सूयगडांग



1️⃣सूयगडांग सुत्र कोनसा अंग सुत्र है ❓
🅰️ दुसरा

2️⃣ सूयगडांग सुत्र में किसका वर्णन है ❓
🅰️ स्व समय पर समय

3⃣ सूयगडांग सुत्र के कितने श्रुत स्कंध है ❓
🅰️ दो श्रुत स्कंध

4️⃣पहले श्रुत स्कंध मे कितने अध्ययन है ❓
🅰️ सोलह अध्ययन

5️⃣  दुसरे श्रुत स्कंध मे कितने अध्ययन है ❓
🅰️ सात अध्ययन

6️⃣ अन्य मतावलंबी के कितने समवसरन है ❓
🅰️ चार क्रियावादी अक्रियावादी अज्ञानवादी विनयवादी

7️⃣ज्ञानी के ज्ञान का सार क्या है ❓
🅰️ अहिंसा और समता

8️⃣ भगवान महावीर की स्तुति कौनसे अध्ययन में है ❓
🅰️ छठे अध्ययन

9️⃣ सूयगडांग सुत्र की वाचना किसने कीसको दी ❓
🅰️ सुधर्मा स्वामी ने जंबु स्वामी को

1️⃣0️⃣ प्रभु महावीर स्वामी की प्रज्ञा केसी थी ❓
🅰️स्वयंभुरमण समुद्र के समान अपार ओर अक्षय थी

1️⃣1️⃣ अरिहंत बनने का उपाय क्या है ❓🅰️ कषाय का त्याग

1️⃣2️⃣साधु कीस लिए आहार करते हैं ❓
🅰️ संयम निर्वाह करने के लिए

1️⃣3⃣ कौनसा पराक्रम संसार को निष्फल करता है ❓
🅰️ सम्यक

1️⃣4️⃣ सूयगडांग सुत्र मे साधु के कितने नाम बताये है ❓
🅰️ श्रमण माहण भिक्षु निर्गंथ

1️⃣5️⃣ निर्गंथ किसे कहते हैं ❓
🅰️ जिसमे किसी प्रकार की ग्रंथी ना हो

1️⃣6️⃣ भिक्षु किसे कहते हैं ❓
🅰️ जो सहज भाव मे जीवन जीते हैं

1️⃣7️⃣ पुंडरीक कमल की उपमा किसको दी गयी है ❓
🅰️ निर्गंथ को

1️⃣8️⃣ पुच्छीसुणं मे कितनी गाथा है ❓
🅰️ 29 गाथा

1️⃣9️⃣  कर्म बंध का कारण क्या है और उसके कितने प्रकार है ❓
🅰️ कर्म बंध का कारण क्रिया है उसके 13 स्थान है

2️⃣0️⃣ सूयगडांग सुत्र कोनसे प्रहर मे पढ सकते हैं ❓
🅰️ पहले ओर चौथे प्रहर

ज्ञान ही ज्ञान हो भरा , ज्ञानभंडार कहते जिसे
📚📚📚📚📚📚
वीर जी का महामहाणसुत्र
भी कहते जिसे
🙏📚📚📚📚🙏
 छढे अध्याय में सुधर्मा जी
ने की वीर जी,की अतिउत्तम
प्रशंसा की है।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ऐसे महान  आगम (ग्रन्थ )का ज्ञान, करवा  राष्ट्रीका जी ने वीर जी की अनुशंसा की है।
📚📚📚📚📚📚📚
तभी तो अंजुगोलछा के ह्रदय
ने  राष्ट्रीका जी  की प्रशंसा की है
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏


*༺


इस जगत में कितने महाभूत है
5

किसको जानो फिर तोड़ो कहा गया है इसमें
बंधन

पौद्गलिक पदार्थ का  टूटना क्या है
द्रव्य त्रोटन

बंधन का हेतु क्या है
ममत्व

भगवान महावीर  के आचार सूत्र में प्रथम धर्म
किसे कहा है

ज्ञान को
बंधन को तोड़ने में किन 2 का समन्वय करना पड़ता है
ज्ञान वाद औऱ आचार वाद

बंधन क्या है
दुख
 मोक्ष क्या है
सुख


कर्म बंध के 2 मुख्य हेतु
आरम्भ औऱ औऱ परिग्रह
इन दोनों में भी गुरुतर कारण क्या है
परिग्रह
सभी आरम्भ कार्यों का उपादान कारण क्या हैं
मैं और मेरा

त्रोटन का अर्थ
तोडना

वैभव ना होने से भी किस कारण परिग्रही बन जाता हैं
बुद्धि के कारण

दुख के दो कारण क्या है
कर्म औऱ कर्म विपाक



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भगवान पार्श्वनाथ प्रश्नोत्तरी

जैन प्रश्नोत्तरी

सतियाँ जी 16