अष्ट सिद्धी नवनिधी



अष्ट सिद्धी नवनिधी मिले
1) सुई के छेद जितनी जगह मे से पसार होने वाली सिद्धी का नाम?
ज 1 ) अणिमा
2) मेरू पर्वत से भी बडा रूप बनाने की सिद्धी का नाम?
ज 2) महीमा
3) पवन से भी हलका शरीर बनाने की सिद्धी?
ज 3) लधीमा
4) इंद्र भी सहन न कर सके ऐसी गुरूत्व करण सिद्धी?
ज 4) गरिमा
5) भूमि पर रहकर मेरू पर्वत की चोटी को स्पर्श करने की सिद्धि?
ज 5) प्राप्ति
6) जमीन पर पानी की तरह और पानी में जमीन के तरह चलने की सिद्धि?
ज6) प्राकाम्य
7) चक्रवर्ती और इंद्र जैसी खुद की शोभा करने की सिद्धि?
ज 7 )ईशित्व
8) क्रूर जीव भी जिसके दशर्न से शांत हो जाता है ऐसी सिद्धि?
ज 8) वशित्व
9) नवकार महामंत्र में नवपद क्या देते है?
ज 9) नवनिधी
10) ग्राम नगर आदि का व्यवहार जिससे होता है वह कौन-सा निधान है?
ज 10) नैसर्प
11) पुरूष, स्त्री ,  घोड़े और हाथी की आभरण विधि जिससे होती हैं वह निधान ?
ज 11) पिंगल
12) चक्रवर्ती के चौदह रत्न और अन्य रत्न की उत्पत्ति जिससे होती है वह कौन-सा निधान?
ज 12) सर्व रत्न
13) सफेद और रंगीन वस्र की उत्पत्ति होती है वह कौन-सा निधान?
ज 13) महापद्म
14) तीनों काल और सभी कला का ज्ञान जिससे होता है वह कौन-सी निधी?
ज 14)काल

15) लोहा आदि धातु और स्पटिक मणि आदि की उत्पत्ति जिस से होती है वह कौन-सा निधी?
ज 15)महाकाल
16 ) युद्ध नीति ,दंड नीति और योद्धा शस्त्र आदि की उत्पत्ति जिस से होती हैं वह निधी?
ज 16) माणवक
17) संगीत ,नृत्य ,वाद्य की उत्पत्ति जिस से होती है वह निधी?
ज 17) शंख
18) नवकार को अंत समय में कौन याद करता है?
ज 18) चौदह पूर्वधर
19) जयताक कौन-सा सेठ के घर पर काम करता था?
ज 19) ओढर
20) कुमारपाल राजा का नाम रोज कहा सुनने को मिलता है?
ज 20) मंगल दिया
21)दमयंती के सतित्व के प्रभाव से कौन-सा चोर बंधन मुक्त हुआ?
ज 21) पिंगल चोर
22) तप के प्रभाव से देव सेवा करने आए  ऐसे महामुनि?
ज 22) हरिकेशी
23) कर्मो दय से कौन-सी सति को पांच पति हुए?
ज 23) द्रौपदी
24) अष्टापद पर आए हुए भव्य प्रसाद का नाम?
ज 24) सिंह निषधा प्रसाद
25) किस चीज के बिना इंसान पशु समान कहलाता है?
ज 25) ज्ञान


6. देवों में आठ गुणों (ऋद्धियों) का स्वरूप बताइए?
 देवों की आठ ऋद्धियाँ निम्न हैं
  1. अणिमा - अपने शरीर को अणु के बराबर छोटा करने की शक्ति है जिससे वह सुई के छेद में से भी निकल सकता है। 
  2. महिमा - अपने शरीर को सुमेरु के समान बड़ा करने की शक्ति होती है।
  3. लघिमा - अपने शरीर को बिल्कुल हल्का बना लेना, जिससे मकड़ी के जाल पर भी पैर रखे तो वह भी न टूटे। 
  4. गरिमा - सुमेरु पर्वत से भी भारी शरीर बना लेना जिसे हजारों व्यक्ति भी मिलकर न उठा सकें।
  5. प्राप्ति - एक स्थान पर बैठे-बैठे ही दूर स्थित पदार्थों का स्पर्श कर लेना जैसे-यहाँ बैठे-बैठे ही शिखरजी की टोंक का स्पर्श कर लेना।
  6. प्राकाम्य - जल के समान पृथ्वी में और पृथ्वी के समान जल पर गमन करना।
  7. ईशत्व - जिससे सब जगत् पर प्रभुत्व होता है।
  8. कामरूपित्व - जिससे युगपत् बहुत से रूपों को रचता है, वह कामरूपित्व ऋद्धि है। (क.अ.टी.370)



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