उदायन में प्रतिमा 😷धारण कर के ध्यानस्थ हो गए ।यहाँ एक घोर असतावेदनीय कर्म भगवान के उदय 😔😞में आया।
🍁वसुदेब कि भव में भगवान ने जिस शय्यापालक के कानों में उबलता हुआ शीशा डलवाया था ,वह पापकर्म यहाँ उदय में आया ।उस शय्यापालक का जीव ,भव भ्रमण करता हुआ मनुष्य👲🏽 भव में आया।वह इसी गांव में गोपालक था ।गोपालक भगवान के निकट अपने चरते हुए बैल🐄🐂 छोड़कर गायों को दुहने के लिए गांव में चला गया ।
🍁दूध दुहने के बाद वह लौटा ,तो उसे अपने बैल 🐄🐂वहाँ नही मिले ।उसने भगवान से पूछा," मेरे बैल कहाँ है ? "
भगवान तो ध्यानस्थ 😷थे ।उन्होंने कोई उत्तर नही दिया ,तो ग्वाला क्रोधित हो गया ।
वह आक्रोश पुर्बक 😡😡बोला ,""अरे ओ पापी !!मेरे बैल कहाँ है ?बोलता क्यो नही ?ये तेरे कान है ,या खड्डे ?""
✍ संकलन
बेहेन सोनालीजी कटारिया
निरगुड़सर,पूना
*महावीर के उपदेश ग्रुप टीम*
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*महावीर के उपदेश ग्रुप से*
📕 *भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र* 📕
🔴 *ग्वाले का क्रोध....* 🔴3⃣0⃣5⃣
वह आक्रोश पुर्बक😡😡 बोला ,"अरे ओ पापी !!मेरे बैल कहाँ है ?बोलता क्यो नही ?ये तेरे कान👂🏾👂🏾 है ,या खड्डे ?"
जब भगवान की ओरसे कोई उत्तर नही मिला तो उसका क्रोध😡 उग्रतम हो गया ।
🍁उसने काश की तीक्ष्ण सलाई ले कर भगवान के दोनों कानो में इस प्रकार ठोक दी ,जिससे दोनों सलाइयांकी नोक परस्पर जुड़ गई ।इसके बाद कर्णरंध्र👂🏾 के बाहर रहे हुए सिरों को काट कर कानो के बराबर कर दिए ,जिससे किसी को दिखाई नही दे ।इतना कर के वह चला गया ।
🍁इस घोर उपसर्ग से भगवान को महावेदना😔 हुई ,परन्तु प्रभु अपने ध्यान😷 में मेरु के समान अड़ौल ही रहे ।वहाँसे विहार करके प्रभु मध्य अपापा नगरी पधारे और पारणा लेने के लिए सिद्धार्थ नामक व्यापारी 👳🏾के घर मे प्रवेश किया ।उस समय सिद्धार्थ के यहाँ उसका मित्र खरक वैद्य👨🏼⚕ बैठा था।भगवान के पधारने पर सिद्धर्थ ने उन्हें वंदना👏🏽 की और भक्तिपूर्वक आहार 🍱दिया।
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Very very nice
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