दिगम्बर vs श्वेताम्बर

तीर्थकर महावीर स्वामी के जीवन से संबंधित दिगम्बर एवं
श्वेताम्बर परम्परानुसार भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण
  पीठाधीश क्षुल्लक मोतीसागरजी द्वारा
श्वेताम्बर : महावीर पहले देवानंदा नामक ब्राह्मणी के गर्भ में आये पुनः इन्द्र ने उनका
गर्भपरिवर्तन करके रानी त्रिशला के गर्भ में स्थापित किया |
दिगम्बर : भगवान महावीर ने त्रिशला के गर्भ में ही अवतार लिया |
श्वेताम्बर : बिहार प्रान्त के ‘लिछवाड़’ ग्राम में महावीर का जन्म हुआ था |
दिगम्बर : महावीर का जन्म विदेह देश (वर्तमान बिहार प्रान्त) की कुंडलपुर नगरी में
(वर्तमान नालंदा जिला के अन्दर)  हुआ था |
श्वेताम्बर : वे माता-पिता एवं गुरु को नमस्कार करते थे |
दिगम्बर : महावीर    अपने    माता-पिता, मुनि आदि किसी को भी नमस्कार नहीं करते थे | तीर्थंकर प्रकृति के नियमानुसार सभी तीर्थंकर केवल सिद्धों को नमन करते हैं और किसी को नहीं |
श्वेताम्बर : यशोदा नामक राजकुमारी के साथ उनका विवाह हुआ और उनकी प्रियदर्शना नामक पुत्री थी | उसके पश्चात् राज्य संचालन कर वे दीक्षा धारण कर देवदूष्य वस्त्रों को पहनते थे और दीक्षा के दूसरे वर्ष में उन्होंने उसका भी त्याग कर
दिया था और वे अचेलक हो गये थे |
दिगम्बर : महावीर ने 30 वर्ष की युवावस्था में दिगम्बर जैनेश्वरी दीक्षा ग्रहण की, वे बालब्रह्मचारी थे | महावीर अपनी माता के इकलौते पुत्र थे क्योंकि तीर्थंकर माता मात्र एक पुत्र को ही जन्म देती हैं |
श्वेताम्बर : महावीर यत्र-तत्र ग्रामों में विहार करते रहे और सबसे वार्तालाप करते रहे | चंडकौशिक सर्प के काटने पर उनके पैरों से दूध की धारा निकल पड़ी, उनके शरीर पर कीलें ठोकी गईं |
दिगम्बर : दीक्षा के बाद महावीर ने मौनपूर्वक विहार किया और 12 वर्ष की तपस्या करके केवलज्ञान प्राप्त किया |
श्वेताम्बर : महावीर के ऊपर जगह-जगह तमाम नगरों में उपसर्ग हुआ | लोगों ने उन्हें बांधा, मारा, जेल में डाल दिया, उछालकर फेंक दिया, आग लगा दी…. इत्यादि |
दिगम्बर : महावीर पर उज्जयिनी के अतिमुक्तक वन में ध्यानावस्था में रुद्र ने मात्र एक बार उपसर्ग किया और ध्यान के बल पर उपसर्ग को जीतकर महावीर तीर्थंकर बने | दिगम्बर परम्परानुसार कोई भी उपसर्गकर्ता तीर्थंकर के शरीर को स्पर्श नहीं कर सकता है, उपसर्ग उनके चारों ओर होता है, तीर्थंकर को कोई कष्ट नहीं हो सकता है | महावीर अपने जीवन में कभी बीमार नहीं हुए, क्योंकि तीर्थंकर के शरीर में प्रारंभ से अंत तक कोई रोग नहीं होता हैं |
श्वेताम्बर : गोशालक ने भगवान महावीर पर तेजोलेश्या का प्रहार किया |
दिगम्बर : गोशालक नामक कोई व्यक्ति भगवान महावीर के जीवन काल में नहीं हुआ |
श्वेताम्बर : भगवान महावीर ने दीक्षा के पश्चात् चातुर्मास किये |
दिगम्बर : तीर्थंकर दीक्षा के पश्चात् वर्षायोग नहीं करते |
श्वेताम्बर : श्वेताम्बर   में    दिगम्बर    चित्र    बनाते    हुए उसके आगे पेड़ आड़ा कर देते हैं,  सामने सर्प या आशीर्वाद का हाथ आड़ा करके नग्नता को ढक देते हैं |
दिगम्बर : भगवान महावीर को   दीक्षा लेने के पश्चात् नग्न दिगम्बर अवस्था में दिखाया  जाता हैं |
श्वेताम्बर : भगवान    महावीर     ने  गौतम गणधर को निर्वाण जाने के समय अन्यत्र भेज  दिया ताकि उनको वियोग का दुःख न हो |
दिगम्बर : भगवान महावीर ने अपने निर्वाण काल की बेला में गौतम गणधर को अन्यत्र  जाने का आदेश नहीं दिया क्योंकि वे तो पूर्ण वीतरागी थे |
श्वेताम्बर : महावीर की माता ने 14 स्वप्न देखे |
दिगम्बर : महावीर की माता    ने 16 स्वप्न    देखे   जैसाकि प्रत्येक तीर्थंकर की माता अपने  गर्भ में तीर्थंकर के आने पर 16 स्वप्न ही देखती है |
श्वेताम्बर : रानी    त्रिशला के महावीर से पहले एक पुत्र नंदीवर्धन तथा पुत्री सुदर्शना थे |  अर्थात् महावीर से पूर्व  उनके एक भाई और एक बहन थी |
दिगम्बर : रानी  त्रिशला के केवल एक ही पुत्र भगवान महावीर थे |
श्वेताम्बर : महावीर का एक नाम वैशालिक भी माना है |
दिगम्बर : किन्हीं भी ग्रंथों में भगवान महावीर का नाम वैशालिक नहीं आया |
श्वेताम्बर : महावीर से पूर्व महाश्रमण केशी कुमार हुए ऐसा माना है |
दिगम्बर : भगवान महावीर से पूर्व केशी कुमार नाम से कोई महामुनि नहीं हुए |
श्वेताम्बर : माता त्रिशला ने महाराज के शयनकक्ष में जाकर उनको जगाकर अपने स्वप्न बताये | उनका फल राजदरबार में विद्वान् पंडितों को बुलाकर पूछा |
दिगम्बर : माता त्रिशला पिछली    रात्रि    में स्वप्न देखकर अगले दिन प्रातः राजदरबार में  जाकर महाराज सिद्धार्थ से स्वप्नों का फल पूछती हैं | 

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