ढाई द्वीप औऱ विद्यमान विस् तीर्थंकर
अढाई द्वीप
1 - 343 घनाकार हमारे इस लोक के 3 हिस्से में विभक्त किया गया है। जिसमे सबसे नीचे अधोलोक ( 7नरक व कुछ देव व कुछ मनुष्य ) ,
ऊर्ध्वलोक (वैमानिक देव ) व
मध्यलोक जिसमे मनुष्य, तिर्यंच कुछ देव रहते है।
2 - 1800 योजन ऊंचा व 1 रज्जू विस्तृत इस मध्यलोक में सबसे केंद्र में सुदर्शन नामक मेरु पर्वत है । जो की 1 लाख योजन ऊंचा व 10,000 योजन जमीन पर चौड़ा है। उसके चारो तरफ फैला , द्वीपोमें सबसे छोटा , गोल , थाली आकार का 1 लाख योजन का जंबुद्वीप है तथा अंतिम वलयाकार सबसे बड़ा स्वयंभूरमण समुद्र है। इन दोनो के बीच वलयाकार में असंख्य द्वीप असंख्य समुद्र का समावेश होता है।
3 - जंबुद्वीप से सटकर वलयाकार (चूड़ी ) में 2 लाख योजन का लवणसमुद्र है। 2 लाख योजन एक तरफ की चौड़ाई है (यानी चूड़ी की मोटाई समझे। ) दोनो तरफ का मिलाकर 4 लाख योजन ।
4 - जंबुद्वीप के बाद लवनसमुद्र , लवनसमुद्र के बाद वलयाकार में ही 4 लाख योजन एक तरफ चौड़ाई वाला घातकीखण्ड है। ठीक इसी तरह 1 समुद्र - 1 द्वीप एक दूसरे से दुगुने नाप वाले होते जाते है। अंत में आधा रज्जू दो तरफ की कुल चौड़ाई वाला स्वयभूरमण समुद्र है।
5 - घातकीखण्ड के बाद 8 लाख एक तर्फ़की चौड़ाई वाला कालोदधि नामक समुद्र तथा उसके बाद 16 लाख की चौड़ाई वाला पुष्करवर द्वीप स्थित है।
6 - पूरे पुष्करवर द्वीप के मध्य में उसके दो विभाग करता हुआ, चूड़ी आकार का ही एक बड़ा मानुषोंत्तर पर्वत स्थित है। इस पर्वत के बाहर मनुष्य नही है। पर्वत के भीतर मनुष्य है। यानी 16 लाख चौड़ाई वाले पुष्कर द्वीप के 8 लाख योजन के विस्तार में ही मनुष्य रहते है।( एक तरफ 8- दोनो तरफ मिलाकर 16 लाख योजन )
7 - इस तरह एक जंबुद्वीप, एक घातकीखण्ड व आधे पुष्करवर द्वीप कुल अढाई द्वीप में ही मनुष्यों का जन्म ओर निवास है। इसी लिए अढाई द्वीपको मनुष्यलोक भी कहा जाता है।
8 - एक लाख योजन का जंबुद्वीप, 4 लाख कुल योजन का लवणसमुद्र , 8 लाख योजन का कुल घातकीखण्ड, 16 लाख योजन का कुल कालोदधि समुद्र, ओर 16 लाख योजन का कुल पुष्करार्ध द्वीप । सब मिलाकर 1 + 4 + 8 + 16 + 16 = कुल 45 लाख योजन का अढाई द्वीप ।
9 - इस 45 लाख योजन से ठीक ऊपर की दिशा में, उसी क्रम उसी लाइन में लोक के अंत में 45 लाख योजन के ही नाप वाली सिद्ध शिला है यह उल्लेखनीय व याद रखने योग्य है।
10 - सवाल :- मानुषोत्तर पर्वत के एक भाग में मनुष्य नही रहते । उस क्षेत्र की चौड़ाई अंदाजन कितनी ?
16 लाख योजन
प्रणाम सभी ज्ञानीजनोंको
पिछले कई समय से में ग्रुप पाठ अटेंड नही कर पा रहा हूं। फिर भी उदारमना एडमिनजी ने 28 तारीख का पाठ लेने का सौभाग्य दिया। हृदयपूर्वक धन्यवाद।
अढाई द्वीप की कुछ पोस्ट की थी फेसबुक पर। कुछ समय पहले। कल की पाठशाला इसी से लेने के भाव है। जो समय हो तो पढ़ ले। सवाल इसी से आएंगे।
11 - पुष्कर द्वीप के मानुषोत्तर पर्वत के बाहर की तरफ के कुल 16 लाख योजन चौड़े विस्तार में मनुष्य नही।
12 - अब अढाई द्वीप की थोड़ी भौगोलिक परिस्थिति देखे हम।
13 - मध्यलोक में सबसे छोटा व सबसे केंद्र में व आकार में सबसे अलग थाली आकार का ( बाकी सभी द्वीप समुद्र वलयाकार) एक लाख योजन का जंबुद्वीप है । जिसके केंद्र में एक लाख योजन ऊंचा सुदर्शन नामक मेरु पर्वत है। इसमे 1000 योजन जमीन के भीतर गहरा तथा 99,000 योजन जमीन से ऊंचा है। इसका मूल 10,090 से कुछ ज्यादा योजन करीब चौड़ाई है तथा जमीन पर 10,000 योजन विस्तृत है , यह चौड़ाई ऊपर जाते हुए कम होती जाती है।
14 - इस मेरु पर्वत के जमीनी तल के चारो ओर भद्रशाल वनहै । इसके 500 योजन ऊपर जाते चारो तरफ से एक श्रेणी ( खुली तले जैसी घूमने फिरने जैसी चौड़ी जगह ) है जँहा नन्दन नामक रमणीय वन है।
15 - फिर 62,500 योजन ऊपर भी श्रेणी है जिसपर सौमनस वन है। तथा फिर उससे 36000 योजन ऊपर यानी टोच पर पन्डक वन है। यहां से 40 योजन ऊची एक छोटी शिखरि है यानी चूलिका।
16 - अलग अलग प्रकार के 3 स्तर वाला यह सुदर्शन मेरु पर्वत के आगमो में 15 अलग नाम भी बतलाये है। यह एक ऐसी वस्तु है जो तीनो लोक ऊर्ध्व, अधो तथा मध्यलोक को स्पर्श करता है।
17 - मेरु पर्वत की ऊपर कही बातों से भी अनेक गुना महत्त्व वहां स्थित पन्डक नामक वन की वजह से है।
18 - इसके 99,000 योजन ऊंचाई पर स्थित पन्डक या पन्डग नामक चारो दिशाओमे फैले इस वन में 4 मुख्य दिशाओमे अर्ध चन्द्राकार में 4 बड़ी बड़ी शिला ए है। जिनपर स्थित 6 सिंहासनों पर तीर्थंकर के जन्म बाद तुरंत 64 इन्द्रो द्वारा जन्मोत्सव व अभिषेक किया जाता है।
19 - जैसे पूर्व में - पांडुकशीला - 2 सिंहासन - पूर्व महाविदेह में जन्मे तीर्थंकरों का अभिषेक
पश्चिम में - रक्त शिला - 2 सिंहासन - पश्चिम महाविदेह में जन्मे प्रभुका अभिषेक
उत्तरमे - रक्तपांडु कंबल शिला - 1 सिंहासन - ऐरावत में जन्मे प्रभुजी का अभिषेक
दक्षिण में - पांडुकंबलशीला - 1 सिंहासन - भरतक्षेत्र में जन्मे प्रभु का अभिषेक
20 - 64 इंद्र कौन से ???
32 वाणव्यन्तर
20 भवनपति
10 देवलोक
2 ज्योतिष्क
21 - अढाई द्वीप में आगे जानने से पहले यह समझ ले कि घातकीखण्ड तथा पुष्करार्ध , दोनो द्वीप में उत्तर तथा दक्षिण में द्वीप जितने ही बड़े इक्षुकार पर्वत स्थित है। जिससे उन द्वीप के पूर्व व पश्चिम विभाग हो गये है।
22 - यानी पूर्व घातकीखण्ड पश्चिम घातकी खण्ड , पूर्व पुष्करार्ध तथा पश्चिम घातकी खण्ड। इन 4 मे जंबुद्वीप जैसी ही रचना व लाक्षणिकता है। फर्क मात्र इतना है कि इनका विस्तार जंबुद्वीप से काफी बड़ा है। विस्तार के अलावा ज्यादातर बाते हम जो भी जंबुद्वीप का जाने वैसे ही इन 4 का भी समझना।
23 - जंबुद्वीप मध्य में सुदर्शन मेरु पर्वत की तरह ही पूर्व घातकीखण्ड में विजय, पश्चिम घातकी खण्ड में अचल , पूर्व पुष्करार्ध द्वीप में मन्दिर, पश्चिम पुष्करार्ध में विद्युन्माली नामक मेरु पर्वत स्थित है। 1 ली पोस्ट में इसका पिक है।
24 - अन्य चारो मेरु पर्वत ठीक सुदर्शन मेरु की तरह विशेषता युक्त है । सिर्फ उन 4 की ऊंचाई सुदर्शन मेरु पर्वत से कम यानी 84000 योजन ऊंचाई युक्त है।
25 - जंबुद्वीप के बाद उससे सटकर लवनसमुद्र है उसके पहले पूरे जंबुद्वीप के किनारे लगी हुई एक जगती है जैसे कंपाउंड वाल। आगमो में इसका विस्तृत अच्छा वर्णन बताया हुआ है।
26 - अब सुदर्शन मेरु पर्वत से करीब 45000 योजन दूर दक्षिण दिशा में , यानी जंबुद्वीप की बिल्कुल नीचे की ओर , लवणसमुद्र से सटकर एक छोटा अर्धगोलाकार हमारा भरत क्षेत्र है जो बीचमे 526 योजन 6 कला जितना लंबा है।
27 - योजन : - सरल भाषा मे कहे तो करीब 13- 14 km मिलाकर 1 योजन बनता है। यह नाप अशाश्वत वस्तु यानी कि जो नाशवंत है उसके लिए प्रयुक्त होता है। जो सदाकाल रहेगा उसके लिए 1000 गुना समझना। यह समझना हमारे लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है पर असंभव नही।
एक योजन के 19 वे भाग को कला कहते है ।
28 - हमारा भरत क्षेत्र - यानी हम जहाँ रहते है। जंहा ऋषभदेव से लेकर वीर प्रभु जँहा हुए ।
29 - जंबुद्वीप की अपेक्षा भरत क्षेत्र बहुत छोटा है । भरत क्षेत्र जैसे विस्तार वाले करीब 190 खण्ड जंबुद्वीप में समा सकते है।
30 - ओर इस भरत क्षेत्र में भी हम दक्षिण मध्य खण्ड में रहते है और सामान्य मानव भरत से बाहर जा भी नही सकता। हम जो देश विदेश घूमते है सब इसी भरत में । जंबुद्वीप की अपेक्षा इतना छोटा क्षेत्र भी हमारे लिए इतना बड़ा है तो पूरा जंबुद्वीप कीतना बड़ा होगा। लोक की इस भावना का चिंतन करे हम की इतने बड़े लोक में हमारी क्या हस्ती? क्यों इतना अहंकार।!!
31 - 526 योजन 6 कला मध्य मे नाप लिए जंबूदीप भरत क्षेत्र के बीचोबीच पूरे भरत में फैला वैताढ़य नामक पर्वत है जिससे भरत क्षेत्र के उत्तर व दक्षिण के 2 हिस्से हो जाते है।
32 - 25 योजन ऊंचा 50 योजन जमीन पर चोडा यह पर्वत जिस पर 10 - 10 योजन की ऊंचाई पर 2- 2 श्रेणियां उतर दक्षिण दोनो दिशाओं में बनी हुई है।
33 - 10 योजन ऊपर की इन श्रेणियों में दोनों तरफ उत्तर में 60 दक्षिण में 50 विद्याधरों के नगर बने हुए है जँहा विद्याधर जाति के मनुष्य रहते है।
34 - इनके पास कम से कम 1 और उत्कृष्ट 48,000 विद्याएं हो सकती है। यहां भी केवली विचरण करते है।
35 - यहां से 10 योजन ऊपर जाने पर अभियोगिक देवो के रहने के स्थान बतलाये गये है।
36 - यहां से 5 योजन ऊपर , मतलब पर्वत के पूरे लंबे शिखर पर 9 कूट ( शिखरीया ) तथा इस पर्वत के अधिपति वैताढ़य देव रहते है।
37 - इस पर्वत के नीचे 2 तरफ गुफाएं है जिनमे से चक्रवर्ती की सेनाएं विजययात्रा के लिए दक्षिण भाग से उत्तर भाग तरफ जाते है। खण्डप्रपात व तिमिस्त्रा गुफाएं।
38 - यह दोनों गुफाएं हमेशा बंध रहती है। सिर्फ चक्रवर्ती के विजययात्रा के दौरान खुलतिं है तथा चक्रवर्ती के शासन तक खुली रहती है।
39 - इसी पर्वत के नीचे से गंगा व सिंधु नदी उत्तर से दक्षिण तरफ आती है।
40 - पिक में बताये अनुसार गंगा व सिंधु इस तरह बहती है कि उत्तर भरत दक्षिण भरत के फिर से 3- 3 भाग करती है।
मतलब वैताध्य पर्वत व 2 नदियों के कारण भरत क्षेत्र के 6 खंड हो जाते है। जिसमे नीचे मध्य प्रथम आर्य खण्ड में हम रहते है तथा अन्य 5 अनार्य खण्डों में अनार्य मनुष्यो का निवास है। जो धर्म समझते नही, जँहा श्लाघनीय पुरुषों का जन्म नही।
41 - भरत क्षेत्र में छहो खण्ड में कुल मिलाकर 32,000 देश है जिनमे प्रथम व चतुर्थ खण्ड में 14- 14 हजार तथा अन्य 4 में 1- 1 हजार देश है। हमारे प्रथम खण्ड में 14,000 देश मे साढ़े पच्चीस आर्य देश। इसके अलावा सभी 31974- 1/2 देश अनार्य कहे जाते है।
42 - हमारे ऊपर की तरफ यानी चौथे खण्ड में उत्तर में एक रुषभकूट नामक शाश्वत पर्वत है। जिन पर चक्रवर्ती अपनी विजययात्रा के दौरान अपना नाम अंकित करते है।
43 - भरत क्षेत्र की इतनी ऊपरी जानकारी के बाद आगे बढ़ने से पहले - भरत जैसी ही ज्यादातर भौगोलिक परिस्थितिंया ऐरावत व महाविदेह की विजयो में होती है। यानी नदिया, वैताध्य पर्वत, 6 खण्ड, रुषभकूट आदि, बस विस्तार बड़ा होता है।
44 - भरत क्षेत्र के सटकर ऊत्तर में लवण समुद्र के पूर्व छौर से पश्चिम छौर तक लंबा, 1052 योजन 12 कला चौड़ा , 100 योजन ऊंचा स्वर्णमय चुल्ल हिमवान नामक वर्षधर पर्वत है।
45 - भरत क्षेत्र 526 योजन 6 कला और चुल्ल हिमवंत पर्वत 1052 योजन 12 कला । यानी भरत से दुगुना पर्वत । अब सभी क्षेत्र पर्वत महाविदेह तक दुगुने होते जाएंगे। व महाविदेह के बाद फिर से आधे।
46 - चुल्ल हिमवान पर्वत के शिखर पर बराबर मध्य में एक पदम् नामक द्रह (पानी का कुंड ) है। इस द्रह मे से 3 नदिया निकलती है। पूर्व पश्चिम द्वार से गंगा सीन्धु निकल कर भरत क्षेत्र में गिर ती है व बहते हुए रास्ते मे 14,000 छोटी छोटी नदियों को अपने मे समाकर फिर लवण समुद्र में मिल जाती है।
47 - पदम् द्रह के उत्तरी द्वार से निकलकर रोहितांशा नामक नदी पश्चिम हेम वय क्षेत्र में बहते हुए 28,000 नदियों को अपने मे समाकर लवण समुद्र में मिल जाती है।
47 - इस चुल्ल हिमवान पर्वत आदि सभी भरतादि क्षेत्र , द्रह आदि की बारीक बारीक बातों का भी वर्णन किया गया है। पर वह आगे फिर कभी....
48 - सभी पर्वतो का पढ़ते समय यह याद रखे हम की मेरु व वृत्त वैताढ़य के अलावा सभी पर्वत की जितनी ऊंचाई जमीन से उपर है उससे चौथाई हिस्सा जमीन के अंदर है।
49 - भरत क्षेत्र के ऊपर चुल्ल हिमवान पर्वत से सटकर पूर्व लवण समुद्र से लगकर पश्चिम लवण समुद्र तक लंबा हेमवय नामक युगलिक क्षेत्र है।
50 - सवाल - हेम वय युगलिक क्षेत्र की चौड़ाई यानी उत्तर दक्षिण नाप क्या (इसी पोस्ट से समझकर ) ?
आज तक जो पढा समझा उसी आधार पर। जिनवाणी विपरीत अंशमात्र लिखा हो तो त्रिविधे मिच्छामि दुक्कडम।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जैन ज्ञान दर्शन
ढाई द्वीप के विद्यमान विस् तीर्थंकर
सुरेन्द्र रतनलाल शहा जैन - श्रीरामपुर सुरेन्द्र रतनलाल शहा जैन - श्रीरामपुर
5 years ago
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।। ढाई द्वीप के विद्यमान बीस तीर्थंकर ।।
प्रश्न 1 – विदेह क्षेत्र के तीर्थंकरों के नाम बताइये।
उत्तर – विदेह क्षेत्रा में बीस तीर्थंकर होते हैं। उनके नाम निम्न प्रकार हैं- (1) श्री सीमंधर जी (2) श्री युगमंधर जी (3) श्री बाहु जी (4) श्री सुबाहु जी (5) श्री संजातक जी (6) श्री स्वयंप्रभ जी (7) श्री ऋषभभानजी (8) श्री अनंतवीर्य जी (9) श्री सूरप्रभ जी (10) श्री विशाल कीर्ति जी (11) श्री वज्रधर जी (12) श्री चन्द्रानन जी (13) श्री चन्द्रबाहु जी (14) श्री भुजंगमजी (15) श्री ईश्वर जी (16) श्री नेमिप्रभ जी (17) श्री वीरसेन जी (18) श्री महाभद्र जी (19) श्री देवयश जी एव (20) श्री अजितवीर्य जी।
प्रश्न 2 – इन्हंे विद्यमान बीस तीर्थंकर क्यों कहा जाता है?
उत्तर – इन्हें विद्यमान बीस तीर्थंकर इसीलिए कहा जाता है क्योंकि इन नामों वाले तीर्थंकर बीस ही होते हैं तथा कम से कम बीस हमेशा विद्यमान रहते हैं।
प्रश्न 3 – तो क्या ये तीर्थंकर मोक्ष नहीं जाते हैं?
उत्तर – ये तीर्थंकर मोक्ष तो अवश्य ही जाते हैं किंतु एक तीर्थंकर के मोक्ष जाने के तुरंत बाद उसी नाम के दूसरे तीर्थंकर का उद्भव हो जाता है। इस प्रकार इनका कभी अभाव नहीं होता।
प्रश्न 4 – ये तीर्थंकर कहां होते हैं?
उत्तर – विदेह क्षेत्रों में।
प्रश्न 5 – विदेह क्षेत्र की नाम की सार्थकता क्या है?
उत्तर – विदेह का अर्थ, विगत् देहाः अर्थात निकल गई देह जिसमें से वह विदेह हुआ। विदेह क्षेत्रों में चतुर्थ काल (कर्मभूमि) सदा प्रर्वतमान रहता है। उतएव वहां से मुनष्य कर्मों का नाश करके विदेह अर्थात मोक्ष जाते हैं।
प्रश्न 6 – विदेह क्षेत्र कहां-कहां हैं और कितने हैं उनका वर्गीकरण कैसे किया जाता है?
उत्तर – ढाई द्वीप में पांच मेरू सम्बंधी पांच महाविदेह क्षेत्र कहलाते हैं। विदेह क्षेत्र प्रत्ये कमेरू के पूर्व और पश्चिम होने से दस हो जाते हैं। मेरू पर्वतों के पूर्व और पश्चिम सीता सीतोदा नदियों के बहने से उनके उत्तर-दक्षिण विदेह क्षेत्र होने से 20 विदेह क्षेत्र हो जाते हैं। प्रत्ये कमेरू से सम्बंधित सीता नदी के उत्तर में विदेह क्षेत्रों की आठ कर्म भूमियां हैं तथा दक्षिण में आठ इसी प्रकार सीतोदा नदी के दक्षिण में आठ तथा उत्तर में आठ कर्मभूमियां एक मेरू से सम्बन्धित 8 गुण 4 = 32 कर्म भूमियां इसीलिए पांच मेरू सम्बंधित 32 गुणा 5 = 160 विदेह क्षेत्र की कर्मभूमियां हुईं।
प्रश्न 7 – ढाई द्वीप कौन-कौन से हैं?
उत्तर – पहला जम्बूद्वीप दूसरा घातकी खंड एंव आधा पुष्करवर द्वीप।
प्रश्न 8 – आधा पुष्करवर द्वीप क्यो?
उत्तर – क्येंकि पुष्करवर द्वीप के आधे भाग में मानषोत्तर पर्वत पड़ा हुआ है।
प्रश्न 9 – ढाई द्वीप में मेरू कहां-कहां है?
उत्तर – जम्बूद्वीप के बीचो-बीच सुदर्शन मेरू है। धातकीखंड द्वीप के पूर्व में विजय मेरू तथा पश्चिम में अचल मेरू है। पुष्कर द्वीप के पूर्व में मन्दिर मेरू तथा पश्चिम में विद्युन्माली मेरू है।
प्रश्न 10 – दूसरे द्वीप धातकी द्वीप को धातकी खंड द्वीप क्यों कहा जाता है?
उत्तर – धातकी द्वीप के उत्तर व दक्षिण में दो इष्वाकार पर्वत हैं जौ पूरे धातकी द्वीप को पूर्वी धातकी द्वीप तथा पश्चिमी धातकी द्वीप ऐसे दो भागों में विभाजित कर देते हैं। इसीलिए इसे धातकी खंड द्वीप कहा जाता है। प्रश्न 11 – ढाई द्वीप में कितने आर्य खंड हैं? उत्तर – ढाई द्वीप के विदेह क्षेत्रों में 160 तथा पांच भरत, पांच ऐरावत के दस इस प्रकार के कुल 170 आर्य खंड होते हैं।
प्रश्न 12 – ढाई द्वीप में एक समय में एक साथ कितने तीर्थंकर हो सकते हैं?
उत्तर – कुल 170 तीर्थंकर। जैन मंदीर 165
प्रश्न 13 – 170 तीर्थंकर कौन से तीर्थंकर के समय में हुए थे?
उत्तर – भगवान श्री अजितनाथ के समय में। प्रश्न 14 – ढाई द्वीप में कितने मलेच्छ खंड होते हैं?
उत्तर – 170 गुण 5 = 850 मलेच्छ खंड।
प्रश्न 15 – विदेह क्षेत्रों में कितने मलेच्छ खंड होते हैं?
उत्तर – 160 गुण 5 कुल 800 मलेच्छ खंड। प्रश्न 16 – जम्बूद्वीप में कितने विद्यमान तीर्थंकर होते हैं? और कौन-कौन से?
उत्तर – (1) श्री सीमंधर जी (2) श्री युगमंधर जी (3) री बाहुजी एवं (4) श्री सुबाहु जी ये चार तीर्थंकर।
प्रश्न 17 – विदेह क्षेत्र में सीमंधर स्वामी कहां होते हैं?
उत्तर – सुदर्शन मेरू पर्वत के पूर्व में सीता नदी बहती है उसके उत्तर तट की ओर चार वक्षार से सम्बंधित आठ विजयार्ध पर्वत हैं उन्हीं आठ पर्वतों के दक्षिण में आठ आर्य खण्ड हैं उन आठ आर्य खंडों में से किसी एक आर्य खं डमें श्री सीमंधर भगवान होते हैं।
प्रश्न 18 – कम से कम एवं अधिक से अधि कितने सीमंधर स्वामी हो सकते हैं?
उत्तर – कम से कम ऐ आर्यखं डमें एक एवं अधिक से अधिक सभी 8 आर्यखंडों में 8 सीमंधर स्वामी हो सकते हैं।
प्रश्न 19 – वर्तमान में सीमंधर स्वामी कहां विराजमान हैं?
उत्तर – वर्तमान में सीमंधर स्वामी पुंडरीकिणीपुरी नगरी में विराजमान हैं।
प्रश्न 20 – सीमांधर स्वामी के शरीर की अवगाहना कितनी है?
उत्तर – पांच सौ धनुष (दो हजार हाथ)।
प्रश्न 21 – श्री सीमंधर स्वामी के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री सीमंधर स्वामी के पिता का नाम श्रेयांस जी हैं।
प्रश्न 22 – श्री सीमंधर स्वामी की माता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री सीमंधर स्वामी की माता का नाम सती है।
प्रश्न 23 – श्री सीमंधर स्वामी की प्रतिमा का चिन्ह क्या है?
उत्तर – बैल है।
प्रश्न 24 – विदेह क्षेत्रों में होने वाले तीर्थंकरों की विशेषता बताइये;
उत्तर – विदेह क्षेत्रों में तीर्थंकरों के दो, तीन एवं पांच कल्याणक भी होते हैं।
प्रश्न 25 – ऐसा क्याे होता है?
उत्तर – क्योंकि वहां सदा काल चतुर्थ काल रहता है।
प्रश्न 26 – विदेह क्षेत्र में युगमंधर स्वमाी कहा हैं?
उत्तर – जम्बूद्वीप के सुदर्शन मेरू पर्वत के पूर्व में सीता नदी के दक्षिण तरफ आठ क्षेत्रों के आर्यखंडों में से किसी एक आर्यखण्ड में युगमंधर स्वामी होते हैं।
प्रश्न 27 – युगमंधर स्वामी के पिता का नाम बताइये। उत्तर – श्री दृणरथ जी।
प्रश्न 28 – श्री युगमंधर स्वामी की माता का नाम बताइये।
उत्तर – सुतारा देवी। jain temple165
प्रश्न 29 – श्री युगमंधर स्वामी की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – श्री युगमंधर स्वामी की प्रतिमा का चिन्ह हाथी है।
प्रश्न 30 – वर्तमान में श्री युगंधर स्वामी का समवसरण किसर नगरी में है?
उत्तर – सुसीमा नगरी में।
प्रश्न 31 – विदेह क्षेत्रों में सुबाहु स्वामी कहां होते हैं?
उत्तर – जम्बूद्वीप के सुदर्शन मेरू के पश्चिम में पश्चिम विदेह है वहां सीतोदा नदी बहती है उसके दक्षिण किनारे पर आठ अर्यखंड हैं वहा के आठ आर्यखंडों में से किसी एक में श्री बाहु स्वामी हैं।
प्रश्न 32 – वर्तमान में श्री बाहुस्वामी कहां पर है?
उत्तर – सुसीमा नगरी में।
प्रश्न 33 – श्री बाहुस्वामी की माता का नाम बताइये।
उत्तर – ज्ञात नहीं हैैं।
प्रश्न 34 – श्री बाहुस्वामी के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – ज्ञान नहीं है।
प्रश्न 35 – श्री बाहुस्वामी की प्रतिमा का चिन्ह क्या है?
उत्तर – हिरण।
प्रश्न 36 – विदेह क्षेत्र में सुबाहु स्वामी की स्थिति बताइये।
उत्तर – जम्बूद्वीप के सुदर्शन मेरू के पश्चिम विदेह में सीतोदा नदी के उत्तर तट के आठ आर्य खंडों में से किसी एक अर्य खंडमें सुबाहु स्वामी होते हैं।
प्रश्न 37 – वर्तमान के सुबाहु स्वामी कहां हैं? उत्तर – अयोध्या नगरी में।
प्रश्न 38 – श्री सुबाहु स्वामी की माता का नाम बताइये।
उत्तर – ज्ञात नहीं है।
प्रश्न 39 – श्री सुबाहु स्वामी के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – ज्ञानती है।
प्रश्न 40 – श्री सुबाहु स्वामी की प्रतिमा का चिन्ह क्या है?
उत्तर – बंदर।
प्रश्न 41 – उन आठ देशों के नाम बातइये जिनमें श्री सीमंधर स्वामी पैदा होते हैं।
उत्तर – (1) कच्छा, (2) सुकच्छा (3) महाकच्छा (4) कच्छाकावती (5) आवर्ता (6) लांगल आवर्ता (7) पुष्कला एवं (8 पुष्कलावती।
प्रश्न 42 – उन आठ देशों के नाम बताइये जिनमें युगमंधर स्वामी जन्म लेते हैं?
उत्तर – (1) वत्सा (2) सुवत्सा (3) महावत्सा (4) वत्सकावती (5) रम्या (6) सुरम्या (7) रमणीया (8) मंगलावती।
प्रश्न 43 – उन आठ देशों के नाम बताइये जिनमें श्री बाहुस्वामी जन्म लेते हैं?
उत्तर – (1) पद्मा (2) सुपद्मा (3) महापद्मा (4) पद्ाकावती (5) शंखा (6) नलिनीदेश (7) कुमुद (8) सरित देश।
प्रश्न 44 – उन आठ देशों के नाम बताइये जिनमें सुबाहु स्वामी जन्म लेते हैं?
उत्तर – (1) वप्रा (2) सुवप्रा (3) महावप्रा (4) वप्रकावती (5) गंधा (6) सुगंधा (7) गंधिला (8) गंधमलिनी।
प्रश्न 45 – धातकी खंड में कितने विद्यमान तीर्थंकर जन्म लेते हैं?
उत्तर – धातकी खंड द्वीप में आठ विद्यमान तीर्थंकर जन्म लेते हैं।
प्रश्न 46 – धातकी खंड में जन्म लेने वाले आठ विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर – (1) श्री संजातक जी (2) श्री स्वयंप्रभ जी (3) श्री ऋषभाननजी (4) श्री अनंतवीर्य जी (5) श्री सूरिप्रभ जी (6) श्री विशाल कीर्ति (7) श्री वज्रधर जी (8) श्री चन्द्रानन जी।
प्रश्न 47 – पूर्वी धातकी खंड में कितने विद्यमान तीर्थंकर जन्म लेते हैं?
उत्तर – चार तीर्थंकर। jain temple165
प्रश्न 48 – पूर्वी धातकी खंड में जन्म लेने वाले विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये?
उत्तर – (1) श्री संजातक जी (2) श्री स्वयंप्रभ जी (3) श्री ऋषभाननजी (4) श्री अनंतवीर्य जी
प्रश्न 49 – पश्चिमी धातकी खंडमें जन्म लेने वाले विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये।
उत्तर – (1) श्री सूरिप्रभ जी (2) श्री विशाल कीर्ति (3) श्री वज्रधर जी (4) श्री चन्द्रानन जी।
प्रश्न 50 – श्री संजातक जी के जन्म लेने वाले क्षेत्र बताइये।
उत्तर – श्री संजातक जी पूर्वी धातकी खंड में विजय मेरू के पूर्व में सीता नदी के उत्तर तटपर जो कच्छा से पुष्कलावती तक आठ देक्ष हैं उनके आर्य खंडों की नगरियों में जन्म लेते हैं।
प्रश्न 51 – वर्तमान में श्री संजातक जी का जन्म स्थान कहां है?
उत्तर – अलकापुरी।
प्रश्न 52 – श्री संजातक जी की माता का नाम बताइये।
उत्तर – देवसेना।
प्रश्न 53 – श्री संजातक जी के पिता कानाम बताइये।
उत्तर – श्री देवसेन।
प्रश्न 54 – श्री संजातक जी की प्रतिमा का चिन्ह क्या है?
उत्तर – सूर्य
प्रश्न 55 – श्री स्वयंप्रभू जी विदेह क्षेत्र में कहां जन्म लेते हैं?
उत्तर – पूर्वी धातकी खंड के विजय मेरू के पूर्व में सीता नदी के दक्षिण तट पर वत्सा से लेकर मंगलावती तक जो आठ देश हें उनके आठ आर्य खंडों में स्थित अयोध्या जैसी आठ नगरियों में स्वयंप्रभ जी जन्म लेते हैं।
प्रश्न 56 – श्री स्वयंप्रभ जी की माता का नाम बताइये।
उत्तर – सुमंगला। प्रश्न 57 –
श्री स्वयंप्रभ जी की प्रतिमा का चिन्ह बताइये। उत्तर – चन्द्रमा।
प्रश्न 58 – श्री स्वयंप्रभ जी वर्तमान में कहां विराजमान हैं?
उत्तर – विजया नगरी में।
प्रश्न 59 – श्री ऋषभानन जी विदेह क्षेत्रों में कहां जन्म लेते हैं?
उत्तर – पूर्वी धातकी खंड में विजय मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के दक्षिण तट पर पद्मा से सरित देश तक आठ देशों के आर्य खंडों विद्यमान अयोध्या के समान आठ नगरियों में ऋषभानन जी जन्म लेते हैं।
प्रश्न 60 – श्री ऋषभानन जी की माता का नाम बताइये।
उत्तर – वीरसेना।
प्रश्न 61 – श्री द्धषभानन जी के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री नृपकीर्ति जी।
प्रश्न 62 – श्री ऋषभाननजी की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – सिंह। प्रश्न 63 – वर्तमान में ऋषभनान जी का जन्म स्थान बताइये।
उत्तर – सुसीमा नगरी।
प्रश्न 64 – श्री अनंतवीर्य जी विदेह क्षेत्रों में कहां जन्म लेते हैं?
उत्तर – पूर्वी धातकी खं डमें विजय मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के उत्तर तट पर वप्रा से लेकर गंधमालिनी तक आठ देश हें उनके आठ आर्य खंडों में विद्यमान आठ नगरियों में श्री अनंतवीर्य जी जन्म लेते हैं। jain temple165
प्रश्न 65 – श्री अनंतवीर्य जी की माता का नाम बताइये।
उत्तर – सुमंगला।
प्रश्न 66 – श्री अनंतवीर्य जी के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री मेघरथ।
प्रश्न 67 – श्री अनंतवीर्य की प्रतिमाका चिन्ह बताइये।
उत्तर – हाथी।
प्रश्न 68 – वर्तमान में अनंतवीर्य जी ने किस नगरी में जन्म लिया है?
उत्तर – अयोध्या नगरी में।
प्रश्न 69 – विदेह क्षेत्रों में श्री सूरिप्रभ जी कहां जन्म लेते हैं?
उत्तर – पश्चिमी घातकी खं डमें अचल मेरू के पूर्व में सीता नदी के उत्तर तट पर कच्छा से लेकर पुष्कलावती तक आठ आर्य खंडों में रहने वाली आठ नगरियों में श्री सूरिप्रभ जन्म लेते हैं।
प्रश्न 70 – श्री सूरिप्रभ तीर्थंकर की माता का नाम बताइये।
उत्तर – माता भद्रा देवी।
प्रश्न 71 – श्री सूरिप्रभ तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री नागराज जी।
प्रश्न 72 – श्री सूरिप्रभ तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – सूर्य।
प्रश्न 73 – श्री सूरिप्रभ तीर्थंकर वर्तमान में कौन-सी नगरी में विद्यमान हैं?
उत्तर – विजय नगरी में।
प्रश्न 74 – श्री विशालकीर्ति तीर्थंकर के जन्म स्थान बताइये।
उत्तर – पश्चिमी धातकी खंडमें अचल मेरू के पूर्व में सीता नदी के दक्षिण तट पर वत्सा से लेकर मंगलावती तक आठा देश हैं, उनके आर्य खंडों की नमबरयों में श्री विकशालकीर्ति तीर्थंकर भगवान जन्म लेते हैं।
प्रश्न 75 – श्री विशालकीर्ति तीर्थंकर की माता का नाम बताइये।
उत्तर – माता विजया।
प्रश्न 76 – श्री विशालकीर्ति तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री विजय। jain temple165
प्रश्न 77 – श्री विशालकीर्ति तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह क्या है?
उत्तर – चन्द्रमा।
प्रश्न 78 – वर्तमान में श्री विशालकीर्ति तीर्थंकर का जन्म स्थान बताइये।
उत्तर – पुंडरीकिणी पुरी नगरी।
प्रश्न 79 – श्री वज्रधर तीर्थंकर के जन्म स्थान बाताइये।
उत्तर – पश्चिम धातकी खं डमें अचलमेरू के पश्चिम में सीतोदानदी के दक्षिण्या तट पर पद्मादेश से लेकर सरित देश तक आठ देशों के आठ आर्यखंडों की आठ नगरियों श्री वज्रधर भगवान जन्म लेते हैं।
प्रश्न 80 – वर्तमान में श्री वज्रधर भगवान का जन्म स्थान कहां है?
उत्तर – सुसीमा नगरी मेें।
प्रश्न 81 – श्री वज्रधर भगवान की माता का नाम बताइये।
उत्तर – सरस्वती।
प्रश्न 82 – श्री वज्रधर भगवान के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री पद्मरथ।
प्रश्न 83 – श्री चन्द्रानन भगवान के जन्म स्थान बताइये।
उत्तर – पश्चिमी धातकीखंड में अचल मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के उत्तर वट पर वप्रा से लेकर गंधमालिनी तक आठ देशों के आठ आर्यखंडों श्री आठ नगरियों में श्री चन्द्रानन भगवान जन्म लेते हैं।
प्रश्न 84 – श्री चन्द्रानन भगवान की माता का नाम बताइये।
उत्तर – ज्ञान नहीं है।
प्रश्न 85 – श्री चन्द्रानन भगवान के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – ज्ञान नहीं है।
प्रश्न 86 – श्री चन्द्रानन भगवान का वर्तमान जन्म स्थान बताइये।
उत्तर – पुंडरीकिणीपुरी।
प्रश्न 87 – श्री चन्द्रनन भगवान की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – बैल।
प्रश्न 88 – पुष्करवर द्वीप में जाये जाने वाले विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये।
उत्तर – पुष्करवर द्वीप में आठ विद्यमान तीर्थंकर रहते हैं- (1) श्री चन्द्रबाहु जी (2) श्री भुजंगम जी (3) श्री ईश्वर जी (4) श्री नेमीप्रभ जी (5) श्री वीरसेन जी (6) श्री महाभ्रद जी (7) श्री देवयश जी एवं (8) श्री अजितवीर्य जी।
प्रश्न 89 – पूर्वी पुष्करवर द्वीप विदेह क्षेत्रों में कौन-कौन से तीर्थंकर जन्म लेते हैं?
उत्तर – पूर्वी पुष्करवर द्वीप के विदेह क्षेत्रों में चार तीर्थंकर जन्म लेते हैं- (1) श्री चन्द्रबाहु जी (2) श्री भुजंगम जी (3) श्री ईश्वर जी (4) श्री नेमीप्रभ जी।
प्रश्न 90 – श्री चन्द्रबाहु जी विदेह क्षेत्रों में कहां-कहां जन्म लेते हैं?
उत्तर – पूर्वी पुष्कर द्वीप में मन्दिर मेरू के पूरब में सीतानदी के उत्तर में कच्छा से लेकर पुष्कलावती तक के आठ देशों के आठा आर्यखंडों की नगरियों में श्री चन्द्रबाहु तीर्थंकर जन्म लेते हैं।
प्रश्न 91 – वर्तमान में श्री चन्द्रबाहु तीर्थंकर कौन-सी नगरी में हैं?
उत्तर – विनीता नाम की नगरी में।
प्रश्न 92 – श्री चन्द्रबाहु तीर्थंकर की माता का नाम बताइये।
उत्तर – रेणुका देवी। jain temple165।
प्रश्न 93 – श्री चन्द्रबाहु तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री देवनंददि जी।
प्रश्न 94 – श्री चन्द्रबाहु तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – कमल।
प्रश्न 95 – श्री भुजंगम तीर्थंकर कौन-कौन से विदेह क्षेत्रों में जन्म लेते हैं?
उत्तर – पूर्वी पुष्कर द्वीप में मंदर मेरू के पूरब में सीता नदी के दक्षिण में वत्सा से लेकर मंगावती तक आठ देशों के आर्य खंडों की नगरियों में श्री भुजंगम तीर्थंकर जन्म लेते हैं।
प्रश्न 96 – वर्तमान में श्री भुजंम तीर्थंकर कौन-सी नगरी में हैं?
उत्तर – विजय नगरी में।
प्रश्न 97 – श्री भुजंगम तीर्थंकर की माता का नाम बताइये। उत्तर – जिनमती।
प्रश्न 98 – श्री भुजंगम तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री महाबल जी।
प्रश्न 99 – श्री भुजंगम तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – चन्द्रमा।
प्रश्न 100 – श्री ईश्वर तीर्थंकर कौन-कोन से विदेह क्षेत्रों में जन्म लेते हैं?
उत्तर – पूर्वी पुष्कर द्वीप में मंदर मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के दक्षिण तट पर पद्मा देश से लेकर सरित देश तक आठा देशाों के आर्य खंडों की आत नगरियों में री ईश्वर तीर्थंकर जन्म लेते हैं।
प्रश्न 101 – वर्तमान में श्री ईश्वर तीर्थंकर कौन-सी नगरी में हैं?
उत्तर – सुसीमा नगरी में।
प्रश्न 102 – श्री ईश्वर तीर्थंकर की माता का नाम बताइये। उत्तर – ज्वाला देवी। jain temple165
प्रश्न 103 – श्री ईश्वर तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री गलसेन जी।
प्रश्न 104 – श्री ईश्वर तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – सूर्य।
प्रश्न 105 – श्री नेमिप्रभ तीर्थंकर कौन-कौन से विदेह क्षेत्रों में जन्म लेते हैं?
उत्तर – पूर्वी पुष्कर द्वीप में मंदर मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के तट के वप्रा से लेकर गंधमालिनी के आठा देशों के आठ आर्य खंडों की आठ नगरियों में श्री नेमिप्रभ तीर्थंकर जन्म लेते हैं।
प्रश्न 106 – वर्तमान में श्री नेमिप्रभ तीर्थंकर कौन-सी नगरी में हैं?
उत्तर – अयोध्या नगरी में।
प्रश्न 107 – श्री नेमिप्रभ तीर्थंकर की माता का नाम बताइये।
उत्तर – ज्ञान नहीं है।
प्रश्न 108 – श्री नेमिप्रभ तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – बैल।
प्रश्न 109 – पश्चिम पुष्करार्ध द्वीप में चार विद्यमान तीर्थंकर होते हैं।
उत्तर-(1) श्री वीरसेन जी (2) श्री महाभद्र जी (3) श्री देवयश जी (4) श्री अजित वीर्य जी।
प्रश्न 110 – श्री वीरसेन तीर्थंकर किन विदेह क्षेत्रों में जन्म लेते हैं?
उत्तर – पश्चिम पुष्कर द्वीप में विद्युन्माली मेरू के पूर्व में सीता नदी के उत्तर तट पर कच्छा से लेकर पुष्कलावती तक के आठ देशों के आठ आर्यखंडों की आठा नगरियों में श्री वीर सेन तीर्थंकर जन्म लेते हैं।
प्रश्न 111 – श्री वीर सेन तीर्थंकर का वर्तमान जन्म स्थान कहां है?
उत्तर – पुडरीकिणीपुर नगरी।
प्रश्न 112 – श्री वीरसेन तीर्थंकर की माता का नाम बताइये।
उत्तर – भानुमती जी।
प्रश्न 113 – श्री वीरसेन तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री भूपाल जी।
प्रश्न 114 – श्री वीर सेन तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – ऐरावत।
प्रश्न 115 – श्री महाभद्र तीर्थंकर कौन-कौन से विदेहों में जन्म लेते हैं?
उत्तर – पश्चिमी पुष्कर द्वीप में विद्युन्माली मेरू के पूर्व में सीता नदी के दक्षिण तट के वत्सा से लेकर मंगलावती तक के आठा देशों के आठ आर्य खंडों की आठ नगरियों में श्री महाभद्र तीर्थंकर जन्म लेते हैं।
प्रश्न 116 – श्री महाभद्र तीर्थंकर का वर्तमान जन्म स्थान बताइये।
उत्तर – विजयानगरी में।
प्रश्न 117 – श्री महाभ्रद तीर्थंकर की माता का नाम बताइये।
उत्तर – उमा जी। jain temple165
प्रश्न 118 – श्री महाभद्र तीर्थंकर के पिता का नमा बताइये।
उत्तर – श्री देवराज जी।
प्रश्न 119 – श्री महाभद्र तीर्थंकर की प्रतिमा का क्या चिन्ह है?
उत्तर – चन्द्रमा।
प्रश्न 120 – श्री देवयश तीर्थंकर कौन-कौन से विदेह क्षेत्रों में जन्म लेते हैं?
उत्तर – पश्चिमी पुष्कर द्वीप में विद्युन्माली मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के दक्षिणी तट पर पद्मादेश से लेकर सरित देश तक इन आठ देशों के आठा आर्यखंडों की आठ नगरियों में श्री देवयश तीर्थंकर जनम लेते हैं।
प्रश्न 121 – श्री देवयश तीर्थंकर का वर्तमान जन्म स्थान बताइये।
उत्तर – सुसीमा नगरी।
प्रश्न 122 – श्री देवयश तीर्थंकर की माता का नाम बताइये। उत्तर – गंगादेवी।
प्रश्न 123 – श्री देवयश तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री भूपति जी।
प्रश्न 124 – श्री देवयश तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह क्या है?
उत्तर – स्वस्तिक।
प्रश्न 125 – श्री अजितवीर्य तीर्थंकर जी विदेह क्षेत्रों में कहां-कहां जन्म लेते हैं?
उत्तर – पश्चिम पुष्कर द्वीप में विद्युन्माली मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के उत्तर तट पर वप्रा से लेर गंध मालिनी तक आठ देशों के आठ आर्यखंडों की आठा नगरियों में श्री अजितवीर्य भगवान जन्म लेते हैं।
प्रश्न 126 – श्री अजितवीर्य भगवान की माता का नाम बताइये।
उत्तर – कनकमाला जी।
प्रश्न 127 – श्री अजितवीर्य के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री सुबोध जी।
प्रश्न 128 – वर्तमान में श्री अजितवीर्य भगवान कहां जन्मे हैं?
उत्तर – अयोध्या नगरी में।
प्रश्न 129 – श्री अजितवीर्य भगवान की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – कमल।
प्रश्न 130 – मेरू पर्वतों को लेकर बीस विद्यमान तीर्थंकरों का वर्गीकरण किस प्रकार किया जा सकता है?
उत्तर – एक मेरू में सम्बंधित चार विद्यमान तीर्थंकार होते हैं। इसीलिए पांच मेरूओं से सम्बंधित बीस विद्यमान तीर्थंकर हुए।
प्रश्न 131 – प्रथम सुदर्शन मेरू से सम्बंधित चार विद्यमान तीर्थंकर के नाम बातइये।
उत्तर – (1) श्री सीमंधर जी (2) श्री युगमंधर जी (3) श्री बाहु जी (4) श्री सुबाहु जी।
प्रश्न 132 – दूसरे विजय मेरू से सम्बंधित विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये।
उत्तर – (1) श्री संजातक जी (2) श्री स्वयंप्रभ जी (2) श्री ़षभनन जी (4) श्री अनंतवीर्य जी।
प्रश्न 133 – तीसरे अचलमेरू से सम्बंधित विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये।
उत्तर – (1) श्री सूरिपूभ जी (2) श्री विशाल कीर्ति जी (3) श्री वज्रधर जी (4) श्री चन्द्रानन जी।
प्रश्न 134 – चैथे मंदर मेरू से सम्बंधित विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये।
उत्तर – (1) श्री चन्द्रबाहु जी (2) श्री भुजंगमजी (3) श्री ईश्वर जी (4) श्री नेमिप्रभ जी।
प्रश्न 135 – पांचवे विद्युन्माली मेरू से सम्बंधित विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर – (1) श्री वीरसेन जी (2) श्री महाभद्र जी (3) श्री देवयश जी (4) श्री अजितवीर्य जी।
प्रश्न 136 – विदेह क्षेत्रों में होने वाले तीर्थंकरों की आयु कितनी होती है?
उत्तर – विदेह क्षेत्रों में तीर्थंकरों की आयु 1 कोटिवर्ष पूर्व की होती है।
प्रश्न 137 – बीस विद्यमान तीर्थंकरों में से कितने तीर्थंकरों की प्रतिमा का चिन्ह बैल है? उत्तर – तीन तीर्थंकरों का।
प्रश्न 138 – विद्यमान बीस तीर्थंकरों में से कितने तीर्थंकरों की प्रतिमा का चिन्ह बैल है? उत्तर – श्री सीमंधर जी श्री चन्द्रनन जी, एवं श्री नेमिप्रभ जी की प्रतिमा का चिन्ह बैल है।
प्रश्न 139 – बैल चिन्ह हमारे भर क्षेत्र में कौन-से तीर्थंकर से मिलता है?
उत्तर – श्री आदिनाथ जी की प्रतिमा के चिन्ह से।
प्रश्न 140 – कौन से विद्यमान तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह हाथी है?
उत्तर – (1) री युगमंधर जी (2) श्री अनंतवीर्य जी (3) श्री वीरसेन जी की प्रतिमा का चिन्ह हाथी है।
प्रश्न 141 – हाथी चिन्ह हमारे भरत क्षेत्र के कौन-से तीर्थंकर की प्रतिमा के चिन्ह से मिलता है?
उत्तर – श्री अजितनाथ जी की प्रतिमा के चिन्ह से।
प्रश्न 142 – कौन से विद्यमान तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह हिरण है?
उत्तर – श्री बाहु जी की प्रतिमा का चिन्ह हिरण है। jain temple165
प्रश्न 143 – हिरण चिन्ह हमारे कौन से तीर्थंकर की प्रतिमा के चिन्ह से मिलता है। उत्तर – श्री शांतिनाथ जी की प्रतिमा के चिन्ह से।
प्रश्न 144 – कौन-से विद्यमान तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बंदर है?
उत्तर – श्री सुबाहु जी की प्रतिमा का चिन्ह बंदर है।
प्रश्न 145 – बन्दर चिन्ह हमारे कौन-से तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह है?
उत्तर – श्री अभिनन्दन नाथ जी की प्रतिमा का।
प्रश्न 146 – कौन-से विद्यमान तीर्थंकरों की प्रतिमा का चिन्ह सूर्य है?
उत्तर – (1) श्री संजातक जी (2) श्री सूरिप्रभ जी एवं (3) श्री ईश्वर जी की प्रतिमा का चिन्ह सूर्य है।
प्रश्न 147 – सूर्य चिन्ह हमारे कौन-से तीर्थंकरों की प्रतिमा में मिलता है?
उत्तर – किसी से नहीं।
प्रश्न 148 – कौन-से विद्यमान तीर्थंकरों का चिन्ह चन्द्रमा है?
उत्तर – (1) श्री स्वयंप्रभ जी (2) श्री विशाल कीर्ति जी (3) री महाभद्र जी की प्रतिमाओं का चिन्ह चन्द्रमा है।
प्रश्न 149 – उपरोक्त तीर्थंकरों की प्रतिमा चिन्ह हमारे किस तीर्थंकर से मिलता है?
उत्तर – श्री चन्द्रप्रभु से।
प्रश्न 150 – कौन से विद्यमान तीर्थंकर का चिनह सिंह है?
उत्तर – श्री ऋषभानन जी की प्रतिमा का। प्रश्न 151 – सिंह चिन्ह हमारे किस तीर्थंकर से मिलता है?
उत्तर – श्री महावीर भगवान से।
प्रश्न 152 – कौन से विद्यमाल तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह शंख है?
उत्तर – श्री वज्रधर जी की प्रतिमा का चिनह शंख है।
प्रश्न 153 – शंख चिन्ह हमारे कौन से तीर्थंकर की प्रतिमा से मिलता है?
उत्तर – श्री नेमिनाथ जी से।
प्रश्न 154 – कौन से विद्यमान तीर्थंकरों की प्रतिमा का चिन्ह कमल है?
उत्तर – (1) श्री चन्द्रबाहु जी (2) श्री अजितवीर्य जी।
प्रश्न 155 – कमल चिन्ह हमारे कौन से तीर्थकरों से मिलता है?
उत्तर – श्री पद्मप्रभु तथा नमिनाथ जी से।
प्रश्न 156 – कौन से विद्यमान तीर्थंकरों की प्रतिमा का चिन्ह स्वास्तिक है?।
उत्तर – श्री देवयश जी की प्रतिमा का चिन्ह स्वस्तिक है।
प्रश्न 157 – स्वस्तिक चिन्ह हमारे कौन-से तीर्थंकर से मिलता है?
उत्तर – श्री सुपाश्र्वनाथ जी की प्रतिमा के चिन्ह से।
प्रश्न 158 – पांच मेरूओं से सम्बंधित जी बत्तीस-बत्तीस आर्य खंड है उनकी बत्तीस नगरियों के नाम बताइये।
उत्तर – (1) क्षेमा नगरी (2) क्षेमपुरी (3) अरिष्टापुरी (4) अरिष्टपुरी (5) खडगानगरी (6) मंजूषा नगरी (7) औषधिनगरी (8) पुंडरीकिणी नगरी (9) सुसीमा नगरी (10) कुडला नगरी (11) अपराजित पुरी (12) प्रभंकरापुरी (13) अंकावती (14) पद्मावती पुरी (15) सुभापुरी (16) रत्नसंचयापुरी (17) अश्वपुरी (18) सिंहपुरी (19) महापुरी (20) विजयापुरी (21) अरजा नगरी (22) विरजानगरी (23) अशोकपुरी (24) वीतशोकनगरी (25) विजयापुरी (26) वैजयंतीपुरी (27) जयंती नगरी (28) अपराजितापुरी (29) चक्रापुरी (30) खड्गापुरी (31) अयोध्यापुरी एव (32) अवध्यापुरी।
प्रश्न 159 – विदेह क्षेत्रों के कौन-से देशों में कौन सी नगरियां हैं?
उत्तर – (1) कच्छा देश में-क्षेमा नगरी (2) सुकच्छा में- क्षेमपुरी (3) महाकच्छा में- अरिष्टापुरी (4) कच्छाकावती में- अरिष्टपुरी (5) आर्वता में- खडगानगरी (6) लांगलावर्ता में- मंजूषा नगरी (7) पुष्कला में- औषधिनगरी (8) पुष्कलावती- पुंडरीकिणी नगरी (9) वत्सा में- सुसीमा नगरी (10) सुवत्सा में- कुडला नगरी (11) महावत्सा- अपराजित पुरी (12) वत्साकावती- प्रभंकरापुरी (13) रम्या में- अंकावती (14) सुरम्या- पद्मावती पुरी (15) रमणीया- सुभापुरी (16) मंगलावती- रत्नसंचयापुरी (17) पद्मावती- अश्वपुरी (18) सुपद्मा- सिंहपुरी (19) महापद्मा- महापुरी (20) पद्माकावती विजयापुरी (21) शंखादेश- अरजा नगरी (22) नलिना- विरजानगरी (23) कुमदा- अशोकपुरी (24) सरिता- वीतशोकनगरी (25) वप्रा- विजयापुरी (26) सुवप्रा- वैजयंतीपुरी (27) महावप्रा- जयंती नगरी (28) वप्रीकावती- अपराजितापुरी (29) गंधा- चक्रापुरी (30) सुगंधा में- खड्गापुरी (31) गंधीला-अयोध्यापुरी (32) गंधमालिनी अवध्यापुरी।
प्रश्न 160 – पांच मेरूओं से सम्बंधित बत्तीस-बत्तीस विदेहों में, देशों तथा नगरियों की क्या व्यवस्था है?
उत्तर – पांच मेरूओं के 32-32 दिेह क्षेत्रों में दशों तथा नगरियों के नाम भी उपरोक्त देशों तथा नगरियों के समान ही नाम हैं। अतः एक सी व्यवस्था है
ढाई द्वीप के विद्यमान विस् तीर्थंकर
सुरेन्द्र रतनलाल शहा जैन - श्रीरामपुर सुरेन्द्र रतनलाल शहा जैन - श्रीरामपुर
5 years ago
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।। ढाई द्वीप के विद्यमान बीस तीर्थंकर ।।
प्रश्न 1 – विदेह क्षेत्र के तीर्थंकरों के नाम बताइये।
उत्तर – विदेह क्षेत्रा में बीस तीर्थंकर होते हैं। उनके नाम निम्न प्रकार हैं- (1) श्री सीमंधर जी (2) श्री युगमंधर जी (3) श्री बाहु जी (4) श्री सुबाहु जी (5) श्री संजातक जी (6) श्री स्वयंप्रभ जी (7) श्री ऋषभभानजी (8) श्री अनंतवीर्य जी (9) श्री सूरप्रभ जी (10) श्री विशाल कीर्ति जी (11) श्री वज्रधर जी (12) श्री चन्द्रानन जी (13) श्री चन्द्रबाहु जी (14) श्री भुजंगमजी (15) श्री ईश्वर जी (16) श्री नेमिप्रभ जी (17) श्री वीरसेन जी (18) श्री महाभद्र जी (19) श्री देवयश जी एव (20) श्री अजितवीर्य जी।
प्रश्न 2 – इन्हंे विद्यमान बीस तीर्थंकर क्यों कहा जाता है?
उत्तर – इन्हें विद्यमान बीस तीर्थंकर इसीलिए कहा जाता है क्योंकि इन नामों वाले तीर्थंकर बीस ही होते हैं तथा कम से कम बीस हमेशा विद्यमान रहते हैं।
प्रश्न 3 – तो क्या ये तीर्थंकर मोक्ष नहीं जाते हैं?
उत्तर – ये तीर्थंकर मोक्ष तो अवश्य ही जाते हैं किंतु एक तीर्थंकर के मोक्ष जाने के तुरंत बाद उसी नाम के दूसरे तीर्थंकर का उद्भव हो जाता है। इस प्रकार इनका कभी अभाव नहीं होता।
प्रश्न 4 – ये तीर्थंकर कहां होते हैं?
उत्तर – विदेह क्षेत्रों में।
प्रश्न 5 – विदेह क्षेत्र की नाम की सार्थकता क्या है?
उत्तर – विदेह का अर्थ, विगत् देहाः अर्थात निकल गई देह जिसमें से वह विदेह हुआ। विदेह क्षेत्रों में चतुर्थ काल (कर्मभूमि) सदा प्रर्वतमान रहता है। उतएव वहां से मुनष्य कर्मों का नाश करके विदेह अर्थात मोक्ष जाते हैं।
प्रश्न 6 – विदेह क्षेत्र कहां-कहां हैं और कितने हैं उनका वर्गीकरण कैसे किया जाता है?
उत्तर – ढाई द्वीप में पांच मेरू सम्बंधी पांच महाविदेह क्षेत्र कहलाते हैं। विदेह क्षेत्र प्रत्ये कमेरू के पूर्व और पश्चिम होने से दस हो जाते हैं। मेरू पर्वतों के पूर्व और पश्चिम सीता सीतोदा नदियों के बहने से उनके उत्तर-दक्षिण विदेह क्षेत्र होने से 20 विदेह क्षेत्र हो जाते हैं। प्रत्ये कमेरू से सम्बंधित सीता नदी के उत्तर में विदेह क्षेत्रों की आठ कर्म भूमियां हैं तथा दक्षिण में आठ इसी प्रकार सीतोदा नदी के दक्षिण में आठ तथा उत्तर में आठ कर्मभूमियां एक मेरू से सम्बन्धित 8 गुण 4 = 32 कर्म भूमियां इसीलिए पांच मेरू सम्बंधित 32 गुणा 5 = 160 विदेह क्षेत्र की कर्मभूमियां हुईं।
प्रश्न 7 – ढाई द्वीप कौन-कौन से हैं?
उत्तर – पहला जम्बूद्वीप दूसरा घातकी खंड एंव आधा पुष्करवर द्वीप।
प्रश्न 8 – आधा पुष्करवर द्वीप क्यो?
उत्तर – क्येंकि पुष्करवर द्वीप के आधे भाग में मानषोत्तर पर्वत पड़ा हुआ है।
प्रश्न 9 – ढाई द्वीप में मेरू कहां-कहां है?
उत्तर – जम्बूद्वीप के बीचो-बीच सुदर्शन मेरू है। धातकीखंड द्वीप के पूर्व में विजय मेरू तथा पश्चिम में अचल मेरू है। पुष्कर द्वीप के पूर्व में मन्दिर मेरू तथा पश्चिम में विद्युन्माली मेरू है।
प्रश्न 10 – दूसरे द्वीप धातकी द्वीप को धातकी खंड द्वीप क्यों कहा जाता है?
उत्तर – धातकी द्वीप के उत्तर व दक्षिण में दो इष्वाकार पर्वत हैं जौ पूरे धातकी द्वीप को पूर्वी धातकी द्वीप तथा पश्चिमी धातकी द्वीप ऐसे दो भागों में विभाजित कर देते हैं। इसीलिए इसे धातकी खंड द्वीप कहा जाता है। प्रश्न 11 – ढाई द्वीप में कितने आर्य खंड हैं? उत्तर – ढाई द्वीप के विदेह क्षेत्रों में 160 तथा पांच भरत, पांच ऐरावत के दस इस प्रकार के कुल 170 आर्य खंड होते हैं।
प्रश्न 12 – ढाई द्वीप में एक समय में एक साथ कितने तीर्थंकर हो सकते हैं?
उत्तर – कुल 170 तीर्थंकर। जैन मंदीर 165
प्रश्न 13 – 170 तीर्थंकर कौन से तीर्थंकर के समय में हुए थे?
उत्तर – भगवान श्री अजितनाथ के समय में। प्रश्न 14 – ढाई द्वीप में कितने मलेच्छ खंड होते हैं?
उत्तर – 170 गुण 5 = 850 मलेच्छ खंड।
प्रश्न 15 – विदेह क्षेत्रों में कितने मलेच्छ खंड होते हैं?
उत्तर – 160 गुण 5 कुल 800 मलेच्छ खंड। प्रश्न 16 – जम्बूद्वीप में कितने विद्यमान तीर्थंकर होते हैं? और कौन-कौन से?
उत्तर – (1) श्री सीमंधर जी (2) श्री युगमंधर जी (3) री बाहुजी एवं (4) श्री सुबाहु जी ये चार तीर्थंकर।
प्रश्न 17 – विदेह क्षेत्र में सीमंधर स्वामी कहां होते हैं?
उत्तर – सुदर्शन मेरू पर्वत के पूर्व में सीता नदी बहती है उसके उत्तर तट की ओर चार वक्षार से सम्बंधित आठ विजयार्ध पर्वत हैं उन्हीं आठ पर्वतों के दक्षिण में आठ आर्य खण्ड हैं उन आठ आर्य खंडों में से किसी एक आर्य खं डमें श्री सीमंधर भगवान होते हैं।
प्रश्न 18 – कम से कम एवं अधिक से अधि कितने सीमंधर स्वामी हो सकते हैं?
उत्तर – कम से कम ऐ आर्यखं डमें एक एवं अधिक से अधिक सभी 8 आर्यखंडों में 8 सीमंधर स्वामी हो सकते हैं।
प्रश्न 19 – वर्तमान में सीमंधर स्वामी कहां विराजमान हैं?
उत्तर – वर्तमान में सीमंधर स्वामी पुंडरीकिणीपुरी नगरी में विराजमान हैं।
प्रश्न 20 – सीमांधर स्वामी के शरीर की अवगाहना कितनी है?
उत्तर – पांच सौ धनुष (दो हजार हाथ)।
प्रश्न 21 – श्री सीमंधर स्वामी के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री सीमंधर स्वामी के पिता का नाम श्रेयांस जी हैं।
प्रश्न 22 – श्री सीमंधर स्वामी की माता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री सीमंधर स्वामी की माता का नाम सती है।
प्रश्न 23 – श्री सीमंधर स्वामी की प्रतिमा का चिन्ह क्या है?
उत्तर – बैल है।
प्रश्न 24 – विदेह क्षेत्रों में होने वाले तीर्थंकरों की विशेषता बताइये;
उत्तर – विदेह क्षेत्रों में तीर्थंकरों के दो, तीन एवं पांच कल्याणक भी होते हैं।
प्रश्न 25 – ऐसा क्याे होता है?
उत्तर – क्योंकि वहां सदा काल चतुर्थ काल रहता है।
प्रश्न 26 – विदेह क्षेत्र में युगमंधर स्वमाी कहा हैं?
उत्तर – जम्बूद्वीप के सुदर्शन मेरू पर्वत के पूर्व में सीता नदी के दक्षिण तरफ आठ क्षेत्रों के आर्यखंडों में से किसी एक आर्यखण्ड में युगमंधर स्वामी होते हैं।
प्रश्न 27 – युगमंधर स्वामी के पिता का नाम बताइये। उत्तर – श्री दृणरथ जी।
प्रश्न 28 – श्री युगमंधर स्वामी की माता का नाम बताइये।
उत्तर – सुतारा देवी। jain temple165
प्रश्न 29 – श्री युगमंधर स्वामी की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – श्री युगमंधर स्वामी की प्रतिमा का चिन्ह हाथी है।
प्रश्न 30 – वर्तमान में श्री युगंधर स्वामी का समवसरण किसर नगरी में है?
उत्तर – सुसीमा नगरी में।
प्रश्न 31 – विदेह क्षेत्रों में सुबाहु स्वामी कहां होते हैं?
उत्तर – जम्बूद्वीप के सुदर्शन मेरू के पश्चिम में पश्चिम विदेह है वहां सीतोदा नदी बहती है उसके दक्षिण किनारे पर आठ अर्यखंड हैं वहा के आठ आर्यखंडों में से किसी एक में श्री बाहु स्वामी हैं।
प्रश्न 32 – वर्तमान में श्री बाहुस्वामी कहां पर है?
उत्तर – सुसीमा नगरी में।
प्रश्न 33 – श्री बाहुस्वामी की माता का नाम बताइये।
उत्तर – ज्ञात नहीं हैैं।
प्रश्न 34 – श्री बाहुस्वामी के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – ज्ञान नहीं है।
प्रश्न 35 – श्री बाहुस्वामी की प्रतिमा का चिन्ह क्या है?
उत्तर – हिरण।
प्रश्न 36 – विदेह क्षेत्र में सुबाहु स्वामी की स्थिति बताइये।
उत्तर – जम्बूद्वीप के सुदर्शन मेरू के पश्चिम विदेह में सीतोदा नदी के उत्तर तट के आठ आर्य खंडों में से किसी एक अर्य खंडमें सुबाहु स्वामी होते हैं।
प्रश्न 37 – वर्तमान के सुबाहु स्वामी कहां हैं? उत्तर – अयोध्या नगरी में।
प्रश्न 38 – श्री सुबाहु स्वामी की माता का नाम बताइये।
उत्तर – ज्ञात नहीं है।
प्रश्न 39 – श्री सुबाहु स्वामी के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – ज्ञानती है।
प्रश्न 40 – श्री सुबाहु स्वामी की प्रतिमा का चिन्ह क्या है?
उत्तर – बंदर।
प्रश्न 41 – उन आठ देशों के नाम बातइये जिनमें श्री सीमंधर स्वामी पैदा होते हैं।
उत्तर – (1) कच्छा, (2) सुकच्छा (3) महाकच्छा (4) कच्छाकावती (5) आवर्ता (6) लांगल आवर्ता (7) पुष्कला एवं (8 पुष्कलावती।
प्रश्न 42 – उन आठ देशों के नाम बताइये जिनमें युगमंधर स्वामी जन्म लेते हैं?
उत्तर – (1) वत्सा (2) सुवत्सा (3) महावत्सा (4) वत्सकावती (5) रम्या (6) सुरम्या (7) रमणीया (8) मंगलावती।
प्रश्न 43 – उन आठ देशों के नाम बताइये जिनमें श्री बाहुस्वामी जन्म लेते हैं?
उत्तर – (1) पद्मा (2) सुपद्मा (3) महापद्मा (4) पद्ाकावती (5) शंखा (6) नलिनीदेश (7) कुमुद (8) सरित देश।
प्रश्न 44 – उन आठ देशों के नाम बताइये जिनमें सुबाहु स्वामी जन्म लेते हैं?
उत्तर – (1) वप्रा (2) सुवप्रा (3) महावप्रा (4) वप्रकावती (5) गंधा (6) सुगंधा (7) गंधिला (8) गंधमलिनी।
प्रश्न 45 – धातकी खंड में कितने विद्यमान तीर्थंकर जन्म लेते हैं?
उत्तर – धातकी खंड द्वीप में आठ विद्यमान तीर्थंकर जन्म लेते हैं।
प्रश्न 46 – धातकी खंड में जन्म लेने वाले आठ विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर – (1) श्री संजातक जी (2) श्री स्वयंप्रभ जी (3) श्री ऋषभाननजी (4) श्री अनंतवीर्य जी (5) श्री सूरिप्रभ जी (6) श्री विशाल कीर्ति (7) श्री वज्रधर जी (8) श्री चन्द्रानन जी।
प्रश्न 47 – पूर्वी धातकी खंड में कितने विद्यमान तीर्थंकर जन्म लेते हैं?
उत्तर – चार तीर्थंकर। jain temple165
प्रश्न 48 – पूर्वी धातकी खंड में जन्म लेने वाले विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये?
उत्तर – (1) श्री संजातक जी (2) श्री स्वयंप्रभ जी (3) श्री ऋषभाननजी (4) श्री अनंतवीर्य जी
प्रश्न 49 – पश्चिमी धातकी खंडमें जन्म लेने वाले विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये।
उत्तर – (1) श्री सूरिप्रभ जी (2) श्री विशाल कीर्ति (3) श्री वज्रधर जी (4) श्री चन्द्रानन जी।
प्रश्न 50 – श्री संजातक जी के जन्म लेने वाले क्षेत्र बताइये।
उत्तर – श्री संजातक जी पूर्वी धातकी खंड में विजय मेरू के पूर्व में सीता नदी के उत्तर तटपर जो कच्छा से पुष्कलावती तक आठ देक्ष हैं उनके आर्य खंडों की नगरियों में जन्म लेते हैं।
प्रश्न 51 – वर्तमान में श्री संजातक जी का जन्म स्थान कहां है?
उत्तर – अलकापुरी।
प्रश्न 52 – श्री संजातक जी की माता का नाम बताइये।
उत्तर – देवसेना।
प्रश्न 53 – श्री संजातक जी के पिता कानाम बताइये।
उत्तर – श्री देवसेन।
प्रश्न 54 – श्री संजातक जी की प्रतिमा का चिन्ह क्या है?
उत्तर – सूर्य
प्रश्न 55 – श्री स्वयंप्रभू जी विदेह क्षेत्र में कहां जन्म लेते हैं?
उत्तर – पूर्वी धातकी खंड के विजय मेरू के पूर्व में सीता नदी के दक्षिण तट पर वत्सा से लेकर मंगलावती तक जो आठ देश हें उनके आठ आर्य खंडों में स्थित अयोध्या जैसी आठ नगरियों में स्वयंप्रभ जी जन्म लेते हैं।
प्रश्न 56 – श्री स्वयंप्रभ जी की माता का नाम बताइये।
उत्तर – सुमंगला। प्रश्न 57 –
श्री स्वयंप्रभ जी की प्रतिमा का चिन्ह बताइये। उत्तर – चन्द्रमा।
प्रश्न 58 – श्री स्वयंप्रभ जी वर्तमान में कहां विराजमान हैं?
उत्तर – विजया नगरी में।
प्रश्न 59 – श्री ऋषभानन जी विदेह क्षेत्रों में कहां जन्म लेते हैं?
उत्तर – पूर्वी धातकी खंड में विजय मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के दक्षिण तट पर पद्मा से सरित देश तक आठ देशों के आर्य खंडों विद्यमान अयोध्या के समान आठ नगरियों में ऋषभानन जी जन्म लेते हैं।
प्रश्न 60 – श्री ऋषभानन जी की माता का नाम बताइये।
उत्तर – वीरसेना।
प्रश्न 61 – श्री द्धषभानन जी के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री नृपकीर्ति जी।
प्रश्न 62 – श्री ऋषभाननजी की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – सिंह। प्रश्न 63 – वर्तमान में ऋषभनान जी का जन्म स्थान बताइये।
उत्तर – सुसीमा नगरी।
प्रश्न 64 – श्री अनंतवीर्य जी विदेह क्षेत्रों में कहां जन्म लेते हैं?
उत्तर – पूर्वी धातकी खं डमें विजय मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के उत्तर तट पर वप्रा से लेकर गंधमालिनी तक आठ देश हें उनके आठ आर्य खंडों में विद्यमान आठ नगरियों में श्री अनंतवीर्य जी जन्म लेते हैं। jain temple165
प्रश्न 65 – श्री अनंतवीर्य जी की माता का नाम बताइये।
उत्तर – सुमंगला।
प्रश्न 66 – श्री अनंतवीर्य जी के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री मेघरथ।
प्रश्न 67 – श्री अनंतवीर्य की प्रतिमाका चिन्ह बताइये।
उत्तर – हाथी।
प्रश्न 68 – वर्तमान में अनंतवीर्य जी ने किस नगरी में जन्म लिया है?
उत्तर – अयोध्या नगरी में।
प्रश्न 69 – विदेह क्षेत्रों में श्री सूरिप्रभ जी कहां जन्म लेते हैं?
उत्तर – पश्चिमी घातकी खं डमें अचल मेरू के पूर्व में सीता नदी के उत्तर तट पर कच्छा से लेकर पुष्कलावती तक आठ आर्य खंडों में रहने वाली आठ नगरियों में श्री सूरिप्रभ जन्म लेते हैं।
प्रश्न 70 – श्री सूरिप्रभ तीर्थंकर की माता का नाम बताइये।
उत्तर – माता भद्रा देवी।
प्रश्न 71 – श्री सूरिप्रभ तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री नागराज जी।
प्रश्न 72 – श्री सूरिप्रभ तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – सूर्य।
प्रश्न 73 – श्री सूरिप्रभ तीर्थंकर वर्तमान में कौन-सी नगरी में विद्यमान हैं?
उत्तर – विजय नगरी में।
प्रश्न 74 – श्री विशालकीर्ति तीर्थंकर के जन्म स्थान बताइये।
उत्तर – पश्चिमी धातकी खंडमें अचल मेरू के पूर्व में सीता नदी के दक्षिण तट पर वत्सा से लेकर मंगलावती तक आठा देश हैं, उनके आर्य खंडों की नमबरयों में श्री विकशालकीर्ति तीर्थंकर भगवान जन्म लेते हैं।
प्रश्न 75 – श्री विशालकीर्ति तीर्थंकर की माता का नाम बताइये।
उत्तर – माता विजया।
प्रश्न 76 – श्री विशालकीर्ति तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री विजय। jain temple165
प्रश्न 77 – श्री विशालकीर्ति तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह क्या है?
उत्तर – चन्द्रमा।
प्रश्न 78 – वर्तमान में श्री विशालकीर्ति तीर्थंकर का जन्म स्थान बताइये।
उत्तर – पुंडरीकिणी पुरी नगरी।
प्रश्न 79 – श्री वज्रधर तीर्थंकर के जन्म स्थान बाताइये।
उत्तर – पश्चिम धातकी खं डमें अचलमेरू के पश्चिम में सीतोदानदी के दक्षिण्या तट पर पद्मादेश से लेकर सरित देश तक आठ देशों के आठ आर्यखंडों की आठ नगरियों श्री वज्रधर भगवान जन्म लेते हैं।
प्रश्न 80 – वर्तमान में श्री वज्रधर भगवान का जन्म स्थान कहां है?
उत्तर – सुसीमा नगरी मेें।
प्रश्न 81 – श्री वज्रधर भगवान की माता का नाम बताइये।
उत्तर – सरस्वती।
प्रश्न 82 – श्री वज्रधर भगवान के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री पद्मरथ।
प्रश्न 83 – श्री चन्द्रानन भगवान के जन्म स्थान बताइये।
उत्तर – पश्चिमी धातकीखंड में अचल मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के उत्तर वट पर वप्रा से लेकर गंधमालिनी तक आठ देशों के आठ आर्यखंडों श्री आठ नगरियों में श्री चन्द्रानन भगवान जन्म लेते हैं।
प्रश्न 84 – श्री चन्द्रानन भगवान की माता का नाम बताइये।
उत्तर – ज्ञान नहीं है।
प्रश्न 85 – श्री चन्द्रानन भगवान के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – ज्ञान नहीं है।
प्रश्न 86 – श्री चन्द्रानन भगवान का वर्तमान जन्म स्थान बताइये।
उत्तर – पुंडरीकिणीपुरी।
प्रश्न 87 – श्री चन्द्रनन भगवान की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – बैल।
प्रश्न 88 – पुष्करवर द्वीप में जाये जाने वाले विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये।
उत्तर – पुष्करवर द्वीप में आठ विद्यमान तीर्थंकर रहते हैं- (1) श्री चन्द्रबाहु जी (2) श्री भुजंगम जी (3) श्री ईश्वर जी (4) श्री नेमीप्रभ जी (5) श्री वीरसेन जी (6) श्री महाभ्रद जी (7) श्री देवयश जी एवं (8) श्री अजितवीर्य जी।
प्रश्न 89 – पूर्वी पुष्करवर द्वीप विदेह क्षेत्रों में कौन-कौन से तीर्थंकर जन्म लेते हैं?
उत्तर – पूर्वी पुष्करवर द्वीप के विदेह क्षेत्रों में चार तीर्थंकर जन्म लेते हैं- (1) श्री चन्द्रबाहु जी (2) श्री भुजंगम जी (3) श्री ईश्वर जी (4) श्री नेमीप्रभ जी।
प्रश्न 90 – श्री चन्द्रबाहु जी विदेह क्षेत्रों में कहां-कहां जन्म लेते हैं?
उत्तर – पूर्वी पुष्कर द्वीप में मन्दिर मेरू के पूरब में सीतानदी के उत्तर में कच्छा से लेकर पुष्कलावती तक के आठ देशों के आठा आर्यखंडों की नगरियों में श्री चन्द्रबाहु तीर्थंकर जन्म लेते हैं।
प्रश्न 91 – वर्तमान में श्री चन्द्रबाहु तीर्थंकर कौन-सी नगरी में हैं?
उत्तर – विनीता नाम की नगरी में।
प्रश्न 92 – श्री चन्द्रबाहु तीर्थंकर की माता का नाम बताइये।
उत्तर – रेणुका देवी। jain temple165।
प्रश्न 93 – श्री चन्द्रबाहु तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री देवनंददि जी।
प्रश्न 94 – श्री चन्द्रबाहु तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – कमल।
प्रश्न 95 – श्री भुजंगम तीर्थंकर कौन-कौन से विदेह क्षेत्रों में जन्म लेते हैं?
उत्तर – पूर्वी पुष्कर द्वीप में मंदर मेरू के पूरब में सीता नदी के दक्षिण में वत्सा से लेकर मंगावती तक आठ देशों के आर्य खंडों की नगरियों में श्री भुजंगम तीर्थंकर जन्म लेते हैं।
प्रश्न 96 – वर्तमान में श्री भुजंम तीर्थंकर कौन-सी नगरी में हैं?
उत्तर – विजय नगरी में।
प्रश्न 97 – श्री भुजंगम तीर्थंकर की माता का नाम बताइये। उत्तर – जिनमती।
प्रश्न 98 – श्री भुजंगम तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री महाबल जी।
प्रश्न 99 – श्री भुजंगम तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – चन्द्रमा।
प्रश्न 100 – श्री ईश्वर तीर्थंकर कौन-कोन से विदेह क्षेत्रों में जन्म लेते हैं?
उत्तर – पूर्वी पुष्कर द्वीप में मंदर मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के दक्षिण तट पर पद्मा देश से लेकर सरित देश तक आठा देशाों के आर्य खंडों की आत नगरियों में री ईश्वर तीर्थंकर जन्म लेते हैं।
प्रश्न 101 – वर्तमान में श्री ईश्वर तीर्थंकर कौन-सी नगरी में हैं?
उत्तर – सुसीमा नगरी में।
प्रश्न 102 – श्री ईश्वर तीर्थंकर की माता का नाम बताइये। उत्तर – ज्वाला देवी। jain temple165
प्रश्न 103 – श्री ईश्वर तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री गलसेन जी।
प्रश्न 104 – श्री ईश्वर तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – सूर्य।
प्रश्न 105 – श्री नेमिप्रभ तीर्थंकर कौन-कौन से विदेह क्षेत्रों में जन्म लेते हैं?
उत्तर – पूर्वी पुष्कर द्वीप में मंदर मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के तट के वप्रा से लेकर गंधमालिनी के आठा देशों के आठ आर्य खंडों की आठ नगरियों में श्री नेमिप्रभ तीर्थंकर जन्म लेते हैं।
प्रश्न 106 – वर्तमान में श्री नेमिप्रभ तीर्थंकर कौन-सी नगरी में हैं?
उत्तर – अयोध्या नगरी में।
प्रश्न 107 – श्री नेमिप्रभ तीर्थंकर की माता का नाम बताइये।
उत्तर – ज्ञान नहीं है।
प्रश्न 108 – श्री नेमिप्रभ तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – बैल।
प्रश्न 109 – पश्चिम पुष्करार्ध द्वीप में चार विद्यमान तीर्थंकर होते हैं।
उत्तर-(1) श्री वीरसेन जी (2) श्री महाभद्र जी (3) श्री देवयश जी (4) श्री अजित वीर्य जी।
प्रश्न 110 – श्री वीरसेन तीर्थंकर किन विदेह क्षेत्रों में जन्म लेते हैं?
उत्तर – पश्चिम पुष्कर द्वीप में विद्युन्माली मेरू के पूर्व में सीता नदी के उत्तर तट पर कच्छा से लेकर पुष्कलावती तक के आठ देशों के आठ आर्यखंडों की आठा नगरियों में श्री वीर सेन तीर्थंकर जन्म लेते हैं।
प्रश्न 111 – श्री वीर सेन तीर्थंकर का वर्तमान जन्म स्थान कहां है?
उत्तर – पुडरीकिणीपुर नगरी।
प्रश्न 112 – श्री वीरसेन तीर्थंकर की माता का नाम बताइये।
उत्तर – भानुमती जी।
प्रश्न 113 – श्री वीरसेन तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री भूपाल जी।
प्रश्न 114 – श्री वीर सेन तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – ऐरावत।
प्रश्न 115 – श्री महाभद्र तीर्थंकर कौन-कौन से विदेहों में जन्म लेते हैं?
उत्तर – पश्चिमी पुष्कर द्वीप में विद्युन्माली मेरू के पूर्व में सीता नदी के दक्षिण तट के वत्सा से लेकर मंगलावती तक के आठा देशों के आठ आर्य खंडों की आठ नगरियों में श्री महाभद्र तीर्थंकर जन्म लेते हैं।
प्रश्न 116 – श्री महाभद्र तीर्थंकर का वर्तमान जन्म स्थान बताइये।
उत्तर – विजयानगरी में।
प्रश्न 117 – श्री महाभ्रद तीर्थंकर की माता का नाम बताइये।
उत्तर – उमा जी। jain temple165
प्रश्न 118 – श्री महाभद्र तीर्थंकर के पिता का नमा बताइये।
उत्तर – श्री देवराज जी।
प्रश्न 119 – श्री महाभद्र तीर्थंकर की प्रतिमा का क्या चिन्ह है?
उत्तर – चन्द्रमा।
प्रश्न 120 – श्री देवयश तीर्थंकर कौन-कौन से विदेह क्षेत्रों में जन्म लेते हैं?
उत्तर – पश्चिमी पुष्कर द्वीप में विद्युन्माली मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के दक्षिणी तट पर पद्मादेश से लेकर सरित देश तक इन आठ देशों के आठा आर्यखंडों की आठ नगरियों में श्री देवयश तीर्थंकर जनम लेते हैं।
प्रश्न 121 – श्री देवयश तीर्थंकर का वर्तमान जन्म स्थान बताइये।
उत्तर – सुसीमा नगरी।
प्रश्न 122 – श्री देवयश तीर्थंकर की माता का नाम बताइये। उत्तर – गंगादेवी।
प्रश्न 123 – श्री देवयश तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री भूपति जी।
प्रश्न 124 – श्री देवयश तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह क्या है?
उत्तर – स्वस्तिक।
प्रश्न 125 – श्री अजितवीर्य तीर्थंकर जी विदेह क्षेत्रों में कहां-कहां जन्म लेते हैं?
उत्तर – पश्चिम पुष्कर द्वीप में विद्युन्माली मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के उत्तर तट पर वप्रा से लेर गंध मालिनी तक आठ देशों के आठ आर्यखंडों की आठा नगरियों में श्री अजितवीर्य भगवान जन्म लेते हैं।
प्रश्न 126 – श्री अजितवीर्य भगवान की माता का नाम बताइये।
उत्तर – कनकमाला जी।
प्रश्न 127 – श्री अजितवीर्य के पिता का नाम बताइये।
उत्तर – श्री सुबोध जी।
प्रश्न 128 – वर्तमान में श्री अजितवीर्य भगवान कहां जन्मे हैं?
उत्तर – अयोध्या नगरी में।
प्रश्न 129 – श्री अजितवीर्य भगवान की प्रतिमा का चिन्ह बताइये।
उत्तर – कमल।
प्रश्न 130 – मेरू पर्वतों को लेकर बीस विद्यमान तीर्थंकरों का वर्गीकरण किस प्रकार किया जा सकता है?
उत्तर – एक मेरू में सम्बंधित चार विद्यमान तीर्थंकार होते हैं। इसीलिए पांच मेरूओं से सम्बंधित बीस विद्यमान तीर्थंकर हुए।
प्रश्न 131 – प्रथम सुदर्शन मेरू से सम्बंधित चार विद्यमान तीर्थंकर के नाम बातइये।
उत्तर – (1) श्री सीमंधर जी (2) श्री युगमंधर जी (3) श्री बाहु जी (4) श्री सुबाहु जी।
प्रश्न 132 – दूसरे विजय मेरू से सम्बंधित विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये।
उत्तर – (1) श्री संजातक जी (2) श्री स्वयंप्रभ जी (2) श्री ़षभनन जी (4) श्री अनंतवीर्य जी।
प्रश्न 133 – तीसरे अचलमेरू से सम्बंधित विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये।
उत्तर – (1) श्री सूरिपूभ जी (2) श्री विशाल कीर्ति जी (3) श्री वज्रधर जी (4) श्री चन्द्रानन जी।
प्रश्न 134 – चैथे मंदर मेरू से सम्बंधित विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये।
उत्तर – (1) श्री चन्द्रबाहु जी (2) श्री भुजंगमजी (3) श्री ईश्वर जी (4) श्री नेमिप्रभ जी।
प्रश्न 135 – पांचवे विद्युन्माली मेरू से सम्बंधित विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर – (1) श्री वीरसेन जी (2) श्री महाभद्र जी (3) श्री देवयश जी (4) श्री अजितवीर्य जी।
प्रश्न 136 – विदेह क्षेत्रों में होने वाले तीर्थंकरों की आयु कितनी होती है?
उत्तर – विदेह क्षेत्रों में तीर्थंकरों की आयु 1 कोटिवर्ष पूर्व की होती है।
प्रश्न 137 – बीस विद्यमान तीर्थंकरों में से कितने तीर्थंकरों की प्रतिमा का चिन्ह बैल है? उत्तर – तीन तीर्थंकरों का।
प्रश्न 138 – विद्यमान बीस तीर्थंकरों में से कितने तीर्थंकरों की प्रतिमा का चिन्ह बैल है? उत्तर – श्री सीमंधर जी श्री चन्द्रनन जी, एवं श्री नेमिप्रभ जी की प्रतिमा का चिन्ह बैल है।
प्रश्न 139 – बैल चिन्ह हमारे भर क्षेत्र में कौन-से तीर्थंकर से मिलता है?
उत्तर – श्री आदिनाथ जी की प्रतिमा के चिन्ह से।
प्रश्न 140 – कौन से विद्यमान तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह हाथी है?
उत्तर – (1) री युगमंधर जी (2) श्री अनंतवीर्य जी (3) श्री वीरसेन जी की प्रतिमा का चिन्ह हाथी है।
प्रश्न 141 – हाथी चिन्ह हमारे भरत क्षेत्र के कौन-से तीर्थंकर की प्रतिमा के चिन्ह से मिलता है?
उत्तर – श्री अजितनाथ जी की प्रतिमा के चिन्ह से।
प्रश्न 142 – कौन से विद्यमान तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह हिरण है?
उत्तर – श्री बाहु जी की प्रतिमा का चिन्ह हिरण है। jain temple165
प्रश्न 143 – हिरण चिन्ह हमारे कौन से तीर्थंकर की प्रतिमा के चिन्ह से मिलता है। उत्तर – श्री शांतिनाथ जी की प्रतिमा के चिन्ह से।
प्रश्न 144 – कौन-से विद्यमान तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बंदर है?
उत्तर – श्री सुबाहु जी की प्रतिमा का चिन्ह बंदर है।
प्रश्न 145 – बन्दर चिन्ह हमारे कौन-से तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह है?
उत्तर – श्री अभिनन्दन नाथ जी की प्रतिमा का।
प्रश्न 146 – कौन-से विद्यमान तीर्थंकरों की प्रतिमा का चिन्ह सूर्य है?
उत्तर – (1) श्री संजातक जी (2) श्री सूरिप्रभ जी एवं (3) श्री ईश्वर जी की प्रतिमा का चिन्ह सूर्य है।
प्रश्न 147 – सूर्य चिन्ह हमारे कौन-से तीर्थंकरों की प्रतिमा में मिलता है?
उत्तर – किसी से नहीं।
प्रश्न 148 – कौन-से विद्यमान तीर्थंकरों का चिन्ह चन्द्रमा है?
उत्तर – (1) श्री स्वयंप्रभ जी (2) श्री विशाल कीर्ति जी (3) री महाभद्र जी की प्रतिमाओं का चिन्ह चन्द्रमा है।
प्रश्न 149 – उपरोक्त तीर्थंकरों की प्रतिमा चिन्ह हमारे किस तीर्थंकर से मिलता है?
उत्तर – श्री चन्द्रप्रभु से।
प्रश्न 150 – कौन से विद्यमान तीर्थंकर का चिनह सिंह है?
उत्तर – श्री ऋषभानन जी की प्रतिमा का। प्रश्न 151 – सिंह चिन्ह हमारे किस तीर्थंकर से मिलता है?
उत्तर – श्री महावीर भगवान से।
प्रश्न 152 – कौन से विद्यमाल तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह शंख है?
उत्तर – श्री वज्रधर जी की प्रतिमा का चिनह शंख है।
प्रश्न 153 – शंख चिन्ह हमारे कौन से तीर्थंकर की प्रतिमा से मिलता है?
उत्तर – श्री नेमिनाथ जी से।
प्रश्न 154 – कौन से विद्यमान तीर्थंकरों की प्रतिमा का चिन्ह कमल है?
उत्तर – (1) श्री चन्द्रबाहु जी (2) श्री अजितवीर्य जी।
प्रश्न 155 – कमल चिन्ह हमारे कौन से तीर्थकरों से मिलता है?
उत्तर – श्री पद्मप्रभु तथा नमिनाथ जी से।
प्रश्न 156 – कौन से विद्यमान तीर्थंकरों की प्रतिमा का चिन्ह स्वास्तिक है?।
उत्तर – श्री देवयश जी की प्रतिमा का चिन्ह स्वस्तिक है।
प्रश्न 157 – स्वस्तिक चिन्ह हमारे कौन-से तीर्थंकर से मिलता है?
उत्तर – श्री सुपाश्र्वनाथ जी की प्रतिमा के चिन्ह से।
प्रश्न 158 – पांच मेरूओं से सम्बंधित जी बत्तीस-बत्तीस आर्य खंड है उनकी बत्तीस नगरियों के नाम बताइये।
उत्तर – (1) क्षेमा नगरी (2) क्षेमपुरी (3) अरिष्टापुरी (4) अरिष्टपुरी (5) खडगानगरी (6) मंजूषा नगरी (7) औषधिनगरी (8) पुंडरीकिणी नगरी (9) सुसीमा नगरी (10) कुडला नगरी (11) अपराजित पुरी (12) प्रभंकरापुरी (13) अंकावती (14) पद्मावती पुरी (15) सुभापुरी (16) रत्नसंचयापुरी (17) अश्वपुरी (18) सिंहपुरी (19) महापुरी (20) विजयापुरी (21) अरजा नगरी (22) विरजानगरी (23) अशोकपुरी (24) वीतशोकनगरी (25) विजयापुरी (26) वैजयंतीपुरी (27) जयंती नगरी (28) अपराजितापुरी (29) चक्रापुरी (30) खड्गापुरी (31) अयोध्यापुरी एव (32) अवध्यापुरी।
प्रश्न 159 – विदेह क्षेत्रों के कौन-से देशों में कौन सी नगरियां हैं?
उत्तर – (1) कच्छा देश में-क्षेमा नगरी (2) सुकच्छा में- क्षेमपुरी (3) महाकच्छा में- अरिष्टापुरी (4) कच्छाकावती में- अरिष्टपुरी (5) आर्वता में- खडगानगरी (6) लांगलावर्ता में- मंजूषा नगरी (7) पुष्कला में- औषधिनगरी (8) पुष्कलावती- पुंडरीकिणी नगरी (9) वत्सा में- सुसीमा नगरी (10) सुवत्सा में- कुडला नगरी (11) महावत्सा- अपराजित पुरी (12) वत्साकावती- प्रभंकरापुरी (13) रम्या में- अंकावती (14) सुरम्या- पद्मावती पुरी (15) रमणीया- सुभापुरी (16) मंगलावती- रत्नसंचयापुरी (17) पद्मावती- अश्वपुरी (18) सुपद्मा- सिंहपुरी (19) महापद्मा- महापुरी (20) पद्माकावती विजयापुरी (21) शंखादेश- अरजा नगरी (22) नलिना- विरजानगरी (23) कुमदा- अशोकपुरी (24) सरिता- वीतशोकनगरी (25) वप्रा- विजयापुरी (26) सुवप्रा- वैजयंतीपुरी (27) महावप्रा- जयंती नगरी (28) वप्रीकावती- अपराजितापुरी (29) गंधा- चक्रापुरी (30) सुगंधा में- खड्गापुरी (31) गंधीला-अयोध्यापुरी (32) गंधमालिनी अवध्यापुरी।
प्रश्न 160 – पांच मेरूओं से सम्बंधित बत्तीस-बत्तीस विदेहों में, देशों तथा नगरियों की क्या व्यवस्था है?
उत्तर – पांच मेरूओं के 32-32 दिेह क्षेत्रों में दशों तथा नगरियों के नाम भी उपरोक्त देशों तथा नगरियों के समान ही नाम हैं। अतः एक सी व्यवस्था है
*🌹टाँपिक~ बीस विहरमानजी*🙏
🅿1⃣बीस विहरमानों जी की च्यवन कल्याणक तिथी
🅰1⃣सावन कृष्णा ५
🅿2⃣जन्म नक्षत्र
🅰2⃣उत्तराषाढ़ा
🅿3⃣जन्म राशि
🅰3⃣धनु
🅿4⃣शरीर की अवगाहना
🅰4⃣५००धनुष
🅿5⃣सर्वायु कितनी
🅰5⃣८४लाख पूर्वं
🅿6⃣चारित्र पर्याय
🅰6⃣१लाख पूर्वं
🅿7⃣दीक्षा वृक्ष का नाम बताये
🅰7⃣अशोक वृक्ष
🅿8⃣इनका वर्ण कैसा
🅰8⃣कंचन (स्वर्ण)
🅿9⃣छद्मस्थ पर्याय🅰9⃣१०००वर्ष
🅿1⃣0⃣गृहवास कितना
🅰1⃣0⃣८३लाख पूर्वं
🅿1⃣1⃣जन्म कल्याणक
🅰1⃣1⃣वैशाख कृष्णा १०
🅿1⃣2⃣इस अवसर्पिणी काल के कौन से तीर्थंकर के समय इन सबका जन्म हुआ❓
🅰1⃣2⃣१७वें तीर्थंकर कुंथुनाथ जी
🅿1⃣3⃣कौन से तीर्थंकर के समय इन सभी की दीक्षा एक साथ हुई❓
🅰1⃣3⃣२० तीर्थकरजी श्री मुनिसुव्रत जी
🅿1⃣4⃣ सभी विहरमानजी का निर्वाण कब होगा ❓
🅰1⃣4⃣ये बीसों ही भरत क्षेत्र की भविष्यकाल की चौबीसी के सातवें तीर्थकर श्री उदयनाथजी का निर्वाण होने के बाद एक ही साथ मोक्ष पधारेगें
🅿1⃣5⃣इन सभी वर्तमान तीर्थकरो के कितने कितने केवलज्ञानी है
🅰1⃣5⃣दस_दस लाख
🅿1⃣6⃣इन सभी के
गणधर कितने _कितने हैं
🅰1⃣6⃣८४_८४गणधर है
🅿1⃣7⃣ बीसों ही विहरमान जी के मिलाकर कितने साधु हैं
🅰1⃣7⃣दो हजार करोड़ साधु है
🅿1⃣8⃣५वें विहरमान जी नाम बताइये
🅰1⃣8⃣श्री सुजातस्वामी जी
🅿1⃣9⃣इनका लक्षण बताइये
🅰1⃣9⃣सूर्य
🅿2⃣0⃣इनकी माता का नाम क्या हैं❓
🅰2⃣0⃣देवसेनाजी
🅿2⃣1⃣इनकी पत्नी का नाम
🅰2⃣1⃣जयसेना जी
🅿2⃣2⃣इन सभी के दीक्षा कल्याणक की तिथी बताइये
🅰2⃣2⃣फाल्गुन_ शुक्ला तीज
🅿2⃣3⃣श्री सीमंधर स्वामी जी का लक्षण बताइये
🅰2⃣3⃣वृषभ
🅿2⃣4⃣२०वें विहरमान श्रीअजितवीर्य जी का लक्षण बताइये
🅰2⃣4⃣स्वस्तिक
🅿2⃣5⃣जंबू द्वीप,
व,धातकीखंड़ में अभी कितने विहरमान जी हैं
🅰2⃣5⃣जंबू द्वीप में _४
धातकी खंड़ में _८
🅿2⃣6⃣पुष्कलावती विजय में कौन से विहरमान जी हैं
🅰2⃣6⃣१,५,९,१३,१७ वें
🅿2⃣7⃣नलीनावती विजय में कौन _ कौनसे विहरमानजी हैं❓
🅿2⃣7⃣४,८,१२,१६,२० वें
🅿2⃣8⃣वप्रा विजय में कौन कौन से विहरमानजी हैं
🅰2⃣8⃣२,६,१०,१४,१८ वें
🅿2⃣9⃣वत्सा_ वच्छा विजय में कितने विहरमान जी हैं
🅰५ हैं
३,७,११,१५,१९
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1. तिथँकर जधन्य कितने होते है?
ज. 20
2. ऊत्कृष्ट कितने होते है?
ज. 160- 170
3. सभी का च्यवन कल्याणक कब होता है?
ज. श्रावण वदी ५
4. दीक्षा कल्याणक कब आता है?
ज. फाल्गुन सुदी ३ को
5. सभी का जन्म कल्याणक कब आता है?
ज. वैशाख वदी १०
6. सभी का केवल ग्यान कल्याणक कब होता है?
ज. चैत्र सुदी १३
7. भविष्य में निवाँण कल्याणक कब होगा?
ज. श्रावण सुदी ३
8. सभी के शरीर की जघन्य व उत्कृष्ट अवगाहना कितनी होती है
ज.ज. ७ हाथ उ. ५०० धनुष्य
9. उनके शरीर का वणँ कौनसा है
ज. कंचन वणँ
१०. उनकी दिक्षा कोनसे वृक्ष के नीचे हुई
ज. अशोक वृक्ष
११. उनके गणधर कितने है?
ज. 84-84
१२. वे सब छद्मस्थ अवस्था मे कितने समय रहे?
ज. १००० वषँ
१३. गृहवास मे कितने समय रहे?
ज. 83 लाख पूर्व
14. सभी का चारित्र पयाँय कितना?
ज. १ लाख पूर्व
15. प्रत्येक विहरमान के साधु कितने होते है?
ज. 100 करोड
16. केवल ग्यानी मुनीवर कितने होते है?
ज. १० लाख
17. वे कीतने लक्षण से युक्त होते है?
ज. 1008
18. वतँमान मे सबसे बडे तिथँकर जी कोन है?
ज. सिमंधर स्वामी जी
19.सीमंधर स्वामी जी की माता जी का नाम क्या है?
ज. सत्यकी जी
20. उनके पिता जी का नाम क्या है?
ज. श्रेयांसजी
21. उनका लांछन क्या है?
ज. वृषभ
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