ग्यारह अंग ,चौदह पूर्व

 1 - उपध्याय परमेष्ठी का क्या स्वरूप है?
उत्तर - जो मुनि ग्यारह अंग चैदह पूर्वों के ज्ञानी होते हैं। अथवा तत्काल के सभी शास्त्रों के ज्ञानी होते हैं तथा जो संघ में साधुओं को पढ़ाते हैं वेा उपाध्याय परमेष्ठी हैं। मुख्य रूप से ग्यारह अंग तथा चैदह पूर्वों को पढ़ना-पढ़ाना ही इनके 24 मूलगुण हैं।
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प्रश्न 2 - ग्यारह अंगों के नाम बताइये।
उत्तर - 1 अचारांग , 2 सूत्रकृतांग , 3 स्थानांग , 4 समवायांग , 5 व्याख्याप्रज्ञप्ति , 6 ज्ञातृ-कथांग , 7 उपासका- ध्ययनांग , 8 अन्तकृत - दशांग , 9 अनुत्तोपपादक - दशांग 10 प्रश्न व्याकरणांग एवं , 11 विपाक सूत्रांग।
प्रश्न 3 - ग्यारह अंगों के नाम पद्य में बताइये।
उत्तर -
दोहा - प्रथमहिं आचारांग गनि, दूजो सूत्र कृतांग।
ठाण अंगतीजो सुभग, चैथे समवायांग।।
व्याख्यापण्णति पांचमों ज्ञातृकथा षट् जान।
पुनि उपासाकाध्ययन है अंतकृत दश जान।।
अनुत्तरा उत्पाद दश, सूत्र विपाक पिछान।
बहुरिप्रश्न व्याकरण जुत, ग्यारह अंग प्रमाण।।
प्रश्न 4 - चैदह पूर्व कौन कौन से हैं?
उत्तर - 1 - उत्पाद पूर्व
2 - अग्रायणी पूर्व
3 - वीर्यानुवाद पूर्व
4 - अस्ति नास्तिप्रवाद पूर्व
5 - ज्ञानप्रवाद पूर्व
6 - कर्मप्रवाद पूर्व
7 - सत्य प्रवादपूर्व
8 - आत्म प्रवाद पूर्व
9 - प्रत्याख्यान प्रवाद पूर्व
10 - विद्यानुवाद पूर्व
11 - कल्याण प्रवाद पूर्व
12 - प्राणानुवाद पूर्व
13 - क्रियाविशाल पूर्व और
14 - लोकबिन्दु पूर्व। ये चैदह पूर्व हैं।

प्रश्न. 1. : योग शास्त्र में श्रावक का क्या अर्थ बताया गया है ?
उ. 1. : दीक्षा लेने की तीव्र इच्छा वाला व्यक्ति |

प्रश्न. 2. : श्रावक के कुल अतिचार कितने ?
उ. 2. : १२४ --  ज्ञानाचार के८ , दर्शनाचार के ८, चारित्राचार के ८, तपाचार के १२, विर्याचार के ३, सम्यक्त्व के ५, संलेखना के ५, और बारह व्रत के ७५ अतिचार है | कुल श्रावक के १२४ अतिचार है |

प्रश्न. 3. : मैं वीरों का आभूषण हूँ ?
उ. 3. : क्षमा

प्रश्न. 5. : पूर्व कितने है और कौनसे है ?
उ. 5. : १४ पूर्व है |
1) उत्पाद सूत्र  -  १ करोड़ पद  -  १ हाथी  -  ४ चूलिका
2) अग्रायणीय पूर्व  -  १६ लाख  -  २ हाथी  -  १२ चूलिका
3) वीर्यप्रवाद  -  ७० लाख  -  ४ हाथी  -  ८ चूलिका 
4) अस्तिनास्ति प्रवाद पूर्व  -  ६० लाख  -  ८ हाथी  -  १० चूलिका 
5) ज्ञान प्रवाद पूर्व  -  १ करोड़  -  १६ हाथी  
6) सत्य प्रवाद पूर्व  -  १ करोड़ ६० लाख  -  ३२ हाथी 
7) आत्म प्रवाद पूर्व  -  २६ करोड़  -  ६४ हाथी 
8) कर्म प्रवाद पूर्व  -  १ करोड़ ६ लाख  -   १२८ हाथी 
9) प्रत्याख्यान पूर्व  -  ८४ लाख  -  २५६ हाथी 
10) विधानु पूर्व  -  १ करोड़ १० हजार  -  ५१२ हाथी 
11)  कल्याण प्रवाद पूर्व (अवन्ध्य पूर्व ) -  २६ करोड़  -  १०२४ हाथी  
12) प्राणायु प्रवाद पूर्व  -  १ करोड़ ५६ लाख  -  २०४८ हाथी 
13) क्रिया विशाल पूर्व  -  १ करोड़  -  ४०९६ हाथी 
14) लोक बिन्दुसार पूर्व  -  १२ करोड़ ५० लाख  -  ८१९२ हाथी 

कुल जोड़ ७५ करोड़ २२ लाख १० हजार पद |  १६३८३ हाथी प्रमाण स्याही  |  ३४ चूलिका  |

प्रश्न. 6: १४ पूर्व कुल कितने हाथी की स्याही प्रमाण होते है ?
उ. 6. : १६३८३ हाथी जितनी स्याही प्रमाण से लिखे उतने ज्ञान यानी १४ पूर्व का ज्ञान |




प्रश्न. 9. : परमाधामी कितने और कौन से ?
उ. 9. : १५ -- अंब, अंबरीष, श्याम, शबल, रूद्र, उपरुद्र, काल, महाकाल, असिपन्न, धनुष, कुम्भ, बालुका, वैतरणी, खरस्वर और महाघोष |

प्रश्न. 10. : ढाईद्वीप कौन कौन से है ?
उ. 10. : जम्बूद्वीप, घातकी खंड, १/२ पुष्कर द्वीप |


प्रश्न 5 - चैदह पूर्वों को पद्य में बताइये।
उत्तर -
दोहा- उत्पाद पूर्व अग्रयणी, तीजो वीरजाद
अस्ति नास्तिपरवाद पुनि, पंचम ज्ञान प्रवाद।।
प्रश्न 6 - आचारांग किस विषय का वर्णन करता है?
उत्तर - आचारांग में आठ प्रकार की शुद्धि पांच समिति, तीन गुप्ति रूप चर्या का वर्णन है।
प्रश्न 7 - आचारांग में कितने भेद हैं?
उत्तर - आचारांग में 18000, अठारह हजार पद हैं।
प्रश्न 8 - सूत्र कृतांग में किस प्रकार का वर्णन है?
उत्तर - सूत्र कृतांग में, ज्ञानविनय, प्रज्ञापना, कल्प्य अकल्पय छेदोपस्थापना आदि व्यवहार धर्म की क्रियाओं का वर्णन है?
प्रश्न 9 - सूत्र कृतांग में पदों की संख्या कितनी है?
उत्तर - सूत्र कृतांग में छत्तीस हजार पद हैं।
प्रश्न 10 - स्थानांग में किस प्रकार का वर्णन है?
उत्तर - स्थानांग में अर्थों के एक-एक, दो-दो आदि अनेकों आश्रय रूप से पदार्थों का कथन किया जाता है।
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प्रश्न 11 - स्थानांग में पदों की संख्या कितनी है?
उत्तर - स्थानांग में ब्यालिस हजार पद हैं।
प्रश्न 12 - समवायांग में किस प्रकार का वर्णन है?
उत्तर - समवायांग में पदार्थों की समानता का वर्णन है।
प्रश्न 13 - समवायांग में कितने पद हैं?
उत्तर - समवायांग में एक लाख चैसठ हजार पद हैं।
प्रश्न 14 - व्याख्या प्रज्ञप्ति अंग में किस विषय को लिया गया है?
उत्तर - व्याख्या प्रज्ञप्ति अंग में जीव है या नहीं इत्यादि साठ हजार प्रश्नों के उत्तरों का निरूपण है।
प्रश्न 15 - व्याख्या प्रज्ञप्ति अंग में पदों की संख्या कितनी है?
उत्तर - व्याख्या प्रज्ञप्ति अंग में दो लाख अट्ठाइस हजार पद है।
प्रश्न 16 - ज्ञातृ धर्म कथांग किसे कहते हैं?
उत्तर - जिसमें अनेक आख्यान और उपाख्यानों का वर्णन रहता है उसे ज्ञातृ धर्म कथांग कहते हैं।
प्रश्न 17 - ज्ञातृ धर्मकथांग में कितने पद हैं?
उत्तर - इसमें पदों की संख्या पांच लाख छप्पन हजार है।

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