कथाए2

 कल्पवृक्ष


एक मजेदार कहानी है। किसी व्यक्ति को एक बार कल्पवृक्ष मिला। उसे पता चला कि इस वृक्ष के नीचे बैठकर जो भी इच्छा करो, वह पूरी होती है। वह वृक्ष

के नीचे बैठा, उसे प्यास लगी, कि तुस्त वहाँ पानी प्रकट हो गया। उसे भूख लगी,तुरन्त स्वादिष्ट भोजन प्रकट हो गया। उसे धनवान बनने की इच्छा हुई, तो तुरन्त सोने-

चान्दी के आभूषण प्रकट हो गए।


इतने में उसे डर लगा, कि यदि यह धन लूटने लुटेरे आ गए

तो? इतने में तो लुटेर आए और उसका धन लूटकर चले गए। वह और उसे लगा, कि कहीं भूत आ गए और मुझे खा गए तो? इतने में तो वहाँ भूत आए और उसे खा गए।


यह कहानी किसी युवक ने सुनी, वह एक साधु के पास

गया और बोला, “यदि हम डरें नहीं, तो हमें जो भी मिला है, वह हमेशा हमारे पास ही रहेगा ना साधु ने कहा, 'अवश्य रहेगा। तो युवक बोला, "फिर ठीक है, आपको तो पता ही होगा, कि यह कल्पवृक्ष कहाँ है? मुझे मेरी सारी इच्छाएं पूरी करनी है।"


साधु बोले, "मुझे पता है कि कल्पवृक्ष कहाँ है, और

मैं तुम्हें बता भी सकता हूँ।" सुनकर वह युवक व्यग्र होकर

बोला, "फिर जल्दी बताइए। साधु ने मात्र दो शब्दों में उत्तर दिया, तुम्हारे भीतर।

इच्छा  पूरी करने की ताकत हमारे भीतर ही होती है। भय, डर, शंका और दुविधा भी हमारे अन्दर ही है। भरोसा, श्रद्धा, विश्वास, और निर्णयशक्ति भी

हमारे भीतर ही है। कल्पवृक्ष हमें ही सृजित करना है।

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