तीर्थकरआगम

202 कल्याणक कौन कौन से हैं?
1.च्यवन कल्याण 2.जन्म कल्याण 3.दीक्षा कल्याण 4.केवलज्ञान कल्याण 5.निर्वाण कल्याण ।
203 देव गति से आये हुए तीर्थकर की क्या पहचान होती है?
माता द्वारा बारहवें स्वप्न में देव विमान देखना।
204 नरक गति से आये हुए तीर्थंकर की क्या पहचान होती है?
माता द्वारा बारहवें स्वप्न में देव विमान की जगह भवन देखना।
205 तीर्थकर नाम कर्म का बंध कब होता है?
तीसरे भव पहले (मनुष्य के भव में ही)।
206 तीर्थंकर नाम कर्म के बंध के कितने स्थान हैं?
बीस स्थानक।
207 तीर्थकर भगवान श्रावक व्रत अंगीकार करते हैं या नही?
नही करते हैं ।
208 क्या तीर्थकर कल्पवृक्ष प्रदत आहार करते है?
हाँ ,कर सकते हैं । कोई बहरावे तो ले सकते है
209 तीर्थकरों की स्तुति किस पाठ से की गई हैं ?
लोगस्स
210 लोगस्स के पाठ में कितने तीर्थंकरो की स्तुति है?
चौबीस
211 लोगस्स का दुसरा नाम क्या हैं ?
चतुर्विशति स्तव।
212 तीर्थकर किस श्रेणी पर चढ़ते हैं ?
क्षपक क्षेणी
213 एक चौबीसी से दुसरी चौबीसी मे कम से कम कितने समय का अंतर पड़ता हैं ?
84000 वर्ष का ।
214 84 हजार का अंतर किस प्रकार पड़ता है?
वर्तमान का पांचवा आरा 21,000वर्षों का ,छठा आरा 21,000
वर्षों का ,आगे- आनेवाली उत्सर्पिणी का प्रथम आरा 21,000 वर्षों का एंव दूसरा आरा भी 21,000   वर्षों का इन चारो आरो मे तीर्थकर नही होने से 21,000 × 4=84,000 वर्षों का अंतर पड़ता है ।
215 तीर्थकर भगवान श्रावक व्रत अंगीकार क्यों नहीं करते ?
अल्प त्याग कमजोर मानसिकता वाले करते है ,तीर्थकर भगवान सुदृढ़ मानसिकता वाले होने से श्रावकव्रत नहीं किंतु महाव्रत ही ग्रहण करते हैं ।
216 तीर्थंकर भगवान मे वाणी के गुण कितने हैं ? 
 35 गुण ।
217 तीर्थकरो का अंतर उदाहरण से बताइए ?
भगवान महावीर के बाद आनेवाली चौबीसी के प्रथम महापदम तीर्थकर (श्रेणिक राजा के जीव)84,000 वर्षों बाद तीर्थकर बनेंगे।
218 तीर्थकर भगवान का जघन्य अंतर किस काल की अपेक्षा होता हैं ?
अवसर्पिणी काल के पश्चात आने वाले उत्सर्पिणी काल की अपेक्षा से ।
219 भविष्य में होनेवाले तीर्थकर कितने समय बाद होगें ?
84,000वर्ष बाद ।
220 चौबीसी का उत्कृष्ट अंतर कितने समय का पड़ता है?
देशोन 18 कोड़ाकोड़ी सागरोपम  का।
221 वर्तमान मे कितने तीर्थंकर इस मध्यलोक मे विचरणशील हैं ?
बीस
222 कौन से तीर्थकर के छह कल्याणक हुए हैं ?
 भगवान महावीर के।
223 भक्तामर स्तोत्र मे कौन से तीर्थंकर भगवान की स्तुति की गई हैं ?
भगवान ऋषभदेव की ।
224 तीर्थकर भगवान की कम से कम कितनी आयुष्य हो सकती हैं?
72 वर्ष ।
225 तीर्थकर भगवान की उत्कृष्ट आयु कितनी होती है?
84 लाखपूर्व की।
226 कौन से तीर्थकर भगवान के साधु चार महाव्रतों का पालन करते हैं ?
22 तीर्थकर के साधु (दुसरे से 23 वे तीर्थंकर तक के)
227 भविष्य मे होनेवाले तीर्थकर कितने समय बाद होगे?
84000 वर्ष बाद।
228 कौन कौन से तीर्थकर के साधु रंगीन वस्त्र पहनते थे?
22 तीर्थकरो के (दुसरे से 23 वे तीर्थकर )।
229 कौन कौन से तीर्थकर के साधु सफेद वस्त्र पहनते थे/हैं? 
प्रथम एवं अंतिम तीर्थकर के।
230 18 कोडा़कोड़ी सागरोपम का उत्कृष्ट अंतर किस प्रकार से पडता हैं ?
उत्सपिर्णी काल का चौथा आरा 2 कोड़ाकोडी़ सागरोपम का ,पांच वां आरा 3 कोडा कोडी सागरोपम का , छठा आरा चार  कोड़ाकोड़ी सागरोपम का - इन 3आरों के 9कोड़ाकोडी़ सागरोपम तथा इसके पश्चात अवसपिर्णी काल शुरू होता हैं अवसर्पिणी काल का पहला आरा 4 कोड़ाकोड़ी सागरोपम ,दुसरा आरा _ 3कोड़ाकोड़ी सागरोपम का एंव तीसरा आरा - 2कोड़ाकोड़ी सागरोपम प्रमाण लगभग(84लाख वर्ष पूर्ण 3वर्ष8-1/2 माह कम ) काल के पश्चात अर्थात उत्सर्पिणी काल के भी 9 कोड़ाकोड़ी एंव पश्चात आनेवाले अवसर्पिणी काल के 9कोड़ाकोडी़ सागरोपम - इन दोनों को मिलाने पर देशोन 18 कोड़ाकोड़ी सागरोपम का उत्कृष्ट अंतर पड़ता हैं,फिर पहले तीर्थंकर का जन्म होता हैं।(दोनो तरफ 84 लाख पूर्व कम होने से 18 कोड़ाकोड़ी सागरोपम से कुछ कम को देशोन में लिया गया है)
231 च्यवन किसे कहते है?
देवलोक से च्यवना अर्थात मृत्यु को प्राप्त होना च्यवन कहलाता है।
232 तीर्थकर भगवान का च्यवन कल्याणक इन्द्र कहां पर मनाते है?
अपने अपने स्थानों पर ही ।
233 तीर्थकर भगवान गर्भ में कितने समय रहते हैं?
सवा नौ महीने लगभग
234 तीर्थकर भगवान का जन्म दिन मे होता हैं या रात में 
रात्रि में ।
235  तीर्थंकर भगवान का जन्मोत्सव कौन कौन मनाते है ?
64 इन्द्र ,56दिशा कुमारिया,आदि देव,दानव,मानव,आदि।
236 तीर्थकर भगवान का जन्माभिषेक कहाँ पर होता हैं ?
मेरु पर्वत के पंडग वन मे ।
237 तीर्थकर भगवान का जन्मोत्सव पंडगवन मेकहाँ  पर होता हैं ?
अभिषेक शिलाओ पर।
238  अभिषेक शिलाएँ कैसी है?
अर्धचन्द्राकार ।
239 अभिषेक शिलाएँ कितनी है?
चार
240 अभिषेक शिलाएँ कितनी लंबी -चौडी़ व मोटी है?
500योजन लंबी, 250,योजन चौड़ी ,4योजन मोटी ।
241 अभिषेक शिलाओं पर क्या है?
अभिषेक सिहांसन।
242 अभिषेक सिंहासन कितने लबें चौडे है?
500धनुष्य लंबे और 250धनुष्य चौडे़ हैं ।
243  अभिषेक शिलाएं कहा पर है?
मेरु पर्वत के पंड़ग वन की चारों दिशाओं में।
244 अभिषेक शिलाओं पर सिंहासन कुल कितने हैं ?
चारो शिलाओं पर कुल मिलाकर छ:सिंहासन हैं।
245 पूर्व दिशा में कौन सी अभिषेक शिला है?
पाण्डुशिला।
246 पाण्डुशिला कहाँ पर रही हुई है?
मेरुपर्वत के चूलिका के पूर्व में पण्डक वन मे पूर्वी भाग  पर ।
247 पाण्डुशिला किसकी बनी हुई  है?
स्वर्णमय।
248 पाण्डुशिला पर कितने  सिंहासन हैं?
दो ।
249 दोनो सिंहासन कैसे रहे हुये हैं?
एक उत्तरवर्ती व दूसरा दक्षिणवर्ती सिंहासन ।
250 पण्डक वन की दक्षिण दिशा में कौन सी  शिला हैं?
पाण्डुकंबल शिला।
251 पाण्डु कंबल शिला पर कितने सिंहासन हैं?
एक
252 पाण्डुकंबल शिला पर कौन से तीर्थकरों का जन्माभिषेक होता है?
भरत क्षेत्र मे उत्पन्न तीर्थकरों का।
253 पण्डक वन में तीसरी शिला का क्या नाम हैं?
रक्त शिला
254 रक्त शिला कहाँ पर हैं?
पण्डक वन के पश्चिम भाग  पर।
255 पण्डक वन में रक्त शिला किसकी बनी हुई हैं ?
तपनीय स्वर्णमय ।
256 रक्त शिला पर कितने सिंहासन है?
दो,एक उत्तरवर्ती एंव एक दक्षिणावर्ती
257 रक्त शिला के दक्षिणवर्ती  सिंहासन पर किसका अभिषेक होता हैं ?
पक्ष्मादि 8विजयों मे उत्पन्न तीर्थकरो का(पश्चिममहाविदेहवर्ती)
258 रक्त शिला के उत्तरवर्ती सिंहासन पर किसका अभिषेक होता हैं ?
वप्रादि 8विजयों में उत्पन्न तीर्थकरों का (पश्चिममहाविदेहवर्ती)
259 पण्डक वन मे चौथी अभिषेक शिला का क्या नाम हैं?
रक्त कंबल शिला।
260 रक्त कंबल शिला कहाँ पर हैं ?
मेरु पर्वत की चूलिका के उत्तर में पण्डक �वन के उत्तरी भाग  पर ।
261 रक्त कंबल शिला पर कितने सिंहासन है?
एक
262 रक्त कंबल शिला पर किसका अभिषेक किया जाता है?
एेरवत क्षेत्र मे उत्पन्न तीर्थंकर भगवंतो का ।
263 भगवान ऋषभदेव का अभिषेक किस शिला पर किया गया ?
पाण्डु कंबल शिला पर ।
264 सीमंधर स्वामी का अभिषेक किस शिला पर किया गया है?
पाण्डु शीला पर ।
265 तीर्थकर भगवान का जन्म होता है तब कौन सा कल्याणक होता है?
दूसरा कल्याणक - जन्म कल्याणक
266 तीर्थंकर भगवान के गर्भ में आने की सूचना कौन देते हैं ? 
माता द्वारा अर्धनिद्रित अवस्था मे देखें हुये 14 महास्वप्न ।
267 माता द्वारा देखें हुए चौदह महास्वप्न कौन से हैं ?
1एेरावत हाथी  2धोरी ऋषभ  3शादुर्ल सिंह  4लक्ष्मी देवी  5 पुष्प माला युगल  6पुर्ण चन्द्रमा  7 जाज्वलयमान सुर्य   8 इन्द्र ध्वजा  9पुर्ण कलश  10 पद्म सरोवर  11 क्षीर सागर  12देव विमान  13रत्नो की  राशी   14 निर्धुम अग्नि ।
268 माता के द्वारा प्रथम स्वप्न मे चार दाँत वाला हाथी का क्या फल होता हैं ?
तीर्थकर रूप पुत्र दान,शील,तप भाव रूप चार प्रकार के धर्म का उपदेशक होगा ।
269 माता के द्वारा द्वितीय स्वप्न मे ऋषभ देखने का क्या फल होगा ?
भरत क्षेत्र में सम्यक्त्व बीज का वपन करेगा ।
270 माता के द्वारा तृतीय स्वप्न में सिंह देखने का क्या फल होता हैं?
आठ कर्म रूपी हाथी का विदारण करेगा।
271 माता के द्वारा चौथे स्वपन में लक्ष्मी देखने का क्या फल होता है?
दान देकर पृथ्वी को हर्षित करने वाला अथवा तीर्थकर लक्ष्मी का भोगी होगा ।
272 माता के द्वारा पाचवे स्वप्न मे पुष्प मालाओं देखने का क्या फल होता है?
समस्त प्राणी उसकी आज्ञा को स्वीकार करेगे।
273 माता के द्वारा छठे स्वप्न मे चन्द्र देखने का क्या फल होता हैं?
वह सर्व भव्यजनों के हदय और नेत्र को आहादित करने वाला बनेगा ।
274 माता के द्वारा सातवे स्वप्न मे सूर्य देखने का क्या फल होता है?
उसके पीछे आभामण्डल दीप्तियुक्त होगा ।
275 माता के द्वारा आठवें स्वप्न में ध्वज देखने का क्या फल होता है?
उनकी धर्मध्वजा खूब ही लहलहा उठेगी ।
276 माता द्वारा नवमे स्वप्न में पूर्ण कलश देखने का क्या फल है?
ज्ञान ,धर्म आदि रुप महल के शिखर पर चलने वाला होगा ।
277 माता के द्वारा दसवें स्वप्न में  पद्म सरोवर देखने का क्या फल होता है?।
देव रचित अचित स्वर्ण कमलों पर चलनेवाला होगा ।
278 माता के द्वारा ग्यारहवें स्वप्न में समुद्र देखने का क्या फल होता है?
समुद्र से केवल ज्ञान रुपी रत्न का वह आधार भूत होगा ।
279 माता के द्वारा बारहवें स्वप्न में विमान देखने का क्या फल होता हैं?
वैमानिक देवो
280 माता के द्वारा तेरहवें स्वप्न में  रत्नो की राशि देखने का क्या फल होता है?
रत्न जड़ित मुकुटों वाले इन्द्रों से समवशरण में वह शोभित होने वाला होगा ।
281 माता के द्वारा चौदह स्वप्न मे निर्धूम अग्नि देखने का क्या फल होता है?
भव्यजनो की आत्मशुद्धि करनेवाला होगा ।
282 दिशा कुमारी देवियों को भगवान तीर्थकर के जन्म की सुचना किससे मिलती है?
आसन चलित होने से ।
283 पुर्व दिशा की शिला के उत्तर वर्ती सिंहासन पर किनका अभिषेक किया जाता है?
पुर्व महाविदेह क्षेत्र के कच्छ आदि 8 विजयो में उत्पन्न तीर्थकरों का ।
284 पुर्व दिशा की शिला के दक्षिणवर्ती सिंहासन पर किनका अभिषेक किया जाता है ?
पुर्व महाविदेह क्षेत्रोत्पन्न वत्स आदि 8 विजयों में उत्पन्न तीर्थंकरों का।
285 किस तीर्थंकर ने किस अवस्था में कल्पवृक्ष प्रदत्त आहार किया ?
भगवान ऋषभदेव नें ,गृहस्थावस्था में, तीर्थकर बनने से पूर्व ।
286 अपने- अ�पने भवनों से दिशाकुमारियां भगवान को किससे देखती है?
अवधिज्ञान सें।
287 भगवान तीर्थकर का जन्मोत्सव मनाने सर्वप्रथम कौन आते हैं ?
भोगंकरा ,भोगवती,सुभोगा ,भोगमालिनी,तोयधारा ,विचित्रा,पुष्प-माला ,अनिंदिता-ये 8 अधोलोक वासिनी दिशा कुमारियां आती हैं ।
288 दिशा कुमारियां किसमें बैठकर आती है?
वैक्रिय लब्धि से विकुर्वित यान विमान (यात्रा विमान)में ।
289 यान विमान में कितने खंभे होते हैं ?
सैंकड़ों खंभे ।
290 दिशाकुमारिया क्यों आती है?
परम्परागत आचार होने से /जीताचार व्यवहार होने से आती हैं ।
291 विमान को कहाँ ठहराती है? 
तीर्थकर भगवान के जन्म भवन से ईशान कोण में।
292 विमान को धरती से कितने अंगुल ऊंचा ठहराती हैं ?
चार अंगुल ऊंचा ।
293 विमान ठहराने के बाद क्या करती है?
विमानों से नीचे उतरकर भगवान की माता के पास आती है।
294 जन्म भवन में आकर क्या करती है?
भगवान तीर्थंकर व उनकी माता को तीन बार प्रदक्षिणा करती है।
295 दिशा कुमारियां भगवान की माता को क्या संबोधन करती है?
दो संबोधन - 1रत्नकुक्षिधारिके 2.जगतप्रदीपप्रदायिके।
296 रत्नकुक्षिधारिणी का क्या अर्थ है?
तीर्थकर रूप रत्न को अपनी कोख में धारण करनेवाली ।
297 जगत प्रदीप प्रदायिके का क्या मतलब है?
जगतवर्ती जनों के सर्वभाव प्रकाशक तीर्थकर रूप दीपक प्रदान करनेवाली ।
298 संबोधन करते हुए क्या करती हैं ?
भगवान की माता को भी नमस्कार करती है।
299 अधोलोक वर्ती देवियां कौन सी वायु से भूमितल को  निर्मल करती हैं ?
संवर्तक वायु से।
300 कितने भुमि तल (क्षेत्र)को निर्मल करती है?
एक योजन परिमंडल क्षेत्र (भूमि)।
301उर्ध्वलोक वासिनी दिशा कुमारियां कितनी है?
आठ
302उर्ध्वलोक वासिनी दिशा कुमारियों के नाम क्या है?
1मेघकंरा 2 मेघवती 3सुमेघा 4मेघमालिनी 5सुवत्सा 6वत्समित्रा 7वारिषेणा 8बलाहका ।
303उर्धवलोक वासिनी दिशा कुमारियां क्या कार्य करती है?
आकाश में बादलों की विकुर्णा करके अचित जल की वर्षा करती है।
304 वर्षा करने से क्या होता है? 
रज-धुल जम जाती है।
305 धुल को जमाने के बाद क्या करती है?
अचित पुष्पों के बाद बादलों की वर्षा करती है।
अरिहंत भगवान में बारह गुण :-
1.अणासणे(अनाश्रव)
2.अममे(अममत्व)
3.अकिंचणे(अकिंचन)
4.छिन्नसोए (छिन्नशोक)
5.निरूवलेवे(निरूपलेप)
6.ववगय पेम राग दोस मोहे (व्यपगत प्रेम राग द्वेष मोह)
7.णिग्गथस्स पावयणं देसए (निर्ग्रन्थ प्रवचनके उपदेशक)
8.सत्थनायगे (सार्थ के नायक)
9.अणंतनाणी (अनंतज्ञानी)
10.अंणतदंसी (अनंतदर्शनी)
11.अणंतचरित्ते (अनंत चारित्री)
12.अंणत वीरिय संजुते(अनंत वीर्य पुरुषार्थ  से युक्त )होते हैं।

प्रश्न 200 - कौन-से तीर्थंकर का समवसरण सबसे बड़ा था और कितना?

उत्तर - श्री आदिनाथ जी का समवसरण 12 योजन (96) विस्तृत था।

प्रश्न 201 - कौन से तीर्थंकर का समवसरण सबसे छोटा था और कितना?

उत्तर - 24वें श्री महावीर स्वामी का समवसरण 1 योजन अर्थात 4 कोश का था।

प्रश्न 202 - तीर्थंकरों के लिए वस्त्रादि एवं भोजन की व्यवस्था कहां से होती हैं?

उत्तर - तीर्थंकरों के भोजन एवं वस्त्रादि की व्यवस्था स्वर्ग से होती है।

प्रश्न 203 - क्या तीर्थकर अपनी माता का दूध पीते हैं?

उत्तर - तीर्थंकर अपनी माता का दूध नहीं पीते हैं।

प्रश्न 204 - क्या तीर्थंकर अपने माता-पिता को नमस्कार करते हैं?

उत्तर - तीर्थंकर अपने माता-पिता केा भी नमस्कार नहीं करते हैं।




05 - श्री सुपाश्र्वनाथ एवं पाश्र्वनाथ जी में किन-किन बातों में समानता पायी जाती है?

उत्तर - निम्न बातों में समानता पायी जाती है-
1 - दोनों तीर्थंकरों का गर्भ - जन्म कल्याणक बनारस में हुआ था।
2 - दोनों तीर्थंकरों का हरित श्याम वर्ण था।
3 - दोनों तीर्थंकरों की प्रतिमाओं पर सर्प का फण पाया जाता है।
4 - दोनों तीर्थंकरों का गर्भ, जन्म, तप एवं केवलज्ञान कल्याणक विशाखा नक्षत्र में हुआ था।
5 - दोनों तीर्थंकरों ने पूर्वाण्ह काल में दीक्षा ली थी।
6 - दोनों तीर्थंकरों को मोक्ष सप्तमी तिथि को हुआ था।
7 - दोनों तीर्थंकरों को मोक्ष सम्मेदशिखर से हुआ था।


प्रश्न 206 - मिथला नगरी में जन्म लेने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये।

उत्तर - 19 वें श्री मल्लिनाथ जी एवं 21 वें नमिनाथ जी।

प्रश्न 207 - इक्ष्वाकुवंश में जन्म लेने वाले कितने तीर्थंकर थे?

उत्तर - सत्रह तीर्थंकर।

प्रश्न 208 - इक्ष्वाकु वंश में जन्म लेने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये?

उत्तर - (1) श्री आदिनाथ जी से लेकर अनंतनाथजी, शांतिनाथजी, श्री मल्लिनाथ जी, श्री नमिनाथ जी।

प्रश्न 209 - कुरूवंश में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने जन्म लिया है?

उत्तर - 25वें श्री धर्मनाथजी, 17वें श्री कुंथुनाथजी, 18 वें श्री अरहनाथ जी इन तीन तीर्थंकरों ने कुरू वंश में जन्म लिया है।

प्रश्न 210 - यादव वंश में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने जन्म लिया है?

उत्तर - 20 वें मुनिसुव्रतनाथ जी एवं 22वे श्री नेमिनाथजी।

प्रश्न 211 - उग्र वंश में कौन से तीर्थंकर ने जन्म लिया था?

उत्तर - 23वें श्री पाश्र्वनाथ जी ने।

प्रश्न 212 - श्री महावीर भगवान ने कौन से वंश में जन्म लिया था?

उत्तर - नाथ वंश में।

प्रश्न 213 - चैबीसों तीर्थंकरों के कुल कितने गणधर थे?

उत्तर - चैबीस तीर्थंकरों के कुल चैदह सौ उनसठ गणधर थे।

प्रश्न 214 - गणधर किसे कहते हैं?

उत्तर - जो मुनि, भगवान की बारह सभाओं रूपी इन बारह गणों के स्वामी माने जाते हैं वे गणनायक, गणधर, गणपति, विनायक आदि नामों से जाने जाते हैं उन्हें गणधर कहते हैं।

प्रश्न 215 - बारह गण कौन-कौन से हैं?

उत्तर - भगवान के समवसरा में जो बारह सभायें बारह कोठे होते हैं उन्हें ही बारह गण कहते हैं।

प्रश्न 216 - अशोक वृक्ष किसे कहते हैं?

उत्तर - तीर्थंकर को जिस वृक्ष के नीचे केवलज्ञान होता है उसे अशोक नाम से जाना जाता है?

प्रश्न 217 - अशोक नाम की सार्थकता बताइये।

उत्तर - समस्त प्राणियों का शोक हरने से इस वृक्ष का अशोक नाम सार्थक है।

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प्रश्न 218 - शाल वृक्ष के नीचे कौन-कौन से तीर्थंकरों को केवलज्ञान हुआ है?

उत्तर - श्री मुमतिनाथ जी व श्री पद्मप्रभु जी।

प्रश्न 219 - पीपल वृक्ष के नीचे कौन-से भगवान को केवलज्ञान हुआ था?

उत्तर - श्री अनंतनाथ जी को।

प्रश्न 220 - आम्रवृक्ष के नीचे कौन-से तीर्थंकर को केवलज्ञान हुआ था?

उत्तर - श्री अरहनाथजी को।

प्रश्न 221 - तीर्थंकरों के सबसे अधिक कल्याणक कौन-से महीने में आते हैं और कितने?

उत्तर - चैत्र के महीने में सत्रह कल्याणक।

प्रश्न 222 - तीर्थंकर के सबसे कम कल्याणक कौन-से महीने में आते और कितने?

उत्तर - आश्विन के महीने में केवल तीन कल्याणक।





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