जम्बूद्वीप

*💁विषय:-जम्बूद्वीप*🌏

*प्रतिभा कोठारी का सादर प्रणाम👏🏻*

1) जम्बूद्वीप के मध्य में कौन सा पर्वत है?
🔑1) मेरुपर्वत

2) जम्बूद्वीप किस लोक में है?
🔑2) मध्य लोक/तिरछा लोक

3) जम्बूद्वीप के अधिष्ठाय देव कौन?
🔑3) अनादृत देव

4) जम्बूद्वीप के चारों ओर कौन सा समुद्ग है?
🔑4)लवण समुद्ग

5) जम्बूद्वीप के कौन से क्षेत्र में हम रहते है?
🔑5) भरत क्षेत्र

6) जम्बूद्वीप में कितनी कर्मभूमियाँ है?
🔑6) 3

7) जम्बूद्वीप में कितने सूर्य-चंद्र है?
🔑7) 2-2

8) जम्बूद्वीप में मुख्य रूप से कितने क्षेत्र है?
🔑8) 7

9) जम्बूद्वीप में वर्तामान में कितने तीर्थंकर है?
🔑9) 4

10) जम्बूद्वीप में कितने अकभूमियाँ है?
🔑10) 6

11) जम्बूद्वीप का आकार कैसा है?
🔑11) थाली जैसा

12)जम्बूद्वीप में कितने वर्षधर पर्वत है?
🔑12) 6

13) जम्बूद्वीप में वृत वैताढ़य पर्वत कितने?
🔑13) 4

14) जम्बूद्वीप में दीर्घ वैताढ़य पर्वत कितने?
🔑14) 34

15) जम्बूद्वीप में द्रह कितने?
🔑15) 16

16) जम्बूद्वीप में आर्य देश कितने?
🔑16) 867(एक विजय में 25.5 है तो 34 विजय में 25.5×34=867)

17) जम्बूद्वीप में आज भी पहले आरे जैसी रचना कहना है?
🔑17)देवकुरु-उत्तरकुरु

18) जम्बूद्वीप में आज भी चौथा आरा जैसा काल किस क्षेत्र में है?
🔑18) महाविदेह क्षेत्र

19) जम्बूद्वीप में  उत्कृष्ट से  कितने तीर्थंकर हो सकते है?
🔑19) 34

20) जम्बूद्वीप में उत्कृष्ट से कितने चक्रवर्ती हो सकते है?
🔑20) 30

21) जम्बूद्वीप कितने योजन प्रमाण है?
🔑21) 1 लाख

22) जम्बूद्वीप में मेरुपर्वत से दक्षिण दिशा में कौन सा क्षेत्र है?
🔑22) भरत क्षेत्र

23) जम्बूद्वीप में कितने गति के जीव रहते है?
🔑23) 3(तिर्यंच, मनुष्य और देव)

24) जम्बूद्वीप के अधिपति देव की स्थिति?
🔑24) एक पल्योपम

25) जम्बूद्वीप में मुख्य बड़ी नदियाँ कितनी है?
🔑25) 14

जम्बूद्वीप में चौंतीस आर्यखण्ड हैं

१७० म्लेच्छ खण्ड पूरे जम्बूद्वीप में है।


इस आर्यखण्ड के मध्य में अयोध्या नगरी 

जम्बूद्वीप के ७८ जिन चैत्यालय हैं


जम्बूद्वीप में पूर्व से पश्चिम को फैले हुए सात क्षेत्र तथा छह कुलाचल हैं।

भरत - एरावत क्षेत्रापेक्षया
जम्बुद्वीप में एक साथ एक समय में कम से कम कितने तीर्थकरो का जन्म हो सकता है?
2 तीर्थ


जम्बूद्वीप मे कितने चक्रवर्ती सदैव मिलते है ❓
4 महाविदेह क्षेत्र मे


जम्बूद्वीप के किस पर्वत पर विद्याधर रहते है ❓


वैताढ्य पर्वत ❗☑️🅰️🙏



जम्बुद्वीप
मे वर्तमान में कितने तीर्थंकर है ❓

4


जम्बुद्वीप के अधिष्ठायक देव  कँहापर रहते है

जम्बूवृक्षपर🅰️☑️🙏🏼






*




 🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆

*🛕🥁🎻🌺1⃣जंबू द्वीप में जन्मे कौनसे राजा ने धातकी खण्ड के राजा से युद्ध किया ⁉️*

*🅰️ श्री कृष्ण जी ने 🎯‼️*

*🛕🥁🎻🌺2⃣ लवण समुद्र का आकार किसके समान है ⁉️*

*🅰️ चूड़ी के समान ‼️🎯*

*🛕🥁🎻🌺3⃣ लक्ष्मी देवी शीखरी पर्वत के पुंडरीक द्रह पर कहा रहती हैं⁉️*

*🅰️ कमल पर 🎯‼️*

*🛕🥁🎻🌺4⃣ जंबू द्वीप के बाहर कितने समुद्र है ⁉️*

*🅰️ असंख्यात ‼️🎯*

*🛕🥁🎻🌺5⃣जंबू द्वीप में एकसाथ कितने चक्रवर्ती हो सकते हैं ⁉️*

*🅰 34 🎯‼️*

 

*🛕🥁🎻🌺6⃣56 अंतर द्वीपो मे कितने कल्पवृक्ष है ⁉️*

*🅰️ 10. 🎯‼️*

*🛕🥁🎻🌺7⃣ लवण समुद्र के पानी का स्वाद केसा है ⁉️*

*🅰️ खारा‼️ 🎯*

*🛕🥁🎻🌺8⃣56 अंतर द्वीप मनुष्य मरकर किस गति मे जाते है ⁉️*

*🅰️ देव गति मे 🎯‼️*

*🛕🥁🎻🌺9⃣जंबू द्वीप के अधिपति देव की स्थिति ⁉️*

*🅰️ पलयोपम 🎯‼️*

*🛕🥁🎻🌺🔟 जंबू द्वीप के किस पर्वत पर विद्याधर मनुष्य रहते हैं ⁉️*

*🅰️ वेताढय पर्वत‼️ 🎯*

*🛕🥁🎻🌺1⃣1⃣जंबू द्वीप में मेरूपर्वत से दक्षिण दिशा में कौनसा क्षेत्र हैं ⁉️*

*🅰️ भरत क्षेत्र ‼️🎯*

*🛕🥁🎻🌺1⃣2⃣जंबू द्वीप में ऐरावत क्षेत्र किस दिशा में है ⁉️*

*🅰️ उत्तर दिशा 🎯‼️*

*🛕🥁🎻🌺1⃣3⃣भरत क्षेत्र को 6 खण्ड में विभाजित करने वाली नदी ⁉️*

*🅰️ गंगा -- सिंधु ‼️🎯*

*🛕🥁🎻🌺1⃣4⃣लवण समुद्र में प्रतिदिन कितनी बार ज्वार भाटा आता है⁉️*

*🅰️ 2. ‼️🎯*

 *🛕🥁🎻🌺1⃣5⃣जंबू द्वीप में कितने वर्षधर पर्वत है ⁉️*

*🅰️ 6. ‼️🎯*

*🛕🥁🎻🌺1⃣6⃣जंबू द्वीप में वर्तमान में तीर्थंकर कहा है ⁉️*

*🅰️ महाविदेह क्षेत्र मै 🎯*

*🛕🥁🎻🌺1⃣7⃣जंबू द्वीप में महाविदेह क्षेत्र कहा है ⁉️*

*🅰️ मध्य भाग में ‼️🎯*

*🛕🥁🎻🌺1⃣8⃣लवण समुद्र के अधिष्ठाता देव कौन है*

*🅰️ सुस्थिर देव ‼️🎯*

*🛕🥁🎻🌺1⃣9⃣ लवण समुद्र कितना गहरा हैं*

*🅰️ 1000 योजन‼️ 🎯*

*🛕🥁🎻🌺2⃣0⃣लवण समुद्र कितने विस्तार वाला है⁉️*

*🅰️ 2 लाख योजन ‼️🎯*


जम्बूद्वीप के चारो ओर जगती(कम्पाउन्ड या बाउंड्रीवाल)की चोङाइ व ऊंचाई कितनी है

*जम्बूद्वीप की जगति 8 योजन ऊँची हैं और मूल में 12 योजन चौडी, मध्य में 8 योजन चौडी, ऊपर में 4 योजन चौडी हैं।*

जम्बूद्वीप में वर्तमान में कितने केवली हैं



सही उत्तर 
अभी जम्बूद्वीप के महाविदेह में चार तीर्थंकर भगवान विराज रहें है।एक भगवान के संघ में दश लाख केवली होते हैं इस प्रकार चार भगवान के कुल  40लाख केवली होगये।


जम्बूद्वीप के हेमवय और अरुणवय इन दोनों क्षेत्रों में सदैव कौन से आरे जैसा भाव रहता है
तीसरे  आरे 


जम्बूद्वीप में कौन-कौन से क्षेत्र हैं

*3 कर्म भूमि
भरत, इर्वत, महावीदेह,
और
 *6 अकर्म भूमि
देव कुरु, उत्तर कुरु
हेम वय, हिरण्य वय
हरि वंश, रम्यक वर्ष


एक भरत,एक महाविदेह,एक एरवत।कर्म भूमिक यह तीन मनुष्य क्षेत्र है।हेमवय,अरुणवय,हरिवास, रम्यकवास,देवकुरु और उतरकुरु ये छह क्षेत्र यौगलिक क्षेत्र है।अन्तर्द्वीप भी योगलिक क्षेत्र है,जो जम्बुद्वीप से सटे लवणसमुद्र के अन्तर्द्वीप में है।



जम्बूद्वीप के हरिवास और रम्यकवास इन दोनों क्षेत्रों में सदैव कौन से आरे जैसा भाव होता है


दूसरा आरा

जम्बूद्वीप के देवकुरु व उतरकुरु क्षेत्र में सदैव कौन से आरे के जैसे भाव रहते हैं

पहले आरे जैसा


जम्बूद्वीप में कितने कितने नक्षत्र,ग्रह और तारे हैं

56 नक्षत्र
176 ग्रह
1,33,950 कोड़ा कोड़ तारे


*😊आज के प्रश्नों के उत्तर😊*
-------------------------------------------
*1. जम्बूद्वीप में आखिरी क्षेत्र का नाम ऐरवत क्षेत्र हैं।*

*2. पहले नम्बर पर आती हैं।*

*3. सीता नदी- नरकांता नदी।*

*4. श्रीदेवी।*

*5. सीतोदा नदी- सीता नदी।*


जम्बूद्रीप का सामान्य परिचय

जम्बृद्वीप-अमंख्य द्वीप समुद्रों के बीच गोलाकार में एक लाख योजन का जम्बू द्वीप है।

मेरु पर्वत-जम्बृद्वीप के ठीक मध्य में एक लाख योजन ऊँचा मेरु पर्वत म्थिन है ।

वर्ष- मेरु परवंत के दक्षिण में - भरत, हैमवंत हरिवर्ष, देवकुरुः, उत्तर में - ऐरवत, हैरण्यवत.  रमयकवर्ष उत्तर कुरु: पूर्व- पश्चिम में पृर्व विदेह, पश्चिम विदेह है । कुल १० वर्ष ( मानव क्षेत्र हैं ) ।

वर्षधर पर्वत-- मेरु पर्वत के उत्तर में- {१ ) नीलवंत. (२) रुक्मी ( ३ ) शिखरी तथा दक्षिण में- १) चुल्नहिमवंत, (२) महाहिमवंत, (3) निषध--ये छह वर्षधर पर्वत हैं । शब्दापाती आदि चार वृत्त वैताढ्य गोलाकार) तथा ३४ दीर्घ वैताढ्य पर्वत हैं ।

देवकुरु-उत्तरकुरु में पाँच -पाँच महाद्रहों के किनारे २०० कंचनगिरि पर्वत हैं। उत्तरकुरु में महान जम्बू सुदर्शना वृक्ष और देवकुरु में शाल्मलि वृक्ष है ।

हृद (द्रह) - मेरु पर्वत के उत्तर में-(१) केसरी, (२) महापुंडरांक, (३) पुंडरीक तथा दक्षिण में ( १) पद्म,२) महापद्मा तथा । ३) तिगिच्छ द्रह है।

महानदियाँ-मेरु पर्वत के उत्तर में छह महानदियाँ हैं- नरकांता, नारीकांता, सुवर्णकूला रूप्यकूला, रक्ता,क्तवती दक्षिण में छह महानदियाँ-गंगा, सिन्धु रोहिता. रोहितांशा, हरिमलिला तथा हरिकांता। महाविदेह में शीता और शीतोदा कुल १४ महानदियाँ हैं ।

शाश्वत तीर्थ- मेरु पर्वत के उत्तर में ऐरवत क्षेत्र में और दक्षिण में भरत क्षेत्र में मागध, वरदाम और प्रभाम
तीन तीन तीर्थ हैं । महाविदेह की प्रत्येक विजय में भी तीन तीन तीर्थ हैं ।

लवणसमुद्र तथा जम्बूद्वीप के बीच में एक ८ योजन ऊँची वज्रमय जगती (दीवार) है। जिसमें चारों दिशाओं में चार महाद्वार बने हुए हैं।

लवणसमुद्र-जम्बूद्वीप को चारों नरफ से घेरे हुए दो लाख योजन का विशाल लवणसमुद्र है।



जम्बूद्वीप के क्षेत्रों में  भोगभूमि,कर्मभूमि और पर्वतों की व्यवस्था -

जम्बूद्वीप को हिमवन्,महाहिमवन,निषध,रुक्मि और शिखरिन छः वर्षधर-कुलाँचल;क्रमश भरत,हेमवत,हरि, विदेह,रम्यक,हैरण्यवत और ऐरावत,सात क्षेत्रों में विभक्त करते है!विदेह क्षेत्र के मध्य में,जम्बूद्वीप की नाभि पर, सुदर्शन सुमेरु पर्वत है जिसके उत्तर में, उत्तरकुरु और ,दक्षिण में देवकुरु क्षेत्र है जो की विदेह के ही भाग है!इन ७ क्षेत्रों में  उत्तरकुरु-देवकुरु,हरी-रम्यक  तथा हेमवत -हैरण्यवत में क्रमश उत्तम,माध्यम और जघन्य शाश्वत भोगभूमियों की तथा भरत-ऐरावत के आर्य खंड और विदेह क्षेत्र में कर्मभूमि,भरत-ऐरावत के म्लेच्छ खंड में जघन्य शाश्वत भोग भूमि की व्यवस्था अनादिकाल से है और रहेगी !भरत और ऐरावत  के आर्य खंड में अशाश्वत भोगभूमि भी होती है!  

भोगभूमि -भोगभूमिज जीवों की नित्य की   आवश्यकताओं जैसे; घर ,भोजन,वस्त्र,बर्तन,भोजन ,संगीत के यंत्र,ज्योति के यंत्र ,आदि सभी वस्तुओं  की आपूर्ति  १० प्रकार के कल्पवृक्षो,१-मद्यंग, २-वादित्र , ३-भूषणांग, ४-मालंग, ५-दीपांग, ६-ज्योतिरांग, ७-गृहरांग ,८-भोजनांग। ९-भाजनांग ,१०-वस्त्रांग से हो जाती है ,उन्हें अपनी जीविका के लिए किसी पुरुषार्थ की आवश्यकता नहीं होती !मात्र जिस वस्तु की आवश्यकता होती है ,उस वस्तु के कल्प वृक्ष के नीचे खड़े होकर याचना करने पर उसकी पूर्ती हो जाती है !

भरत और ऐरावत के आर्यखण्ड में भोगभूमि की रचना-अवसर्पिणी के प्रथम,द्वितीय और  तृतीय तथा उत्सर्पिणी के चतुर्थ,पंचम,और षष्टम काल में भोगभूमि की रचना होती है ,इसलिए ये अशाश्वत भोगभूमि है l

भोगभूमि का काल-इन क्षेत्रों में भोगभूमि का कालकल्प के २० कोड़ा कोडी सागर में से १८ कोड़ा कोडी सागर है l
भोगभूमि में जन्म लेने वाले जीवो -पांच पापो के त्यागी,मंद कषायी,ब्रह्मचारी,व्रती,निर्मल परिणामी,दानी (चार प्रकार का दान देने वाले जीव आयु पूर्ण कर भोगभूमि में जन्म लेते है l

भोगभूमि में शरीर त्यागने(मृत्यु) और अगले भव में जन्म लेने  की व्यवस्था -भोगभूमि में माता-पिता के युगली  संतान ही जन्म लेते है ,उनके जन्म लेते ही  माता पिता क्रमश:जवाई और छींक लेकर अपने शरीर को त्याग देते है !शरीर शरद ऋतू के मेघ के समान छीन-भिन्न हो जाता है !इनमे मिथ्यादृष्टि जीव मरणोपरान्त  भवनत्रिक (भवनवासी,व्यंतर,अथवा ज्योतिष्क) में उत्पन्न होते है सम्यग्दृष्टि वैमानिक देवलोक में में दुसरे स्वर्ग तक उत्पन्न होते है l

भोगभूमियों में जीव का विकास -
१-जघन्य भोग भूमि -जन्म लेने पर बच्चे सोते सोते ७ दिन तक अंगूठा चूसते है ,दुसरे सप्ताह में घुटने के बल  चलते है,तीसरे सप्ताह में मधुर तुतलाती भाषा बोलते है,चौथे सप्ताह में पैरो पर चलने लगते है,पांचवे सप्ताह में कला और रूप आदि गुणों से युक्त हो जाते है,छठे सप्ताह में युवावस्था को प्राप्त करते है,सातवे सप्ताह में सम्यग्दर्शन के धारण की योग्यता  प्राप्त कर लेते है !ये आवले के समान  दूसरे  दिन  आहार लेते है !इनकी आयु १ पल्य लम्बाई १ कोस होती हैl

२-मध्यम भोगभूमि
जन्म लेने पर बच्चे सोते सोते ५  दिन तक अंगूठा चूसते है ,५ दिन में घुटने के बल  चलते है,फिर ५ दिन  में मधुर तुतलाती भाषा बोलते है,फिर ५ दिनों  में पैरो पर चलने लगते है,फिर ५ दिनों  में कला और रूप आदि गुणों से युक्त हो जाते है,फिर ५ दिनो में  युवावस्था को प्राप्त करते है,फिर ५ दिनों में  सम्यग्दर्शन  धारण करने  की योग्यता प्राप्त कर लेते है !ये बेहड़ा फल  के समान  तीसरे  दिन  आहार लेते है !इनकी आयु २ पल्य लम्बाई २  कोस होती है!

३-उत्तम-भोगभूमि -
जन्म लेने पर बच्चे सोते सोते ३  दिन तक अंगूठा चूसते है ,३ दिन  में घुटने के बल  चलते है,फिर ३ दिन  में मधुर तुतलाती भाषा बोलते है,फिर ३  दिनों  में पैरो पर चलने लगते है,फिर ३ दिनों  में कला और रूप आदि गुणों से युक्त हो जाते है,फिर ३  दिनो  में युवावस्था को प्राप्त करते है,फिर ३ दिनों में  सम्यग्दर्शन  धारण करने  की योग्यता प्राप्त कर लेते है !ये बेर के फल  के समान  चौथे दिन  आहार लेते है!इनकी आयु ३ पल्य लम्बाई ३ कोस होती है!

भोगभूमि में जीवों के  सम्यक्त्व के कारण-यहाँ जीवों को जातिस्मरण ,देवों  के उपदेशों ,सुखों/दुखो के अवलोकन से, जिनबिम्ब दर्श से और स्वभावत: भव्य जीवों को सम्यक्त्व होता है l

भोगभूमि की अन्य विशेषताए -
भोगभूमि का जीवों को  सुख भरत क्षेत्र के चक्रवर्ती से भी अधिक होता है ! जीवों का बल ९००० हाथियों के बराबर होता है !भोगभूमि में विकलत्रय जीव उत्पन्न नहीं होते ,विषैले सर्प ,बिच्छू  आदि जंतु नहीं उत्पन्न होते !वहां ऋतुओं का परिवर्तन नहीं होता ,मनुष्यों की यहाँ  वृद्धावस्था नहीं होती ,उन्हें कोई रोग नहीं होता ,कोई चिंता नहीं होती ,उन्हें निंद्रा नहीं आती!
भोगभूमि में युगल बच्चे ही युवा होने पर पति पत्नी की तरह रहते है,कोई विवाह व्यवस्था नहीं है !



*1ऐरवत क्षेत्र में दो बडी नदियों के नाम क्या हैं?*
🅰️रक्ता व रक्तवती नदी।*

*2. जम्बूद्वीप के चारों तरफ क्या हैं?*
🅰️जम्बूद्वीप के चारों तरफ एक परकोटा बना हुआ हैं, जिसे शास्त्रकार जगति या कोट के नाम से पुकारते हैं।*

*3. यह परकोटा ( जगति) कितनी ऊँची और चौडी हैं?*
🅰️जम्बूद्वीप की जगति 8 योजन ऊँची हैं और मूल में 12 योजन चौडी, मध्य में 8 योजन चौडी, ऊपर में 4 योजन चौडी हैं।*

*4. जगति किसकी बनी हुई है?*
🅰️उसकी नींव वज्र रत्नों की हैं, भींत मणिरत्नों की हैं, स्तम्भ वैडुर्यरत्नों के है, कीलें रोहिताक्ष रत्नों के है, पाटिये सोने- चाँदी के बने हुए हैं।*
*5. जगति पर क्या विशिष्ट रचना है?*
🅰️उस जगति के ऊपर, बीचोंबीच एक पद्मवर वेदिका हैं। उसके ऊपर हाथी, घोडा़, शेर, चीता, मगरमच्छ, गरुड, चन्द्र- सूर्य, स्त्री- पुरुष का जोडा़ आदि अनेक प्रकार के चिन्ह बने हुए है। मोतियों के झुमकें लटक रहे हैं, चँदवें बंधे हुए है, वंदरमाल लटक रही है। वायु चलने से वे झूमके आपस में टकराते है। टकराने से 6 राग 36 रागिनी निकलती हैं। इस प्रकार अलौकिक रचना जगति के ऊपर है। जगति के बीच में अनेकों बडे़- बडे़ छिद्र हैं, जिनमें से लवण समुद्र का पानी जम्बूद्वीप में आता हैं।*


🔴1) जम्बूद्वीप से पुष्कर द्वीप तक कुल कितने सूर्य हैं❓
🅰️ *204 सूर्य* 
(यहाँ पुष्कर द्वीप तक पूछा गया है अर्ध पुष्कर द्वीप तक नही।🙏)

2) पांच मेरु में से सिर्फ सुमेरु पर्वत की परिक्रमा कितने सूर्य करते हैं।
🅰️ *12 सूर्य* सिर्फ सुमेरु की अपेक्षा । वैसे जितने भी  चर सूर्य चंद्र विमान ( *132-132)*  है वो सभी सुमेरु पर्वत की ही प्रदक्षिणा करते हैं।

3) अचल, विजय ,मंदर और विद्युन्माली मेरु की सम्मिलित रूप से परिक्रमा कितने कितने सूर्य  करते हैं❓
🅰️ अचल और विजय मेरु की सम्मिलित रूप से *120 सूर्य*
विमान परिक्रमा करते है ।
मंदर और विद्युन्माली मेरु की सम्मिलित रूप से परिक्रमा *36 सूर्य*  विमान करते हैं।

 *जिज्ञासा* :---  क्या सुमेरु की तरह  अन्य 4 मेरु की अलग से सूर्य चंद्र विमान की परिक्रमा नही होती?🤔

 *समाधान*  :---  मनुष्य क्षेत्र में कुल 132 चंद्र  132 सूर्य  विमान हैं ।ये सभी जम्बू द्वीप के सुमेरु पर्वत से दो समश्रेणि (2 चन्द्र और 2 सूर्य श्रेणी) में रहते हुए ही प्रदक्षिणा करते हैं।
132 सूर्य की सीधी श्रेणी के बीचों बीच सुमेरु पर्वत के आने से 66 - 66 सूर्य सुमेरु दोनों तरफ स्थित होते हैं।
बाकी के 4 मेरु की अलग से प्रदक्षिणा नही होकर सम्मिलित रूप से होती है।
 
अब जिज्ञासा हो सकती है कि अर्ध पुष्कर द्वीप में तो  72 सूर्य है तो मंदर और विद्युन्माली की परिक्रमा 36 सूर्य कैसे करेंगे?

अर्धपुष्कर में 72 सूर्य है जो 36-36 की 2 पंक्ति  में  विपरीत दिशा में विचरण करते है ।
36 में से भी 18-18 के बीच मे एक मेरु  होगा क्योंकि मेरु पर्वत महाविदेह के मध्य में स्थित होता है ।

18🌞 --⛰️मंदर मेरु --18🌞 -- मध्य के द्वीप समुद्र -- 18🌞--⛰️विद्युन्माली मेरु -- 18🌞



*🔵 स्वाध्याय दस के अंक से 🔵*
🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹
.                  2️⃣0️⃣
.           【 14-11-2021 】

*जम्बूद्वीप द्वीप के भरतवर्ष में दस राजधानियां थी –*
*(1) चम्पा*(अंगदेश की राजधानी)
*(2) मथूरा*(सूरसेन देश की राजधानी)
*(3) वाराणसी*(काशी राज्य की राजधानी)
*(4) श्रावस्ती*(कुणाल जनपद की राजधानी)
*(5) साकेत*(कोशल जनपद की राजधानी)
*(6) हस्तिनापुर*(कुरु जनपद की राजधानी)
*(7) कांपिल्य*(पांचाल जनपद की राजधानी)
*(8) मिथिला*(विदेह की राजधानी)
*(9) कौशाम्बी*(वत्स जनपद की राजधानी)
*(10) राजगृह*(मगध जनपद की राजधानी)


















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